Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:14 PM,
#7
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
कुछ देर तक हम तीनो मे से कोई कुछ नही बोला, और फिर अरुण ने अपना बॅग अपनी तरफ खीच कर खोला और MM की एक बोतल निकाल कर बोला...
"ये ले तेरा गिफ्ट..."
मेरी नम आँखो मे एक हँसी झलक आई "तू साले अभी तक भुला नही..."
ये हम दोनो की एक खास आदत थी कि हम दोनो ने एक दूसरे को गिफ्ट के तौर पर हमेशा दारू ही गिफ्ट की थी...और सबसे बड़ी बात ये कि अरुण ने ही मुझे दारू पीने की लत भी लगाई थी......
" आइ लव दारू मोर दॅन गर्ल्स..."बोलते हुए मैने उसके हाथ से बोतल छीनी और वरुण की तरफ देख कर बोला"आज रात का जुगाड़ हो गया बे..."
मेरे ऐसा कहने पर वरुण के साथ - साथ अरुण भी हंस पड़ा...
वरुण और अरुण ही मेरे प्रेज़ेंट लाइफ मे मेरे अपने थे, अरुण के पापा इंस्पेक्टर थे और अरुण रेलवे मे किसी अच्छी पोस्ट पर था...
"शादी हो गयी तेरी..."MM को एक किनारे रखकर मैने अरुण से पुछा....
"कहाँ शादी , अभी तो लाइफ एंजाय करनी बाकी है...शादी करते रहेंगे आराम से...."
"वरुण, ले पेग तो बना, सर दर्द कर रहा है...."
"अरमान, ये निशा कौन है बे "
"है , मोहल्ले मे रहने वाली एक लड़की..."मैं बोला....
"मैने सोचा नही था कि उसके जाने के बाद तू किसी लड़की के साथ रीलेशन बनाएगा..."अरुण जानता था कि मुझे उसका नाम लेना अब पसंद नही है, इसलिए उसने उसका नाम नही लिया....
"सोचा तो मैने भी नही था, लेकिन मालूम नही ये कैसे हो गया...."
"ले पकड़..."इसी बीच वरुण ने हम तीनो का पेग तैयार कर दिया , जिसे चढ़कर वरुण बोला"यार अरुण, मैने इससे कितनी बार इसकी बीती ज़िंदगी के बारे मे पुछने की कोशिश की, लेकिन इसने मुझे एक बार भी नही बताया और हर बार किसी ना किसी बहाने से टाल दिया...."
"दिमाग़ मत खा यार तू अब, एक और पेग बना...मस्त दारू है.."मैने एक बार फिर वरुण की बात को टालने की कोशिश की....लेकिन शायद आज मैं कामयाब नही रहूँगा इसका मुझे अंदाज़ा हो गया था.....
"आज तो खुलासा होकर ही रहेगा वरुण..."अपना पेग गले से नीचे उतार कर अरुण बोला"चिंता मत कर ,आज ये सब कुछ बकेगा...."
"मैं कुछ नही बताने वाला..."
"नही बताएगा..."
"बिल्कुल भी नही..."
"एक बार और सोच ले..."
"मैने बोल दिया ना एक बार..."
"फिर वो बाथरूम वाली बात मैं वरुण को बता दूँगा, सोच ले..."
अरुण ने मेरी दुखती नस को पकड़ लिया था, दो-तीन पेग मारने से सर भी एकदम फ्री हो गया था, एक दम बिंदास......
MM की बोतल खाली हो चुकी थी और मैं भी अब बिल्कुल तैयार था वरुण को वो सब बताने के लिए ,जो मैं नही बताना चाहता था....
"एक और पेग बना...."मैने कहा

हर वो चाह ख़तम हो जाती है , जिसकी हमे तमन्ना होती है...सपने हमारी बुरी हक़ीक़त के सामने दम तोड़ देते है और बचता है तो सिर्फ़ रख ,यादों की राख ,जिसके सहारे हम फिर अपनी बाकी की ज़िंदगी गुज़ारते है, कभी -कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो जाता है जिसकी आपने कभी कल्पना तक नही की होती है....
