RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अर्ज़ किया है..."
"करो...करो ,बिल्कुल करो, सबकुछ करो..."
"तो सुनीएगा, अर्ज़ किया है..."
"अबे अर्ज़ ही करता रहेगा या कुछ और भी करेगा..."वरुण और अरुण मुझपर एक साथ टपक पड़े,
"कोई तो महफ़िल होगी इस पूरी दुनिया मे....
जहाँ नाम हमारा भी होगा....
जब सुनेगी उस महफ़िल मे मेरी दास्तान...
तो लहू का कतरा उसकी भी आँखो से बहेगा...."
हम तीनो फिर टल्ली हो गये थे, वरुण ने खाना गॅस पर चढ़ा दिया थी,जिसके जलने की महक भी आने लगी थी..उधर खाना जला इधर हम तीनो के दिल जले...
"उस दिन के बाद क्या हुआ...एश का गौतम के दोस्त के साथ कुछ लफडा था या फिर..."
"मैं बताऊ..."अरुण बीच मे बोल पड़ा जिसे रोककर मैने कहा"उस दिन ऐसा कुछ भी नही था..."
"फिर एश गौतम के साथ क्यूँ नही गयी,..."
.
उस दिन हॉस्टिल मे आने के बाद मुझे उसका रीज़न मालूम चला, और रीज़न बताने वाला भू था, मैं आज भी कभी-कभी सोच मे पड़ जाता हूँ कि उस साले भू को सारी न्यूज़ मिल कैसे जाती थी और जब न्यूज़ एश से रिलेटेड हो तो उसकी खबर उसे और भी जल्दी मिलती थी, भू ने मुझे बताया कि गौतम के बाप पर किसी ने जानलेवा हमला किया था और वो बहुत सीरीयस थे, इसीलिए गौतम को बीच मे ही कॉलेज से जाना पड़ा, क्यूंकी गौतम और एश एक साथ कॉलेज आते थे इसलिए गौतम के जाने के बाद गौतम के दोस्त ने एश को घर ड्रॉप किया....एक तरफ जहाँ मैं ये सोच कर खुश हो रहा था कि एश और गौतम के बीच लड़ाई हुई होगी वहाँ मुझे निराशा हुई, लेकिन दूसरी तरफ गौतम के दोस्त और एश के बीच कुछ नही है ये जानकार मुझे खुशी भी हुई...भू ने मुझे और भी बहुत कुछ बताया जैसे कि एश और गौतम के फॅमिली के बारे मे , और जैसा कि भू ने बताया था उसके हिसाब से गौतम के पापा एक गुंडे टाइप आदमी थी और पॉलिटिशियन्स से अटॅच भी थे मतलब कि गौतम एक रहीस पार्टी था, वही एश के डॅड एक बड़े बिज़्नेस मॅन थे मतलब कि एश भी एक रहीस पार्टी थी....एश और गौतम बचपन से एक साथ पाले-बढ़े, एक स्कूल मे पढ़ाई भी की लेकिन गौतम उम्र मे एक साल बढ़ा था इसलिए दोनो एक क्लास मे कभी नही आ पाए, उम्र के बढ़ते पड़ाव के साथ-साथ उन दोनो की दोस्ती प्यार मे बदलने लगी और फिर दोनो ने एक दिन एक दूसरे से प्यार का एकरार भी किया....एश और गौतम दोनो के घर मे दोनो के प्यार के बारे मे मालूम था और उन्हे इस रिश्ते से कोई परेशानी भी नही थी, भू ने कुछ दिनो पहले एश के सुसाइड का भी रीज़न बताया ,उसने बताया कि गौतम किसी दूसरी लड़की के चक्कर मे था और यही एश को रास नही आया तो उसने सुसाइड करने की कोशिश की थी, उसके बाद गौतम ने एश से अपने किए की माफी भी माँगी और उन दोनो की घीसी-पीटी लव स्टोरी फिर से चालू हो गयी...जिसके लिए एश ने जान देने की कोशिश की थी वो उससे सच्चा प्यार तो करती थी लेकिन फिर भी दिल के किसी कोने से आवाज़ आई कि "बेटा अरमान ,कोशिश कर...तेरा चान्स है...."
