RE: Maa Bete ki Vasna मेरा बेटा मेरा यार
अब में राज से अनजान नहीं थी । ये बात बिलकुल साफ़ हो चुकी थी कि वो कौन था जो उसके उत्तेजक सपनो में आता था और उसको भरपूर कामतृप्त करके ही जाता था । जिसके चौड़े सीने से लगकर वो अपने आप को फिर से छोटी बच्ची की तरह सुरक्षित महसूस करती थी । अब उस अजनबी का चेहरा धुंधला सा नहीं था ,
वो चेहरा था मेरे हैंडसम बेटे राज का ।
ऐसे हालात में एक ही छत के नीचे अपने बेटे के साथ रहना अब मेरे लिए नामुमकिन सा था । राज के उसके ही साथ रहने से मेरे को अपनी भावनाओं पर काबू पाना संभव नहीं लग रहा था । मुझे लग रहा था कि अगर राज यहीं रहा तो वो उसके लिए तड़पती ही रहेगी । मेने सोचा कि वो अपने बेटे से कह देगी कि वो फिर से हॉस्टल चला जाये
मगर राज को जाने के लिए कहने के ख्याल के बारे में सोचने से ही मुझे इतनी पीड़ा पहुंची कि मेने इस ख्याल को ही मन से निकाल दिया ।
मेरे लिए अब राज ही मेरा “ बॉयफ्रेंड “ था । लेकिन राज के लिए ?
दूसरी तरफ शायद राज के लिए ये सब बहुत मुश्किल था । वो कणिका को बहुत प्यार करता था और उसका पूरा ख्याल रखता था । कणिका की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी मॉम के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके मन में नहीं थी । उस रात नशे की हालत में उसने चुदाई जरूर कर दी थी लेकिन कभी मेरे माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना राज , समझदार बेटे की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी मेरी छाती , मेरे नितम्बों और अक्सर खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था । वो तो मॉम की तरह उससे प्यार करता था । उसका मन अपनी माँ के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात मेरे को अच्छी तरह से मालूम थी ।
लेकिन इससे मेरी पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि में जानती थी कि मेरी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि राज के मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।
हर शाम मेरे लिए लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ मेरी उलझन बढ़ती जा रही थी । मेरे को लग रहा था कि में एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।
“मॉम ! मॉम !”
“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
|