Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 12:55 PM,
#48
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज़ाहिद कुर्सी पर बैठ कर गान्ड मटकाती हुई अपनी बहन शाज़िया को किचन से बाहर जाता देख कर उस के भारी कुल्हों की पहाड़ियों में खो गया.

शाज़िया के जाने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के साथ मिल कर नाश्ता किया और फिर अपनी ड्यूटी पर चला गया.

कमरे में पहुँच कर शाज़िया ने अपनी बिखरी सांसो को संभाला और अपना फोन उठा कर अपने स्कूल के प्रिन्सिपल से फोन पर तीन दिन की छुट्टी की रिक्वेस्ट की. जिस को प्रिन्सिपल ने मंज़ूर कर लिया.

उस रोज़ वाले वाकिये की वजह से आज शाज़िया का अपने स्कूल जाने और अपनी सहेली नीलोफर से मिलने को दिल नही कर रहा था. इसीलिए उस ने स्कूल से तीन दिन की ऑफ ले कर घर रहना ही मुनासिब समझा.

उस दिन जब नीलोफर ने अपनी सुजकी वॅन में शाज़िया को ना देखा. तो वो समझ गई कि आज शाज़िया ने आज स्कूल से छुट्टी मारी है.

नीलोफर ने स्कूल पहुँच कर शाज़िया को फोन मिलाया. तो अपने कमरे में बैठी शाज़िया ने नीलोफर का नंबर देख कर नफ़रत से फोन पर थुका, मगर फोन का जवाब नही दिया.

फोन की बजती बेल की आवाज़ सुन कर नीलोफर को अंदाज़ा हो गया कि शाज़िया जान बूझ उस का फोन अटेंड नही कर रही. नीलोफर समझ गई कि शाज़िया अभी तक उस की हरकत पर उस से नाराज़ है.

“कोई बात नही मुझे शाज़िया को एक दो दिन का वक्त देना चाहिए,ता कि उसे आराम और सकून से इस सारे मामले पर गौर करने का वक्त मिल सके” नीलोफर ने अपने आप से कहते हुए फोन की लाइन काट दी.

अगले दो दिन शाज़िया ने अपने घर में और ज़्यादा तर अपने कमरे में ही रह कर गुज़ारे. और अपने और अपने भाई ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले सारे किससे के मुतलक सोचती और दिल ही दिल में कुढती और रंजीदा होती रही.

घर में रहने के दौरान उस ने पूरी कोशिस रही. कि उस का अपने भाई ज़ाहिद से आमना सामना नही हो पाए.

इसीलिए जब भी ज़ाहिद घर आता. तो शाज़िया अपने आप को अपने कमरे तक सीमित कर लेती.

जब कि इन दो दिनो में ज़ाहिद की ये कोशिस रही. कि वो किसी तरह मोका देख कर शाज़िया से एक दफ़ा बात तो कर के देखे.

मगर शोमी किस्मत कि जब भी वो नोकरी से घर आया उस ने अपनी अम्मी को घर में ही मौजूद पाया. जिस वजह से ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया से कोई बात करने का मोका ना मिला पाया.

इस दौरान उस ने नीलोफर से भी पूछा कि उस का रब्ता शाज़िया से हुआ ही कि नही. तो नीलोफर का जवाब भी नही में था.

ज़ाहिद ने अपने पोलीस स्टेशन और रात को अपने कमरे से खुद भी शाज़िया के दोनो नंबर्स पर कॉल करने की ट्राइ की. मगर उसे अपनी बहन शाज़िया के दोनो नंबर्स हमेशा बंद ही मिले.

पोलीस वालों की नोकरी भी अजीब होती है. कभी कभी किसी बेगुनाह आदमी को पोलीस इनकाउंटर में मार दो तो भी कुछ नही होता. और कभी सही काम करने पर भी सस्पेंड हो जाते हैं.

अपने बाकी जाती भाइयो (पोलीस कॉलीग्स) की मुक़ाबले ज़ाहिद इस मामले में खुशकिस्मत था.कि अपनी नोकरी के दौरान वो अभी तक किसी केस में सस्पेंड नही हुआ था.

उस की वजह ये थी कि वो अपने हर बड़े ऑफीसर से हमेशा बना कर रखता था.

मगर कहते हैं ना कि बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी. बिल्कुल इसी तरह शाज़िया वाले वाकये के तीसरे दिन जब ज़ाहिद दोपहर को अपने पोलीस स्टेशन गया. तो उस को पता चला कि एक केस की ग़लत इंक्वाइरी करने की वजह से एसपी साब ने उस को चार दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है.

ज़ाहिद ये सज़ा पा कर बहुत खुश हुआ. कि चलो इस बहाने उस को अपने घर में आराम करने और अपनी बहन के नज़दीक आने का टाइम और मोका तो मिल पाए गा.

वरना 24 घंटे और 7 दिन की पोलीस ड्यूटी के दौरान ज़ाहिद को अपने घर में रहने का टाइम कम ही मिल पाता था.

उस दिन दोपहर में खलफ़े मामूल ज़ाहिद दिन के तकरीबन 4 बजे अपने घर चला आया. उस वक्त ज़ाहिद ने अपनी पोलीस यूनिफॉर्म की बजाय शलवार कमीज़ पहनी हुई थी.

