RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-50
उसके बाद कुछ देर ऐसे ही बाते चलती रही फिर आख़िर तय ये हुआ कि बाकी सब लोग धंधा संभालेंगे ऑर मैं ख़ान को मारने जाउन्गा. उसके बाद मैने मीटिंग बर्खास्त की ऑर सब को उनके काम पर लगा दिया ऑर खुद अपनी कार मे बैठकर घर आ गया जहाँ मैने जल्दी से कपड़े पॅक करने लगा. अचानक मुझे रूबी का ख्याल आया जो घर मे नही थी उसको बताए बिना जाना मुझे सही नही लगा इसलिए मैने सोचा जाते हुए उससे भी मिल कर जाउन्गा मैं जानता था वो दिन भर कहाँ होती है. इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े बॅग मे डाले ऑर साथ मे कुछ हथियार ऑर पैसे भी रख लिए. फिर मैं घर के बाहर आ गया जहाँ गॅंग के तमाम लोग मोजूद थे ऑर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे.
रसूल : ये क्या शेरा तुम अभी ही जा रहे हो.
मैं : हां मुझे अभी जाना है लेकिन पहले मैं रूबी से मिलना चाहता हूँ उसके बाद जाउन्गा.
लाला : ठीक है फिर हम भी तुम्हारे साथ ही चलते हैं.
उसके बाद मैं अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर मेरे पिछे तमाम गाडियो का क़ाफ़िला चल पड़ा. कुछ ही देर मे हम यतीम खाने के बाहर थे. वहाँ कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे. मैने बच्चो को देख कर बाकी सब लोगो को बाहर ही रुकने का इशारा किया ऑर खुद यतीम खाने के अंदर चला गया जहाँ बाहर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था वहाँ बहुत सी लड़कियाँ ऑर औरते बच्चों को पढ़ा रही थी. मैने चारो तरफ नज़र घुमाई तो एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ाती हुई मुझे रूबी नज़र आई. रूबी को देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई. उस वक़्त उसका चेहरा ब्लॅकबोर्ड की तरफ था मैं चुप चाप जाके बच्चों के साथ बैठ गया जिस पर सब बच्चे मुझे देख कर हँसने लगे. रूबी बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी ऑर मैं बस खामोशी से बैठा उसको देख रहा था तभी उसकी आवाज़ आई.
रूबी : सबको समझ आ गया ना.
मैं : मुझे समझ नही आया मेडम जी...
रूबी : (पलट ते हुए) शेरा तुम यहाँ....
मैं : मेडम क्वेस्चन मुझे समझ नही आया दुबारा समझाओ.
रूबी : (मुस्कुराते हुए) आप ऑफीस मे चलिए मैं अभी आती हूँ.
मैं : (सल्यूट करते हुए) यस मेडम....
मेरी इस हरकत पर सब बच्चे हँसने लग गये ऑर रूबी मुझे आँखें दिखाने लग गई इसलिए मैं चुप चाप वहाँ से उठा ऑर जाके उसके ऑफीस मे बैठ गया ऑफीस मे घुसते ही सामने बाबा की तस्वीर लगी थी मैं उनके नूरानी चेहरे को देख रहा था तभी अचानक एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई.
रूबी : आज क्या बात है सूरज कहीं ग़लत साइड से तो नही निकल गया जो तुमने यहाँ दर्शन दे दिए.
मैं : ऐसी कोई बात नही है मैं बस तुमसे मिलने के लिए आया था.
रूबी : (मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए) नियत तो ठीक है जनाब की... आज दिन मे भी बड़ा रोमेंटिक मूड बना हुआ है.
मैं : (हँसते हुए) नही यार मूड वाली कोई बात नही आक्च्युयली मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा था सोचा तुमसे मिल कर नही जाउन्गा तो तुमको बुरा लगेगा.
रूबी : (अपनी कुर्सी से खड़ी होके मेरे गाल खिचते हुए) हाए मेरी जान बड़ा ख़याल रखने लग गये हो मेरा.
मैं : (अपने गाल छुड़ाते हुए) क्या कर रही हो यार बच्चे देखेंगे तो क्या सोचेंगे.
रूबी : आए... हाए तुम कब्से लोगो की परवाह करने लग गये.
मैं : ज़्यादा शहद मत टपकाओ ऑर मेरी बात सुनो तुमको हर वक़्त मज़ाक ही सूझता है.
