RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-38
उसके बाद मैने जैसे चद्दर हटाई बेड पर एक खून का निशान लगा हुआ था जिसको मैं ऑर रिज़वाना दोनो देख रहे थे ऑर मुस्कुरा रहे थे रिज़वाना से ठीक से चला नही जा रहा था इसलिए वो अपनी टाँग को थोड़ी चौड़ी करके चल रही थी उसके इस तरह चलने पर मैं अपनी हँसी रोक नही पाया ऑर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा.
रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) हँसो मत सब तुम्हारा ही किया हुआ है
मैं : मैने बोला था कपड़े उतार कर मेरे साथ सोने को.
रिज़वाना : अच्छा...अच्छा...ठीक है अब मुझे बाथरूम तक लेके चलो दर्द हो रही है. (चूत को सहलाते हुए)
उसके बाद मैने उसको गोद मे उठाया ऑर हम दोनो नहाने चले गये वहाँ हम दोनो साथ नहाए मेरा लंड तो एक बार फिर से खड़ा हो गया था लेकिन रिज़वाना की हालत देखकर मैं अपने जज़्बात काबू कर लिए ऑर फिर हम दोनो तेयार होके हेडक्वॉर्टर्स चले गये. नाश्ता भी हमने रास्ते मे ही किया. हेड क्वॉर्टर जाते ही ख़ान मेरे सामने अपने सवालो की दुकान खोले खड़ा हो गया.
ख़ान : आ गये जनाब रात को क्या हुआ था यार
रिज़वाना : कुछ नही घरवाले याद आ रहे थे जनाब को मैने समझा दिया है अब सब सेट है.
ख़ान : देख लो अगर कोई समस्या है तो मेरे साथ तुम रह सकते हो.
मैं : नही कोई समस्या नही वो मुझे बस घरवालो की याद आ रही थी.
ख़ान : (रिज़वाना को देखते हुए )ये तुमको क्या हुआ पैर मे चोट लगी है क्या
रिज़वाना : हाँ रात को लाइट चली गई थी मैं मोमबत्ती लेने गई तो वहाँ सब्जी पर पैर स्लिप हो गया ऑर पैर मे मोच आ गई. नीर नही होता तो मैं उठ भी नही सकती थी.
ख़ान : अपना ख्याल रखा करो यार ऑर तुमको मैने कितनी बार बोला है कोई नौकरानी रख लो.
रिज़वाना : अर्रे अकेली तो हूँ मैं अब एक इंसान के लिए क्या नौकरानी रखू.
ख़ान : चलो जाओ डॉक्टर साहिबा पहले अपना इलाज करो तब तक मैं थोड़ा नीर साहब से बात कर लूँ.
रिज़वाना : हमम्म.... (मेरी तरफ देखते हुए) जब तुम्हारा काम ख़तम हो जाए तो मेरे पास क्लिनिक मे आ जाना ठीक है.
मैं : अच्छा जी
उसके बाद ख़ान मुझे एक अजीब सी जगह ले गया जहाँ बहुत सारी मशीन्स पड़ी थी मेरे लिए ये जगह एक दम नयी थी इसलिए मैं चारो तरफ बड़े गौर से देख रहा था वहाँ काफ़ी सारे लोग हाथ मे छोटी-छोटी मशीन्स पकड़े बैठे थे ऑर उसके साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे.
मैं : ख़ान साहब हम यहाँ क्यो आए हैं
ख़ान : यहाँ मैं तुमको हर क़िस्म का स्पाइ डिवाइस इस्तेमाल करना सिखाउन्गा जो आगे जाके तुम्हारे काम आएगा. ऑर इनकी मदद से तुम मुझ तक उस गॅंग की इन्फर्मेशन भी भेज सकते हो.
मैं : अच्छा...
