RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-21
मैने अपने होंठ नाज़ी के नरम ऑर रसीले होंठों पर रख दिए जिससे उसे एक झटका सा लगा. कुछ देर उसने अपने होंठों को सख्ती से बंद करे रखा ऑर मेरे हाथो को पकड़े रखा जिससे मैने उसके चेहरे को पकड़ा था. कुछ देर उसके होंठों के साथ अपने होंठ जोड़े रखे अब धीरे धीरे उसके होंठ जो सख्ती से एक दूसरे से जुड़े हुए थे अब कुछ ढीले महसूस होने लगे मैने सबसे पहले उसके नीचे वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया वो मेरा साथ नही दे रही थी लेकिन मना भी नही कर रही थी मैं लगातार उसके नीचे वाले होंठ को चूस रहा था अब धीरे-धीरे उसने भी मेरे उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया मैने अपने दोनो हाथो से उसका चेहरा आज़ाद कर दिया लेकिन वो अब भी मेरे होंठों से होंठ जोड़े बैठी थी ऑर अपनी दोनो आँखें बंद किए बैठी थी अब हम दोनो एक दूसरे को शिद्दत से चूम ऑर चूस रहे थे. हम दोनो की आँखें बंद थी ऑर हम एक दूसरे मे खोए हुए थे मुझे नही पता कब उसने मुझे गले से लगाया ऑर कब मैं ज़मीन पर लेट गया ऑर वो मेरे उपर आके लेट गई हम दोनो किसी अजीब से मज़े के नशे मे मदहोश थे मेरे दोनो हाथ उसकी कमर पर लिपटे थे ऑर उसने अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरे उपर लेटी हुई थी. हमें दुनिया को कोई होश नही था हम दोनो बस एक दूसरे मे ही गुम्म थे.
तभी मुझे एक कार का हॉर्न सुनाई दिया जिससे हम दोनो की एक दम आँख खुल गई नाज़ी खुद को इस तरह मेरे उपर लेटा देखकर घबरा सी गई ऑर जल्दी से मुझसे अलग होके मेरे उपर से उठ गई उसके दोनो हाथ बुरी तरह काँप रहे थे. उसका ऑर मेरा मुँह हम दोनो की थूक से बुरी तरह गीला हुआ पड़ा था मैं ज़मीन पर पड़ा उसको देख रहा था वो नज़ारे झुकाए खड़ी थी ऑर एक दम खामोश थी.
मैं : क्या हुआ
नाज़ी : (ना में सिर हिलाते हुए) देर हो रही है घर चले..... (अपना मुँह अपनी चुन्नि से सॉफ करते हुए)
मैं : हां चलो
हम दोनो को ही समझ नही आ रहा था कि एक दूसरे को अब क्या कहे. तभी उस कार का हॉर्न एक बार फिर से सुनाई दिया. हालाकी जहाँ हम दोनो थे वहाँ अंधेरा था इसलिए हम को कोई देख नही सकता था मैने जल्दी से खड़े होके अपने कपड़े झाड़े जिस पर मिट्टी लग गई थी ओर फिर मैं ऑर नाज़ी खेत के फाटक की तरफ बढ़ने लगे. वहाँ हमे एक कार नज़र आई जिसके पास एक लड़की खड़ी थी. मैने पास जाके देखा तो ये हीना थी जो मुझे देख कर हाथ हिला रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी.
नाज़ी : आप उससे बात करो मैं खेत का बाकी समान सही से रखकर आती हूँ.
मैं : अच्छा
नाज़ी वापिस चली गई ओर मैं कार की तरफ बढ़ने लगा मुझे देखते ही हीना के चेहरे पर मुस्कान आ गई ऑर मुझे डोर से देखकर ही बोली....
हीना : आ गये जनाब...वक़्त मिल गया हमारे लिए
मैं : जी वो मैं काम मे मसरूफ़ था...कहिए कैसे आना हुआ
हीना : अर्रे इतनी जल्दी भूल गये (आँखें दिखाते हुए)
मैं : क्या भूल गया?
हीना : कल अब्बू आपके घर आए थे ना कुछ वादा किया था आपने उनके साथ याद आया.
मैं : अच्छा हाँ याद आ गया.... गाड़ी चलानी सीखनी है तुमको.
हीना : जी हुज़ूर बड़ी मेहरबानी याद करने के लिए
मैं : (मुस्कुराते हुए) यार ज़रूरी है क्या आपके साथ ये ड्राइवर तो आया ही है इसी से सीख लो ना.
हीना : जी नही.... मुझे आपसे ही सीखनी है ऑर आप ही सिख़ाओगे. ये तो बस मुझे यहाँ तक छोड़ने के लिए आया है.
मैं : ऊहह अच्छा....
