RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैं समुंदर के किनारे किनारे चलती हुई आगे बढ़ रही थी. समुंदर की लहरों का पानी मेरे पैरों से टकरा रहा था, उनको गीला कर रहा था और ठंडा कर रहा था. मैं सही जगह की तलाश मे आगे चलती गई और किनारे पर कुछ चट्टानों के पास आ गई. ये एक अच्छी जगह थी जहाँ सूरज की धूप नही आ रही थी और उन चट्टानों के बीच मे किसी की भी नज़र मुझ पर नही पड़ सकती थी. बहुत सही जगह थी. आस पास कोई नही था. मैने अपनी बेग खोल कर उस मे से एक चद्दर निकाली और चट्टानों के बीच, समुंदर की रेत पर वहाँ बिच्छा दी. मैने अपने टॉप के बटन खोले और टॉप को अपने हाथों के बीच से निकाल कर नीचे गिर जाने दिया. मैने अपनी ब्रा भी उतारी तो मेरी गोरी गोरी, गोल गोल चुचियाँ दिन के उजाले मे चमक उठी. मैने अपनी बिकिनी ब्रा पहनी जिस के पीछे मेरी चुचियाँ काफ़ी हद तक छुप गई. फिर मैने अपना स्कर्ट उतारा और बिकिनी की चड्डी निकालने के लिए अपनी बेग पर झुकी. समुंदर की तेज हवा मेरे पैरों के बीच से निकली, मेरी गोल गोल गंद से टकराई और मेरी थोड़ी से गीली हो चुकी चड्डी से टकराई तो मुझे बहुत अच्छा लगा. फिर मैने अपनी रेग्युलर पह्न ने वाली चड्डी उतारी और उस की जगह बिकिनी वाली चड्डी पहन ली. अपने बदन पर से उतारे कपड़ो को मैने अपनी बेग मे रखा और बिच्चाई हुई चद्दर पर बैठ कर अपने सेक्सी बदन पर, जहाँ जहाँ मेरा हाथ पहुँच रहा था, वहाँ वहाँ पर बीच क्रीम लगाई. मैने अपने मोबाइल पर एक सेक्सी गाना लगाया और पानी की बॉटल खोल ली.
जल्दी ही मैं थोड़ी बोर हो गई और मैने समुंदर मे तैरने का मन बनाया. अपने चाहने वालों को मैं बता दूं कि मैं एक अच्छी तैराक हूँ. मैं तैरती हुई समुंदर मे काफ़ी अंदर तक गई और अपने बदन को ढीला छ्चोड़ दिया तो किनारे की तरफ आती लहरों ने मुझे वापस किनारे पर पहुँचा दिया. उस समय मेरी नज़र अपने पति पर नही पड़ी थी जो चट्टानों के पीछे खड़े हो कर मुझे देख रहे थे. ( मुझे मेरे पति ने बाद मे बताया था कि वो भी वहाँ जल्दी पहुँच गये थे और उन्होने मुझे कार से उतरते हुए देखा था.) मेरे पति मुझे चट्टानों के पीछे से देख रहे थे और मैं बे खबर थी. तैरते हुए मेरे हाथ पानी से बाहर आते तो मेरी चुचियाँ पानी की सतह से टकरा रही थी. कुछ देर तैर कर मैं पानी से बाहर आ गई. अपने बदन पर लगाई गई बीच क्रीम की वजह से पानी मेरे बदन पर टिक नही पा रहा था और मैने अपने सिर को झटक कर अपने बालों का पानी झटक दिया था. और मैं वापस अपनी जगह पर, चद्दर पर आ गई थी.
मैने इधर उधर देखा तो मुझे कोई भी नज़र नही आया. मैने अपनी गीली बिकिनी, ब्रा और चड्डी दोनो, अपने बदन से उतारी और उनको सूखने के लिए फैला दिया. अपने पति की उपस्थिति से अंजान, मैं पूरी तरह नंगी थी और मैं वहाँ चद्दर पर नंगी ही बैठ कर अपने बदन पर फिर से क्रीम लगाने लगी. मुझे तब पता नही था कि मेरे पति मुझे देख रहे हैं.
अपने नंगे और सेक्सी बदन पर क्रीम लगाते हुए, अपने बदन पर अपने ही हाथ फिराने से मैं गरम होने लगी. क्रीम लगाते लगाते मैने खुद ही अपनी तनी हुई निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच ले कर मसल दिया. मैं खुद ही अपनी चुचियाँ दबाने लगी और आँखें बंद कर के खुद के ही सेक्सी बदन से खेलने लगी.
