RE: Parivaar Mai Chudai घर के रसीले आम मेरे नाम
ए + ब का व्होल स्क़ायर = ए स्क़ायर + ब स्क़ायर फिर, लो मैं तो फिर भूल गई, फिर से ट्राइ करती हूँ, ए + बी का व्होल स्क़ायर = ए स्क़ायर, फिर क्या था, फिर उसके बाद, याद आ जा याद आ जा, क्या था, क्या था? ओफ्फ हो क्या यार यह मेद्स तो एक दिन मेरी जान लेकर छोड़ेगा. पता नही किस गधे ने यह मेद्स बना दिया रट्टा मारो तो याद नही होता है और समझो तो समझ नही आता है, क्या करूँ? क्या करूँ? एक बार फिर ट्राइ करती हूँ, ए + बी का व्होल स्क़ायर.
रश्मि, ओ रश्मि यह क्या रट्टा लगा रखा है? अपने मन में नही पढ़ सकती क्या? पूरा घर सर पर उठा रखा है.
रश्मि- मम्मी क्या करूँ? कल मैथ का पेपर है और मुझसे यह सब समीकरण याद ही नही होते हैं, मेरी तो जान निकली जा रही है पता नही कहीं फैल हो गई तो…
रजनी- अब समझ मे आ रहा है, जब में कहती थी कि जा अपने भैया से थोड़ा पढ़ ले तब तो तुझे समझ नही आया अब चली है मैथ का रट्टा मरने, अरे पगली कभी मैथ भी रट कर याद होती है क्या?
रश्मि (अपना मूह बना कर)- मुझे नही पढ़ना भैया से, भैया इतने बोर है कि जब मुझे पढ़ाते है तो मुझे नींद आने लगती है, उनसे पढ़ने से अच्छा है में मैथ मे सप्लाइ से ही पास हो जाउ, या फिर कोई भला टीचर मेरी कॉपी चेक करेगा तो शायद ग्रेस्स से ही पास कर दे. क्यो मम्मी किस्मत भी कोई चीज़ है, हो सकता है पास वाला स्टूडेंट मुझे अपनी पूरी कॉपी नकल करने को दे दे, फिर तो में पास भी हो सकती हूँ ना.
रजनी- बस बिना मतलब की बाते ही सोचती रहती है, पढ़ाई मे तो तेरा ध्यान ही नही लगता, पता नही तेरा क्या होगा, फैल हुई तो समझ लेना तेरा भाई तेरी जम कर खबर लेगा.
रश्मि (अपने मन मे बड़ी आई मुझे भैया का डर दिखाने वाली, भैया से डरे मेरी जूती, और वैसे भी पास भी हो गई तो कौन सा तीर मार दूँगी, यहाँ कौन सा राज सिहासन मिल जाएगा, इतने सालो से धक्के खा कर पास होती आई हूँ तो इस साल भी कहीं ना कहीं से तीर मे तुक्का लग ही जाएगा.)- मम्मी मुझे तो नींद आ रही है में तो अब नही पढ़ सकती, सुबह के पेपर का सुबह देखा जाएगा.
रजनी- अच्छा चल सो जा तुझे समझाना मेरे बस की बात नही है, अब जब राज आएगा तो वो ही तुझसे बात करेगा.
रश्मि (अपनी आँखे अपनी मम्मी को दिखाती हुई)- मम्मी अगर भैया से कुछ कहा तो समझ लेना, में भी कभी ना कभी तुमसे बदला ले लूँगी.
रजनी (उसको देख कर गुस्साते हुए) छीनाल रांड़ अपनी मम्मी को धमकी देती है, तू रुक में अभी तेरी टाँगे तोड़ देती हूँ. (और रश्मि की ओर जाती है और रश्मि अपनी मम्मी को देख कर मुस्कुराते हुए अपने रूम से भाग कर राज के रूम में जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है.)
रजनी (उसके पीछे जाकर राज के रूम को बाहर से बंद करते हुए)- दुष्ट कही की अब अंदर ही सडती रह जब तेरा भाई आएगा तो वह ही तेरी खबर लेगा.
रश्मि- हाँ-हाँ कर दो दरवाजा बंद मुझे क्या, में तो आराम से भैया के बेड पर अपनी टाँगे फैला कर सो जाती हूँ, (और अंदर से चिल्ला कर) गुड नाइट मम्मी!
रजनी (पलट कर वापस जाते हुवे बड़बड़ाती हुई) गुड नाइट की बच्ची, यह लड़की जैसे-जैसे बड़ी होती जा रही है इसका बच्पना और भी बढ़ता जा रहा है, पता नही इसका गुज़ारा कैसे होगा, किसी दिन मेरी नाक ज़रूर कटवाएगी.
(लगभग एक घंटे बाद कोई बाहर से दरवाजा खटखटाता है और जब रजनी जाकर दरवाजा खोलती है तो सामने राज को देख कर मुस्कुराते हुए)- आ गया बेटा!
