RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
मैं देख रही थी की दोनों आदमी बेचैन हैं, अगर शायद वहां और औरतें नहीं होती तो शायद वो दोनों मुझे दबोच लेते। फिर थोड़ी देर बाद वहां मोजूद तीनों औरतें फारिग होकर चली गई और वहां सिर्फ़ मैं और अम्मी ही रह । गये थे।
फिर एक आदमी हमें अंदर जाने का बोलने के बजाय खुद हुजरे में चला गया। थोड़ी देर बाद वो आदमी बाहर आया और हम दोनों को अंदर जाने को बोला। अम्मी मुझे लेकर हुजरे में चली गई, हुजरे में एक काफी बड़ी उमर का आदमी पीले कलर के कपड़े पहने बैठा था, उसकी दाढ़ी काफी लंबी थी जिसकी वजह से मैं उसकी उमर का सही से अंदाजा नहीं लगा पाई। वो एक चौकी पर बैठा हुवा था बीके थोड़ा नींद में था, मुझे देखकर वो सीधा हो गया। मैं और अम्मी जाकर उसके सामने बैठ गये। अम्मी ने बड़े अदब से सलाम किया तो उस आदमी ने जवाब में सिर्फ अपना सिर हिलाया। अम्मी उस आदमी यानी बाबाजी को बताने लगी की ये मेरी बेटी है ये काफी हफ्तों से बीमार है और इसकी तबीयत ठीक नहीं हो रही है।
मुझे लगा की इसको किसी की नजर लग गई है इसलिए मैं इसको आपके पास ले आई, आपको बहुत पहुँचे हुये आलिम हैं बरा-ए-मेहरबानी आप मेरी बेटी पर दम कर दें। वो बाबाजी मुसलसल मुझे घूर रहे थे।
उन्होंने अम्मी को कहा- “तू फिकर ना कर, अच्छा हुवा जो तू इसे यहां ले आई है...”
उन बाबाजी की आवाज काफी भारी और रोबदार थी, उन्होंने मुझे अपने पास बैठने को बोला तो मैं उठकर उनके पास बैठ गई। उन्होंने मुझे अपना हाथ बढ़ने को बोला तो मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया। बाबाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर ली और कुछ पढ़ने लगे। पढ़ते-पढ़ते बाबाजी मेरे हाथ को सहलाने लगे, जबकी मैं मुश्कुराने लगी। फिर जब बाबाजी ने आँखें खोलकर मुझे देखा तो मुझे मुश्कुराता देखकर वो भी एक लम्हे के लिए मुश्कुराये। मुझे लगा की अब ये कोई प्लान करेगा मुझे चोदने के लिये और फिर से उन्होंने अपना चेहरा बारोब बना लिया।
फिर उन्होंने अम्मी से कहा- “तेरी बेटी पर किसी ने जादू करवा दिया है...”
|