Maa Bete ki Vasna मेरा बेटा मेरा यार
08-13-2019, 12:36 PM,
#45
RE: Maa Bete ki Vasna मेरा बेटा मेरा यार
मैने अभी भी कुतिया की तरह अपनी चूत बाहर निकाले खड़ी थी राज ने अपने दोनो हाथो से मेरी चुचियों को पकड़ा और प्यार से उन्हे मसलने लगा

उसके झुकते ही मुझे मेरे चूतड़ों के बीच कुछ गर्म कठोर चीज महसूस हुआ कि ये उसके सुपारे का स्पर्श था. उसने मेरे कंधों को पीछे से पकड़ा और अपनी कमर नीचे कर लिंग से मेरी योनि टटोलने लगा. वो कभी लिंग दाएं, तो कभी बांए, तो कभी ऊपर, तो कभी नीचे करके मेरे योनि द्वार को ढूंढने लगा.

इधर मेरी व्याकुलता बढ़ती ही जा रही थी सो मैं बोल पड़ी- लंड को हाथ से पकड़ कर चुत में घुसाओ न.

इस पर उसने उत्तर दिया- ऐसे ही घुस जाएगा माँ.
वो पुनः प्रयास करने लगा.

काफी देर प्रयास करने के बाद भी लिंग योनि का मुख स्पर्श करके इधर उधर चला जाता. तब मैंने कहा- देरी मत करो, थूक लगा कर जल्दी घुसा ओ.
उसने मेरी बात मानी और लिंग पर थूक मल कर चिकना किया और फिर पहले की भांति लिंग घुसाने का प्रयास करने लगा.

थोड़ा प्रयास करने के बाद आखिरकार उसके लिंग के सुपारे ने मेरी योनि का द्वार भेद ही दिया.
मैं बोल पड़ी- हाँ राज, घुस गया, जल्दी करो.

मेरी बात सुनते ही वो भी बोल दिया- हाँ माँ, अब हो जाएगा, आप तैयार रहो.

उसने बात खत्म करते ही जोर से धक्का मारा और लिंग मेरी योनि की दीवार फैलता हुआ भीतर चला गया. इस धक्के से जहां उसके लिंग ने मेरी योनि की दीवारें फैला दीं, वहीं मेरी योनि की मांसपेशियों के विरुद्ध उसके लिंग की ऊपर की चमड़ी पीछे की ओर खिंचती चली गई जिससे उसका सुपारे से लेकर लिंग का कुछ हिस्सा खुल गया था और मैं उसकी नसों को अपनी योनि के भीतर महसूस करने लगी थी.
मैं उस धक्के से जोर से कराह उठी और बोल पड़ी- ओह माँ … राज इतनी जोर न मारो … बच्चेदानी तक जा रहा है.

मेरी बात सुन कर शायद उसे ख़ुशी हुई और उसे भी अपनी मर्दानगी पर गर्व हुआ, वो बोल पड़ा- मजा गया माँ,
उसने कुछ देर अपने लिंग को मेरी योनि में टिकाए हुए हल्के हल्के हिलाता रहा और फिर धीरे धीरे उसने धक्के मारने शुरू किए. अब जाकर मेरी जलन शांत होने लगी थी पर अभी तो वासना की आग ने जलना शुरू ही किया था और हम दोनों मध्य तक आ गए थे.

