RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
06 बाबाजी मेरी बेटी को अपनी पनाह में ले लें
मेरी कुछ हफ्ते से तबीयत ठीक नहीं थी, मेरी अम्मी कुछ ज्यादा ही मजहबी हैं इसलिए वो मुझसे बोली की निदा मुझे लगता है की तुझे नजर वगैरा लग गई है, तुम किसी आमिल से अपनी नजर उतरवा लो। यहां करीब ही एक बाबाजी का श्थान है, वो बड़े पहुँचे हुये बाबा हैं, तू उनसे अपनी नजर उतरवा ले...”
अम्मी की बात सुनकर मुझे कोफ़्त हुई और मैंने अम्मी को मना कर दिया। अम्मी भी अपनी जिद की पक्की थी इसलिए मैं राजी हो गई।
अम्मी ने बुरका पहना, मुझे पर्दे वगैरा से वैसे ही चिढ़ थी इसलिए मैंने सिर्फ दुपट्टा ओढ़ लिया। मैं फिटिंग के कपड़े पहनती थी इसलिए की जब-जब मैं बाहर जाती थी तो लोग मुझे खूब ताड़ते थे और मुझे उनका ताड़ना अच्छा लगता था इसलिए मैं टाइट से टाइट फिटिंग के कपड़े पहनती थी। इस वक़्त भी मैंने टाइट फिटिंग का कमीज शलवार पहना हुवा था और मेरा दुपट्टा मेरे फिगर को छुपाने के लिए नाकाफी था। थोड़ी दूर ही बाबाजी का स्थान था और अम्मी मुझे लेकर वहां चली गई। ये दोपहर का वक़्त था इसलिए स्थान में सिर्फ तीन औरतें थीं।
बाबाजी का हुजरा अलग था और बाहर दो आदमी बैठे थे जो शायद बाबाजी के खिदमतगार थे। अम्मी ने एक आदमी को अपने आने की वजह बताई तो उन्होंने हमें बैठने को बोला। मैं और अम्मी एक तरफ बैठ गये। थोड़ी देर बाद बाबाजी के हुजरे का दरवाजा खुला और वहां से एक औरत निकलकर स्थान से बाहर निकल गई। दूसरे आदमी ने एक औरत को अंदर जाने को बोला तो एक औरत उठकर हुजरे में चली गई। मैं नोट कर रही थी की वो दोनों आदमी मुझे ही देख रहे थे।
बैठने से मेरी कमीज पेट से बिल्कुल चिपकी हुई थी जिससे मेरा उभरा हुवा सीना और उभर आया था। मैंने नोट किया की दोनों मेरे सीने को ही देख रहे हैं। मैंने अपने सीने पर नजर डाली तो मेरे आधे सीने पर से दुपट्टा ढलका हुवा था जिसकी वजह से मेरा एक मम्मा बिल्कुल साफ नुमाया हो रहा था। वो दोनों आदमी बार बार। मुझे प्यासी नजरों से घूर रहे थे, और उनके ऐसे देखने से मेरे अंदर की आग जाग उठी।
और चूत ने कहा- “होश मैं आ...”
मुझे शरारत सूझी और मैंने कुछ सोचा और फिर अम्मी को देखा तो अम्मी आँखें बंद किए कुछ पढ़ रही थी। अम्मी के बाद मैंने उन दोनों आदमियों को देखा और अपने सीने से दुपट्टा हटा दिया और अपना सीना कुछ और निकालकर बैठ गई। मेरी हरकत पर दोनों आदमी चौंक गये। फिर वो मुझे देखकर मुश्कुराने लगे तो मैं भी मुश्कुरा दी। मैं और अम्मी पीछे बैठे थे इसलिए वहां बैठी दोनों औरतें मुझे सही से देख नहीं सकती थी। मैं मुतमइन थी और उन दोनों को अपने बड़े-बड़े मम्मों का दीदार करा रही थी। मैंने काफी दिनों से चूत नहीं मरवाई थी। आज लगा की यहाँ अपना काम बन गया।
|