आस पास कोई नही था और मुझे पता नही था कि मेरे पति मुझे चट्टानों के पीछे से देख रहे हैं. मुझे आनंद आने लगा और मेरे मूह से आवाज़ें निकालने लगी. जल्दी ही मेरा हाथ अपने बदन पर घूमता हुआ मेरी फुददी तक पहुँचा. मैने अपने एक हाथ से अपनी रसीली चूत का मूह खोला और अपने दूसरे हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत के दाने पर गोल गोल घुमाने लगी. धीरे धीरे मेरी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ने लगी और जैसे जैसे मैं झड़ने के करीब आने लगी, वैसे वैसे मेरी उंगलियाँ मेरी अपनी ही चूत पर ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी घूमने लगी.
चट्टानों के पीछे खड़े मेरे पति मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे. उन्होने कभी भी मुझे अपनी खुद की चूत मे उंगली करते हुए नही देखा था. कभी ज़रूरत ही नही पड़ी थी कि मैं उनके सामने अपनी चूत मे उंगली डालूं. उनका लॉडा जो है मेरी प्यास बुझाने के लिए जब वो मेरे पास होते हैं. उन के लिए मुझे हस्त्मैथून करते हुए देखने का ये पहला उर शानदार मौका था. उन्होने मुझे कई बार नंगी देखा है, वो मेरे बदन के हर हिस्से से वाकिफ़ है, उन्होने बार बार मेरे बदन के हर हिस्से को, मेरे हर अंग को बड़े ध्यान से देखा है, पर अपनी सुंदर, सेक्सी पत्नी को नंगे, समुंदर के किनारे, हस्त्मैथून करते हुए, चट्टानो के पीछे छुप कर देखना एक अलग ही नज़ारा था. मेरी दो तनी हुई गोल गोल चुचियाँ, मेरी रेशमी सफाचट फुददी, मेरी गोल गोल मस्तानी गंद और मेरा पेट, सभी मेरी फूलती हुई साँसों के साथ, मेरे चलते हाथों के साथ काँप रहे थे, हिल रहे थे. मेरे हाथों का जादू मेरी फुददी पर चल रहा था. मेरे फैले हुए पैर अपनी जगह टिक नही पा रहे थे और मेरी उंगलियाँ अपना कमाल मेरी अपनी रसीली फुददी पर दिखा रही थी. मेरे पति से अब रहा नही गया. वो मुझे अपनी खुद की ही चूत मे उंगली करते हुए, मुझे हस्त मैथून करते हुए और पास से देखना चाहते थे और वो धीरे धीरे मेरी ओर बढ़े.
लेकिन उनके अपने पास आने के पहले ही मेरे मूह से आनंद की एक चीख सी निकली और मैं झाड़ गई. मैने अपनी टाँगें कस कर भींच ली और मैं अपने झड़ने का मज़ा लेने लगी.
मुझे नही पता कि मैं कितनी देर ऐसे ही लेटी रही. शायद अधिक देर तक नही. क्यों कि अचानक मैने अपने पीछे किसी का साया महसूस किया. मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया, मुझे लगा कि बादल का कोई टुकड़ा सूरज के सामने आया है और ये उसका ही साया है. मुझे नही पता था कि वो साया मेरे पति का है जो मेरी सारी कारगुजारी देख चुके हैं.
सागर किनारे, चूत पुकारे, लेकिन मुझे पता नही था कि पति भी निहारे.
पूरी तरह झड़ने का मज़ा लेने के बाद, मैं अपनी बाहें फैला कर, अपनी टाँगें चौड़ी कर के लेट गई और अपनी आँखें बंद किए लंबी लंबी साँसें लेने लगी. मेरे पति मेरे काफ़ी करीब आ चुके थे और मैं इस से अंजान थी. वो मेरी सफाचट, गीली चूत को बहुत नज़दीक से देख पा रहे थे. वो मुझे चोद्ने के लिए पूरी तरह तय्यार थे. वो मेरे फैलाए हुए पैरों के बीच मे, अपने घुटनों पर बैठ गये. अपने पति की मौजूदगी से पूरी तरह से अंजान, मैं हिली भी नही, सिर्फ़ मेरे घहरी गहरी साँसें लेने की वजह से मेरी गंद ज़रूर एक दो बार उपर नीचे हुई थी और मेरी चुचियाँ मेरी हर साँस के साथ उपर नीचे हो रही थी.
उन्होने ज़रा भी हिचकिचाहट नही दिखाई. अब तक वो खुद भी मेरी तरह नंगे हो चुके थे. उन्होने अपने तैरने वाली चड्डी मेरी बिछाई गई चद्दर के किनारे उतार फेंकी थी. उन्होने अपने एक उंगली मेरी गीली चूत पर धीरे से फिराई.
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