RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-33
फ़िज़ा : आप उठ गये जान... अब कैसा महसूस कर रहे हैं.
मैं: बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ जैसे कुछ हुआ ही नही मुझे. लेकिन यार तुम क्यों जाग गई सो जाओ अभी बहुत रात बाकी है.
फ़िज़ा : मैं तो आपके पास ही बैठी थी.... जान पता ही नही चला कब आँख लग गई.
मैं : कोई बात नही अब तुम आराम करो.
फ़िज़ा : नही आप यहाँ सो जाओ मैं अब उस कमरे मे जाके सो जाउन्गी.
मैं : क्यो यहाँ सो जाओगी तो कुछ हो जाएगा.
फ़िज़ा : होगा तो कुछ नही पर अभी आपको आराम की ज़रूरत है.
मैं : तुम्हारे उपर लेट जाता हूँ ना इससे ज़्यादा आराम तो दुनिया मे नही होगा.
फ़िज़ा : (मेरे दोनो गाल पकड़ कर खींचते हुए)ठीक होते ही बदमाशी शुरू करदी (मुस्कुराते हुए) अब आप उपर लेटना तो भूल ही जाइए कुछ वक़्त के लिए.
मैं : क्यों.....
फ़िज़ा : वो इसलिए क्योंकि अब मेरे साथ कोई ऑर भी है...मैं नही चाहती मेरे छोटे नीर को आपकी किसी शरारत की वजह से तक़लीफ़ हो. (मुस्कुराते हुए) लेकिन हाँ साथ ज़रूर लेट सकती हूँ.
मैं : अच्छा मतलब अब प्यार करना भी बंद...(रोने जैसा मुँह बनाते हुए)
फ़िज़ा : सिर्फ़ कुछ महीनो के लिए उसके बाद जैसे चाहे प्यार कर लेना. (मेरे होंठ चूमते हुए)
उसके बाद हम ऐसे ही कुछ देर बाते करते रहे ऑर फिर फ़िज़ा अपने कमरे मे जाके सो गई ओर मैं भी वापिस अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर कुछ देर मे दवाई के नशे की वजह से दुबारा सो गया. मेरे 2-3 दिन ऐसे ही गुज़रे बाबा ने मुझे खेत पर भी नही जाने दिया ऑर मैं सारा दिन घर पर ही बैठा रहता. लेकिन नाज़ी से अब मैं दूरी बनाके रखने लगा था वो हर वक़्त मुझसे बात करने की कोशिश करती लेकिन मैं हर बार उसकी बात को अनसुना कर देता. हाँ इतना ज़रूर था कि रोज़ शाम को हीना मेरा पता लेने आती ऑर मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारती मेरी वजह से वो नयी गाड़ी लेने भी नही गई क्योंकि वो चाहती थी कि मैं ठीक होके उसके साथ शहर चल सकूँ. जितने दिन मैं खेत नही गया उतने दिन हीना ने अपने मुलाज़िमो को मेरे खेत मे लगाए रखा ताकि मेरी गैर-मोजूदगी मे वो लोग मेरे खेत का ख्याल रखे.
मुझे अब घर मे पड़े हुए 3 दिन हो गये थे ऑर फिर अगली सुबह डॉक्टर रिज़वाना आ गई मेरा चेक-अप करने के लिए. उस वक़्त बाबा सैर करने गये हुए थे इसलिए फ़िज़ा ने ऑर नाज़ी ने आते ही उसको सुनानी शुरू करदी. मैं भी उस वक़्त सो रहा था लेकिन फ़िज़ा ऑर नाज़ी की ऊँची आवाज़ से मेरी नींद खुल गई ऑर मैं उठकर अपने कमरे से बाहर चला गया तो वहाँ फ़िज़ा ऑर नाज़ी डॉक्टर रिज़वाना से झगड़ रही थी ऑर रिज़वाना नज़रे झुकाकर सब सुन रही थी.
मैं : क्या हुआ शोर क्यो मचा रखा है.(आँखें मलते हुए)
फ़िज़ा : तुम अंदर जाओ नीर मुझे बात करने दो. (गुस्से मे)
रिज़वाना : अब आप कैसे हैं.
मैं : अर्रे डॉक्टर आप... जी मैं एक दम ठीक हूँ. (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा : ये झूठी हम-दरदी अगर आप ना दिखाए तो ही अच्छा है अगर आपको नीर की इतनी ही फिकर होती तो आप उसको कभी ग़लत दवाई ना देती. हमने आप पर ऑर इनस्पेक्टर ख़ान पर इतना भरोसा किया ऑर आपने हमारे साथ कितना फरेब किया. कभी आपने सोचा अगर आपकी ग़लत दवाई से इनको कुछ हो जाता तो....
