RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
मैं पहले भी बता चुका हूं कि मुझे अपनी संगिनी की नग्न जांघें चाटने में विशेष आनन्द आता है तो मैं कम्मो रानी के दोनों मम्में कसके दबोचे हुए उसके घुटनों से ऊपर चूत के आस पास सब जगह चाट डाला. फिर उसकी पिंडलियां भी चूम चाट डालीं और पांव की उंगलियां भी अपने मुंह में भर कर चुभलाने लगा, तलवे भी चाटने लगा.
प्यासी कम्मो इतना सब कैसे सहन करती सो उसने गद्दों को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी चूत बार बार ऊपर उठाने लगी. अभी तक मैंने उसकी चूत को जरा भी नहीं छेड़ा था.
“अंकल जी, मुझे अजीब सा लग रहा है, मेरे पैरों से कमर तक जैसे चीटियां रेंग रहीं है और पैंटी में खुजली मची है.” वो सिसियाते हुए बोली.
“बेटा, यही तो होना था. अभी देखना तेरी चूत की खुजली मैं अपने लंड से खुजाऊंगा तुझे तभी चैन पड़ेगा, मेरा लंड लोगी न अपनी चूत में?” मैंने उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर कहा.
“धत्त, कैसे कैसे गंदे बोल बोलते हो आप भी ना, लाज शरम तो है नहीं आपको. पराई लड़की का भी कोई लिहाज नहीं आपको तो?”
“कम्मो मेरी जान, अब तू पराई थोड़े ही है. बस थोड़ी से कसर रह गयी है फिर तू पूरी तरह से मेरी हो जायेगी, बस जरा सी देर और!” मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से चूत की दरार में उंगली फिराई.
“तो जल्दी जल्दी कर दो ना जो कुछ रह गया हो, मुझसे नहीं रहा जा रहा अब.” तो बेसब्री से बोली.
“कम्मो रानी, ये नयी ब्रा पैंटी पहन के अच्छा किया तूने. मस्त लग रही है तेरे बदन पर!” मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत मसलते हुए कहा.
“अंकल जी, मुझे पता था आप कोई न कोई जुगाड़ जरूर फिट कर लोगे. ऐसी ही कोरी कोरी तो मुझे जाने नहीं दोगे. तो मैंने सोचा कि आपसे ही इनका उद्घाटन करवा कर आपकी कीमत ही वसूल करवा दूं!” वो बड़े ही सेक्सी अंदाज में बोली और मुझे प्यार से चूम लिया.
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“वाह बेटा, क्या बात कह दी तूने. मजा आ गया. तू सच में बहुत प्यारी है.” मैंने इस बार उसकी पैंटी में अपना हाथ घुसा दिया और उसकी नंगी चूत मुट्ठी में भर ली और उसकी झांटों में अपनी उँगलियों से कंघी करने लगा. उसकी मुलायम चूत मुझे कचौरी की तरह फूली फूली सी महसूस हुई.
“सीsss स्स्स्स … धीरे; बाल खिंचते हैं.” वो कसमसाकर बोली.
अब मुझसे भी सब्र नहीं हो रहा था. मेरा लंड तो कब का खड़ा खड़ा परेशान हो रहा था और कपड़ों से आजादी चाह रहा था. लेकिन सबसे जरूरी मुझे कम्मो की चूत देखना थी पहले. कुंवारी लड़की की चूत देखे हुए एक ज़माना बीत गया था. मैंने उसकी पैंटी नीचे की तरफ सरकाई और कम्मो ने अपनी कमर उठा कर पैंटी उतर जाने दी. ज्यों ही उसकी पैंटी उतरी उसने झट से चूत को अपने हाथों से ढक लिया; अब लाज तो इतनी जल्दी नहीं उतरती न.
मैंने उसके हाथ चूत पर से हटा दिए जिन्हें उसने थोड़ी सी ना नुकुर के बाद हटा लिया और उसकी चूत अब मेरे सामने अनावृत थी.
कम्मो मेरे सामने मादरजात नंगी लेटी थी. ट्यूबलाइट की तेज रोशनी में उसका जवां हुस्न मेरे तन मन में हाहाकार मचाने लगा. मैं उसके बगल में बैठा हुआ उसे निहारने लगा. कम्मो ने तो आंखें बंद कर लीं थीं. बेदाग़ हुस्न की मलिका निकली कम्मो रानी; उसके चिकने बदन पर मुझे एक भी तिल या और कोई दाग नज़र नहीं आया, खूब भरा भरा सा पुष्ट बदन था उसका. गांव की मेहनतकश लड़कियों के जिस्म में मजबूती और मांसपेशियों का सौन्दर्य अलग ही छलकता है.
मैंने उसके चेहरे को बार बार चूम डाला और उसके पैरों के पास जा बैठा और उसकी पिंडलियां पकड़ कर पांव ऊपर उठा कर घुटने मोड़ दिए.
अब उसकी चूत का तिकोना खुल कर स्पष्ट रूप से मेरे सामने था; कम्मो ने एक बार फिर से अपनी चूत हाथों से ढकने की व्यर्थ सी कोशिश की पर मैंने उसके हाथ हटा दिए और चूत पर अपने हाथ रख दिए और उसे सहलाने लगा. उसकी चूत पर झांटों का ऊबड़ खाबड़ सा जंगल उगा हुआ था; झांटों के बाल कहीं एकदम छोटे छोटे जिनके बीच से खाल भी दिखती थी कहीं झांटें थोड़ी सी बड़ीं बड़ीं थीं.
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“कम्मो ये तेरी चूत के बाल ऐसे ऊबड़ खाबड़ से छोटे बड़े कैसे हैं?” मैंने चूत को सहलाते हुए पूछा.
“अंकल जी, हमारे पास कोई बाल काटने का साधन तो है नहीं. घर में एक पुरानी सी कैंची है वो भी ठीक से चलती नहीं. आते समय उसी कैंची से जैसे बने काट लिए थे.” वो बोली.
मैं उसकी बात समझ रहा था. गांव की छोरियों, औरतों के साथ ये बड़ी दिक्कत है कि उन्हें अपनी चूत के बाल साफ़ करने के लिए प्रॉपर सामान नहीं मिलता. न हेयर रिमूविंग क्रीम, न रेजर ब्लेड. गांव के ज्यादातर पुरुष भी अपनी शेविंग नाई से ही कराते हैं और ब्लेड रेजर वगैरह घर में नहीं रखते. तो मैंने कम्मो से वादा किया कि मैं उसे कल जाने से पहले हेयर रेमूविंग क्रीम और नयी कैंची ला कर दूंगा ताकि वो अपनी सुहागरात के लिए अपनी चूत को चिकनी चमेली बना सके.
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