उसके बाद पूरा दिन वो मुझे अलग-अलग क़िस्म की छोटी-छोटी मशीन्स के बारे मे बताता रहा ऑर मुझे उनको इस्तेमाल करना भी सीखाता रहा मैं हर चीज़ को बड़े ध्यान से समझ रहा था ऑर उसको अपने दिमाग़ मे बिताने की कोशिश कर रहा था. वहाँ बैठे लोग मुझे उन औज़ारो को इस्तेमाल करना भी सीखा रहे थे ऑर मेरी ज़रूरत के मुताबिक़ मुझे वो समान दे भी रहे थे जिसको मैं खुद एक बार इस्तेमाल करके देख रहा था ऑर फिर मैं एक छोटे से बॅग मे वो तमाम समान को डाल रहा था.
मेरा पूरा दिन वही डिवाइसस को देखने ऑर वो कैसे काम करते हैं उसको समझने मे ही गुज़रा उसके बाद शाम को मैं ऑर रिज़वाना घर आ गये. आते ही रिज़वाना मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी ऑर हम फिर से चुदाई मे लग गये. अब ये हमारा रोज़ का रुटीन सा हो गया था कि दिन मे मैं ख़ान से ट्रैनिंग लेता ऑर शाम से लेकर सुबह तक हम को बस बहाना चाहिए था चुदाई करने का अब रिज़वाना मेरे बिना एक पल भी नही रहती थी. कुछ ही दिन मे वो मुझ से बहुत ज़्यादा जूड सी गई थी ओर मुझे बे-पनाह प्यार करने लगी थी. अक्सर जब भी मैं ख़ान से ट्रैनिंग ले रहा होता तो रिज़वाना किसी ना किसी बहाने से मेरे पास आ जाती. मुझे पता ही नही चला कि 15 दिन कैसे गुज़र गये ऑर मेरी ट्रनिंग भी मुकम्मल हो गई आखरी दिन ख़ान ने ऐसे ही मुझे अपने कॅबिन मे बुलाया वहाँ उसके पास एक आदमी बैठा था जो मुझे देखते ही खड़ा हो गया ऑर हैरानी से घूर्ने लगा.
ख़ान : बैठो-बैठो यार अब ये अपना ही आदमी है इससे डरने की ज़रूरत नही.
मैं : ख़ान साहब आपने मुझे बुलाया था.
ख़ान : हाँ नीर अब तुम्हारी ट्रैनिंग तो पूरी हो ही गई है इसलिए मैने सोचा तुम्हारे जाने का इंतज़ाम भी कर दूं.
मैं : (चोन्कते हुए) जाने का...कहाँ जाना है मुझे.
ख़ान : अर्रे भाई तुमको तुम्हारे गॅंग तक नही पहुँचना क्या....
मैं : ओह्ह्ह अच्छा हाँ... तो बताइए कब जाना है
ख़ान : कल जाना है
मैं : (कुर्सी से खड़ा होते हुए) कलल्ल्ल.... इतनी जल्दी...
ख़ान : क्यो क्या हुआ कल जाने मे कोई परेशानी है क्या.
मैं : जी नही एस बात नही है बस मैं एक बार वहाँ जाने से पहले अपने घरवालो से मिलना चाहता था.
ख़ान : ठीक है फिर तुम आज ही अपने गाव हो आओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ लेकिन सुबह तक वापिस आ जाना क्योंकि मुझे खबर मिली है कि कल रात को तुम्हारे पुराने साथी लाला, गानी ऑर सूमा शहर मे आ रहे हैं ड्रूग्स की डील करने के लिए ऑर तुमको उनकी नज़रों के सामने लाना ज़रूरी है. तभी तुम उस गॅंग तक पहुँच पाओगे.
मैं : जी अच्छा... लेकिन मैं उनके सामने पहुँचुँगा कैसे.
ख़ान : इसलिए तो तुमको यहाँ बुलाया है इनसे मिलो ये है राणा (सामने कुर्सी पर बैठे उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए)
राणा : सलाम शेरा भाई (मुझसे हाथ मिलाते हुए)
मैं : वालेकुम.सलाम जनाब.
