RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरे बाए हाथ की हड्डियो का कचूमर बना कर उसने मेरा हाथ छोड़ा और फिर मेरे गाल को पकड़ कर बोला"बेटा, औकात मे रहना सीखो और सीनियर्स को रेस्पेक्ट दो..."
वरुण की आइटम अपने चेयर से एक समोसा उठाकर लाई और उसका आधा टुकड़ा खाकर बाकी मेरे चेहरे पर थोप दी, उस वक़्त शायद मैं बहुत गुस्से मे था, दिल कर रहा था, कि उस लड़की को खींच कर ऐसा थप्पड़ मारू कि उसका सर ही अलग हो जाए, लेकिन गुस्से को पीना पड़ा, मैं उन्हे देखने के सिवा और कुछ नही कर सका.....वो सभी मुझपर कुछ देर हँसे और चले गये...तभी वरुण के साथ वाली लड़की ,जिसने मेरे चेहरे की ये हालत की थी, मेरी नज़र उसकी गंद पर पड़ी और मैने मन ही मन मे ये शपथ ली की, "इसको तो ऐसा चोदुन्गा कि इसकी चूत और गान्ड के साथ साथ मूह से भी खून निकल जाए....
अपना नाम मेरी बीती ज़िंदगी मे सुनकर मेरे खास दोस्त वरुण ने मुझे मेरी कॉलेज लाइफ से बाहर घसीटा....
"अबे, ये 7 साल से लगातार फैल होने वाले लड़के का नाम वरुण कैसे है..."
"अब तू ये उसके बाप से पुछ, कि उसने उसका नाम वरुण क्यूँ रखा..."
"ले यार एक और पेग बना..."अरुण ने अपनी खाली ग्लास मेरी तरफ बढ़ाई, और मैने वरुण की तरफ....
"रात हो गयी क्या..."मैने उठने की कोशिश की ,लेकिन सर घूम रहा था, इसलिए वापस बैठ गया...
"दिन है बे अभी...दोपहर के 12 बज रहे है..."वरुण ने पेग बनाकर ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया और बोला"आगे बता, कॅंटीन के बाद क्या हुआ..."
"कॅंटीन के बाद..."
मुझसे यदि उस वक़्त कोई कुछ और पुछ्ता तो शायद मैं नही बता पाता, लेकिन मेरी कॉलेज मे बीती ज़िंदगी मुझे इस तरह याद थी कि रात को 12 बजे भी कोई उठा के पुच्छे तो मैं उसे बता दूं..
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उस दिन कॅंटीन की हरकत ने मुझे झंझोड़ कर रख दिया, अरुण भी चुप बैठा हुआ था, मैं बुरी तरह गुस्से मे था, और जब कॅंटीन वाला हमारा ऑर्डर लेकर आया तो मैं बोला...
"अब तू ही खा बीसी..."
मैं वहाँ से गुस्से मे उठा और कॅंटीन से बाहर आ गया, अरुण भी पीछे-पीछे था...
"अरमान, रुक ना बे,..."अरुण दौड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और मुझे रोक कर बोला"भूल जा..."
" उस लौंडिया का क्या नाम है , बता साली को चोद के आता हूँ..."
"उसका नाम तो मुझे भी नही मालूम..."ऐसा बोलते बोलते अरुण ने मुझे गले लगा लिया, पता नही साले मे क्या जादू था की मेरा गुस्सा शांत होने लगा....
"दूर चल, मैं गे नही हूँ..."जब मेरा गुस्सा पूरी तरह शांत हो गया तो मैने कहा...
"एक बात बता, तुझे वरुण के साथ वाली लड़की माल लगी ना..."मुझसे अलग होते हुए अरुण ने मुझसे पुछा...
"माल तो है, इसीलिए तो उसका नाम पुछा"
"तो भाई, उसे भूल जा, वरना वरुण नंगा करके दौड़ाएगा..."
"वो उतनी भी हॉट नही है कि मैं उसके लिए पूरे कॉलेज मे नंगा दौड़ू...नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम "
उसके बाद हम दोनो अपनी क्लास की तरफ आए, फर्स्ट एअर की सारी क्लास आस-पास ही थी, इसलिए रिसेस मे हर ब्रांच की लड़कियो को लाइन मारा जा सकता था....हम दोनो अपनी क्लास के बाहर खड़े स्टूडेंट्स के पास जाकर खड़े हो गये,जहाँ ग्रूप बना कर कुछ लड़के बाते कर रहे थे और जैसा कि मैने सोचा था टॉपिक गर्ल्स पर ही था.....
