RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
कामुक-कहानियाँ
जुली को मिल गई मूली-29
गतान्क से आगे.....................
कोई खास मौका या कोई खास बात नही थी पर मेरे पति मेरे लिए कुछ सेक्सी ड्रेस खरीदना चाहते थे. शाम को, उनके ऑफीस से वापस आने के बाद हम नज़दीक के शॉपिंग माल मे गये जो हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था. माल नज़दीक होने की वजह से हम दोनो पैदल ही जा रहे थे. उन्होने बड़े प्यार से मेरा हाथ पकड़ रखा था और हम चलते हुए शॉपिंग माल मे पहुँच गये.
मैं खुस थी कि डब्ल्यू मुझे सेक्सी ड्रेस का तोहफा देना चाहते थे. उन को पता था कि मुझे सेक्सी ड्रेस पहन ना बहुत पसंद है क्यों कि उनको मुझे सेक्सी ड्रेस मे देखना बहुत पसंद है.
माल मे उपर जाती लिफ्ट मे सिर्फ़ हम दोनो ही थे और उन्होने इस मौके का पूरा पूरा फ़ायदा उठाया. उन्होने मुझे अपने नज़दीक खींचा, मुझे अपनी बाहों मे जकड़ा और मुझे एक गरमा गरम चुंबन दिया. वो मेरे होंठ चूस रहे थे और मैने उनके सिर के बालों मे अपनी उंगलियाँ फिराई. उन्होने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाली जिसको मैने बड़े प्यार से चूसा. उन्होने मेरा निचला होंठ काफ़ी देर तक चूसा और तब तक मैं उनका उपर का होंठ चुस्ती रही. उनका चुंबन इतना सेक्सी था, इतना गरम था की मैं उन से ज़ोर से चिपक गई. उन्होने मेरी गंद पकड़ कर अपने साथ दबाया तो मेरी चूत उनके लंड का अहसास करने लगी. मैं तो चाहती थी कि वो इसी तरह मुझे चूमते रहे, इसी तरह मुझ से चिपके रहे और उनका लॉडा इसी तरह मेरी फुद्दि के दरवाजे पर दस्तक देता रहे, मगर लिफ्ट उपर पहुँच गई और दरवाजा खुला. एक दूसरे का हाथ हाथों मे ले कर हम लिफ्ट से बाहर आए और अपनी मनपसंद कपड़ों की दुकान की तरफ बढ़ने लगे. मेरे पीछे खड़े हो कर, ड्रेस देखते हुए उन्होने कई बार अपना खड़ा हुआ लॉडा मेरी गंद पर चुभाया था. आख़िर मे उन्होने एक नीले रंग की, गर्मियों मे पहन ने वाली एक सुंदर सी ड्रेस सेलेक्ट की. मुझे भी वो ड्रेस एक ही नज़र मे पसंद आ गई. देखने से लगता था क़ि वो ड्रेस मेरे बदन पर बिल्कुल फिट आएगी. फिर भी उन्होने मुझे उस ड्रेस को पहन कर देखने को कहा. मैने ड्रेस ली, उनके गाल पर एक चुंबन दिया और उनको मेरा इंतज़ार करने को कह कर मैं ट्राइयल रूम की तरफ बढ़ी. ट्राइयल रूम दुकान के पिच्छले हिस्से मे था. ट्राइयल रूम मे पहुँच कर मैने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.