रिज़वाना : जी कुछ नही होता इनको.... आप लोग एक बार मेरी बात सुन लीजिए.
नाज़ी : हमे अब आपकी कोई बात नही सुननी मेहरबानी करके आप यहाँ से चली जाओ.
रिज़वाना : (परेशान होके अपने पर्स से मोबाइल निकलते हुए) अच्छा ठीक है मैं चली जाउन्गी लेकिन एक बार मेरी बात सुन लीजिए प्लज़्ज़्ज़.
नाज़ी : अब क्या झूठी कहानी सुननी है.
रिज़वाना : (फोन पर नंबर डायल करते हुए) बस 2 मिंट दीजिए मुझे.
रिज़वाना : (फोन पर) कहाँ हो तुम..... जल्दी से शेरा के घर आओ.... मुझे नही पता.... हाँ ठीक है.... अच्छा..... ओके (फोन रखते हुए)
फ़िज़ा, नाज़ी ऑर मैं हम तीनो रिज़वाना के जवाब का इंतज़ार कर रहे थे ऑर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देख रहे थे.
रिज़वाना : देखिए मैने कोई भी काम ग़लत नही किया मैने वही किया जो मुझे इनस्पेक्टर ख़ान ने कहा. नीर जैसा अब है वैसा ही सारी उम्र रहे इसलिए इसकी पुरानी याददाश्त मिटनी ज़रूरी थी क्योंकि अगर इसकी यादशत वापिस आती है तो फिर ये आज जैसा नही रहेगा मुमकिन है फिर ये नीर भी ना रहे ऑर फिर से शेरा बन जाए. क्योंकि इसकी पुरानी जिंदगी मे ये एक बहुत बड़ा अपराधी है. ख़ान को भी इसकी ऐसे ही ज़रूरत है वो पुराने शेरा पर भरोसा नही कर सकता लेकिन नीर पर कर सकता है क्योंकि वो इसको एक ऐसे मिशन पर भेजना चाहता है जहाँ ये जाएगा शेरा बनकर लेकिन होगा नीर ही.
फ़िज़ा : मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा आप क्या कह रही है. (परेशान होते हुए)
रिज़वाना : नीर आज एक नेक़-दिल इंसान है इसमे कोई शक़ नही मैने ही इसका लाइ डिटेक्टर टेस्ट किया था उसमे इसने मुझे वही सब बताया जो आप लोगो ने ख़ान को बताया था. लेकिन इसके दिमाग़ की स्कॅनिंग करके मुझे पता चला कि इसकी याददाश्त वापिस आ सकती है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी याद करवाई जाए तो ऑर आज भी इसके दिमाग़ के सिर्फ़ एक हिस्से से याददाश्त ख़तम हुई है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी मे वापिस लेके जाया जाए तो इसकी वो याददाश्त वापिस आ सकती है ऑर इसी वजह से आज भी इसको अपनी पुरानी जिंदगी की काफ़ी चीज़े आज ही याद है ऑर इसके दिमाग़ के इंटर्नल मेमोरी मे स्टोर है इसलिए आज भी ये लड़ाई करना, गाड़ी चलाना, हथियार चलाना ऑर बाकी काम जो ये बचपन से करता आया है इसको आज भी याद है ऑर आज भी ये वैसे ही बहुत महारत के साथ सब काम कर लेता है अगर ये वहाँ जाके शेरा बन गया तो फिर ये हमारे किसी का काम नही रहेगा.
फ़िज़ा : इनको भेजना कहाँ है (सवालिया नज़रों से)
रिज़वाना : वही तो मैं बता रही हूँ कि ख़ान इसको इसके गॅंग तक पहुँचा देगा जहाँ ये ख़ान का इनफॉर्मर बनकर इसके गॅंग की खबर हम तक पहुँच जाए. इससे ख़ान इसके सारे गॅंग को ख़तम कर सकता है.
अभी रिज़वाना बात ही कर रही थी कि घर के सामने एक जीप आके रुकी ऑर सब लोग एक साथ दरवाज़े के बाहर देखने लगे. जीप मे से ख़ान उतरा ऑर सीधा घर के अंदर आ गया फ़िज़ा ऑर नाज़ी अब भी उससे गुस्से से देख रही थी.
रिज़वाना : अच्छा हुआ तुम आ गये इनको दवाई के ऑर मिशन के बारे मे बताओ. (गुस्से से)
ख़ान : माफ़ कीजिए मैने आपसे कुछ बाते राज़ रखी लेकिन मैने आपके बाबा को सब बता दिया था ऑर उनकी इजाज़त से ही इसको याददाश्त की दवाई दिलवाई थी.
