RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-55
मैं : लाला एक आइडिया आया है मैं गाड़ी की छत पर जा रहा हूँ जब मैं इशारा करूँगा तब अपने आदमियो को बोलना कि सब अपनी अपनी गाड़ियों को बाई तरफ कर ले ऑर एक दम से अपनी सब गाडियो की रफ़्तार बढ़ा दे...
लाला : ठीक है.... भाई मैं अभी सबको फोन करके कह देता हूँ....
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर लाला के इशारे का इंतज़ार करने लगा क्योंकि उसके बाद ही मैं गाड़ी की छत पर जा सकता था. तभी मुझे हीना की आवाज़ आई...
हीना : नीर तुम ठीक तो हो ना....
मैं : मैं ठीक हूँ फिकर मत करो तुम नीचे रहो....
हीना : तुम्हारी बाजू से तो बहुत खून निकल रहा है...
मैं : कोई बात नही अभी सब ठीक हो जाएगा तुम दोनो नीचे रहो बाहर फाइरिंग हो रही है....
तभी मुझे लाला ने गाड़ी से हाथ बाहर निकाल कर अपने हाथ का अंगूठा दिखाते हुए डन का इशारा किया. मैने जल्दी से गाड़ी का दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोला ऑर बाज़्ज़ुक़ा लेकर गाड़ी की छत पर बैठ गया ऑर बाज़्ज़ुक़ा को अपने कंधे पर सेट कर लिया ऑर पोलीस की बीच वाली गाड़ी का निशाना लगाया ताकि धमाके से आगे ऑर पिछे दोनो तरफ की गाड़िया उड़ जाए लेकिन उससे पहले मुझे मेरे आदमियो को इशारा करना था इसलिए मैं कुछ सेकेंड्स के लिए अपना बॅलेन्स बनाता हुआ गाड़ी की छत पर सीधा खड़ा हो गया जिससे मेरे सब आदमियो ने मुझे देख लिया ऑर अपनी सारी गाडियो को एक साथ बाई तरफ कर लिया. मेरे पास यही सही मोक़ा था मेरी इस चाल को कोई भी पोलीस वाला समझ नही पाया ऑर वो एक सीध मे ही गाड़ी चलाते रहे तभी मैने बाज़्ज़ुक़ा का ट्रिग्गर दबा दिया ऑर उनकी बीच वाली जीप पर फाइयर कर दिया.
मेरा आइडिया कामयाब रहा 3 जीप धमाके से एक साथ उड़ गई ऑर बाकी 7 जीपों ने वही अपनी गाड़ी को रोक लिया. लाला ये देख कर काफ़ी खुश लग रहा था ऑर गाड़ी के शीशे से मुँह बाहर निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था ऑर उन पोलीस वालों को गालियाँ निकाल रहा था. मैने एक नज़र मुस्कुरा कर उसको देखा ऑर फिर बाज़्ज़ुक़ा गाड़ी के अंदर फैंक कर खुद भी गाड़ी के अंदर जाके बैठ गया. गाड़ी के अंदर आते ही हीना ऑर नाज़ी ने मेरा बाजू पकड़ लिया ऑर देखने लगी...
हीना ऑर नाज़ी : तुम ठीक हो ना...
मैं : मैं एक दम ठीक हूँ तुम दोनो फिकर मत करो यार...
हीना : फिकर कैसे नही करे तुमको गोली लगी है देखो कितना खून निकल रहा है
इतना कह कर उसने खून वाली जगह पर अपना हाथ रख दिया ताकि खून रुक सके...
हीना : (ड्राइवर को देखते हुए) अपने आदमी से कहो किसी डॉक्टर के पास लेके चले खून बहुत निकल रहा है.
मैं : बीच हाइवे मे अब मैं डॉक्टर कहाँ से लेके आउ अब तो शहर जाके ही डॉक्टर मिलेगा ऑर तुम लोग फिकर मत करो यार मैं एक दम ठीक हूँ.
उसके बाद कोई खास बात नही हुई हीना पूरे रास्ते मेरी बाजू पकड़ कर बैठी रही. कुछ ही देर मे शहर आ गया जहाँ लाला गन पॉइंट पर एक डॉक्टर को उठा लाया जिसने मेरी बाजू से गोली निकाली ऑर गाड़ी मे ही मेरी मरहम पट्टी भी करदी. डॉक्टर के दिए हुए पेन किल्लर से दर्द तो कम हुआ ही साथ ही मुझे नींद आने लगी ऑर मैं सो गया. सुबह जब आँख खुली तो हम अपनी बस्ती के काफ़ी करीब थे कुछ ही देर हम बस्ती पहुँच गये जहाँ रसूल हमारे तमाम आदमियो के साथ हमारा इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही मेरी गाड़ी रुकी मेरे सब लोग दौड़कर मेरी गाड़ी के पास आ गये ऑर एक आदमी ने जल्दी से मेरी गाड़ी का दरवाज़ा खोला सामने रसूल अपनी सदा-बाहर मुस्कान के साथ मेरा इंतज़ार कर रहा था उसने आते ही मुझे गले से लगा लिया. वही पास ही मेरे घर के बाहर रूबी भी खड़ी थी जो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.