राज- हाँ मम्मी आज तो बहुत थक गया हूँ, बड़ा काम था ऑफीस मे.
रजनी (दरवाजा लगाते हुए)- चल तू जल्दी से हाथ मूह धो ले में तेरे लिए खाना लगा देती हूँ.
राज- ठीक है मम्मी! (और राज अपने रूम की तरफ जाकर जैसे ही दरवाजा खोल कर अंदर की ओर पुश करता है.)
रजनी- अरे बेटा रश्मि ने अंदर से बंद कर के लगता है सो गई है, रश्मि, ओ रश्मि, लगता है सो गई है.
राज- चलो सोने दो मम्मी उसको में यही चेंज कर लेता हूँ आप ज़रा मुझे टॉवेल दे दो.
(रजनी उसे टॉवेल ला कर देती है और राज वही अपनी पेंट उतार कर टॉवेल लगा कर बाथरूम में घुस जाता है और रजनी उसके लिए खाना गरम करने लगती है. खाना खाने के बाद राज वही हॉल में बैठ कर टीवी ऑन कर लेता है और टीवी देखने लगता है.)
रजनी- बेटे में सोने जा रही हूँ, तुझे जब सोना हो तो मेरे ही बेड पर आकर सो जाना, रश्मि तो अब उठने वाली नही है घोड़े बेच कर जो सोती है.
राज- कोई बात नही है मम्मी, में आपके साथ ही सो जाउन्गा. (रजनी राज की बात सुन कर मुस्कुराती हुई अपने रूम में चली जाती है. राज टीवी पर न्यूज़ लगा कर देखने लगता है और दूसरी ओर रजनी की फूली हुई चूत उसको परेशान करने लगती है. रजनी की उमर उस समय 45 साल थी और उसके दो ही बच्चे थे, राज जो कि 25 साल का था और रश्मि जो कि 18 साल की थी, रजनी के पति करीब 3 साल पहले बीमारी की वजह से मर चुके थे, चूँकि उनकी सरकारी नौकरी थी इसलिए अनुकंपा में राज को उनकी जगह जॉब मिल गई थी और वह नगर पालिका में बाबू के पद पर जाय्न हो गया था.
रजनी एक तेज तर्राट महिला थी लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी एक ही थी जिसका नाम था लंड, लेकिन छोटी जगह मे रहने के कारण वह अपनी भावनाओ को हमेशा दबाती आई थी और जब भी उसको लंड की ज़्यादा चाह होती तब वह अपने हाथो से ही अपनी फूली हुई चूत को कुचल लेती थी. मोहल्ले के कई मर्द उस पर कामुक निगाहे डालते थे लेकिन वह किसी के हाथ नही आई थी और फिर छोटी जगह होने की वजह से कोई इतनी हिम्मत कर भी नही पाता था कि उसको फसा सके. रजनी का जिस्म बहुत ही गोरा और भरा हुआ था, उसकी आदत हमेशा से अपनी साड़ी को अपने साल खाए हुए पेट और गहरी नाभि के नीचे बाँधती थी, जिसके कारण कोई भी जब उसके गदराए साल खाए पेट और गहरी नाभि को देखता तो उसका लंड खड़ा हुए बिना नही रह सकता था. उसके गदराए पेट और बड़ी सी गहरी नाभि को जब मुहल्ले का कोई भी आदमी बाहर नल पर पानी भरते देखता तो वह ज़रूर अपने लंड को मसल्ने पर मजबूर हो जाता था. रजनी की जांघे खूब मोटी-मोटी और कसी हुई नज़र आती थी और उसके दूध 40 साइज़ के उसके ब्लाउज में समाते ही नही थे इसीलिए उसके ब्लॉज के उपर के दो बटन कितना भी बंद कर दो लेकिन थोड़ी देर बाद अपने आप खुल जाते थे.
और रजनी हरदम अपने मोटे-मोटे कसे हुए दूध की ओर ध्यान नही दे पाती थी. और उसका पल्लू जब उसके दूध से सरक जाता और किसी मनचले की पूरी नज़रे उसके दोनो दूध के बीच की गहराई में समा जाती थी तब रजनी को ध्यान आता और वह अपने पल्लू को अपने दूध पर डाल लेती थी. रजनी का सबसे मादक और कामुक हिस्सा जो था वह थी उसकी मोटी-मोटी फैली हुई गदराई गान्ड, उसकी मोटी गान्ड तो ऐसी थी कि देखने पर लगता था कि कोई उसके चूतड़ के दोनो भारी-भारी पाटो को फैलाए हुए है, मतलब उसकी गान्ड के दोनो पाटो के बीच बहुत ज़्यादा गॅप था और कोई भी जब उसकी मोटी गदराई गान्ड को देखता तो यही सोचता होगा कि उसका लंड सीधे बिना उसकी गान्ड के मोटे-मोटे पाटो को फैलाए ही उसकी गान्ड में घुस जाएगा, कुल मिला कर रजनी 45 की होने के बाद भी पूरी तरह सुडोल और भरी हुई थी.
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