ख़ान : ये पेशे से एक ड्रग डीलर है ऑर हमारा खबरी भी है. तुम इसके साथ वहाँ डील करने जाओगे ऑर वहाँ उनके लोगो का माल लूटोगे ऑर उनके आदमियो को ख़तम करोगे बाकी सब काम मैने इसको समझा दिया है.
मैं : जी ठीक है.
ख़ान : अब तुम गाव चले जाओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ.
मैं : ठीक है.
ख़ान : ऑर सुनो... हमारे पास वक़्त नही है इसलिए सुबह तक याद से वापिस आ जाना क्योंकि सुबह होते ही तुमको राणा के साथ जाना है.
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा...
उसके बाद वो दोनो कमरे मे बैठे रहे ऑर मैं बाहर आ गया. मुझे ये सब इतने जल्दी होने की उम्मीद नही थी मैने तो सोचा था कुछ दिन ऑर मैं अपने घरवालो के पास रह लूँगा लेकिन यहाँ तो ख़ान ने मुझे बस एक रात का ही वक़्त दिया है ऑर अब तो रिज़वाना भी है जो मुझे बे-इंतेहा मुहब्बत करती है उसको मैं कैसे सम्झाउन्गा. मैं अपनी इन्ही सोचो मे था कि मेरे कदम खुद ही रिज़वाना के कॅबिन की तरफ मुझे ले गये.
मैं : क्या मैं अंदर आ सकता हूँ डॉक्टरनी साहिबा.
रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) अर्रे तुम आज इतनी जल्दी फ्री हो गये. ऑर ये क्या तुमको अंदर आने के लिए मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत कब से पड़ने लग गई... चलो अंदर आओ.
मैं : वैसे ही सोचा तुम कोई काम कर रही होगी.
रिज़वाना : (अपनी कुर्सी से खड़े होके मेरे पिछे आते हुए) मेरी जान तुम्हारे लिए तो वक़्त ही वक़्त है बताओ क्या खिदमत करू मेरी जान की... (पिछे से मेरी गाल चूमते हुए)
मैं : मुझे तुमसे कुछ कहना है.
रिज़वाना : क्या हुआ तुम परेशान लग रहे हो सब ठीक तो है.
मैं : मैं आज गाव जा रहा हूँ उसके बाद कल सुबह मुझे मिशन के लिए निकलना है.
रिज़वाना : (मेरी कुर्सी को अपनी तरफ घूमाते हुए) क्या....इतनी जल्दी....
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...
उसके बाद हम दोनो खामोश हो गये ऑर रिज़वाना वापिस अपनी जगह पर जाके बैठ गई ऑर अपना समान समेटने लगी. मुझे उसका इस तरह का बर्ताव अजीब सा लगा.
मैं : क्या हुआ नाराज़ हो.
रिज़वाना : नही...नाराज़ क्यो होना है बस थोड़ी सी उदास हूँ सोचा नही था तुम इतनी जल्दी चले जाओगे.
मैं : उदास क्यो हो... अर्रे मैं जल्दी वापिस आ जाउन्गा ना.
रिज़वाना : मैने सोचा था तुम कुछ दिन मेरे पास ही रुकोगे.
मैं : ख़ान ने आज ही मुझे बताया मैं भी क्या करू.
रिज़वाना : (अपना सारा समान अपने बॅग मे डालते हुए) चलो चलें.
मैं : कहाँ चलें
रिज़वाना : घर मे तुम्हारी पॅकिंग करने ऑर कहाँ
मैं : ऑर तुम्हारा काम....
रिज़वाना : आज कोई काम नही बस आज मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.
उसके बाद रिज़वाना ने जल्दी छुट्टी लेली ऑर हम दोनो घर के लिए निकल गये. रिज़वाना पूरे रास्ते खामोश ऑर उदास ही बैठी थी जो मुझे सच मे अच्छा नही लग रहा था.