फ़िज़ा : (हैरानी से) बाबा जानते थे ग़लत दवाई के बारे मे.
ख़ान : जी जानते थे... मैने ही उनको मना किया था कि अभी किसी से कुछ ना कहे.
नाज़ी : आने दो बाबा को भी इनसे तो हम बात करेंगी पहले तुम ये बताओ ये डॉक्टरनी क्या कह रही है नीर के बारे मे इनको कहाँ भेजना है तुमने.
ख़ान : मैने आपसे पहले ही कहा था कि आज नीर कुछ भी है लेकिन इसके पुराने पाप इसको इतनी आसानी से नही छोड़ेंगे इसको क़ानून की मदद करनी पड़ेगी तभी ये आज़ाद हो सकता है.
मैं : (जो इतनी देर से खामोश सबकी बाते सुन रहा था) क्या करना होगा मुझे.
ख़ान : हमारी मदद करनी होगी तुम्हारे गॅंग का सफ़ाया करने मे.
मैं : गॅंग कौनसा गॅंग
ख़ान : (अपने कोट का बटन बंद करते हुए) ये लोग हर बुरा काम करते हैं ड्रग्स बेचने से लेके हथियार बेचने तक हर गुनाह मे इनका नाम है. इनके नाम अन-गिनत केस हैं लेकिन कोई सबूत नही है इसलिए हमेशा बरी हो जाते हैं.
मैं : तो आप मुझसे क्या चाहते हैं.
ख़ान : मुझे सबूत चाहिए जो मुझे सिर्फ़ तुम ही लाके दे सकते हो.
मैं : मैं ही क्यो आपके पास तो इतने लोग है किसी को भी शामिल कर दीजिए उन लोगो मे....
ख़ान : क्योंकि तुम इनके पुराने आदमी हो तुम पर वो लोग आसानी से भरोसा कर लेंगे नये आदमी को वो अपने पास तक नही आने देते. तुम अपनी पुरानी जिंदगी मे शेख साहब या तुम्हारे लिए बाबा के राइट-हॅंड थे इसलिए जहाँ तुम पहुँच सकते हो मेरा कोई आदमी नही पहुँच सकता.
मैं : ठीक है लेकिन उसके लिए मेरी याददाश्त ख़तम करने क़ी क्या ज़रूरत थी मैं तो वैसे भी आपका काम करने के लिए तैयार था.
रिज़वाना : क्योंकि तुम्हारे दिमाग़ की स्क़ेनिंग करके मुझे पता चला कि अगर तुमको तुम्हारी पुरानी ज़िंदगी मे लेके जाया जाए तो तुम्हारी याददाश्त लौट सकती है फिर ना तुम नीर रहोगे ना ही ये तुम्हारे घरवाले. मतलब सॉफ है फिर तुम उन लोगो मे जाके हमारी मदद नही करोगे अपनी पुरानी जिंदगी मे ही लौट जाओगे बस इसलिए तुम्हारी पुरानी याददाश्त मिटा रहे थे ताकि तुमको तुम्हारे ये घरवाले ओर तुम्हारी नेक़ी याद रहे.
ख़ान : सीधी सी बात है हम को नीर पर ऐतबार है शेरा पर नही.
तभी बाबा भी घर आ गये....
बाबा : अर्रे ख़ान साहब आप कब आए.
ख़ान : (अदब से सलाम करते हुए) जी बस अभी वो थोड़ा समस्या हो गया था.
नाज़ी : बाबा आपको सब पता था तो हम को क्यो नही बताया (गुस्से से)
बाबा : बेटी मैने जो किया इसके भले के लिए किया मैं नही चाहता था कि ये भी क़ासिम की तरह जैल मे अपनी जिंदगी गुज़ारे.
मैं : बाबा आपने जो किया ठीक किया लेकिन मुझे इस दवाई की ज़रूरत नही है मैं आपका बेटा हूँ ऑर आपका ही बेटा रहूँगा ऑर यक़ीन कीजिए मैं ख़ान का हर हालत मे साथ दूँगा.
ख़ान : सोच लो.. तुम पर मैं बहुत बड़ा दाव खेलने जा रहा हूँ कुछ गड़बड़ हुई तो....
मैं : (बीच मे बोलते हुए) आप को मुझ पर भरोसा करना होगा.
ख़ान : ठीक है... वैसे भी मेरे पास ऑर कोई रास्ता है भी नही....
मैं : तो कब जाना है मुझे फिर...