इतने मे नाज़ी भी वहाँ आ गई...
नाज़ी : (मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए)सब काम हो गया अब घर चलें...
मैं : हमम्म चलते हैं (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
हीना : ओह्ह्ह मेडम.... आपको जाना है तो जाओ नीर नही जाएँगे
नाज़ी : (गुस्से से हीना को देखते हुए) क्यों.... तुम होती कौन हो इनको रोकने वाली ये मेरे साथ ही जाएँगे समझी सरपंच की बेटी हो इसका मतलब ये नही कि सारा गाँव तुम्हारा गुलाम है.
हीना : औकात मे रहकर बात करो समझी....
नाज़ी गुस्से मे उसको कुछ बोलने वाली थी तभी मुझे बीच मे बोलना पड़ा दोनो को शांत करने के लिए क्योंकि दोनो ही झगड़े पर उतारू थी जिसको मुझे रोकना था......
मैं : यार दोनो चुप हो जाओ क्यो लड़ाई कर रही हो. नाज़ी तुम हीना को ग़लत मत समझो ये सिर्फ़ कार चलानी सीखने आई है ऑर कुछ नही इसलिए घर जाने के लिए मना कर रही थी.
नाज़ी : तो हर बात कहने का तरीका होता है ये क्या बात हुई
हीना : तो मैने क्या ग़लत बोला जो तुम मुझसे लड़ाई करने पर आमादा हो गई.
मैं : दोनो एक दम चुप हो जाओ अब कोई नही बोलेगा नही तो ना मैं तुम्हारे साथ जाउन्गा ना तुम्हारे समझी..... (दोनो की तरफ उंगली करते हुए)
हीना और नाज़ी : (दोनो हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं : नाज़ी कल बाबा ने वादा किया था सरपंच जी को इसलिए मुझे जाना होगा लेकिन पहले मैं तुमको घर छोड़ देता हूँ ठीक है.
नाज़ी : नही मैं चली जाउन्गी आप जाओ इनके साथ
हीना : चलो नीर चलें
मैं : नही.... नाज़ी मेरे साथ आई थी मेरे साथ ही जाएगी रात होने वाली है इस वक़्त इसका अकेले जाना ठीक नही.
हीना : अर्रे तुम तो बेकार मे ही घबरा रहे हो ये कोई बच्ची थोड़ी है चलो एक काम करते हैं इसको मेरा ड्राइवर घर छोड़ आएगा फिर तो ठीक है.
मैं : मैने बोला ना मेरे साथ ही जाएगी तुम कार मे हमारे घर की तरफ चलो हम पैदल आ रहे हैं.
हीना : जब कार है तो पैदल क्यो जाओगे चलो पहले इसको कार मे घर छोड़ देते हैं फिर हम कार सीखने चलेंगे.
मैं : (नाज़ी की तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए) ठीक है.
नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाके मुझे मुस्कुरकर देखते हुए) हमम्म ठीक है....
हीना : (अपने ड्राइवर से) बशीर तुम जाओ मुझे नीर घर छोड़ देंगे अब्बू पुच्छे तो कह देना मैं 2-3 घंटे तक घर आ जाउन्गी. (मुझे देखते हुए) इतना वक़्त काफ़ी होगा ना
मैं : हमम्म काफ़ी है.
नाज़ी : (हैरान होते हुए) 2-3 घंटे.... तो फिर नीर खाना कब खाएँगे.
मैं : अर्रे फिकर मत करो मैं जल्दी ही वापिस आ जाउन्गा तब साथ मे ही खाएँगे रोज़ जैसे ठीक है (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
नाज़ी : अच्छा... लेकिन ज़्यादा देर मत करना ऑर अपना ख्याल रखना.
हीना : अब चलें या सारी रात यही खड़े रहना है
मैं : हाँ... हाँ... चलो
अब हीना का ड्राइवर चला गया ऑर मैं ड्राइविंग सीट पर बैठ गया ऑर मेरे साथ हीना बैठ गई ऑर पिछे नाज़ी बैठी थी. मैने कार मे बैठ ते ही कार के तमाम हिस्सो के बारे मे हीना को बताना शुरू कर दिया ऑर वो बड़े ध्यान से बैठी सुन रही थी साथ मे नाज़ी भी मुँह आगे करके बड़े गौर से मेरी बाते सुन रही थी. फिर मैने कार स्टार्ट की ऑर स्टारिंग को संभालने के बारे मे हीना को बताने लगा....
हीना : थोडा सा मैं भी चलाऊ
मैं : हां ज़रूर ये लो अब तुम सम्भालो ऑर कार संभालने की कोशिश करो.
