Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
08-05-2019, 12:24 PM,
#73
RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
मोहित मेरे पीछे टब में आकर बैठ गया और मेरी पीठ पर साबुन मलने लगा। मेरी पीठ पर अच्छे तरीके से साबुन मलने के बाद, मोहित उठकर मेरे सामने बैठ गया। मोहित ने मुझे टब में सीधा लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरी चूचियों के ऊपर साबुन मलने लगा। मोहित का हाथ अपनी चूचियों पर महसूस होते ही मेरी । आँखें मजे से बंद होने लगी। मोहित मेरी चूचियों पर अच्छे तरीके से साबुन मलते हुए, अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। मोहित अब मेरे पेट पर साबुन मल रहा था। वो अपना हाथ और नीचे ले जाते हुए मेरी चूत तक पहुँच गया।

मोहित ने मेरी दोनों टाँगों को पूरी तरह से फैला दिया और साबुन को मेरी चूत पर मलने लगा। वो साबुन को मेरी चूत के दाने से लगाते हुए मेरी गाण्ड तक मलने लगा। मोहित का हाथ अपनी गाण्ड पर पाते ही मेरे मुँह से ऊहह.. निकल गया। मोहित ने साबुन को साइड में रखते हुए अपने हाथ में पानी लेकर मेरी चूत पे लगा हुआ साबुन साफ करने लगा। मोहित मेरी चूत का साबुन अच्छी तरह से साफ करने के बाद, अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डालकर उसे अंदर से साफ करने लगा। मोहित के हाथों के जादू से मैं फिर से गरम होने लगी। मैंने सीधा होते हुए, मोहित को सीधा लेटा दिया और साबुन को अपने हाथ में लेकर उसके टाँगों पर मलने लगी। मैं मोहित की टाँगों को साबुन लगाते हुए ऊपर बढ़ने लगी। मेरा हाथ जैसे ही मोहित के लण्ड तक पहुँचा, उसके मुँह से आह्ह्ह... निकल गई।
मैंने अपने हाथ से मोहित के लण्ड को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसपर साबुन मलने लगी। मोहित का लण्ड मेरे हाथ के स्पर्श से तनने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अच्छे तरीके से साबुन लगाने के बाद, उसके लण्ड के आसपास की झांटों पे साबुन रगड़ने लगी। मोहित की झांटों में साबुन लगने से झाग बनने लगा और उसका लण्ड पूरा तनकर मुझे सलामी देने लगा। मैं अपने हाथ से मोहित के पेट को साबुन लगाते हुए ऊपर बढ़ने लगी।

मैं अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मोहित के ऊपर बैठ गई और अपने हाथों से उसके बालों वाले सीने पे साबुन मलने लगी। मोहित बहुत उत्तेजित हो चुका था, उसका लण्ड मेरी गाण्ड पे ठोकरें मार रहा था। मोहित ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डालकर मुझे थोड़ा ऊपर उठा दिया। उसका लण्ड अब सीधा मेरी चूत पर टिक गया। मोहित ने मुझे उसी पोजीशन में अपने लण्ड पर बिठा लिया, और मेरी कमर को नीचे की तरफ दबा दिया। मोहित का साबुन की चिकनाई से भरा हुआ लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।

मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आअहह' निकल गई। मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ उछालने लगी। मोहित के लण्ड पर साबुन लगे होने के कारण जैसे ही मेरे चूतड़ उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होते, पच-पच की आवाज गूंज उठती। कुछ ही धक्कों के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं उसके लण्ड पर जोर से कूदते हुए हाँफते हुए झड़ने लगी।

मोहित ने मेरे झड़ने के बाद मुझे अपने ऊपर से उठाकर सीधा लेटा दिया और मेरी टाँगों को फैलाते हुए मेरी गाण्ड पर साबुन मलने लगा। मेरी गाण्ड को पूरी तरह चिकना करने के बाद मोहित ने अपने लण्ड पर भी साबुन का झाग बनाया और मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया। मोहित ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।

मेरे मुँह से “ओईई... ऊह्ह...' निकल गया, मैं हैरान रह गई क्योंकी मेरी गाण्ड में उसका लण्ड एक ही झटके में घुस गया था। और मुझे कुछ खास दर्द भी नहीं हुआ था।

मोहित अपने लण्ड को बहुत जोर-जोर से मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करते हुए मुझे चोद रहा था। मेरे मुँह से । उत्तेजना के मारे आहह्ह.. निकल रहा था। मोहित नीचे झुकते हुए मेरी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और मेरी गाण्ड को बहुत जोर से चोदने लगा। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी और अपने हाथों से मोहित के चूतड़ों को पकड़कर उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने लगी। कुछ ही देर बाद मोहित का सारा बदन काँपने लगा और वो मेरी गाण्ड में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए झड़ने लगा।

मोहित के लण्ड से गरम वीर्य की पिचकारियां मेरी गाण्ड को भरने लगी और उसके साथ मेरी चूत ने भी पानी का फुवारा छोड़ दिया। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही निढाल पड़े रहे और फिर नहाकर फ्रेश हो गये और कमरे में आकर अपने-अपने कपड़े पहन लिए। मोहित अपने कमरे में चला गया और मैं रोहन के आने का इंतजार करने लगी। मोहित ने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था। मेरी गाण्ड में अब भी हल्का-हल्का दर्द हो रहा था। मगर वो दर्द, जो मजा मुझे आया था उसके सामने कुछ भी नहीं था।

मैं बेड पर लेटे हुए बिंदिया और रोहन के बारे में सोच रही थी। बिंदिया बिल्कुल अनछुई थी। आज तक उसे किसी ने हाथ नहीं लगाया था। मैं यह सोच ही रही थी की दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं भागकर अपने दरवाजे तक आ गई और की-होल में से बाहर देखने लगी।

बिंदिया और रोहन चुपचाप कमरे की तरफ जा रहे थे। उनके कमरे में जाते ही मैं अपने कमरे से बाहर आ गई
और उनके कमरे में देखने का सुराख हूँढ़ने लगी। मुझे थोड़ी देर में ही एक खिड़की थोड़ी खुली हुई मिल गई, जहाँ से मैं रोहन और बिंदिया की पहली चुदाई देख सकती थी। मैं वहाँ पर खड़ी रहकर अंदर देखने लगी।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - by sexstories - 08-05-2019, 12:24 PM

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