मैं : क्या हुआ है रिज़वाना अब ऐसे उदास मत बैठो यार.
रिज़वाना : मैं ठीक हूँ (मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए)
मैं : एक बात बोलू...
रिज़वाना : हमम्म्म
मैं : तुम ऐसे उदास बैठी अच्छी नही लगती
रिज़वाना : तो क्या तुम्हारे जाने की खुशियाँ मनाऊ.
मैं : तुमको पता है तुम जब हँसती हो तो बहुत सेक्सी लगती हो मेरी तो नियत ही खराब हो जाती है.
रिज़वाना : (हँसते हुए) उूुउउ..... तंग मत करो ना नीर . एक तो पहले मूड खराब कर दिया अब हंसा रहे हो.
मैं : मैने क्या किया यार ये तो ख़ान ने ही मुझे जो बोला मैने तुमको बता दिया.
रिज़वाना : (रोने जैसा मुँह बनाते हुए)मत जाओ ना....नीर .
मैं : जाना तो पड़ेगा क्या करे मजबूरी है.
रिज़वाना : मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी कभी सोचा है.
मैं : एम्म्म चलो एक काम करते हैं तुम भी मेरे साथ ही चलो.
रिज़वाना : कहाँ चलु...
मैं : मेरे गाव ऑर कहाँ... रात वहाँ ही रहेंगे ऑर सुबह तक वापिस आ जाएँगे.
रिज़वाना : मैं....मैं कैसे...
मैं : क्यो गाँव जाने मे क्या परेशानी है
रिज़वाना : परेशानी वाली बात नही है तुम्हारे घरवाले मुझे पसंद नही करते इसलिए उनको शायद मेरा वहाँ रहना अच्छा ना लगे.
मैं : अर्रे वो लोग बहुत अच्छे हैं यार तुम फिकर मत करो कोई कुछ नही कहेगा.
रिज़वाना : लेकिन...
मैं: लेकिन-वेकीन कुछ नही तुम साथ आ रही हो... मतलब आ रही हो... वैसे भी मेरे पास एक ही दिन बचा है कल सुबह को तो मिशन के लिए निकलना है ऑर मैं चाहता हूँ मैं अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने चाहने वालो के साथ गुज़ारु जिनमे अब तुम भी हो.
रिज़वाना : (मुस्कुरकर मेरी गाल चूमते हुए ) अच्छा....ठीक है मैं भी चलती हूँ.
मैं : ये हुई ना बात
रिज़वाना : तुमको पता है तुम बहुत ज़िद्दी हो.
मैं: हाँ हूँ...कोई ऐतराज़
रिज़वाना : (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उुउऊहहुउऊ....
मैं : अच्छा रिज़वाना मैं सोच रहा था जाने से पहले घरवालो के लिए थोड़ा समान खरीद लू तो क्या हम पहले बाज़ार चलें अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो.
रिज़वाना : हाँ-हाँ ज़रूर क्यो नही वैसे भी इतने दिन बाद घर जा रहे हो खाली हाथ थोड़ी ना जाओगे.
उसके बाद कोई खास बात नही हुई हम हेड-क्वॉर्टर से सीधा मार्केट चले गये वहाँ मैने नाज़ी,फ़िज़ा ऑर बाबा के लिए बहुत सारा समान खरीदा. फिर हम घर आ गये ऑर आते ही रिज़वाना मुझ पर टूट पड़ी ऑर पागलो की तरह मुझे चूमने लगी फिर हमने एक बार सेक्स किया ऑर उसके बाद मैं थक कर सो गया लेकिन रिज़वाना मेरी ओर अपनी पॅकिंग करने लगी रही. शाम को जब मैं सो कर उठा तो रिज़वाना ने सब कुछ रेडी कर दिया था उसके बाद मैं भी नहा कर तेयार हुआ ऑर फिर हम दोनो गाव के लिए निकल पड़े.
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