मैने ट्राइयल रूम मे लगे आईने मे अपने आप को, अपने सेक्सी बदन को देखा और ड्रेस ट्राइ करने के लिए मैने अपना टी.शर्ट उतारा. टी. शर्ट के अंदर मैने ब्रा नही पहनी थी. मैने अपनी खुद की गोल गोल, प्यारी सी चुचियों को देखा, अपनी निप्पल्स को देखा. मेरी निप्पल्स इस समय खड़ी नही थी लेकिन जब भी मेरे पति इन को दबाते हैं, मसल्ते हैं या मैं जब भी अपने पति से चुद्वाती हूँ, मेरी निप्पल्स भी उनके लंड की तरह तन कर खड़ी हो जाती है. मेरी चुचियों का शेप इतना मस्त है कि मैं थोड़ी देर तो मेरी चुचियों की आईने मे देखती रही. फिर मैने अपनी सॅनडेल खोली, अपनी जीन का बटन खोला, ज़िप खोली और अपनी जीन को भी अपने बदन से अलग कर दिया. जैसे मैने टी.शर्ट के नीचे ब्रा नही पहनी थी, वैसे ही जीन्स के नीचे चड्डी भी नही पहनी थी. कई बार मैं ऐसा ही करती हूँ. जब भी कहीं नज़दीक जाना होता है, मैं अपने कपड़ों के नीचे ब्रा और चड्डी नही पहनती. मैं अपने घर मे भी, जब मैं अकेली होती हूँ, या मेरे सिवाय सिर्फ़ मेरे पति होते हैं, मैं ब्रा और चड्डी नही पहनती और कई बार तो मैं कोई भी कपड़ा नही पहनती. मुझे तो अपने घर के अकेलेपन मे और अपने पति से सामने नंगा रहना पसंद है, मेरे पति को भी यही पसंद है. हम दोनो कई बार घर मे नंगे ही रहते हैं. मैने फिर एक बार आईने मे अपने नंगे और सेक्सी बदन को देखा. कितनी सेक्सी हूँ मैं, कितना सेक्सी है मेरा बदन………….
अचानक मैने दरवाजा खटखटाने की आवाज़ सुनी और फिर मेरे पति की आवाज़ सुनी.
“मैं रेडी नही हूँ अभी.” मैं अंदर से बोली.
“तो क्या हुआ. दरवाजा तो खोलो.” वो बाहर से बोले.
मैं मुस्कराई और समझ गई कि उनके मन मे क्या है. सच कहूँ तो यही मेरे मन मे था. मैं खुद चाहती थी कि वो इस वक़्त मेरे पास रहे, मेरे सेक्सी नंगे बदन के पास रहे. और जब वो मेरे नंगे बदन के पास रहेंगे तो मेरी चुदाई तो होनी ही है. घर के बाहर, इस तरह की जगह पर हम दोनो को चोद्ने और चुद्वाने का बहुत मज़ा आता है.
मैने दरवाजा खोल कर उनको अंदर ले लिया.
अंदर आते ही उन्होने मेरे सेक्सी नंगे बदन को पकड़ कर अपने आप से चिपका लिया. उन्होने मेरी चुचियाँ दबाई और मुझे चूम लिया. मुझे चूमते हुए उनके हाथ मेरे नंगे बदन पर फिर रहे थे. मैं जानती थी कि अब मेरी चुदाई होने मे देर नही है और मैं खुद भी तो यही चाहती थी. लेकिन हम को पता था कि जो भी करना है, जल्दी जल्दी करना है ताकि किसी को भी पता चलने से पहले हमारी चुदाई पूरी हो जाए. उन्होने मुझे वहाँ रखी कुर्सी पर बिठा दिया और मुझे पता चल गया कि अब मेरी सफाचट चूत उनके मूह मे जाने वाली है.
मैने अपना सिर पीछे किया, अपनी गंद को कुर्सी के किनारे तक किया ताकि मेरी चूत उभर कर आगे आ जाए. उन्होने मेरी दोनो टांगे पकड़ कर चौड़ी कर दी और मैने उनकी गरम गरम साँसों को अपनी सफाचट फुददी पर महसूस किया. मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये की मेरी चूत चटाई होने वाली है. उन्होने अपने हाथ उपर कर के मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया. वो मेरी चुचियाँ दबाने लगे और मेरी निप्पल्स को मसल्ने लगे. जल्दी ही मेरी निप्पल्स तन कर खड़ी हो गई और मेरी चूत मे चुद्वाने की खुजली शुरू हो गई. चुदाई की चाहत से मेरी चूत से रस निकलने लगा था. मेरी चूत से बाहर आई रस की पहली बूँद उन्होने चाट ली. मेरी चूत मे चुदाई की आग लग चुकी थी. मैं उनके सिर के बालों मे उंगलियाँ फिराती हुई उनके सिर को दबा कर उनके मूह को अपनी चूत पर सटाया. वो भी मेरी बेचैनी समझ गये और उन्होने अपने हाथ से मेरी चूत का दरवाजा खोला.