जब ज़ाहिद घर में दाखिल होने लगा. तो उस ने अपनी अम्मी को घर से बाहर निकलते देखा.

“बेटा आज जल्दी घर चले आए,ख़ैरियत तो है ना” रज़िया बीबी ने घर से बाहर आते हुए अपने बेटे ज़ाहिद को देखा तो पूछने लगी.

“हां अम्मी जी ख़ैरियत ही है,आप किधर जा रही हैं?” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के सवाल का जवाब देते हुए ,उन से सवाल पूछा.

“बेटा में इधर मोहल्ले में ही किसी के घर जा रही हूँ,तुम चलो में अभी थोड़ी देर में आई” कहते हुए रज़िया बीबी चली गई.

जब ज़ाहिद घर में एंटर हुआ. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठे हुए पाया.


शाज़िया सोफे पर अपनी राइट टाँग को अपनी लेफ्ट टाँग पर रख कर इस अदा से बैठी हुई थी. कि ड्राइंग रूम में दाखिल होते ज़ाहिद को राइट साइड अपनी बहन की मोटी रान और उस की भारी और बड़ी गान्ड का भरपूर नज़ारा देखने को मिल गया.

शाज़िया ताज़ा ताज़ा नहा कर बाथरूम से निकली थी. जिस वजह से उस के सारे बाल अभी तक गीले थे.

शाज़िया का खिला खिला और धुला धुला चेहरा और गीला महकता जिस्म. जिस की मदहोश करने वाली महेक किसी भी मर्द के होश उड़ा कर रख दे.

दुपट्टे के बगैर उस की कमीज़ में कसे हुए शाज़िया के मोटे और भारी मम्मे दूर से सॉफ नज़र आ रहे थे.और फिर ऊपर से शाज़िया की गान्ड का “फेलाव” उफफफफफफ्फ़ क्या ही उम्दा जिस्म था शाज़िया का.

ताज़ा ताज़ा नहा कर निकलने से शाज़िया की कमीज़ उस के जिस्म से चिपक रही थी. और उस के गीले बाल उस वक्त शाज़िया के हुश्न में इज़ाफ़ा कर रहे थे.

ज़ाहिद दरवाज़े पर ही खड़ा हो कर अपनी बहन के जवान प्यासे जिस्म का जायज़ा लेने लगा था.

बहन के गरम और प्यासे बदन को देख देख कर उस का लंड उस की शलवार में तन कर खड़ा हो गया.

अम्मी की गैर मौजूदगी में ज़ाहिद के लिए आज एक बहुत ही अच्छा मोका था. कि वो अपनी बहन से अब अपने दिल की बात कह सके.

इसीलिए ज़ाहिद आहिस्ता से चलता हुआ आ कर अपनी बहन के साथ सोफे पर बैठ गया.

अपने भाई के यूँ पास बैठने से शाज़िया तो जैसे शर्म से अपने ही अंदर सिमट कर रह गई.

ज़ाहिद ज्यों ही सोफे पर बैठा तो शाज़िया एक दम से उठी और अपने कमरे में जाने लगी.

ज़ाहिद अपना शिकार हाथ से निकलता देख कर एक दम शाजिया के पीछे भागा. और शाज़िया को पीछे से पकड़ कर उसे ड्राइंग रूम की दीवार से लगा दिया.

ज़ाहिद: शाज़िया में तुम से कुछ कहना चाहता हूँ.

“छोड़ो भाई अब हमारे दरमियाँ कहने को कुछ बाकी नही रहा” शाज़िया ने ज़ाहिद को अपने आप से अल्हेदा करने की कोशिस की.

“हमारी कहानी तो अभी शुरू हुई है मेरी बहन” ज़ाहिद ने शाज़िया के दोनो कंधो को मज़बूती से अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा.

“किया मतलब आप का” शाज़िया ने अपने भाई के इस जवाब पर हेरत से उस की आँखों में देखते हुए पूछा.

“मातब ये कि शाजिया इस से पहले हमारे दरमियाँ जो कुछ हुआ वो सब अंजाने में हुआ. नीलोफर ने बे शक गुस्से में आ कर मुझ से बदला लेने के लिए हम दोनो बहन भाई से ये सब ड्रामा रचाया. मगर सच पूछो तो इस सारे खेल में, अंजाने में तुम को मिले बिना ही,में अपना दिल तुम को दे बैठा था, मुझे पता है कि मेरी ये बात तुम को बुरी लगेगी.मगर ये हक़ीकत है कि जब से मुझे पता चला है कि मेरे सपनो की रानी कोई आम औरत नही. बल्कि मेरी अपनी सग़ी बहन है. तो यकीन मानो मेरा ये इश्क तुम से कम होने की बजाय पहले से भी बढ़ गया है. “आइ लव यू शाज़िया, नोट ऐज बहन ,बट ऐज आ मॅन लव्स आ विमन”.

अपनी बहन से पहली बार अपने दिल की बात कहते हुए अगले ही लम्हे ज़ाहिद के होन्ट सीधे शाज़िया के होंटो की तरफ बढ़ाए.
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