RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
दादाजान जो अपना मस्त अकड़ा हुवा लण्ड सहलाते हुये मुझे नहाते हुये देख रहे थे एकदम से घबरा गये।
मैंने डर के मारे चीख मारी और बोली- “दादाजान आप यहां क्या कर रहे हैं?”
मेरी बात सुनकर दादाजान और घबरा गये और उनसे कोई जवाब नहीं बन पड़ा।
मैं फिर बोली- “दादाजान मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी..."
इतनी देर में दादाजान संभाल चुके थे और फिर वो अपनी कमीज उतारकर बाथरूम में आ गये और उन्होंने मुझे पकड़कर दीवार से लगा दिया और मुझे किस करते हुये बोले- “साली रंडी की बच्ची... नाटक करती है, तू पूरा दिन मुझे गरम करती रही, खुला गला पहनकर मुझे अपने मम्मे दिखाती रही और अखबार के नीचे सेक्सी मैगजीन और सीडी प्लेयर में तूने सेक्सी फिल्म क्यों लगाई थी हरामजादी?” ये कहकर दादाजान ने मेरे बड़े-बड़े खूबसूरत मम्मों को पकड़कर दबा दिया।
तो मेरी सिसकारी निकल गई और मैं बोली- “मुझे नहीं पता दादाजान... हो सकता है वो सब अब्बू का हो...”
दादाजान मेरी बात पर गुस्से से बोले- “अपने शरीफ बाप को बदनाम कर रही है साली छिनाल ये सब तू ही कर सकती है तेरा बाप नहीं...” फिर उन्होंने मेरे मम्मोम को कसकर दबाया तो मेरी सिसकारी निकल गई। तो वो बोले- “और ये तेरे बड़े-बड़े मम्मे क्या किसी मर्द का हाथ लगे बगैर ही इतने बड़े हो गये हैं?”
मैंने फिर नाटक किया- “दादाजान आप मुझे गलत समझ रहे हैं, मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ...”
दादाजान फिर गुस्से से बोले- “साली हरामजादी मुझे पता है रंडी की बेटी भी रंडी होती है...”
दादाजान की बात पर मैं चौंकी और बोली- “क्या मतलब दादाजान?”
अब दादाजान ने मुझे छोड़ दिया और बोले- “क्योंकी तेरी माँ भी बहुत बड़ी रंडी थी, इसलिए ये कैसे हो सकता है। की तु रंडी ना हो। अपनी माँ की फितरत तेरे अंदर भी होगी..."
दादाजान मजीद बोले- "तेरी माँ चदाई की बहत भूखी थी और उसने अपनी शादी के दूसरे दिन से ही मुझपर डोरे डालने शुरू कर दिए थे। कुछ मैं भी तेरी माँ पर फिदा था क्योंकी वो बहुत खूबसूरत थी। इसलिए शादी के तीसरे दिन ही वो मेरे बिस्तर पर आ गई थी। तेरी माँ को तेरे बाप से ज्यादा मैंने चोदा है क्योंकी उसे तेरा बाप पूरा नहीं पड़ता था। इसलिए उसके मेरे अलावा भी बहुत से यार थे और फिर मैं तेरी माँ का राजदार बन गया था। और फिर मेरी नजरों में ही तेरी माँ के यार तेरी माँ को चोदकर जाते थे। उसके अलावा तेरी माँ ने तेरे ताया से भी खूब चुदवाया था उसपर तेरी माँ ने घर के नौकरों को भी खूब ऐश करवाये थे। तेरा बाप शरीफ आदमी है इसलिए उसने अपनी बीवी पर कभी शक नहीं किया और उसे प्यार करता रहा और फिर तू पैदा हुई और पता नहीं की तू किसकी औलाद है, तेरे बाप की, मेरी, तेरे ताया की, घर के नौकरों में से किसी की या फिर उसके यारों में से किसी की...”
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