रूबी : अच्छा मुझे मज़ाक सूझता है... ऑर वो जो तुम बाहर करके आए हो वो बड़ी सयानी हरकत थी ना यस मेडम...यस मेडम..... तब बच्चों ने नही देखा होगा क्या.
मैं : (कान पकड़ते हुए) अच्छा बाबा ग़लती हो गई माफ़ कर दो आगे से नही करूँगा.
रूबी : (मुस्कुराते हुए) थ्ट्स लाइक आ गुड बॉय.... अच्छा बताओ यहाँ कैसे आना हुआ.
मैं : मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ
रूबी : (उदास होते हुए) फिर से जा रहे हो.
मैं : अर्रे मैं हमेशा के लिए नही जा रहा बस कुछ दिन की बात है फिर वापिस आ जाउन्गा.
रूबी : मोबाइल साथ लेके जा रहे हो ना.
मैं : हम्म... क्यो...
रूबी : ठीक है जल्दी वापिस आ जाना ऑर अपना ख़याल रखना ऑर मुझसे रोज़ बात करनी पड़ेगी.
मैं : (हाथ जोड़ते हुए) ऑर कोई हुकुम सरकार.
रूबी : (मुस्कुराते हुए) अब जल्दी से इधर आओ ऑर पप्पी दो फिर जाओ... बस इतना ही....
मैं : (हैरान होते हुए) अभी.... यहाँ पर....
रूबी : क्यो यहाँ कोई परेशानी है क्या.
मैं : नही परेशानी तो नही है लेकिन कोई बच्चा देख सकता है ना...
रूबी : (अपनी कुर्सी से उठ ते हुए) एक मिंट रूको...
रूबी ने जल्दी से जाके दोनो पर्दो को दरवाज़े के आगे कर दिया जिससे बाहर से कोई भी हम को नही देख सकता था फिर वो जल्दी से आके मेरी गोद मे बैठ गई ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरह डाल ली.
मैं : इरादा क्या है सरकार.
रूबी : (मुस्कुराते हुए) कुछ खास नही तुम्हारी पप्पी लेने का दिल कर रहा है.
मैं : मुझसे तो ऐसे पूछ रही हो जैसे मैं नही कर दूँगा तो नही लोगि....
मेरे इतना कहते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिए ऑर एक दिल-क़श अंदाज़ से मेरे होंठ चूसने लगी मैने भी अपनी दोनो बाजू उसकी कमर मे लपेट ली ऑर उसको अपने साथ अच्छी तरह चिपका लिया जिससे उसके मम्मे मुझे मेरी छाती पर चुभने लगे. हम दोनो बड़ी शिद्दत से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ऑर हम दोनो की मज़े से आँखें बंद थी.
अचानक मुझे ख़याल आया कि सब लोग बाहर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं इसलिए ना चाहते हुए भी मैने रूबी को खुद से अलग किया. रूबी कुछ देर वैसे ही मेरे गले मे अपनी दोनो बाजू डाले मेरी छाती पर सिर रख कर बैठी रही. फिर वो मेरे उपर से उठ गई ऑर साइड पर खड़ी हो गई. उसके बाद मैं अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर एक बार फिर से रूबी को गले से लगा लिया उसके बाद हम दोनो अलग हुए ऑर बाहर आ गये जहाँ बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे. रूबी ने सबको डाँट कर उनकी जगह पर वापिस भेज दिया ऑर खुद मेरे साथ यतीम खाने के गेट तक बाहर आ गई जहाँ पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे. उसके बाद सबसे गले मिलने के बाद सबको उनके हिस्से का काम दुबारा याद करवा दिया फिर आख़िर मे मैं रूबी के पास आया ऑर उसको भी गले लगा लिया.
रूबी : जल्दी आ जाना मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी.
मैं : हमम्म अपना ख़याल रखना.
रूबी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) तुम भी अपना ख़याल रखना ऑर मुझे फोन करते रहना.
मैं : (मुस्कुराते हुए) ठीक है.