नाज़ी : तुम सच मे कार बहुत अच्छी चला लेते हो
मैं : शुक्रिया (मुस्कुराते हुए)
तभी हीना अपनी सीट पर बैठी हुई ही टेढ़ी सी होके स्टारिंग संभालने लगी जिससे गाड़ी एक तरफ को जाने लगी इसलिए मैने फॉरन स्टारिंग खुद संभाल लिया ऑर गाड़ी को सही तरफ चलाने लगा मैने फिर से हीना को संभालने के लिए कहा तो वो फिर से नही संभाल पाई ऑर उसने कार को एक तरफ घुमा दिया जिससे कार सड़क से नीचे उतरने ही वाली थी मैने फिर से स्टारिंग संभाला ऑर कार को वापिस रोड पर ले आया.
हीना : (झल्लाकर) नही संभाला जा रहा
मैं : अर्रे अभी तो पहला दिन है पहले दिन नही संभाल पाओगी कुछ दिन कोशिश करो फिर सीख जाओगी फिकर मत करो.
कुछ देर मैं ऐसे ही हीना को कार चलानी सीखाता रहा फिर ह्मारा घर आ गया तो मैने घर के सामने कार रोकदी. नाज़ी कार से उतरी ऑर मेरे पास आके खड़ी हो गई मैने कार का शीशा नीचे किया तो नाज़ी ने खिड़की मे से मुँह अंदर किया ऑर बोली...
नाज़ी : जल्दी आ जाना ज़्यादा दूर मत जाना मैं खाने पर तुम्हारा इंतज़ार करूँगी (मुस्कुराते हुए)
मैं : हाँ बस थोड़ी देर मे आ जाउन्गा फिर खाना साथ मे ही खाएँगे
हीना : आपकी बाते हो गई हो तो चलें.
मैं : हाँ..हाँ.. ज़रूर...
नाज़ी : अंदर भी नही आओगे
मैं : बस थोड़ी देर मे ही आ रहा हूँ तुम जाओ ऑर बाबा को बता देना नही तो फिकर करेंगे ठीक है
नाज़ी : हमम्म.....अच्छा...
नाज़ी मुस्कुराते हुए अंदर चली गई ऑर मैने कार फिर से स्टार्ट की ऑर हीना की तरफ देखते हुए...
मैं : हंजी हीना जी अब कहाँ चलें बताइए...
हीना : मुझे क्या पता आप बताओ कहाँ सिख़ाओगे
मैं : कोई खुला मैदान है आस-पास
हीना : हाँ है ना गाँव के बाहर जहाँ अक्सर बच्चे खेलने जाते हैं इस वक़्त वहाँ कोई नही होगा वहाँ मैं आराम से सीख सकती हूँ (मुस्कुराते हुए)
मैं : ठीक है फिर वही चलते हैं.
कुछ ही देर मे कार गाँव के बाहर आ गई ऑर वहाँ से दो रास्ते निकलते थे एक पतला रास्ता जो आगे जाके पक्की सड़क से मिलता था ऑर दूसरा रास्ता काफ़ी उबड़-खाबड़ सा था जो आगे जाके मैदान मे खुलता था. मुझे हीना ने बताया कि मुझे इसी टूटे रास्ते पर कार लेके जानी है फिर मैदान आ जाएगा तो मैने उसके कहने के मुताबिक कार उसी रास्ते पर दौड़ा दी. रास्ता टूटा होने की वजह से हम दोनो कार के साथ अपनी सीट पर बैठे उछल रहे थे कुछ सामने अंधेरा होने की वजह से मुझे आगे का कोई भी खड्डाे दिखाई नही दे रहा था बस हेड लाइट की रोशनी से थोड़ा बहुत दिखाई दे रहा था. झटको की वजह से से हीना के गोल-गोल मम्मे भी उछल रहे थे जिस पर बार-बार मेरी नज़र पड़ रही थी हीना ने मुझे कंधे से पकड़ रखा था ताकि वो सामने शीशे से ना टकरा जाए. कुछ ही देर मे हम मैदान मे आ गये....
मैं : लो जी आपका मैदान आ गया अब आप मेरी सीट पर आके बैठो ओर मैं आपकी सीट पर बैठूँगा फिर आप कार चलाना ऑर मैं देखूँगा.
हीना : मैं कैसे चलाऊ मुझे तो आती ही नही कुछ गड़-बॅड हो गई तो....
मैं : अर्रे डरती क्यो हो मैं हूँ ना संभाल लूँगा वैसे भी तुम चलाओगी नही तो सीखोगी कैसे.
हीना : अच्छा ठीक है.
मैं : अब तुम मेरी सीट पर आके बैठो फिर मैं जैसे-जैसे तुमको बताउन्गा तुम वैसे-वैसे चलाना ठीक है.
हीना : हमम्म
Update-21
|