"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरा भाई मुझे जाते हुए नसीहत दे रहा था वो भी बड़े प्यार से...
"जी भाई..."
"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."
"जी भाई..."
"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..."
"जी भाई..."मेरा भाई मुझे ठीक उसी तरह समझा रहे थे ,जैसे कि आर्मी का कर्नल अपने आर्मी को इन्स्ट्रक्षन फॉलो करने के लिए कह रहा हो...विपेन्द्र भैया मुझे कॉलेज मे छोड़ने आए थे, और मेरे लाख मना करने के बावजूद मेरे रहने का इंतज़ाम हॉस्टिल मे कर दिया था और अभी जाते वक़्त मुझे सब बता के जा रहे थे कि मुझे क्या करना है और क्या नही करना है.....भाई के जाने के बाद मैं वापस हॉस्टिल आया, इस दौरान जो एक बात मेरे मन मे खटक रही थी , वो थी कल हमारी होने वाली रॅगिंग , कुछ दिनो पहले ही न्यूज़ पेपर मे पढ़ा था कि एक स्टूडेंट ने रॅगिंग से तंग आकर अपनी जान दे दी थी.... कॉलेज वालो ने एक अच्छा काम किया था और वो था कि फर्स्ट एअर का हॉस्टिल हमारे सीनियर्स से अलग था, लेकिन शाम होते-होते तक पूरे हॉस्टिल मे ये खबर फैल गयी कि आज रात को 10 बजे सीनियर्स हॉस्टिल मे रॅगिंग लेने आएँगे, जब से ये सुना था, दिल बुरी तरह धड़क रहा था, हर आधे घंटे मे पानी पीने के बहाने निकलता और देख कर आता कि कही कुछ हुआ तो नही है, वो पूरी रात साली मेरी ज़िंदगी की सबसे खराब रात थी,...पूरी रात मैं चैन से नही सो पाया, उस रात कोई नही आया और दूसरे दिन मेरी नींद मेरे रूम को किसी ने खटखटाया तब खुली....
"बहुत बेकार सोता है बे..."एक लड़का अपना बॅग लिए रूम के बाहर खड़ा था, और फिर मुझे पकड़ कर बाहर खींच लिया,
"ये, ये क्या कर रहा है..."मैने झल्लाते हुए बोला...
"चल मेरा समान उठवा यार...बहुत भारी है...."
"तू भी इसी रूम मे रहेगा..."
"बिल्कुल सही समझा, और मेरा नाम है अरुण...."
"अरमान..."मैने हाथ मिलाते हुए उससे कहा, और जब उसका पूरा समान रूम के अंदर गया तो मैं नहाने के लिए चल दिया....
आज उस आदत को छोड़े हुए तो बहुत दिन हो गये है, लेकिन उस समय मेरी एक अजीब आदत थी, मैं जिस भी लड़के से मिलता तो सबसे पहले यही देखता कि वो मुझसे ज़्यादा हॅंडसम है या नही, और अरुण को देखकर मैने खुद से चीख-चीख कर यही कहा था कि "मैं इससे ज़्यादा हॅंडसम हूँ...."
"तू आज कॉलेज नही जाएगा क्या..."कॉलेज के लिए तैयार होते हुए मैने अरुण से पुच्छा, अरुण हाइट मे मेरे जितना ही था, लेकिन उसका रंग कुछ सावला था....
"जाउन्गा ना..."
"9:40 से कॉलेज शुरू है..."
"तो...."बिस्तर पर पड़े पड़े उसने कहा...
"तो , तैयार नही होगा क्या ,9:20 तो कब के हो गये..."
"देख, मैं कोई लौंडिया तो हूँ नही , जो पूरे एक घंटे तैयार होने मे टाइम लगा दूँ और वैसे भी मैं घर से नहा के चला था तो आज नहाने का सवाल ही नही उठता..."
"लग गयी इसे हवा..."
इसके बाद मैने इतना देखा कि , 9:30 बजते ही उसने अपना बॅग उठाया और रूम मे लगे शीशे मे एक बार अपना फेस देखा और मेरे साथ हॉस्टिल से बाहर आ गया....
