RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-31end
गतान्क से आगे.....................
हम को, मुझे और मेरे पति को, उनके एक दोस्त ने रात के खाने पर बुलाया था. वो फ्राइडे का दिन था. मेरे पति के दोस्त का घर गुड़गाँवा मे था जो कि हमारे घर से थोड़ा दूर था क्यों कि हमारा घर तो देल्ही मे है.
हम वहाँ शाम को पहुँचे और हम ने उनके दोस्त और उनकी वाइफ के साथ बहुत अच्छा समय बिताया.
रात का खाना बहुत अच्छा था. खाने के पहले हम ने उनके ड्रॉयिंग रूम मे बैठ कर ड्रिंक्स भी किया था. पहले ड्रिंक्स और उसके बाद मे खाना, इन सब मे काफ़ी रात हो गई थी. उन के दोस्त ने कहा कि इतनी रात को, पीने के बाद कार चलाना ठीक नही होगा. हम ने उनकी सलाह मानी और रात को उनके घर पर ही रुकने का फ़ैसला किया.
उन लोगों ने हमारे सोने का बंदोबस्त उनके घर के गेस्ट रूम मे कर दिया.
सोने से पहले, हम सब लोग, मैं, मेरे पति, उनका दोस्त और उसकी वाइफ घर की छत पर गये और वहाँ बैठ कर काफ़ी देर तक बातें करते रहे और मौसम का आनंद लेते रहे. मैं उन सब से पहले नीचे आ कर, गेस्ट रूम मे आ गई.
बिस्तर पर लेट कर मैं मेरे पति का इंतज़ार करने लगी. गेस्ट रूम सीढ़ियों के बगल मे ही था और मैने गस्ट रूम का दरवाजा अपने पति के लिए खुला ही रखा था. गेस्ट रूम की लाइट मैने बंद कर दी थी पर बाहर से रोशनी की एक लकीर खुले दरवाजे से अंदर आ रही थी. थोड़ी देर बाद मेरे पति चुपके से गेस्ट रूम मे आए.
ये बात तो हम दोनो को ही पता थी कि रात को सो सोने से पहले वो मुझे ना चोदे और मैं उनसे ना चुद्वाऊ, ये तो हो ही नही सकता था. हम दोनो जितनी चुदाई करते है, उतनी ही कम लगती है.
मैं जानती थी कि मुझे बिस्तर पर सोया हुआ देख कर ज़रूर उनके बदन मे खलबली मच गई होगी और उनका लॉडा मुझे चोद्ने के लिए बेकरार हो कर ज़रूर फड़फदा रहा होगा, जैसे मेरी फुददी उनके मज़बूत लंड से चुद्वाने के लिए कुलबुला रही थी. मैने बनियान जैसा, बदन को चिपका हुआ टॉप पहन रखा था और अंदर ब्रा नही पहनी थी. मैने नीचे सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी. टॉप तो मुझे उनकी दोस्त की वाइफ ने दिया था और नीचे पहनी चड्डी मेरे अपनी थी. मेरे कपड़े मैने साइड मे रखे थे जिसकी मुझे सुबह वापस जाते समय ज़रूरत पड़ने वाली थी. मैं तकिये का सहारा ले कर पलंग पर अढ़लेटी सी थी. उन्होने गेस्ट रूम का दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ बढ़े. मैं उनसे चुदवाने की कल्पना कर के मन ही मन मुस्करा उठी. वो मेरे पैरों के पास आए. शायद आज की चुदाई का सुभारंभ वो मेरे पैरों से करने वाले थे.
उन्होने मेरे खूबसूरत पैरों को चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उपर की तरफ, मेरी जाँघो की तरफ बढ़ने लगे. मैने अपने दोनो पैर चौड़े कर के फैला लिए. जब वो मेरे पैरों के जोड़ पर आए तो उन्होने मेरी चड्डी को और चड्डी के आस पास, चूत के आस पास चुंबन देना शुरू किया. मैं जानती थी कि मेरी चूत की खुसबु उनको हमेशा की तरह चोद्ने के लिए काफ़ी गरम कर देगी. अपनी उंगलियों से उन्होने मेरी चड्डी को साइड मे किया और सीधा मेरी चूत को चूमने लगे. मेरी चूत से चुदाई का मीठा मीठा रस निकलने लगा जो वो लगातार चाट रहे थे. मेरे मूह से भी चूत चत्वाते हुए सिसकारियाँ निकालने लगी जिसे ज़रूर उन्होने सुना होगा. लेकिन मैने अपनी आवाज़ पर पूरा काबू रखा था. मेरी सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी, पर वो सिर्फ़ हम दोनो ही सुन सकते थे. मैं जानती थी कि हम दूसरे के घर मे है और हम अपनी चुदाई के बारे मे उनको पता नही चलने देना चाहते थे. हम नही चाहते थे कि मेरे पति का दोस्त और उसकी वाइफ हमारे बारे मे ये सोचे कि हम कैसे बेशरम है जो उनके घर मे चुदाई भी कर रहे थे और वो भी ऐसे कि सब को पता चले.
