RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
मैंने उसके हाथ चूत पर से हटा दिए और उसकी चूत अब मेरे सामने अनावृत थी. कम्मो मेरे सामने मादरजात नंगी लेटी थी. ट्यूबलाइट की तेज रोशनी में उसका जवां हुस्न मेरे तन मन में हाहाकार मचाने लगा.
फिर मैंने कम्मो की चूत का जायजा लिया, उसकी चूत का चीरा खूब लम्बा था और बुर के होंठ भी खूब भरे भरे से गद्देदार थे. उसकी पुष्ट कदली जांघों के बीच उसकी चूत का नजारा बेहद शानदार था. चूत का भी अपना निराला सौन्दर्य, निराला वैभव और शान होती है. जिससे हम जन्म लेते हैं जिसके पीछे सारी उमर भागते हैं. जिसके आनन्द के सामने सब सुख फीके हैं उसका रूप भी आनंददायक तो होना ही चाहिए.
मैंने मुग्ध होकर उसकी चूत को चूम लिया. फिर मैंने धीरे से उसकी चूत का चीरा दोनों ओर उंगलियां रख के खोल दिया; भीतर जैसे रसीले तरबूज का गहरा लाल गूदा भरा हुआ था; उसकी चूत का दाना मटर के आकर का फूला हुआ सा था और भीतरी होंठ मुश्किल से तीन अंगुल लम्बे रहे होंगे. मैंने उसके लघु भगोष्ठ भी खोल दिए और उन्हें चूम लिया. कम्मो की चूत के भीतरी कपाट बड़े अदभुत लगे मुझे; भीतरी भगोष्ठों के किनारों पर गहरी काली रेखा सी थी जैसे किसी गुलाबी नाव के किनारों पर काजल लगा दिया हो या जैसे हम आंख में अपनी निचली पलक पर काजल लगाते हैं तो आंखों की शोभा और बढ़ जाती है; ठीक उसी अंदाज में कम्मो की चूत शोभायमान हो रही थी.
“कम्मो, कितनी प्यारी प्यारी मस्त चूत है तेरी; इसे चख कर तो देखूं जरा!” मैंने कहा और अनारदाना चाटने लगा.
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कम्मो की चूत की बास बहुत ही कामोत्तेजक लगी मुझे; मैंने उस गंध को गहरी सांस लेकर अपने भीतर तक समा लिया और दाने के नीचे नाव की गहराई में अच्छे से जीभ घुसाकर लप लप करके चाटने लगा. बिल्कुल मलाई कोफ्ता या रसमलाई के जैसी नर्म गर्म रसीली चूत थी कम्मो रानी की.
“छी अंकल जी … वहां गन्दी जगह मुंह क्यों लगा रहे हो?” उसने प्रतिवाद किया. लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसकी चूत चाटना जारी रखा और साथ में उसके दोनों दूध भी दबाता मसलता रहा. जल्दी ही उसकी चूत से रस की नदियाँ बहने लगी और उसके निप्पलस कड़क हो चले. अब वो बुरी तरह मस्ता चुकी थी, मेरा मुंह उसकी चूत के ऊपर था तो उसने अपने दोनों पैर मेरी पीठ पर रख दिए और उन पर एड़ियाँ रगड़ने लगी, साथ में मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी.
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“अंकलल्ल जीईईई …” उसके मुंह से निकला और उसने मिसमिसा कर अपनी चूत जोर से उठा कर मेरे मुंह पर दे मारी … एक बार … दो बार … फिर तीसरी बार.
“अब आ जाओ जल्दी से!” कह कर उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सिर जोर से हिलाया. हालत तो मेरी भी खराब हो रही थी. मुझपर उस गोली का भरपूर असर हो चुका था और लंड कबसे तैयार खड़ा था और चड्डी में दबा आजादी मांग रहा था.
“आया हुआ ही तो हू मेरी जान …” मैंने कहा और अपना मुंह उसकी चूत से हटा कर उसे दबोच लिया और चूत रस से गीले अपने होंठों से उसके गाल चूमने लगा.
“उफ्फ अंकल … मेरा मुंह भी गन्दा कर दिया न आपने!” उसने शिकायत की और मुझे परे धकेलने लगी.
“अच्छा अब जो करना हो जल्दी कर लो बहुत देर हो गयी वैसे भी; कहीं आंटी जी मुझे न ढूंढ रहीं हों!” वो व्यग्रता से बोली.
“अरे बेटा तू टेंशन न ले बिल्कुल. मैं अदिति को जानता हूं अच्छे से; वो तो मजे से ठुमके लगा रही होगी.” मैंने कहा.
“फिर भी जल्दी कर दो अब आप तो … मुझे पता नहीं कैसा कैसा लग रहा है.”