उस आवाज़ को निकलने से पहले ही दिल मे दफ़न हो जाना चाहिए था, मुझे उसी दिन ही ये मान लेना चाहिए था कि एश और मैं किसी भी लिहाज से नही मिलते, ना तो फॅमिली बॅकग्राउंड से और ना ही दिल की दुनिया से....उसकी दिल की दुनिया तो गौतम के चारो तरफ घूमती थी ये मुझे पता था लेकिन फिर भी मैं नही माना और इस 1500 ग्राम के दिमाग़ मे कुछ ऐसा सूझा जिससे मैं वही पुरानी घीसी-पीटी स्टोरी को अप्लाइ करने वाला था.....
"उस चुड़ैल विभा की रिक्वेस्ट आई है तेरी आइडी पर...."
"क्या..."
"इतना चौक क्यूँ रहा है, सिर्फ़ ये बता आक्सेप्ट करूँ या नही..."अरुण ने मुझसे पुछा....
"भाव क्यूँ खाए, कर ले आक्सेप्ट..."
अरुण ने विभा की फ्रेंड रिक्वेस्ट आक्सेप्ट की और मेरे बिस्तर पर खुशी से चढ़ कर बोला"साली ऑनलाइन है,आजा इसका गेम बजाते है...."
मैं बैठा तो बुक खोल कर था,लेकिन ये सोचकर बुक बंद कर दी कि पहले विभा के मज़े ले लेता हूँ, पढ़ाई का क्या है वो तो कभी भी हो जाएगी, कल सुबह चार बजे उठकर पढ़ लूँगा,लेकिन विभा डार्लिंग हर समय ऑनलाइन थोड़े ही रहने वाली है.....
"हेलो...."हम मेस्सेज करते उससे पहले ही विभा ने किया...
"हाई डियर, व्हाट आर यू डूयिंग..."अपने मोबाइल के कीबोर्ड्स को फटाफट तेज़ी से दबाते हुए अरुण ने रिप्लाइ किया...
"नतिंग आंड यू..."
"फक्किंग लिख कर भेजू क्या..."अरुण मेरी तरफ देखकर बोला"या फिर शगिंग..."
"चूतिया है क्या, उसको लिख कि पढ़ाई कर रहा हूँ...."
"61-62 लिख देता हूँ, साली लौंडिया है क्या समझेगी..."
"लिख दे..."
अरुण ने 61-62 लिख कर तुरंत विभा को रिप्लाइ किया , कुछ देर तक विभा का रिप्लाइ नही आया लेकिन जब उसका रिप्लाइ आया तो हम दोनो के होश उड़ गये, हम दोनो ने ये सोचा था कि विभा हमसे 61-62 का मतलब पुछेगि और हम दोनो उसे उल्लू बनाएँगे लेकिन उसका रिप्लाइ ये था...
"61-62 कम किया करो , शरीर कमजोर होता है...."
"साली बड़ी चालू है, अभी सामने मिल जाए तो इसके मूह मे सीधे लवडा घुसा दूं...."
"अब क्या रिप्लाइ करे..."मैने अरुण की तरफ देखा....
"तू रुक और देखता जा..."अरुण की उंगलिया एक बार फिर तेज़ी से मोबाइल के बटन्स पर घूमने लगी और उसने विभा को रिप्लाइ किया...
"तुमने कभी 61-62 किया है "
"व्हाट "
"61-62 ,हिन्दी मे समझाऊ क्या "
"मुझे कुछ काम आ गया है बाइ..."
"भाटा है घर मे..."
"व्हाई ?"