ख़ान : अर्रे इतनी जल्दी भी क्या है तुम अभी इस लायक़ नही हो कि वहाँ तक भेज दूँ उसके लिए पहले तुमको ट्रेंड करना पड़ेगा हर चीज़ सीखनी पड़ेगी.
रिज़वाना : क्यो ना आप कुछ दिन के लिए हमारे पास शहर आ जाए वहाँ हम आपको सब कुछ सिखा भी देंगे.
फ़िज़ा : कितने दिन का काम है. (परेशान होते हुए)
ख़ान : ज़्यादा नही बस कुछ ही दिन की बात है.
बाबा : ख़ान साहब आपको हम से एक वादा करना होगा
ख़ान : (सवालिया नज़रों से बाबा को देखते हुए) कैसा वादा जनाब...
बाबा : यही कि आपका मिशन पूरा हो जाने के बाद आप सही सलामत नीर को वापिस भेज देंगे. अब ये हमारी अमानत है आपके पास.
ख़ान : जी बे-फिकर रहिए मेरा काम होते ही मैं खुद इसे आज़ाद कर दूँगा ऑर यहाँ तक कि पोलीस रेकॉर्ड्स से इसका नाम भी मिटा दूँगा. उसके बाद पोलीस रेकॉर्ड्स मे शेरा मर जाएगा ऑर फिर ये नीर बनके अपनी सारी जिंदगी चैन से आप सब के साथ गुज़ार सकता है.
बाबा : ठीक है.
ख़ान : कुछ दिन के लिए नीर को मेरे पास भेज दीजिए ताकि इसको मैं इसका काम सीखा सकूँ उसके बाद इसको मैं मिशन पर भेज दूँगा.
मैं : मेरे जाने के बाद इनका ख्याल कौन रखेगा.
ख़ान : तुम इनकी बिल्कुल फिकर ना करो ये अब मेरी ज़िम्मेदारी है इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मैं वादा करता हूँ.
मैं : ठीक है फिर मैं कल ही आ जाता हूँ
ख़ान : जैसा तुम ठीक समझो. अच्छा जनाब (बाबा की तरफ देखते हुए) अब इजाज़त दीजिए.
बाबा : अच्छा ख़ान साहब.
उसके बाद डॉक्टर रिज़वाना ऑर ख़ान दोनो चले गये ऑर मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा. बाबा एक दम शांत होके कुर्सी पर बैठे थे जैसे वो किसी गहरी सोच मे हो.
मैं : क्या हुआ बाबा
बाबा : बेटा मुझे समझ नही आ रहा कि तुमको ऐसी ख़तरनाक जगह पर भेजू या नही.
मैं : अर्रे बाबा आप फिकर क्यो करते हैं अपने बेटे पर भरोसा रखिए कुछ नही होगा.
बाबा : एक तुम पर ही तो भरोसा है बेटा....लेकिन तुम्हारी फिकर भी है कही तुमको कुछ हो गया तो मुझ ग़रीब के पास क्या बचेगा.
मैं : कुछ नही होगा बाबा.
फ़िज़ा : बाबा आपको इतने ख़तरनाक काम के लिए ख़ान को हाँ नही बोलना चाहिए था जाने वो लोग कैसे होंगे.
बाबा : शायद तुम ठीक कह रही हो बेटी लेकिन मैं भी क्या करता एक बेटा आगे ही जैल मे बैठा है दूसरे को भी जैल कैसे भेज देता इसलिए मजबूर होके मैने हाँ कहा था.
नाज़ी : लेकिन बाबा अगर वहाँ नीर को कुछ हो गया तो....
फ़िज़ा : (बीच मे बोलते हुए) ऐसी बाते ना करो नाज़ी वैसे ही मुझे डर लग रहा है.
मैं : अर्रे आप सब तो ऐसे ही घबरा रहे हो कुछ नही होगा... मुझे बस आप लोगो की ही फिकर है.
