RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
अदनान की बात पर मैं मुश्कुराई और बोली- “मेरा मतलब ये है की आप किसी का लाइफ इंश्योरेन्स किस तरह करते हैं.. पूरे जिश्म का जिश्म की मुखुटलीफ हिस्सों का। अब आप लोग मेरा इंश्योरेन्स करने आये हैं तो मेरा इंश्योरेन्स किस तरह करेंगे मेरे पूरे जिम का, या जिम के मखसूस हिस्सों का..”
अब अदनान मेरी बात का मतलब समझ गया और कहने लगा- “आप किस तरह इंश्योरेन्स करवाना चाहती हैं.”
मैं मुश्कुराकर कहने लगी- “अब मुझे क्या पता की इंश्योरेन्स किस तरह करवाया जाता है ये तो आप लोग मुझे बतायेंगे...”
अदनान बोला- “मिस्स्स हम तो क्लाइंट की मर्जी के मुताबिक काम करते हैं अगर कोई क्लाइंट अपने पूरे जिम के बजाए जिश्म के कुछ मखसूस हिस्सों का इंश्योरेन्स करवाए तो हम वैसा ही करते हैं। अब आप बतायें की। क्या चाहती हैं.”
मैं बोली- “अब मैं क्या कहूं इस बारे में... आप लोग ही बतायें की मेरे लिए कौन सा इंश्योरेन्स सही रहेगा... पूरा जिम वाला या जिश्म के मखसूस हिस्सों वाला...”
अदनान ने मेरे जिश्म को फिर गौर से देखा और बोला- “मिस अगर मेरी राय लेना चाहती हैं तो आपके लिए जिश्म के मखसूस हिस्सों वाला इंश्योरेन्स ही ठीक रहेगा.." अदनान बोला- “तो आप अपने जिश्म के किस किस हिस्से का इंश्योरेन्स करवाना चाहती हैं...”
अपने जिम के किस किस हिस्से का
मैं बोली- “ये काम भी आप लोगों का है... आप लोग ही बतायें इंश्योरेन्स करवाना चाहिए...”
अदनान ने एक नजर दादाजान को देखा जो हमसे बेपरवाह अखबार पढ़ने में मसरूफ थे, फिर अदनान मुश्कुराकर कहने लगा- “आप अपने जिश्म के मुख़्तलिफ हिस्सों पर हाथ रखें, जो हिस्सा इंश्योरेन्स के काबिल होगा उसपर मैं “एस” कह दूंगा...” अदनान की बात से मैं राजी हो गई।
अभी तक हम दोनों की बातों में तबिश ने हिस्सा नहीं लिया था। दादाजान अखबार पढ़ते हुये मुश्कुरा रहे थे। यानी उनका पूरा ध्यान हमारी ही तरफ था और वो जान गये थे की उनकी चोदक्कड़ पोती अपने नये शिकार रही है। सबसे पहले मैंने अपने सर पर हाथ रखा तो अदनान ने “नो" कह दिया।
फिर मैंने अपने गालों पर हाथ रखा तो अदनान ने “एस” कह दिया। फिर मैंने अपने रसीले होंठों पर हाथ रखा तो अदनान ने मुश्कुराते हुये
एस” कह दिया। फिर मैं अपनी गर्दन पर हाथ फेरती हुई जब अपने मम्मों पर आई और मैंने अपने हाथ अपने मम्मों पर रखे तो अदनान और तबिश के जिम में झटका लगा और अदनान ने अपने खुश्क होते हुये होंठों पर जुबान फेरते हुये “एस” कह दिया। फिर जब मैंने अपने पेट से हाथ ले जाते हुये जब अपनी चूत पर हाथ रखा। तो वो दोनों अपनी अपनी जगहों पर बेचैनी से पहलू बदलने लगे और अदनान ने बामुश्किल “एस” बोला। शायद उन दोनों को मेरे इतने बोल्ड स्टेप की उम्मीद नहीं थी। फिर इससे पहले की कमरे में कुछ और होता की दरवाजे पर आहत हुई तो सब संभल गये और मैंने भी अपनी चूत पर से हाथ हटा लिया।
अब्बू कमरे में आए तो बोले- “मुझे तो देर हो रही है, मैं आफिस चलता हूँ...”
तभी दादाजान उठे और मुझे आँख मारते हुये पापा के साथ चले गए और पापा जाते हुये अदनान और तबिश से बोले- “अगर आप दोनों को कोई जरूरी कम ना हो तो मेरे आने तक यही रुक जायेंन, मुझे आप दोनों से कुछ काम है और हो भी सकता है मेरे साथ तुम्हारे बास सयीड़ साहिब भी हों...” फिर अब्बू चले गये।
अब्बू के जाने के बाद मैं कहने लगी- “चलिये, आप लोग मेरा इंश्योरेन्स शुरू करें...”
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