"पूरा का पूरा घुसा लेना उसको..."
"बिहेव..."
"कुछ काम आ गया है ,अब मैं जा रहा हूँ..."इसी के साथ अरुण ने फ़ेसबुक बंद कर दी और हम दोनो अपना पेट पकड़ कर हंस पड़े....उस रात सिगरेट पीने और बक्चोदि करने के अलावा मैने कुछ नही किया, आधी रात को दूसरो के रूम के सामने जाकर ज़ोर से दरवाज़ा पीटता और फिर भाग जाता, रूम के अंदर सो रहे लड़के गालियाँ देते हुए उठते और फिर बाहर किसी को नापकर और भी गालियाँ बकते....
उसके बाद कुछ दिनो तक कुछ भी खास नही हुआ, गौतम और एश हर दिन साथ मे ही कॉलेज आते और साथ मे जाते , गौतम से मेरी नोक-झोक भी इतने दिनो मे नही हुई थी इसलिए महॉल ठंडा था, सीडार से एक दो बार बातचीत हुई थी जिससे मुझे मालूम चला था कि वरुण और उसके दोस्त बहुत जल्द ठीक हो जाएँगे और कॉलेज भी आने लगेंगे....
मुझे एक लड़की की तालश बचपन से थी , ऐसी लड़की जिसको देखकर मेरी आँखे उसकी आँखो से होती हुई सिर्फ़ आँखो पर ही टिकी रहे , दीपिका और विभा को जब भी देखता तो मेरी नज़र उनकी आँखो से शुरू ही नही होती थी वो तो सीधे नीचे से शुरू होकर आख़िरी मे आँखो पर पहुचती थी लेकिन एश के केस मे ऐसा नही था , मैने अभी तक उसके सिर्फ़ भूरी आँखो और खूबसूरत चेहरे मे ही ढंग से निगाह डाली थी....मैं सीधा साधा मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करता था, इसलिए मैं एक सीधी-साधी लड़की चाहता था जो मुझसे प्यार करे और जिससे मैं प्यार करूँ....प्लेबाय बनकर हर हफ्ते गर्लफ्रेंड चेंज करना मुझे पसंद नही था लेकिन ऐसी लड़किया मुझे बहुत मिली जो सिर्फ़ दूसरो को दिखाने के लिए ,दूसरो को जलाने के लिए मेरी गर्लफ्रेंड बनने को तैयार थी, लेकिन उन सबको मैने दरकिनार करते हुए हमेशा उस एक लड़की की तलाश मे रहा जो सीधे लेफ्ट साइड मे अपना असर दिखाए,...एश की भोली सूरत, उसका बात-बात पर झगड़ना और हर दम नाक पर गुस्सा लेकर चलना मुझे बहुत पसंद था, पसंद नही था तो सिर्फ़ एक चीज़ की वो गौतम की गर्लफ्रेंड थी....दिमाग़ ने हज़ार बार मुझसे कहा कि एश और तेरा मिलना 99.99 % नामुमकिन है ,लेकिन फिर दिल के किसी कोने से आवाज़ आई कि 00.01% चान्स तो है, इसमे 1000 का मल्टिप्लाइ करके एश और खुद की स्टोरी के चान्सस 100 % कर ले
साला कमीना दिल वो वक़्त ये सब सोचने का नही था इसलिए मैने अपने दिमाग़ और दिल के कॅल्क्युलेशन को पॅक करके पढ़ने बैठा क्यूंकी कल बीएमई का टेस्ट था....
"तुझे कुछ समझ आ रहा है, इधर तो सब सर के उपर से जा रहा है...."अरुण अपना बाल नॉचकर बोला...
"मुझे ऱन्छोड दास चान्चड समझ रक्खा है क्या,जो बिना पढ़े टॉप मार जाउन्गा, मुझे भी कुछ समझ नही आ रहा...."