मेरी चड्डी को एक हाथ से साइड मे करके, उन की जीभ मेरी चूत के तने हुए दाने पर थी और उनके दूसरे हाथ की पहले एक और जल्दी ही दूसरी उंगली भी मेरी गीली चूत मे घुस गई. मेरी रसीली चूत मे अपनी दो उंगली घुसा कर वो अपनी उंगलियों से ही मेरी चुड़क्कड़ चूत को किसी लौडे की तरह चोद रहे थे. उनकी उंगलियाँ किसी मर्दाना लंड की तरह मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रही थी. उनकी जीभ से अपनी चूत के दाने पर फिरने से और उनकी उंगलियों से मेरी चूत चुदाई होने की वजह से मैं बेकाबू सी हो गई थी और अपनी गांद उपर कर कर के उनके मूह को अपनी चूत मे समेट लेना चाहती थी. मेरी पीठ भी चुदाई के मज़े मे उपर उठी हुई थी. मेरी आँखें ज़रूर चुदाई के आनंद मे बंद थी मगर मेरा मूह खुला हुआ था और मैं धीरे धीरे सिसकारियाँ ले रही थी. मेरी तनी हुई निपल्स मेरे पहने हुए बनियान नुमा चुस्त टॉप मे चुभ रही थी और मैं चाहती थी कि वो जल्दी से जल्दी मेरी चुचियों पर भी ध्यान दे और मेरी निपल्स को जी भर कर चूसे.
मैं जानती थी कि असली चुदाई से पहले, लौडे की चूत की चुदाई के पहले वो मुझे एक बार झाड़ देना चाहते थे और यही काम वो कर रहे थे. मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और लगातार मेरी चूत से रस निकलता जा रहा था. मुझे पता था कि मैं ज़्यादा सहन नही कर सकती और मैं जल्दी ही झाड़ जाने वाली थी. उन से अपनी चूत चटवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है. कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि वो भले ही अपना लॉडा मेरी चूत मे डाल कर मुझे ना चोदे, मगर सारी रात मेरी चूत चाट ते रहे. मैने कई बार खुद ही अपनी उंगली अपनी चूत मे डाल कर और बाद मे अपनी उंगली चाट कर ये जान लिया है कि मेरी चूत का रस बहुत स्वदिस्त है, इसीलिए, उनको भी मेरी चूत चाटना बहुत पसंद है. मेरी साँसें तेज होने लगी और मेरी गांद भी जल्दी जल्दी उपर नीचे होने लगी थी. अपनी टांगे चौड़ी किए, चड्डी पहने, मैं तो जैसे पूरी तरह उनसे अपनी चूत चुद्वा रही थी. जवाब मे वो भी उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत चाट रहे थे और अपनी दोनो उंगलियाँ मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे. अपनी उंगलियाँ मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत मे गोल गोल भी घुमा रहे थे. मैं चुद्वाने मे उस्ताद हू तो वो चोदने मे मुझ से भी बड़े उस्ताद है. उत्तेजना मे मैने उनके सिर के बालों को कस कर पकड़ रखा था और लगातार उनका मूह अपनी रसीली चूत पर दबा रही थी. वो भी समझ चुके थे कि मैं तो बस अब झड़ने ही वाली हू. मेरी गंद तेज़ी से उपर नीचे हो कर अपनी चूत मे जैसे उनके मूह को घुसा रही थी. चुदाई एक तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ चुकी थी. सब कुछ जल्दी जल्दी, तेज़ी से हो रहा था और अचानक ही मैने उनके मूह को अपनी चूत पर ज़ोर से दबाया और मैं बहुत ही ज़ोर से झाड़ गई. उन का मूह मेरी चूत पर चिपका हुआ था और मेरी गंद हवा मे थी. थोड़ी देर बाद मैने अपनी झड़ी हुई चूत को उनके मूह से हटाया और अपनी गंद को फिर से बिस्तर पर टिकाया.