रसूल : वाह भाई वाह मान गये शेरा... कमाल कर दिया यार तूने....
मैं : मैने क्या किया यार....
रसूल : भाई अकेले ही इस कुत्ते को उठा के वहाँ से ले आया ये क्या छोटी बात है...
लाला : (भाग कर हमारे पास आते हुए) कमीनो मुझे क्यो भूल जाते हो... ऑर ये तुम्हारा शेर वही ढेर हो जाता अगर मैं वक़्त पर नही आता.... बड़ा आया कमाल करने वाला...
रसूल : अच्छाअ.... ठीक है यार.... वैसे वो हमारा नया मेहमान है कहाँ ज़रा दर्शन तो करवाओ.
लाला : होना कहाँ है वही गाड़ी मे पड़ा है.
मैं : रसूल यार तू ज़रा इस ख़ान के बच्चे को देख मैं ज़रा रूबी से मिलकर आता हूँ.
रसूल : ठीक है भाई...
उसके बाद मैने अपनी गाड़ी का पिछे का दरवाज़ा खोला ऑर नाज़ी, नीर ऑर हीना को लेकर अपने घर की तरफ बढ़ने लगा. नाज़ी ऑर हीना दोनो बड़े गौर से चारो तरफ के महॉल ऑर लोगो को देख रही थी.
नाज़ी : हम लोग यही रहेंगे क्या...
मैं : हमम्म क्यो जगह पसंद नही आई क्या...
नाज़ी : नही वो बात नही है लेकिन यहाँ पर बहुत सारे लोग हैं तो इन सबके सामने अजीब सा लगता है. अपने गाँव मे तो हम चन्द ही लोग रहते थे ना.
मैं : (मुस्कुराते हुए) यहाँ के लोग भी बहुत अच्छे हैं ऑर तुम्हारा ख़याल रखेंगे तुम जैसे चाहो यहाँ रह सकती हो तुम यहाँ एक दम महफूज़ हो.
हीना : यहाँ पर सब लोग तुमको शेरा कह कर क्यों बुला रहे हैं.
मैं : क्योंकि मेरा असल नाम शेरा ही है नीर नही भूल गई मैने तुम्हे बताया तो था.
ऐसे ही बाते करते हुए हम सब मेरे घर के सामने पहुँच गये जहाँ रूबी गेट के सामने खड़ी हमारा इंतज़ार कर रही थी. रूबी को देखते ही मैं उसको साइड पर ले गया जहाँ मैने उसको दोनो की सारी कहानी बता दी इसलिए रूबी ने बहुत अच्छे से उनका स्वागत किया ऑर उनको घर के अंदर ले गई. मैं उन तीनो के साथ बैठा था लेकिन मुझे उस वक़्त बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था ऑर मैं एक अजीब सी दिमागी जंग से गुज़र रहा था समझ नही आ रहा था कि इन तीनो को एक साथ यहाँ कैसे रखूं. अगर तीनो मे से किसी ने भी पूछ लिया कि बाकी 2 से तुम्हारा क्या रिश्ता है तो मैं क्या जवाब दूँगा. ऐसे ही कई सवाल अब घर आके एक दम से मेरे दिमाग़ मे चलने लगे थे. अभी तो हम सब साथ मे बैठे थे लेकिन बोलने की हिम्मत कोई भी नही कर पा रहा था हीना ऑर नाज़ी नये महॉल ऑर गुज़रे हुए वक़्त की वजह से चुप थी, रूबी उन दोनो के साथ मेरे रिश्ते को शायद समझ नही पा रही थी इसलिए चुप थी ऑर मैं इन तीनो मे फँस गया था क्योंकि तीनो ही मुझे प्यार करती थी ऑर मैं किसी का भी दिल नही तोड़ना चाहता था. एक तरफ हीना ऑर नाज़ी थी जो मुझ पर भरोसा करके सिर्फ़ मेरे लिए यहाँ तक आ गई थी दूसरी तरफ रूबी थी जो हमेशा से ही मेरे साथ थी ऑर हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश मे लगी रहती थी. ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब हम मे से किसी के पास नही थे. तभी रसूल आ गया ऑर उसने हमारे बीच बनी खामोशी को एक दम से तोड़ दिया.
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