"ये बीसी एक ही डेरिवेशन का दस दस अलग तरीका देकर मर गये, पढ़ना हमे पढ़ रहा है..."
"ये साइंटिस्ट यदि आज ज़िंदा होते तो गोली मार देता इन सबको "बुक पर दोबारा नज़र गढ़ाते हुए मैं बोला"ये देख,इतना बड़ा फ़ॉर्मूला...ये तो साला पूरे 4 साल मे भी याद ना हो..."
वो रात हमने बुक्स के राइटर और अपना अलग-अलग प्राइसिपल देकर मर गये महान लोगो को गालियाँ देकर बिताई, पहले की आदत थी 4 बजे सुबह उठने की , उस दिन भी आँख सुबह 4 बजे खुली,जबकि मैं 12 बजे सोया था...आँखो मे जलन और सर भारी लग रहा था, मन कर रहा था कि फिर से लाइट बंद करू और चादर ओढ़ कर फिर से सो जाउ, लेकिन आज होने वाली एग्ज़ॅम की टेन्षन से सर भारी होते हुए भी सर को हल्का करना पड़ा मैं 5-10 मिनट. तक ठंडे पानी की बाल्टी मे अपना सर डुबोये रक्खा और जब वापस अपने रूम की तरफ आने लगा तो मुझे वही शरारत सूझी जो रात को अक्सर मैं किया करता था....मैने ज़ोर से एक रूम का दरवाज़ा खटखटाया....
"कौन है बे..."एक मरी हुई आवाज़ मे अंदर से किसी ने मुझसे मेरा परिचय पुछा....
"पोलीस...दरवाज़ा खोलो जल्दी"अपनी आवाज़ कड़क करते हुए मैने कहा"हॉस्टिल मे खून हुआ है और तू सो रहा है बोसे डीके ,निकल बाहर"
इतना बोलकर मैं वहाँ से तुरंत अपने रूम की तरफ भागा और जब अंदर घुस गया तो मुझे उस रूम मे रहने वालो की आवाज़ सुनाई दी,...
"ये कुछ लड़को ने उपद्रव मचा रखा है कुछ दिनो से...शिकायत करनी पड़ेगी इनकी...."
हंसते हुए मैने बीएमई की बुक पकड़ी और खुद को चारो तरफ से चादर मे लपेटकर बुक खोल कर बैठ गया....लेदेकर कुछ तो पल्ले पड़ा और जैसे-जैसे मैं पढ़ते जाता इंटेरेस्ट खुद ब खुद बढ़ता जा रहा था, बीच बीच मे कभी एश का ख़याल आता तो कभी दीपिका मॅम का, लेकिन उसी समय पता नही कैसी मनहूस घड़ी थी कि मुझे सिगरेट पीने की तलब हुई और मैं जब सिगरेट का बहुत ज़्यादा तलबदार हो गया तो सिगरेट की पॅकेट उठाया...लेकिन वो पॅकेट बिल्कुल ,खाली था...
"ओये उठ..."अरुण को हिलाते हुए मैने कहा"उठ जा वरना,....वरना"
"क्या हाीइ...."जमहाई लेकर वो फिर सो गया...
"सिगरेट की पॅकेट कहाँ है..."
"लवडा पी ले..."
"लंड मे माचिस मार दूँगा ,जल्दी बता कहाँ है..."
और तब उसने अपने जेब से सिगरेट का डिब्बा निकालकर मुझे दिया, अरुण से सिगरेट लेकर मैं अपने बिस्तर पर आ धमका और सिगरेट पीते-पीते ईसोथेर्मल प्रोसेस के लिए वर्कडोन निकालने लगा....."
.*****************************
"फॅट रही है यार...साला कुछ नही पढ़ा..."
"अब मैं क्या बोलू फॅट तो मेरी भी रही है,..."
"तू तो सुबह उठकर कुछ देख भी लिया है, मैं तो बीएमई मे वर्जिन हूँ.."
