RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
“ठीक है अंकल जी. कुछ गड़बड़ हुई तो आप संभालना बस!” वो समर्पित भाव से बोली.
“अरे कम्मो बेटा, तेरी इज्जत की परवाह मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी है, तू बिल्कुल भी फिकर न कर. मैं तुझ पर कोई आंच नहीं आने दूंगा.”
उसने सहमति में सिर हिलाया और दौड़ कर लेडीज के झुंड में शामिल हो गयी. इस तरह कम्मो चुदने को राजी हो गयी.
अब मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. बात ही खुशी की थी उन्नीस बरस की गांव की कड़क जवान हसीन लौंडिया राजी खुशी अपनी चूत देने को तैयार थी तो कौन खुशी से पागल न हो जाय. सबसे पहले मैंने अपना बैग खोल कर सेक्स वर्धक गोली निगल ली; ऐसी दवा मैं हमेशा अपने साथ इसी प्रकार की इमरजेंसी के लिए रखता हूं; हालांकि सामान्य तौर पर इसकी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन जब लड़की ‘चोदना’ हो तो अपना हथियार भी भीषण युद्ध के लिए तैयार होना चाहिये ताकि सामने वाली से अपना लोहा मनवा सके और कामयुद्ध को निर्णायक रूप से जीत सके; ऐसा न हो कि मेरे लंड के नाम पर बट्टा लगे. जवान लड़की की गर्मी जब तक उसकी चूत के रास्ते से न निकल जाए और उसकी चूत चरमरा न उठे तब तक उसकी चूत चुदाई मांगती है.
इतना सब करने के बाद मैं प्रसन्नचित्त होकर धर्मशाला के बाहर आ गया. घोड़ी सजी खड़ी थी और वो डी जे वाला फिर से कुड़कुड़ करने लगा था कि दो किलोमीटर दूर बारात जानी है कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही पहुँचने में और आठ यहीं बज चुके है.
अदिति के चाचा जी ने जैसे तैसे सबको हांक कर बारात साढ़े आठ तक दूल्हा निकासी करवाई और बारात निकल सकी, बहूरानी का भाई घोड़ी चढ़ चुका था और आगे आगे बारात में लोग नाचते हुए चलने लगे थे.
सबके जाने के बाद मैंने सारे कमरे लॉक किये और बाहर निकला. केटरिंग वाले बन्दे भी निकल लिए थे सब जगह सुनसान हो गया था. मैं बाहर निकलने ही वाला था कि धर्मशाला का वृद्ध चौकीदार मेरे सामने हाथ फैलाये आ खड़ा हुआ.
“साब कुछ इनाम, बख्शीश मिल जाती तो …” इतना कह कर उसने अपना फैला हुआ हाथ तीन चार बार अपने माथे से लगाया साथ में उसके मुंह से देशी दारु का भभका छूटा.
मेरे मन में भी एकदम विचार जागा कि इस चौकीदार का तो कुछ करना ही पड़ेगा नहीं तो जब मैं कम्मो को लेकर अभी यहां वापिस आऊंगा तो ये देख लेगा और कुछ गड़बड़ भी कर सकता है फिर.
“ये लो बाबा. और कुछ चाहिये तो बोलो” मैंने पचास का नोट उसकी तरफ बढ़ाते हुए पूछा.
“साब, दो घूंट और मिल जाती तो रात आराम से कट जाती; ठंड बहुत होती है रात में!” वो बोला.
“तूने पी तो रखी है अब और क्या पियेगा?” मैंने थोड़ा डांट कर कहा.
“साब छै बजे पी थी ठेके पे जाके, अब वो तो कबकी उतर गयी.” वो हंसते हुए बोला.
मैंने उसे रुकने का बोला और वापिस रूम खोल कर अपने बैग में से सिग्नेचर व्हिस्की का क्वार्टर निकाल के लाया.
“तू अपना गिलास ले के आ जल्दी” मैंने चौकीदार को बोला तो वह लगभग दौड़ता हुआ अपनी झोपड़ी में गया और गिलास ले आया. मैंने आधी व्हिस्की उसके गिलास में उंडेल दी.
“ले ऐश कर!” मैंने उसे कहा तो उसने गिलास माथे से लगाया और हाथ जोड़ दिये.
“और सुन, मेन गेट अन्दर से बंद नहीं करना. मैं अभी लौट के आता हूं. मुझे यहीं सोना है आज!” मैंने चौकीदार से कहा.
“जी साब, मैं इन्तजार करूंगा आपका!” वो बोला.
“अरे तू इन्तजार मत करना. मेरा कोई पक्का नहीं मैं कब लौटूं. तू तो दारु पी के सो जा आराम से.” मैंने उसे समझाया.
“ठीक है साब फिर आप बाहर का ताला लगा के चाभी ले जाओ अपने साथ!” उसने मुझे राय दी.
मैंने मेन गेट का ताला चाभी लेकर बाहर से गेट बंद किया और निकल लिया. अब मैं बिल्कुल निश्चिंत महसूस कर रहा था; सारी बाधाएं दूर हो गयीं थीं. बस अब तो ‘कम्मो की कुंवारी चूत और मेरा लंड’ मैंने खुश हो कर सोचा और जेब से क्वार्टर निकाल कर तीन चार तगड़े घूंट नीट ही गले से उतार लिए और खाली क्वार्टर वहीं फेंक कर तेज कदमों से बारात में शामिल होने चल दिया.
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