उसके बाद सबको अलविदा कह कर मैं वापिस अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर अपने सफ़र के लिए रवाना हो गया. रूबी गेट पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही. आज इतने वक़्त के बाद मैं वापिस उसी जगह जा रहा था जहाँ मुझे नयी जिंदगी मिली थी. मुझे अपने गाँव गये पूरे सवा साल हो चुके थे ऑर इन सवा सालो मे जाने क्या-क्या बदल गया होगा. मैं तेज़ रफ़्तार से गाड़ी भगा रहा था साथ मे बाबा, फ़िज़ा, नाज़ी ऑर हीना के बारे मे भी सोच रहा था जाने वो लोग मेरे बिना कैसे होंगे. रास्ता लंबा था ऑर वक़्त था जो बीतने का नाम ही नही ले रहा था एक-एक पल मेरे लिए एक सदी जैसा हो गया था. मैं गाड़ी भी चला रहा था ऑर अपनी बीती हुई जिंदगी को भी याद कर रहा था. अचानक मेरी नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से मैने पेट्रोल भरवाया था ऑर जब मैं घायल था तो वहाँ पर खड़े लड़के ने मेरी मदद करने की कोशिश भी की थी. वहाँ कुछ लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे. मैने उन लोगो को देख कर गाड़ी वही रोक दी ऑर गाड़ी से बाहर निकल आया. वहाँ पर कुछ लोग उस लड़के को बुरी तरह मार रहे थे. मैं तेज़ कदमो के साथ वहाँ गया ऑर जाते ही सामने खड़े हुए आदमी को लात मारी जो उस लड़के को बुरी तरह पीट रहा था मेरी लात खाते ही वो दूर जाके ज़मीन पर गिर गया.
आदमी : कौन है ओये तू...
मैं : क्यो मार रहे हो इस लड़के को....
आदमी : साले ने हम से ब्याज पर पैसा लिया था अपनी माँ के इलाज के लिए अब इसकी माँ को मरे को इतना वक़्त हो गया है ऑर अभी तक हमारा पैसा वापिस नही किया.
मैं : कितना पैसा है...
आदमी : 20,000 ऑर उपर से 15,000 ब्याज.
मैने बिना कोई सवाल जवाब किए अपने जेब मे हाथ डाला ऑर 50,000 रुपये के नोट का बंडल उस आदमी के मुँह पर फैंक दिया.
मैं : (अपनी जेब से गन निकाल कर उसको लोड करते हुए) अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से नही तो तुम मे से कोई भी अपनी टाँगो पर चल कर यहाँ से नही जाएगा.
आदमी : बादशाहो हम को हमारे पैसे मिल गये अब हमने इससे क्या लेना है... शुक्रिया.
मैं : (उंगली से जाने का इशारा करते हुए) दफ़ा हो जाओ.
उसके बाद मैने नीचे पड़े उस लड़के को उठाया ऑर पेट्रोल पंप के अंदर ले गया.
मैं : (घड़े से पानी भरते हुए) तुम ठीक हो.
लड़का : जी साहब मैं ठीक हूँ... मुझे समझ नही आ रहा आपका ये अहसान मैं कैसे उतारूँगा.
मैं : मैने तुम पर कोई अहसान नही किया यही समझ लो तुम्हारी अम्मी ने तुम्हारे लिए पैसे भेजे थे.
लड़का : शुक्रिया साहब.
मैं : (लड़के को पानी देते हुए) क्या नाम है तुम्हारा.
लड़का : (पानी पीते हुए) जी... रुस्तम....
मैं : एक बात समझ नही आई तुम्हारा तो ये पेट्रोल पंप है ना फिर तुम्हारे पास पैसे की क्या कमी है.
लड़का : साहब ये पेट्रोल पंप मेरा नही शेरा भाई जान का है मैं तो यहाँ मुलाज़िम हूँ.
मैं : (हैरान होते हुए) क्या शेरा का है ये पेट्रोल पंप.
लड़का : जी साहब पहले शीक साहब का होता था लेकिन आज कल इस पेट्रोल पंप के मैल्क शेरा भाई जान हैं.
मैं : (मुस्कुराते हुए) तुमने देखा है शेरा को.
रुस्तम : जी नही साहब... बस नाम ही सुना है... बाबा के जनाज़े पर दूर से देखा था एक बार उसके बाद कभी नही देखा.
मैं : (मुस्कुराते हुए) तो अब नज़दीक से भी देख लो....
रुस्तम : (अपनी जगह से खड़ा होते हुए) आप शेरा भाई हो साहब जी...
मैं : (हां मे सिर हिलाते हुए) दुनिया तो यही कहती है...
रुस्तम : (हाथ जोड़ते हुए) आप एक दम बाबा जैसे हो साहब बाबा ने मुझे रोज़ी दी ऑर आपने आज मेरी जान बचाई. मेरी ये जान आज से आपकी अमानत है अगर कभी मैं आपके काम आ सकूँ तो अपनी खुश नसीबी समझूंगा..
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