इस वक़्त मैं और अरुण एग्ज़ॅम हॉल के सामने खड़े बतिया रहे थे, साइड मे भू भी खड़ा था लेकिन वो हमसे बात ना करके अपनी कॉपी पकड़े हुए था, कहने को तो ये क्लास टेस्ट था लेकिन इस बार क्लास टेस्ट को भी होड़ के कहने पर मैं एग्ज़ॅम की तरह लिए जा रहा था...
पेपर ईज़ी था, फिर भी थोड़ी बहुत मिस्टेक हर क्वेस्चन मे हुई, एग्ज़ॅमिनेशन हॉल से मैं बाहर निकला तो कॉरिडर मे दीपिका मॅम आती हुई दिखाई दी, हल्के पिंक कलर का सलवार उनपर बहुत जच रहा था, उन्हे मेरी नज़र ने नीचे से देखना शुरू किया और फिर आँखो मे जाकर रुकी....
"गुड मॉर्निंग मॅम..."
"मॉर्निंग...अभी तो आफ्टरनून है..."
"सॉरी, वो टेस्ट का असर अभी तक है...गुड आफ्टरनून..."
"कैसा गया पेपर..."वो वही मेरे पास खड़ी हो गयी, उसने आज भी सॉलिड पर्फ्यूम मारा हुआ था जिससे मेरा तन और मन दोनो वाइब्रेशन कर रहे थे......
"ठीक गया...."एक लंबी साँस खींच कर मैने कहा , और दीपिका मॅम के पर्फ्यूम की खुश्बू मेरे पूरे रोम-रोम मे समा गयी,...मैं वहाँ खड़ा यही सोच रहा था कि वो मुझे फिर से कहे कि चलो कंप्यूटर लॅब मे , लेकिन उन्होने ऐसा कुछ भी नही कहा वो बोली...
"आइ हॅव टू गो...."
"किधर ,कंप्यूटर लॅब मे "
"अववव...."
मैं उसकी इस अववव पर एक स्माइल दी जिसे देखकर वो बोली"मुझे अभी काम है....बाइ"
"कहाँ चल दी...कहाँ चल दी...प्यार की पुँगी बज़ा के..."
दीपिका मॅम के जाने के बाद मैं खुद से बोला और उस रास्ते पर अपने कदम बढ़ा दिए जो कॉलेज से बाहर जाता था...
"न्यूज़ पेपर पढ़ के आता हूँ..."लाइब्ररी के सामने कॉलेज से बाहर जाते हुए कदम रुके, मेरे कदम रुकने की एक वजह ये भी थी कि मैने एश को लाइब्ररी के अंदर घुसते हुए देख लिया था और वो बिल्कुल अकेली थी तो सोचा क्यूँ ना उसी से लड़कर थोड़ा मूड फ्रेश कर लिया जाए.....
मैने लाइब्ररी के अंदर सहेज कर रक्खे हुए एक इंग्लीश न्यूज़ पेपर को उठाया और ठीक उसी जगह पर जाकर बैठा जहाँ एश बैठी हुई थी...उसके हाथ मे हिन्दी न्यूज़ पेपर था और वो न्यूज़ पेपर पढ़ने मे इतनी मगन थी कि उसने मुझे देखा तक नही.....अब मैं वहाँ आया तो एश से लड़ने के लिए था इसलिए किसी ना किसी टॉपिक पर बातचीत तो करनी ही थी....
"पता नही लोग हिन्दी न्यूज़ पेपर क्यूँ पढ़ते है...मसालेदार न्यूज़ तो इंग्लीश न्यूज़ पेपर मे ही रहती है..."न्यूज़ पेपर के पन्ने पलटते हुए मैं धीरे से बोला और एश की नज़र मुझ पर पड़ी, उसने एक नज़र मुझे देखा और फिर न्यूज़ पेपर पढ़ने मे बिज़ी हो गयी.....
