Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
08-03-2019, 02:59 PM,
#59
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 59



सुबह जब हमारी नीद टुटी तब कुछ पैसेंजर आलरेडी उतार गए पिछ्ली स्टेशन मे.
इस लिए कमरा थोड़ा खली था.
केवल एक मिडिल एज्ड अंकल हमारे सामने वाले बर्थ में थे.
सुबह ट्रैन में चाय देकर गया.
गरम पाणी का फ्लास्क और पैकेट शुगर, मिल्क पाउडर और ती बैग .
मैं चाय बनाना शुरु किया तो माँ मुझे धीरे से बोली" मुझे दीजिये.
मैं बनाती हु"ओर माँ चाय बनाने लगी.
मेरी पत्नी बनने के बाद भी वह बचपन से मुझे जैसी केयर और प्यार करते आयी,
वैसे ही मुझे केयर और प्यार कर रही है
और ज़िन्दगी भर करेगी मुझे पता है.
मैं उनका पति बनने के बाद भी उनको वह रेस्पेक्ट और केयर करूँगा ज़िन्दगी भर,
जैसा में माँ को करता था.
हम चाय पीते पीते एक दूसरे को देख के स्माइल कर रहे थे.
यह है वह पहली सुबह जो हर कपल की लाइफ में बस एक बार आती है.
शादी के अगले दिन की सुबह.
हम इन पलों को हमारे दिल में कैद करते रहे
एक दूसरे को प्यार से देखते देखते.
हमारे सामने वाले अंकल हम से परिचय किये और जब उनको पता चला की हम नई नई शादी करके मेरा जॉब की जगह पे जा रहा है,
तब वह हमे बताये की हमारी जोड़ी बहुत खूबसूरत जोड़ी बना है.
हमे पूछा हमारा यह लव मैरिज है या अरेंज्ड मैरेज.
यह सुनके माँ और में दोनों कुछ पल खामोश रहै.
उनको कैसे हमारे रिश्ते के बारे में बताये.
तो में तुरंत बोला की अरेंज मैरिज है,
तब वह आदमी बोला की बहुत कम लोगों के अंदर अरेंज मैरिज में इतना प्यार झलक ता है
जितना हमारे जोड़ी को देख के लग रहा है.
मैं और माँ इस बात को सुनके एक दूसरे को देखा और मन में सोचे की उस्को यह नहीं पता की हम
कैसे हमारे नसीब के फेरे आज ऐसे एक कपल बने है जो कपल दुनियामे ढूँढ़ने में शायद मिलेगा भी नहीं
और हमारे बीच जो प्यार है वह दुनियाका सब से ज़ादा प्यार का बंधन है.

टैक्सी आके घरके एक दम सामने रुक गई मैं उतरके घूम के जाकर माँ की तरफ का डोर खोला और माँ उतरी.
फिर हम अपना सामान वगेरा नीचे उतारके ड्राइवर को टैक्सी फेर मिटा दिया और वह टैक्सी लेके चला गया माँ घर के आस पास इधर उधर की तरफ देख रही थी.
मैं उनको देखते देखते दो सूटकेस खिचके डोर के पास लेकर गया.
और माँ तभी तीसरा सूटकेस को लेन की कोशिश कर रही है.
मैं उनको मना किया और जाकर एक हाथ में वह सूटकेस खीचते हुए दूसरी हाथ से आराम से माँ का हाथ पकड़के धीरे से बोला.
चलो..मा बस एक प्यारी सी स्माइल देकर शर्मा के नज़र झुका के मेरे साथ चल्ने लगी.

