RE: Kamvasna कलियुग की सीता
दोनो उठ कर अटॅच्ड बाथरूम की तरफ बढ़ गये..बशीर ख़ान का हाथ मेरी मम्मी के गोल गोल चूतडो पर था..उईईईईईईईईई मम्मी,मम्मी के चूतड़ इतने मस्ताने थे कि किसी भी मर्द का हाथ सहलाने के लिए तड़प उठे.चूतड़ तो वैसे मेरे भी बहुत भारी है लेकिन मम्मी मुझसे थोड़ी हेल्ती है,इसलिए मम्मी के चूतड़ कुछ ज़्यादा ही गद्देदार है मुझसे.बशीर ख़ान मेरी मम्मी के चूतडो को सहलाते सहलाते बीच मे थपकी भी लगा देता था…और मम्मी,
मम्मी तो और चूतड़ लहरा के चल देती थी.
पेशाब करके दोनो वापस आए तो बशीर ख़ान ने मम्मी को गोद मे उठा कर बेड पे पटक दिया और उनपर चढ़ गया.फिर बशीर ख़ान ने मम्मी की एक चूची को पकड़ के मसल दिया और गालो पर एक ज़ोर की पप्पी ले ली..मम्मी ने सीसीया के अपने दोनो पैर फैला दिए…बशीर ख़ान मोलवी थे,सो उनकी लंबी दाढ़ी थी जो शायद मम्मी को गढ़ रही थी…मम्मी ने अपने गाल फेर लिए .उसे शायद ये पसंद नही आया बशीर ख़ान ने तुरंत दूसरे गाल पर भी पप्पी ले ली और और दूसरी चूची को इतनी ज़ोर से मसल दिया कि मम्मी चीख के अपने दोनो पैर हवा मे उठा दी जैसे कह रही हो आओ मोलवी साहेब फाड़ डालो मेरी चूत. बशीर ख़ान मेरी मम्मी की चूत को उनकी सलवार के उपर से सहला रहा था और मम्मी आआआआआः,आआआः कर रही थी.जोश मे आकर बशीर ख़ान ने अपने कपड़े उतार दिए. मुझे उसका लंड दिख रहा था ,
बहुत लंबा और मोटा था,9 इंच का बिल्कुल अब्दुल ख़ान की तरह.अब समझ मे आया था मुझे कि हम हिंदू औरतें मुस्लिम लंड की दीवानी क्यो रहती हैं और डॉक्टर होने के बाद भी मेरी मम्मी मोलवी से क्यों चुदती है. मम्मी ने बशीर ख़ान का लुल्ला अपने हाथ मे ले लिया और सहलाने लगी… मम्मी की चूड़ियो की खनक मेरे कानो मे आ रही थी .मुझे बहुत अजीब लग रहा था थोड़ी देर तक मम्मी ने उसके लंड पर अपना हाथ उपर से नीचे तक सहलाया….फिर बशीर ख़ान के खड़े लंड पर मम्मी ने ज़ोर से चुम्मि ले ली और अपने लिपस्टिक लगे होंठो मे घुसा कर चूसने लगी .वो बार बार आआआआआः आआआः करते हुए मम्मी की चूचियों को मसल रहा था.
बशीर ख़ान का लुल्ला दहक के लाल हो गया था अब. वो एक हाथ से मम्मी की सलवार का ज़ारबंद तोड़ दिया और फिर मम्मी की सलवार सूट का कुर्ता सीने के पास पकड़ के खिचता चला गया . मम्मी की कुरती चर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ के साथ फट ती चली गयी….मम्मी ने इस वक़्त ना तो ब्रा और ना ही पैंटी पहनी था,शायद वो चुदने की तैयारी पहले ही कर चुकी थी. मम्मी की दोनो चूचियाँ छलक के बाहर आ गयी थी.बशीर ख़ान से बर्दास्त नही हुआ और वो मम्मी के दोनो निपल को चुटकी मे दबा कर मसल दिया.
मम्मी ने सिसकारी ली तो बशीर ख़ान ने तुरंत नीचे आकर मम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले ली…मम्मी ने आआआआआः कह के अपने गोरे गोरे मक्खनदार चूतड़ उभारे ही थे कि बशीर ख़ान ने पूरा हाथ हवा मे लहरा के मम्मी के चूतड़ पर तमाचा लगा दिया और फिर रुके भी नही….बशीर ख़ान लगातार मम्मी के गद्देदार चूतडो पर तमाचे लगाते चले गये…ऐसा लग रहा था जैसे वो मम्मी के चूतडो से वोलीबॉल्ल खेल रहे हो……मम्मी के गोरे गोरे गाल और चूतड़ दोनो लाल हो गये थे….मैं सोच मे पड़ गयी,ये नवाब लोग हम हिंदू औरतो के चूतड़ पर थपकी मारने के इतने सौकीन क्यो होते हैं,अब्दुल ख़ान भी तो तमाचे मार मार के मेरे चूतड़ लाल कर देते हैं……
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