फर्स्ट एअर की क्लासस मे थोड़ा चेंज किया गया था, सीनियर्स हमारी रॅगिंग ना ले पाए ,इसलिए हमारी क्लास को एक घंटे पहले ही शुरू कर दिया था और सीनियर्स की क्लास छूटने के एक घंटे पहले ही हमारा डे ऑफ हो जाता था.....लेकिन कुछ सीनियर्स ऐसे भी होते है जिनके पिच्छवाड़े मे ज़्यादा खुजली होती है और वो हमारी टाइमिंग मे ही कॉलेज आ जाते थे,...
"अबे तेरी ब्रांच कौन सी है..."रास्ते मे मैने उससे पुछा...
"मेकॅनिकल..."अरुण ने जवाब दिया,
"मेरी भी मेकॅनिकल..."थोड़ा खुश होते हुए मैने कहा"मतलब कि हम दोनो एक ही क्लास मे बैठेंगे..."
"अबे रुक..."मुझे अरुण ने रोका, हम उस समय कॉलेज से थोड़ी ही दूर मे थे, या फिर कहे कि हम कॉलेज पहुच गये थे...
"क्या हुआ..."
"उधर देख, कुछ सीनियर्स खड़े है...पीछे के रास्ते से चल..."
"तुझे मालूम है दूसरा रास्ता..."
"मुझे सब मालूम है , चल आजा..."हम दोनो ने वही से टर्न मारा और कुछ देर पीछे चलने के बाद झड़ी झुँझटी मे उसने मुझे घुसा दिया....
"तुझे पक्का मालूम है रास्ता..."
"अबे मेरे भाई के कुछ दोस्त यहाँ से पास आउट हुए है , उन्होने ही मुझे बताया था इस रास्ते के बारे मे...."
जैसे तैसे करके हम दोनो आगे बढ़ते रहे और फिर मुझे कॉलेज की दीवार भी दिखने लगी, कॉलेज के अंदर जाने का एक और रास्ता है, ये मुझे अरुण ने बताया था...जब हम दोनो उस झड़ी-झुँझटी वाले रास्ते से निकल कर बाहर आए तो मुझे वो गेट दिखा , जिसके बारे मे अरुण ने कहा था, वो गेट कॉलेज मे काम करने वाले वर्कर्स के लिए था, जिनका घर वही पास मे था.....
"कोई फ़ायदा नही हुआ, "अरुण बोला"वो देख साली सीनियर गर्ल्स खड़ी है, लिए डंडा..."
दुनिया मे 99 % लड़किया खूबसूरत होती है और जो 1 % बचती है वो आपके कॉलेज मे रहती है, ऐसा मैने कही सुना था, लेकिन मेरी आँखो के सामने अभी 5-6 सीनियर लड़किया खड़ी थी , जो एक से बढ़कर एक थी, उन 5-6 सीनियर गर्ल्स को देखकर ही ऐसा लगने लगा था जैसे की दुनिया की 99 % खूबसूरत लड़किया मेरे कॉलेज मे ही पढ़ती हो....
"यार, क्या माल है..."मैने अरुण से कहा...
"चुप कर और उन्हे देखे बिना सीधे चल, यदि पकड़ लिया तो बहाल कर देंगी..."
"अबे ये लड़किया है, इतना क्यूँ डर रहा है...घुमा के दूँगा एक हाथ सब बिखर जाएँगी यही..."मैं मर्दाना आवाज़ मे बोला,
"अभी तो तू इनको बिखेर देगा, लेकिन जब इन्ही लड़कियो के पीछे पूरे सीनियर्स आएँगे तब क्या करेगा...."
"फाइनली करना क्या है, ये बता..."
"कुछ नही करना बस चुप चाप अंदर घुस जाना..."
"डन..."मैने ऐसे कहा जैसे कोई बहुत बड़ा मिशन पूरा कर लिया हो.
हम दोनो उन लड़कियो की तरफ बिना देखे सामने चले जा रहे थे, और जब हम ने उन लड़कियो को क्रॉस किया तो उस समय दिल की धड़कने बढ़ गयी, मन मचल रहा था कि उनको देखु, उनके सीने को देखकर अपने अरमान पूरा करूँ...लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया और चुप चाप सामने देखकर चलता रहा....