"कहाँ गये थे यार..."नवीन ने हम दोनो से हाथ मिलाया और पुछा...
"कॅंटीन..."अरुण ने जवाब दिया...
"कॅंटीन "उसकी आँखे ना जाने कितनी बड़ी हो गई ये जान कर जब उसने सुना कि हम दोनो कॅंटीन से होकर आए है....
"क्या हुआ..."उसकी बड़ी -बड़ी आँखो को देखकर मैने पुछा...
"रॅगिंग हुई ,तुम दोनो की..."
रॅगिंग....ये सुनकर मैं और अरुण एक दूसरे की आँखो मे झाँकने लगे और सोचने लगे कि इसे क्या बोला जाए...
"नही...किसी ने रॅगिंग नही ली..."
"आज तो बच गये ,लेकिन कल से उधर मत जाना, सीनियर्स डेरा डाल के रहते है उधर...."
"तो क्या हुआ, फटी है क्या..."ये लफ्ज़ मैने ऐसे कहा, जैसे कुछ देर पहले वरुण की उस हॉट आइटम ने नही बल्कि मैने उसके फेस पर समोसा डाला हो.....
"देख भाई, जानकारी देना अपना काम था..."नवीन बोला
"वैसे और कहाँ-कहाँ ये सीनियर्स पकड़ते है हमे..."
"तीन जगह फिक्स्ड है, फर्स्ट कॅंटीन, सेकेंड सिटी बस आंड थर्ड वन ईज़ हॉस्टिल...."
हम इस मसले पर कुछ देर और भी बात करते लेकिन उसके पहले ही वहाँ खड़े लड़को मे से किसी एक ने टॉपिक को चेंज करके, अपने कॉलेज की हसीनाओ पर गोल मारा.....और इस मामले मे सबसे पहला नाम जो आया वो था दीपिका मॅम,...सब यही चाह रहे थे कि दीपिका माँ उनसे सेट हो जाए, कुछ ठर्कियो ने तो ये तक बोल दिया था कि...
"आज कॉलेज से जाने के बाद दीपिका मॅम को सोचकर 61-62 करूँगा"
"तू भी बोल ले कुछ..."अरुण ने मुझे कोहनी मारी....
"मैं तो उस फूटिए वरुण की माल को चोदुन्गा, वो भी लेटा-लेटा कर..."
"वरुण..."ये नाम सुनकर सब चुप होकर मेरी तरफ देखने लगे,..उस सब मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि मैने किसी का मर्डर करने का पब्लिक मे एलान कर दिया हो....
"मैने तो ऐसे ही बोल दिया..."मैने बात वही ख़तम करनी चाही...
"यार, ऐसे मत बोला कर, कहीं से वरुण को मालूम चल गया तो फिर पंगा हो जाएगा..."
नवीन की बाते सुनकर मैने चारो तरफ देखा और जब कन्फर्म हो गया कि ,हमारे गॉसिप को किसी ने नही सुना तो मैं बोला...
"डरता हूँ क्या, "
"देख, ज़्यादा शेर मत बनियो, वरना पॉल खुल जावेगी..."अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....
कुछ देर और कॉलेज की लड़कियो के बारे मे बाते करते हुए, हमने अपना समय बर्बाद किया और इसी बीच मुझे और भी कयी सारे फॅक्ट्स मालूम हुए जो कि हमारे कॉलेज मे बरसो से चले आ रहे थे....
1. जब तुम फर्स्ट एअर मे ही रहो ,तब ही कोई माल पटा लो,वरना पूरे 4 साल खाली हाथ से काम चलाना पड़ेगा और होंठ पर लड़की के होंठ की जगह बोरो प्लस लगा कर रहना पड़ेगा...."
2. हमारा कॉलेज सरकारी. था, इसलिए कॉलेज के प्रिन्सिपल और टीचर्स को भले ही रेस्पेक्ट ना दो ,लेकिन वहाँ काम करने वाले वर्कर और पेओन को सर कहकर बुलाना पड़ेगा, जिससे टाइम आने पर वो हमे लंबी लाइन से बचा सके....
