RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैं इस अनोखे खेल और चॅलॅंज के लिए पूरी तरह तय्यार थी. मेरा टॉप मेरी चुचियों को ढकता हुआ मेरी कमर तक था. मेरा स्कर्ट, मेरी कमर पर, काफ़ी आरामदायक, और मेरे घुटनों के उपर तक आ रहा था. मेरे टॉप से मेरे नंगे कंधे और दोनो हाथ बाहर थे. मेरे स्किटर से भी मेरी घुटनों तक नंगी सेक्सी टांगे झाँक रही थी. स्कर्ट कुछ इस डिज़ाइन मे सिला हुआ था कि जब भी मैं चलती थी, वो मेरी मस्तानी गंद के दोनो तरफ झूलने लगता. मैने अपने सफेद सॅंडल और मॅचिंग गहने, कान की बालियां, कलाई पर ब्रेस्लेट, गले मे सोने की खूबसूरत चैन पहनी थी और मेरे हाथ मे एक सफेद रंग का पर्स था. अंदर पहुँच कर मैं शांत रहने की कोशिश कर रही थी. मेरे काले, घने खुले बाल मेरे नंगे कंधों पर झूल रहे थे और बार बार मेरी चुचियों के उपर आ कर मुझे और भी रोमांचित कर रहे थे.
अंदर एरकॉनडिशन होने की वजह से वातावरण काफ़ी ठंडा था और मैने महसूस किया कि मेरी निप्पल्स, ठंडक को महसूस करके कड़क हो गई थी, खड़ी हो गई थी. लेकिन मेरे टॉप के अंदर, चुचियों के उपर नरम कपड़ा सिला हुआ था जिसकी वजह से किसी भी देखने वाले को पता नही चल रहा था कि मेरी चुचियाँ तनी हुई है. पर मुझे पता चल रहा था और मेरी चुचियाँ, मेरी निप्पल कपड़े के अंदर रगड़ खा रही थी. मुझे ये बहुत सुखद लगा.
मैं दूसरी मंज़िल पर पहुँची जहाँ कि मुझे पता था कि एक बहुत अच्छा, सॉफ सुथरा लॅडीस रेस्ट रूम है. मैं वॉश रूम के अंदर दाखिल हुई. वहाँ अंदर काफ़ी सारी औरतें थी, कुछ जवान, कुछ थोड़ी उमर वाली और कुछ हसीन और जवान लड़कियाँ भी थी. कुछ साड़ियाँ पहने हुए थी, कुछ ड्रेसस पहने ही थी और कुछ बरमूडा, स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी. लग रहा था जैसे हुस्न का बाज़ार लगा था. नंगी सेक्सी टांगे, कपड़ों के अंदर से झाँकति हुई छ्होटी, बड़ी और कुछ बहुत बड़ी चुचिया. उन सब के अलग अलग अंगों पर पहने हुए गहनो की खनखनाहट और पैरों मे पहनी हुई चप्पल्स और सॅंडल्ज़ की आवाज़ें रेस्ट रूम मे गूँज रही थी. करीब करीब सारी औरतें और लड़कियाँ अपना मेक-अप ठीक कर रही थी.
मैने भी सामान्य रहने की कोशिश करते हुए शीशे मे देख कर अपने बाल ठीक करते हुए बाकी की महिलाओं को, लड़कियों को देखने लगी. कुल मिला कर वहाँ उस समय करीब दस औरतें और लड़कियाँ होंगी. मैं सोच रही थी कि कैसे अपने काम को अंजाम दूं? अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? क्या इतनी भीड़ मे, उनके बीच मे मैं अपनी चूत मे उंगली कर पाउन्गि? पर अब मैं पीछे नही हट सकती थी. मैने चॅलॅंज पूरा करने की ठान ली. मैने देखा कि एक करीब 45 साल की औरत मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही है. लेकिन मेरे पास ज़्यादा सोचने का वक़्त नही था. ये समय सोचने का नहीं, काम करने का था. अपनी चूत मे खुद ही उंगली डाल कर, हॅस्ट मैथून कर के झड़ने का चॅलॅंज पूरा करने का समय था. काफ़ी सारी औरतें आपस मे तेज आवाज़ मे बातें कर रही थी. कुल मिलकर काफ़ी शोर गुल हो रहा था. और मेरे लिए ये अच्छी बात थी कि उस शोर गुल मे शायद मेरे द्वारा, हस्त मैथून के दौरान की गई आवाज़ें किसी को सुनाई ना दे.
मैने पीछे बने स्टॉल्स की तरफ देखा. बीच के तीन स्टॉल्स खाली थे. मैने अपने काम के लिए बीच वाला स्टॉल चुना. मैने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और घूमी. अंदर बहुत कम जगह थी. जैसा कि आम तौर पर होता है, ज़मीन और स्टॉल की लकड़ी की दीवारों के बीच करीब एक फुट की दूरी थी. यानी तीन तरफ, दोनो साइड, अगल बगल के स्टॉल की तरफ और सामने दरवाजे की तरफ, बाहर की तरफ नीचे एक फुट की खाली जगह थी. जो भी अंदर होती है, वो अपने दोनो तरफ के स्टॉल मे नीचे से झाँक सकती है. हे भगवान!
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