राज के धक्कों से मैं यह तो समझ गयी थी कि उसे बहुत मजा आ रहा और उसका जोश साफ झलक रहा था. जिस प्रकार से वो ताकत लगा रहा था.
पर उसके मन में मेरा खौफ़ भी था और इस वजह से वो एक आज्ञाकारी दास की भांति संभोग कर रहा था. वो मेरे डर से अपनी मन की नहीं कर पा रहा था, वरना मर्दों के जोश के आगे तो हर औरत झुक जाती है.
मुझे उसका लिंग बहुत सुखदायी लग रहा था और मुझे भीतर से लग रहा था कि उसे अपनी योनि से कस के जकड़ लूँ. मेरी योनि धक्कों के बढ़ते रफ्तार से और अधिक गीली होती जा रही थी. अब तो फच फच जैसी आवाजें मेरी योनि से निकलनी शुरू हो गयी थीं. जैसे जैसे संभोग और धक्कों की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों की सांसें तेज़ और जोश आक्रामक रूप लेती जा रही थीं. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो मुझे ऐसे ही धक्के मारता रहे, कभी न रुके.
वो भी शायद यही चाह रहा था कि मैं उसका किसी तरह से कोई विरोध न करूं. उस ठंड में भी अब हम दोनों के पसीने छूटने लगे थे. मुझे उसका लिंग मेरी योनि के भीतर तपता हुआ लोहा महसूस हो रहा था. जिस प्रकार मैं झुकी हुई थी और वो मुझ पर दोनों टांगें फैला कर चढ़ा हुआ था, उससे धक्के बहुत मजेदार लग रहे थे.
जैसे जैसे मेरी चरम सुख की लालसा बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे मैं अपने चूतड़ ऊपर करती जा रही थी. मेरे चूतड़ पीछे से पूरी तरह से उठ जाने की वजह से उसका लिंग अब हर धक्के पे मेरे गर्भाशय तक जाने लगा. मेरी कामोतेजना का अब ठिकाना ही नहीं रहा और मैं कराहने और सिसकने लगी. उत्तेजना में मैंने किसी तरह एक हाथ पीछे ले जाकर उसके चूतड़ को पकड़ना चाहा, पर वहाँ तक मेरा हाथ नहीं पहुंचा. तब भी उसकी जांघ को पकड़ कर मैंने अपने नाखून गड़ा दिए. इससे राज और उत्तेजित हो उठा और एक जोर का झटका दे मारा.. फिर गुर्राते हुए मुझे पेलने लगे.
मुझे ऐसा लगा जैसे उसके लिंग का सुपारा मेरी बच्चेदानी के मुँह से चिपक गया हो. मैं उस दर्द में भी आनन्द महसूस करते हुए और जोर से चिहुँक उठी और नाखून और चुभा दिया.

एक पल राज ने लिंग वहीं चिपकाए रखा और फिर से लिंग थोड़ा बाहर खींच कर धक्के मारने लगा. अब राज हाँफने लगा था और उसने रुक रुक के धक्के देने शुरू कर दिए थे.
कोई 20 मिनट के संभोग के बाद राज ने मुझसे पूछा- माँ क्या आप झड़ने वाली हैं, अगर हों, तो मुझे बता देना.

मैंने भी उत्तर दिया- हाँ तेज़ी से धक्के मारते रहो, रुकना मत.

तब उसने कहा- माँ क्या आप ऊपर आकर धक्के मारोगी? मैं अब थकने लगा हूँ प्लीज.
राज मेरे पीछे से उठा और बिस्तर पर चित लेट गया. मैंने देखा वो ऊपर से नीचे तक पसीने पसीने था, यहाँ तक कि उसकी पगड़ी सिर के पास पूरी भीग चुकी थी.
मैं उठकर दोनों टांगें फैला कर राज के लिंग के ऊपर चढ़ गयी. उसका लिंग एकदम तना हुआ ऊपर की ओर मुँह उठाए हुए था. मैं अपने दोनों हाथ राज के सीने पर रख घुटने बिस्तर पर टिका लिंग के ऊपर बैठने लगी. मेरी योनि इतनी चिकनाई से भर गई थी कि जैसे ही लिंग का सुपारा मेरी योनि की छेद पर पड़ा, मेरे हल्के से कमर दबाते ही उसका पूरा लिंग सरसराता हुआ मेरे भीतर घुस गया.
एक बार बाहर निकल कर, फिर से लिंग घुसाने का भी अलग आनन्द आता है. यह मुझे महसूस हुआ. इसी वजह से शायद मर्द बार बार उत्तेजना में लिंग बाहर निकाल कर अन्दर घुसाते हैं.
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