उस दिन एक और ज़रूरी फॅक्ट जो मालूम चला वो ये था कि...
3. जब भी कोई माल पटाओ तो उसे जल्दी चोद दो, हमारे कॉलेज मे पढ़ने वालो का मानना था कि गर्लफ्रेंड को चोदने के बाद लड़किया, लड़को से किसी स्ट्रॉंग केमिकल बॉन्ड की तरह बँध जाती है....
उस दिन और भी कुछ मालूम चलता यदि रिसेस के बाद मॅतमॅटिक्स वाली मॅम ना आती तो....
"कितना बात करते हो तुम लोग,पूरे कॉरिडर मे तुम लोगो की आवाज़ आ रही है..."सामने वाली बेंच पर अपनी बुक्स रखकर मेद्स वाली मॅम ने डाइलॉग मारा....
मेद्स वाली मॅम का नाम दमयंती था, जो बाद मे हमारे बीच "दंमो रानी" के नाम से फेमस हुई
कॉलेज का पहला दिन किसी भी हिसाब से मेरे लिए ठीक नही रहा, पहले-पहल तो सीएस वाली मॅम ने मुझे बाहर भगा दिया और बाद मे कॅंटीन वाला लफडा...कॉलेज के पूरे पीरियड्स अटेंड करने के बाद ऐसा लग रहा था ,जैसे किसी ने सारी एनर्जी चूस ली हो,...
"थक गया यार..."रूम मे घुसते ही मैने अपना बॅग एक तरफ फेका और बिस्तर पर लुढ़क गया,
"चल ग्राउंड चलते है, शाम के वक़्त हॉस्टिल मे रहने वाली गर्ल्स आती है उधर..."
"गान्ड मराए गर्ल्स...मुझे तो नींद आ रही है..."
"ठीक है तू सो, मैं आता हूँ..."
मैं ज़्यादा थका हुआ था, इसलिए तुरंत नींद आ गयी, और जब मेरी नींद खुली तो अरुण मुझे उठा रहा था....
"क्या हुआ बे..."
"अबे रात के 8 बज गये..."
"तो..."मैने सोचा कुछ काम होगा.
"तो क्या..... रात के 8 बजे कोई सोता है क्या..."
"अब तू डिसाइड करेगा कि मुझे कितने बजे क्या करना है..."
"टाइम पास नही हो रहा था, तो सोचा तुझे उठाकर गप्पे-शप्पे मार लूँ...."
"टाइम पास नही हो रहा है तो जाकर मूठ मार..."और मैं वापस चादर ओढकर गहरी नींद मे चला गया.....
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पुरानी आदत इतनी जल्दी नही बदलती, जब मैं स्कूल मे था तब अक्सर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देता था, और उसी की बदौलत फर्स्ट अटेंप्ट मे ही मुझे बहुत ही अच्छा कॉलेज मिला था...उस दिन भी मैने 4 बजे का अलार्म सेट किया और जैसा कि पहले होता था , दूसरे दिन मेरी आँख अलार्म की वजह से सुबह 4 बजे खुल गयी, लाइट ऑन की और अरुण की तरफ देखा...अरुण आधा बिस्तर पर था और आधा बिस्तर के बाहर ही झूल रहा था....
"क्या खाक पढ़ु...कल तो सब सर के उपर से पार हो गया था..."बुक्स और नोटबुक खोलकर मैने ढेर सारी गालियाँ दी....
कुछ देर तक ट्राइ करने के बाद भी जब कोई फ़ायदा नही हुआ तो , मैने लाइट्स ऑफ की और चादर तान कर लेट गया....मेरी पुरानी आदत के अनुसार नींद तो आने से रही , इसलिए मैं कुछ सोचने लगा...जैसे कि किस टाइम पर किस सब्जेक्ट को उठाकर दिमाग़ की दही करनी है, फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ मे सीएस सब्जेक्ट का ख़याल आया तो सबसे पहले मेरी बंद आँखो के सामने दीपिका मॅम का हसीन चेहरा और उसका हसीन जिस्म छा गया....वो मेरे सामने नही थी, लेकिन मैं उसे पूरा देख सकता था,...और इसी ख़यालात मे गोते लगाते हुए मेरा हाथ मेरे पैंट की तरफ बढ़ा और सुबह सुबह ही काम हो गया , उसके बाद जो नींद लगी वो सीधे सुबह के 8 बजे खुली....
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