मेरी आँखों मे देखते हुए उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत मे डाली. मैने अपनी गंद को ज़रा सा अड्जस्ट किया ताकि वो आराम से मेरी चूत चूस सकें. उनकी जीभ मेरी चूत मे अंदर घुस गई जैसे उनका लॉडा मेरी चूत मे जाता है.
मेरी चूत का दाना भी तन गया था. फिर वो मेरी चूत का दाना अपने मूह मे ले कर उसको चूसने लगे और अपनी उंगली मेरी गीली फुद्दि मे घुसा दी. मेरी चूत से तो रस जैसे टपकने लगा था. मैं आईने मे सब कुछ देख रही थी कि कैसे वो मेरी चूत का दाना चूस रहे थे और कैसे उनकी उंगली मेरी चूत चोद रही थी. अब उन्होने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल दी थी और दोनो उंगलियों को साथ साथ मेरी चूत मे अंदर बाहर करने लगे. मेरी गंद अपने आप ही उपर नीचे होने लगी. उन्होने मेरी चूत मे अपनी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ाई और तेज़ी से मेरी चूत को अपनी उंगलियों से चोद्ने लगे. उत्तेजना मे मैं अपनी चूत मे उनकी उंगलियों को जाकड़ रही थी. अब उन्होने मेरी चूत के दाने को चूसना बंद कर के अपने अंगूठे से दबाना और मसलना शुरू कर दिया. मेरी चूत से निकलता रस वो चाट रहे थे.
मैं अपनी गंद उठा उठा कर अपनी चूत उनके मूह पर, उनकी उंगलियों पर दबाने लगी और वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए मेरी चूत को चोद रहे थे. मैंने अपना मूह कस कर बंद किया हुआ था ताकि मेरे मूह से कोई आवाज़ नही निकले. मुझे पता है कि जब मैं झड़ती हूँ तो मेरे मूह से आवाज़ें निकल ही जाती है. मैं उनकी उंगलियों से अपनी चूत को चुद्वाते हुए झड़ने के रास्ते पर बढ़ने लगी. मैं हवा मे उड़ने लगी और झड़ने के नज़दीक पहुँच गई.
अचानक ही मैं झाड़ गई. मेरी गंद उपर हवा मे उठ गई और मेरी चूत ने उनकी चोद्ति उंगलियों को चूत मे ही जाकड़ लिया और मैं अपनी झड़ने का मज़ा लेने लगी. उन्होने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत से निकाल कर अपना मूह मेरी चूत पर लगा दिया. अपने दोनो हाथों से उन्होने मेरी उपर उठी गंद को थाम लिया और मेरी चूत के रस का रस पान करने लगे. मेरी चूत से तो जैसे रस निकलते ही जा रहा था.
झड़ने के बाद मेरी चुदाई की आग कुछ ठंडी हो गई. मेरी चूत की खुजली भी मिट गई थी. उन्होने जब मुझे फिर से चूमा तो मैने उनके मूह से, उनके होठों से अपनी चूत के रस का स्वाद लिया.
समय और जगह देखते हुए वो खड़े हुए और ट्राइयल रूम से बाहर निकल गये. किसी को भी पता नही चला था कि मेरे पति ने मुझे उस ट्राइयल रूम मे अपने मूह से, अपनी जीभ से और अपनी उंगलियों से चोद कर झाड़ दिया है. मैं अपनी मुस्कराहट नही रोक सकी.
धीरे धीरे मैने अपनी साँसों पर काबू किया. फिर मैने उस सेक्सी नीले रंग की ड्रेस को पहन कर देखा. जैसा कि मुझे पहले से ही पता था, वो ड्रेस मेरे बदन पर फिट आई थी. अच्छी तरह देखने के बाद मैने वो ड्रेस वापस खोली और अपने कपड़े, टी.शर्ट और जीन्स पहन ली. हम ने ड्रेस पॅक करवाई और उसको ले कर वापस अपने घर की तरफ चल पड़े. मुझे पता था कि जो काम उस दुकान के ट्राइयल रूम मे अधूरा रह गया था, वो घर पहुँचते ही पूरा होने वाला था.
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