"इसने तो लड़ाई शुरू ही नही की ,कुछ और सोचना पड़ेगा..."
इंग्लीश न्यूज़ पेपर की पन्नो की आड़ मे मैने एश को देखा ,उसने स्कर्ट और जीन्स पहन रक्खी थी और तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे उससे लड़ने का एक और आइडिया आया मैं इस बार आवाज़ थोड़ी तेज़ करके बोला"आज कल लड़कियो को देखो, जीन्स पहन कर घूमती रहती है...आइ हेट दट टाइप गर्ल्स, ऐसी लड़किया यदि मेरे पास, मेरी ही टेबल पर बैठ जाए तो गंगा जल से खुद को पवित्र करना पड़ेगा...."
अबकी बार वो भड़की ,उसकी भूरी सी आँख मे गुस्सा उतर आया और वो मुझसे न्यूज़ पेपर छीन कर बोली..."तुम मुझे कह रहे हो राइट?"
"तुम भी यहाँ बैठी हो, कमाल है मैने तो तुम्हे देखा नही.."इंग्लीश वर्ड पर ज़्यादा ज़ोर देते हुए मैने कहा "वो क्या है कि मैं इंग्लीश न्यूज़ पेपर पढ़ने मे इतना मगन था कि तुम्हे देखा नही, हाउ आर यू..."
"फाइन..."वो चिल्ला उठी और तभी लाइब्ररी मे रहने वालो ने एश को चुप रहने का इशारा किया...
"इतना चिल्लाने की क्या ज़रूरत है ,गाँव से आई हो क्या "
"मुझे दोबारा मत दिखना वरना..."
"वरना..."आराम से वहाँ बैठकर मैने कहा...
"वरना....वरना..."इधर उधर देखते हुए वो सोचने लगी कि वो मुझे क्या धमकी दे"वरना मैं तुम्हारा खून कर दूँगी..."
"ऊप्स ! "
"अब जाओ यहाँ से..."वो एक बार फिर चिल्लाई और लाइब्ररी वालो ने एश को वहाँ से बाहर जाने के लिए कहा...वो तुनक कर वहाँ से उठी और बाहर चली गयी...मैं वहाँ बैठा-बैठा क्या करता मैं भी उसी के पीछे चल पड़ा...
"अपनी गर्ल फ्रेंड को बोलो कि ये लाइब्ररी है यहाँ शांति से रहे..."जब मैं लाइब्ररी से निकल रहा था तो बुक इश्यू करने वाले ने मुझसे कहा जिसे सुनकर मैं खुश होता हुआ वहाँ से आगे बढ़ा....
"क्या सच मे तुम मेरा खून कर दोगि..."
"हां, यदि दोबारा मुझे दिखे तो एक खंज़र सीने के आर-पार कर दूँगी...."
"चल चुड़ैल, तेरे मे इतनी हिम्मत कहाँ..."
"व्हातत्तटटटतत्त.......चुड़ैल"
"तो इसमे क्या बुरा कह दिया..."हमारी लड़ाई अच्छि-ख़ासी चल रही थी कि अरुण अपना सड़ा सा मूह बनाकर पीछे से टपक पड़ा और बोला"चल बे अरमान सिगरेट पीते है, मूड बहुत खराब है...."
"ये चुड़ैल, सिगरेट पिएगी..."
"भाड़ मे जाओ...."
उसके बाद मैं और अरुण वहाँ से निकल गये भाड़ मे जाने के लिए
अरुण का पेपर बहुत खराब गया था ,ये बात वो मुझे लगभग हज़ारो बार बता चुका था...हर 5 मिनट. मे वो बोलता कि "साला बहुत हार्ड पेपर आया था...लगता है एक क्वेस्चन भी सही नही होगा" वो जब से पेपर देकर आया था तब से लड़कियो वाली हरकत कर रहा था, वो बुक खोलकर आन्सर मॅच करता और जब आन्सर सही नही निकलता तो खुद सॉल्व करने बैठ जाता...मैं बिस्तर पर पड़े-पड़े जब उसकी इन हरकतों से बोर हो गया तो मैने उसे कहा कि एक पेपर बिगड़ जाने पर इतना परेशान है, तू क्या खाक देश की सेवा करेगा.....