“क्या कर दूं मेरी जान?” मैंने उसके दोनों दूध कसके दबोचे.
“मुझे अपना बना लो जल्दी से!” कम्मो ने मेरे गले में अपनी बाहों का हार डाल के मुझे अपने से चिपटा कर बोली.
फिर मैं उसके ऊपर से उतर गया और अपनी पैंट उतार डाला और अपनी चड्डी भी फुर्ती से उतार दी. मेरा लंड आजाद होकर हवा में लहराया और उसने कम्मो को दो बार जम्प लगा कर सलाम ठोंका.
“अरे बाप रे इतनाआआ… बड़ा लौड़ा?” मेरा लंड देख कम्मो चकित होकर बोली; भय और आश्चर्य उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था और वो डर कर थोड़ा पीछे हो गयी.
“और ये मोटा भी कित्ता ज्यादा है.” कम्मो मेरी तरफ देख शिकायत से बोली जैसे बड़ा मोटा लंड होने में मेरी कोई गलती हो गई हो.
मैंने कम्मो का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखने की कोशिश की पर वो आनाकानी करने लगी लेकिन मैंने जबरदस्ती उसे लंड पकड़ा ही दिया.
“कितना काला सा है ये देखने में ही डरावना लगता है और गर्म की कितना हो रहा है.” कम्मो बोली.
उसकी मुट्ठी में मेरा लंड जैसे ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था.
मैंने कम्मो के हाथ पर अपना हाथ रखकर लंड को ऊपर नीचे किया जिससे मेरा सुपारा बाहर निकल आया. फिर मैं उसके दूसरे हाथ की उंगली अपने मुंह में घुसा के चूसने लगा.
“देख कम्मो, तुझे लंड को ऐसे चूसना है!” मैंने उसकी उंगली जोर से चूसी और छोड़ दी फिर जोर से चूसी और उसे समझाया.
“नहीं मैं नहीं मुंह लगाऊँगी इसे!” वो बोली.
मुझे पता था कि वो यही कहेगी तो मैंने उसकी चूत को उंगली से छेड़ना शुरू किया और दाना दबा कर हिलाने लगा. उसकी चूत में आग तो पहले से ही लगी थी मेरे ऐसे करने से वो और भी धधक उठी.
“अब और मत सताओ अंकल कुछ और करो जल्दी से!” वो जलबिन मछली की तरह तड़प कर बोली.
“तो फिर चूस ना लंड को जल्दी से, तभी तो करूंगा ना… बेटा ये एक रस्म होती है जो तू निभा दे जल्दी से!” मैंने उसे चूमते हुए कहा.
“ठीक है अंकल, सिर्फ एक बार चूसूंगी. फिर मत कहना कुछ!” वो मजबूर होकर बोली.
“ठीक है गुड़िया रानी, चूस दे जल्दी से!”
फिर मैं उसके ऊपर हुआ और लंड खोल कर सुपारा बाहर निकाल कर उसके गालों और होंठों पर घिसा. उसने अपनी आंखें कसकर मींच लीं.
“लो अब मुंह खोलो!” मैंने लंड से उसके मुंह पर पटक कर दो तीन बार नॉक किया. उसने डरते हुए मुंह खोल दिया और सुपारा चाट के मुंह में भर लिया और कोई आधे मिनट तक चूसती रही.
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मेरा मन तो किया कि लंड को उसके मुंह में और भीतर तक ठेल दूं पर मैंने वो इरादा फिर कभी के लिए पोस्टपोन कर दिया. थोड़ी देर बाद उसने लंड से मुंह हटा लिया और अपने दुपट्टे से मुंह पौंछ डाला.
“अब तो खुश हो गये न?” उसने मुझे उलाहना सा दिया.
मैं हंस कर रह गया.
“अच्छा अब जल्दी करो जो करना हो, बहुत टाइम ख़राब कर रहे हो आप!” वो बोली.
“तो फिर जल्दी लेट जा और अपनी चूत परोस दे लंड के सामने!” मैंने कहा.
कम्मो लेट गयी तो मैंने दो तकिये उसकी कमर के नीचे लगा दिए जिससे उसकी चूत अच्छे से उठ गयी. फिर मैंने उसकी चूत को खोल कर खूब चाटा जिससे वो और अच्छी तरह से गीली हो गयी. फिर उसकी टांगें उठा कर घुटने मोड़ दिए और लंड को उसकी चूत में चार पांच बार स्वाइप किया और उसके दाने पर लंड घिसा जिससे कम्मो झनझना गयी और आनन्द भरी किलकारी उसके मुंह से निकल पड़ी.
उसकी चूत का छेद स्वयमेव सांस लेता, कम्पन सा करता दिखाई दे रहा था.
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