बाबा : तुम बस अपना ख्याल रखना बेटा..... हमें ऑर कुछ नही चाहिए (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए)
ऐसे ही हम काफ़ी देर तक बाते करते रहे शाम को हीना फिर से मेरा पता लेने आ गई मैने उससे कुछ दिन इलाज करवाने का बता कर शहर जाने का बहाना बना दिया जिस पर पहले वो नाराज़ हुई लेकिन फिर वो मान गई ऑर कुछ वक़्त उसके साथ बिताने के बाद वो भी चली गई. अगले दिन वादे के मुताबिक़ सुबह ख़ान ने जीप भेजदी मुझे लेने के लिए. बाबा नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने मुझे बहुत सारी दुआएँ ऑर भीगी आँखों के साथ रुखसत किया. मैं तमाम रास्ते नाज़ी. बाबा, फ़िज़ा ऑर हीना के बारे मे ही सोचता रहा ऑर इनके साथ बिताए वक़्त के बारे मे ही याद करता रहा. मुझे नही पता था कि जहाँ मैं जेया रहा हूँ वहाँ से वापिस आउन्गा या नही लेकिन इन लोगो के साथ बिताए वक़्त ने मेरे दिल मे इन लोगो के लिए बे-इंतेहा प्यार पैदा कर दिया था. वैसे तो ये लोग मेरे कोई नही थे लेकिन फिर भी ये मुझे मेरे अपनो से बढ़कर थे ऑर आज मैं जो कुछ भी करने जा रहा था इन लोगो के लिए ही करने जा रहा था. आज मेरे पास जो जिंदगी थी वो इन लोगो का ही "अहसान" था. ऐसी ही मैं अपनी ही सोचो मे गुम्म था कि मुझे पता ही नही चला कब हम शहर आ गये ऑर कब एक घर के बाहर गाड़ी रुकी.
मैं : ये कौनसी जगह है ये तो ख़ान का दफ़्तर नही है.
ड्राइवर : आपको ख़ान साहब ने यही बुलाया है.
मैं : अच्छा...
उसके बाद मैं जीप से उतरा ऑर उस घर मे चला गया जो देखने मे सरपंच की हवेली जैसा बड़ा नही था लेकिन काफ़ी शानदार बना हुआ था. गेट के बाहर 2 पोलीस वाले बंदूक थामे खड़े थे जिन्होने मुझे देखते ही छोटा गेट खोल दिया. मैं जब अंदर गया तो घर के चारो तरफ लगे खुश्बुदार फूलों ने मेरा वेलकम किया सामने एक काँच का बड़ा सा गेट लगा था जिसे मैं धकेल्ता हुआ अंदर चला गया. घर काफ़ी खूबसूरती से सजाया गया था मैं चारो तरफ नज़रें घूमाकर घर की खूबसूरती देख रहा था तभी एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई....
रिज़वाना : घर अच्छा लगा (मुस्कुराते हुए)
मैं : जी बहुत खूबसूरत घर है....क्या ये ख़ान साहब का घर है (चारो तरफ देखते हुए)
रिज़वाना : जी नही ये मेरा घर है...अर्रे आप खड़े क्यो हो बैठो.
मैं : लेकिन मुझे तो ख़ान साहब ने बुलाया था
रिज़वाना : अब कुछ दिन आपको भी यही रहना है यही हम आपकी ट्रैनिंग भी मुकम्मल करवाएँगे ऑर ये एक सीक्रेट मिशन है इसलिए ख़ान ने दफ़्तर मे किसी को भी इसके बारे मे नही बताया.
मैं : अच्छा... लेकिन ख़ान साहब है कहा.
रिज़वाना : आप बैठिए वो आते ही होंगे.
मैं : ठीक है.
रिज़वाना : यहाँ आपको रहने मे कोई ऐतराज़ तो नही.
मैं : जी नही मुझे क्या ऐतराज़ होगा मैं तो कहीं भी रह लूँगा.
अभी मैं ऑर रिज़वाना बाते ही कर रहे थे कि ख़ान भी अपने हाथ मे एक फाइल थामे हुए आ गया ऑर आते ही टेबल पर फाइल फेंक दी ऑर धम्म से सोफे पर गिर गया.
ख़ान : हंजी जनाब आ गये
मैं : जी... बताइए अब मुझे क्या करना है
ख़ान : यार तुम हर वक़्त जल्दी मे ही रहते हो क्या....
मैं : नही...वो आपने काम के लिए बुलाया था तो सोचा पहले काम ही कर ले.
ख़ान : कुछ खाओगे....
मैं : जी नही मेहरबानी.
ख़ान : यार शरमाओ मत अपना ही घर है....
मैं : जी नही मैं घर से खा कर आया था...
ख़ान : चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी... अच्छा ये देखो तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ.
मैं : (सवालिया नज़रों से ख़ान को देखते हुए) जी क्या...
ख़ान : (उठकर मेरे साथ सोफे पर बैठ ते हुए) ये तुम्हारे पुराने दोस्तो की तस्वीरे हैं जिनके साथ अब तुमको काम क्रना है. (फाइल खोलते हुए)
यहाँ से दोस्तो मे कुछ नये लोगो का इंट्रोडक्षन आप सब से करवा दूँ ताकि आगे भी आपको कहानी समझ आती रहे:-
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