लेकिन फिर भी मेरी गंद रह रह कर उपर नीचे हो रही थी क्यों कि ये तो बहुत ज़ोर से झड़ने का नतीजा था. जब मैं थोड़ी ठंडी हुई तो उन्होने अपना सफ़र फिर शुरू किया. अब वो मुझे चूमते हुए उपर की तरफ आ रहे थे. उन्होने मेरे पेट को चूमा, मेरी नाभि को चूमा. फिर वो और उपर आए और मेरी दोनो चुचियों को, दोनो तनी हुई निप्पल्स को एक के बाद एक, मेरे पहने हुए टॉप के उपर से वो चूसा. मैने अंदर ब्रा तो पहनी नही थी, इसलिए उनके लिए मेरी चुचियों को मेरे टॉप के उपर से ही चूसने मे कोई परेशानी नही हुई. फिर मेरे पहने हुए टॉप पर दो गीले दाग लगा कर उन्होने मेरी गर्दन को चूमा, मेरे कानों को चूमा. आख़िर मे उन्होने अपना सिर उठा कर मेरी बड़ी बड़ी आँखों मे देखा और बिना कुछ बोले मेरे रसीले होठों को अपने होठों के बीच ले कर चूसने लगे. हम दोनो ने ही चुंबन करते करते अपना मूह खोला और एक दूसरे की जीभ चाटने लगे. जिस तरह मेरा चुंबन लेते हुए वो अपनी कोहनियों का सहारा लिए हुए थे और उनका बदन मेरे बदन के उपर था, मैने सॉफ सॉफ उनके तने हुए लौडे की चुभन अपनी नाज़ुक और गीली फुददी पर महसूस की. ऐसा लग रहा था जैसे उनका लंड मेरी चूत का दरवाजा खटखटा रहा है.
मैने हम दोनो के बीच से अपना एक हाथ नीचे करके, उनका तनटनाता हुआ लॉडा उनकी पॅंट के उपर से ही पकड़ कर मालिश करने लगी. कुछ देर बाद मैने उनके लंड को उनकी पॅंट और चड्डी से आज़ादी दिला कर, उनके लौडे को उनकी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया. वो पॅंट पहने हुए थे, चड्डी भी पहने हुए थे पर उनका लॉडा उनके कपड़ों से बाहर था. मैने उनके नंगे लंड को पकड़ कर हिलाया और उसको अपनी चड्डी साइड मे कर के अपनी चूत के मूह पर लगाया. मैं इतनी गरम थी और मेरी चूत इतनी गीली थी की उनको अपना लंबा चौड़ा मेरी फुददी मे घुसने मे ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी. सिर्फ़ दो तीन धक्कों मे ही उनका चुदाई का बादशाह मेरी चुदाई की बेगम मे पूरा घुस गया.
अब वो धक्के लगा लगा कर, अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर के, मुझे बकायडा चोद रहे थे. लंड और चूत का मिलन हो चुका था और मेरी चूत उनके लौडे के धक्के खा कर बहुत मस्त हो रही थी. मैं भी नीचे से अपनी गंद उठा उठा कर चुदाई मे बराबर की हिस्सेदार बन गई थी.
वो अपना लॉडा मेरी चिकनी और गीली फुददी मे लगातात अंदर बाहर करके, अपने चुदाई के औज़ार के जोरदार धक्के मेरी चूत मे लगाते हुए मुझे चोद रहे थे और मैं चुदाई के हर पल का, उनके लंड का मेरी भोसड़ी मे हर धक्के का पूरा पूरा मज़ा लेती हुई चुद्वा रही थी.
चुड़वाते चुद्वाते मैने महसूस किया कि उनके बदन से पसीना निकलता जा रहा है. पसीना तो मुझे भी आ रहा था. ऐसा शायद इसलिए हो रहा था कि एक तो हम दोनो चोद्ते और चुद्वाते हुए गरम हो रहे थे और दूसरे, हम नंगे नही थे. उन्होने पूरे कपड़े पहने हुए थे और मैने आधे. अगर हम दोनो पूरे नंगे होते तो शायद इतनी गर्मी नही लगती और इतना पसीना नही आता.
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