"ओये मा दे लाड़ले..."हम बस गेट से अंदर ही घुसने वाले थे कि उन लड़कियो ने आवाज़ दी....
"शायद मेरे कान बज रहे है..."
"नही बेटा ,ये कान नही बज रहे है , ये उन गोरी-गोरी चुहिया की आवाज़ है..."
"तो अब क्या करे, तेज़ी से अंदर भाग लेते है, कॉलेज के अंदर वो रॅगिंग नही ले पाएँगी..."
"अभी भागने का मतलब है इनका ध्यान खुद की तरफ खींचना, बाद मे ये और भी बुरी तरह से रॅगिंग लेंगी..."
"फाइनल बता , करना क्या है..."मेरे कदम वही रुक गये थे और पसीने से बुरा हाल था, उस वक़्त मैने सोचा था कि शायद अरुण मे थोड़ी हिम्मत होगी,लेकिन जैसे ही उसको देखा , तो जो मेरे मूह से निकला वो ये था...
"साला ये तो मुझसे भी ज़्यादा डरा हुआ है...."
"मा दे लाड़लो , सुनाई देता है क्या तुम दोनो को इधर आओ..."जिन लड़कियो को कुछ देर पहले मैं स्वर्ग की अप्सरा समझ कर लाइन मारने की सोच रहा था ,वो अब नरक की चुड़ैल बन गयी थी...
"जी...जी...मॅम , आपने हमे बुलाया..."अरुण उनके पास जाकर बोला, मैं उसके पीछे खड़ा था...
"तू हट बे..."अरुण को ज़ोर से धक्का देकर उन चुदैलो ने मेरी तरफ देखा...
"और चिकने क्या हाल है..."
"सब बढ़िया..."काँपते हुए मैने कहा, उस समय मैं पूरी तरह पसीने से भीग चुका था...
"सिगरेट पिएगा..."उनमे से एक लड़की ने सिगरेट निकाली और मेरी तरफ बढ़ाकर पुछि....
मैने एक दो बार सिगरेट पी थी, लेकिन किसी दूध पीते बच्चे की तरह, कश खींचा और फिर धुए को बाहर फेक दिया....मैं यहाँ ये सोच कर आया था कि जिस तरह मैं हमेशा से स्कूल मे टॉपर था , उसी तरह यहाँ भी टॉप करूँगा, और सिगरेट , शराब और लड़की को बस दूर से देखकर मज़ा लूँगा....
"चल सिगरेट जला..."उन चुदैलो मे से एक चुड़ैल ने सिगरेट मेरे मूह मे फँसा दी और तभी मेरे मन मेरे बड़े भाई के द्वारा कही गयी बात आई...
"यदि सिगरेट और दारू को छुआ भी तो सोच लेना..."
"जी भाई..."
"मैं सिगरेट नही पीता सॉरी..."उन लड़कियो ने जो सिगरेट मेरे मूह मे फँसाई थी उसे एक झटके मे मैने मूह से निकाल कर ज़मीन पर फेक दिया, जिससे उनका पारा आसमान टच कर गया...
"क्यूँ बे लौडे,तू क्या समझा कि पीछे के रास्ते से आएगा तो बच जाएगा और तुझमे इतनी हिम्मत कहाँ से आई जो तूने सिगरेट को फेक दिया..."
उनके मूह से गाली सुनी तो मुझे यकीन ही नही हुआ कि एक लड़की भी गाली दे सकती है, मैं आँखे फाड़-फाड़ के उन लड़कियो को देख रहा था....तभी उनमे से किसी का फोन बजा और वो सब चली गयी लेकिन जाते-जाते उन्होने मुझे धमकी दे डाली कि वो मुझे इस कॉलेज से भगाकर रहेगी.......
"तेरी तो लग गयी बेटा...."उनके वहाँ से जाने के बाद अरुण मेरे पास आया...
"अब क्लास चले..."
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:14 PM

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