और में उनका हाथ पकड़के डोर के तरफ जाने लगा.
हम कोई कुछ बोल नहीं रहे है.
केवल जब भी नज़र मिल रहा है तभी एक दूसरे को मुस्कुराके अपना प्यार जताने लगे.
माँ जब चल रही थी उनके पायल की मीठी आवाज़ होने लगी.
मैंने की निकाल के डोर खोला.
फिर मेंने माँ की तरफ देखा.
और धीरे से बोला.
नयी बहु के घर में कदम रखने से पहले यहाँ उनका स्वागत करने के लिए तो कोई नहीं है..
फिर में रुक गया. माँ मेरे तरफ देखके मीठी मीठी हस् रही है.
और फिर घूम के खुद ही अंदर जाने के लिए कदम उठाने गयी की में उनको रोका.
“रुक जाइये..”
मा मेरी तरफ नज़र घुमायी तो में उनके आँखों में आंख दाल के उनके मन के अंदर जाकर उनके मन को छुना चाहा.
और फिर फुसफुसाकर कहा
“कोई नहीं तो क्या हुआ, मैं स्वागत करूँगा..”

माँ अस्चर्य नज़र से मुझे देखते रही और फिर हास् के मेरे पागलपन को साथ देणे लगी.
वह हस्ते ही उनके मोती जैसे दाँत उनके गुलाबी होठो के अंदर से दिखे और वह बहुत खूबसूरत लगने लगी.
मेरा दिल बस पिघल के उनके कदमो के नीचे आगया.
मै आगे बढ़ के घर के अंदर गया और घूम के माँ के सामने खड़ा हो गया.
माँ समझ नहीं पा रही है की में क्या करने जा रहा हु.
कैसे स्वागत करना चाहता हु.
मैं तभी मेरे राईट घुटने को फ्लोर पे टीकाकर, लेफ्ट पैर को फोल्ड करके वहि दरवाजे के सामने बैठ गया.
फिर मेरे राईट हैंड को आगे ले जाकर हथेली की उल्टी साइड को फ्लोर टच करवाके रख दिया और लेफ्ट हैंड को ऊपर माँ के तरफ बढा दिया.
मैं आँखों में प्यार लेकर स्माइल करते हुए उनको देखा.
वह बस उनकी बडी बडी आँखों से एक सरप्राइज्ड लुक लेकर मुझे देखे जा रही है.
मैं कुछ नहीं बोल रहा था.
तभी अचानक माँ की आँखे नम हो गई और वह होठो पे एक प्यार भरी स्माइल लेकर वह बस मुझे ऐसे ही देखे जा रही थी.
धीरे धीरे उनकी आंखे गिली होने लगी और उनके होठ काँपने लगे.
मुझे समझ में आगया की उनके मन में भावनाओं की बारिश शुरु हो गई है.
और बाहर उनकी नज़र और होठो पर काँपती हुई स्माइल मुझे यह बता रही है.
मैं तभी धीरे एक दम प्यार से बोला.

”आओ”
वह उनके राईट हैंड को उठाके उनके होठ के पास ले जाकर होठ के ऊपर रख के उनके ख़ुशी के रोने को छुपा ने की कोशिश करने लगी.
पर मेरी नज़रों से वह चीज़ छुपा नहीं पाई.
मैं एक चौड़ी स्माइल देकर सिचुएशन को सहज करके फिरसे बोला.
“आओ”
तभी माँ ने उसी राईट हैंड को मेरे लेफ्ट हैंड की तरफ बढा दिया और मेरा हाथ पकड़ लिया.
उनके उस स्पर्श में जो प्यार था,
वह में ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता.
मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और माँ तभी उनकी स्लिपर से अपने दोनों पैर निकाल के लेफ्ट पैर को आगे बढा के मेरी राईट हथेली के ऊपर रख दिया.
मैं इस तरह उनके ज़िन्दगी में कभी भी उनके कदमों के नीचे कोई काँटा आने नहीं दूँगा.
हमेशा मेरे प्यार से उनका वह रास्ता गुलाब की पंखुड़ी से भर दूँगा.
यह कसम खाकर उनका घर के अंदर स्वागत किया.
माँ घर के अंदर आते ही में खड़ा हो गया. और उनका हाथ छोड़ दिया.
माँ तभी भी मुझे देखे जा रही है एक अद्भुत प्यार की नज़र से.

मैं उनको इजी फील करवाने के लिए हसकर उनको बोला.

”वेलकम मिसेस मंजु हीतेश पटेल”.

मेरे बोलने के इस ढंग से वह बस उस गिली आँखों से हस पड़ी और अपनी नज़र नीचे झुका ली.
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