"मुंडा मत बांका और जाके एक पॅकेट सिगरेट लेकर आ...."
अब मैने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया था ,इसलिए सिगरेट खरीदने का दिन हमने आपस मे बाँट लिया था एक दिन वो सिगरेट का डिब्बा लाता तो एक दिन मैं....आज मेरी बारी थी.
"चल साथ मे नही चलेगा क्या...."
"मूड खराब है ,तू जा..."
"अरमान..."तभी बाहर से किसी ने आवाज़ दी, आवाज़ जानी पहचानी थी , मैने रूम का दरवाज़ा खोला ,सामने सीडार खड़ा था....
"तो क्या सोचा..."अंदर आते ही सीडार मुझसे बोला...
"किस बारे मे..."
"न्सुई का एलेक्षन लड़ेगा या नही..."
"एमटीएल भाई,आपको तो पहले ही बता दिया कि...."
"तेरा नाम मैने लिखवा दिया है..."मुझे बीच मे ही रोक कर सीडार ने कहा"मैं यहाँ तेरी राय जानने नही तुझे बताने आया हूँ..."
सीडार के बात करने के इस लहज़े से मैं सकपका गया, और उसकी तरफ मूह बंद किए देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक सीडार ने खुद मुझे आवाज़ नही दी...
"सुन, इस बार वरुण को किसी भी हालत मे प्रेसीडेंट बनने नही देना है, इसके लिए मेरे कॅंडिडेट्स का जीतना बहुत ज़रूरी है....सेकेंड एअर मे गौतम के कारण मेरी पकड़ ढीली है और मुझे पूरा यकीन है कि सेकेंड एअर से हम हारने वाले है...इसलिए मैं चाहता हूँ कि फर्स्ट एअर से हम किसी भी हाल मे जीते और फर्स्ट एअर के लड़को मे से सबसे ज़्यादा तू हाइलाइट हुआ है..."
"लेकिन एमटीएल भाई, वो मेरी पढ़ाई का...."
इस बार भी सीडार ने मुझे बीच मे रोका"ना तो मेरा आज तक कभी बॅक लगा और ना ही कभी कम पायंटर बने, जबकि मैं अपना आधा समय स्पोर्ट्स को देता हूँ, उपर से लड़ाई झगड़े वाले कांड मेरे लिए अडीशनल वर्क होते है..."
"लेकिन...."
"लेकिन वेकीन छोड़ और ये फॉर्म भर..."बिस्तर पर एक फॉर्म फेक्ते हुए उन्होने कहा"कल सुबह मेरे हॉस्टिल मे पहुचा देना...."
"ठीक है भाई "
सीडार के जाने के बाद मैं सिगरेट लेने के लिए दुकान की तरफ बढ़ा, कल फिर टेस्ट था और तैयारी ज़ीरो थी लेकिन फिर भी इस वक़्त दिमाग़ मे पढ़ाई करने का ख़याल दूर-दूर तक नही था, पैदल चलते हुए पूरे रास्ते भर मेरे दिमाग़ मे कयि ख़यालात उभर रहे थे, केवल पढ़ाई और कल के टेस्ट को छोड़कर....एश, विभा ,दीपिका ,सीडार , अरुण और वरुण इन सबने मेरे दिमाग़ मे क़ब्ज़ा कर लिया था...सिगरेट के कश लगाता हुआ मैं कभी एश से आज हुई अपनी झड़प के बारे मे सोच के मुस्कुराता तो कभी दीपिका मॅम का हल्के गुलाबी रंग के सलवार मे क़ैद जिस्म दिखता,
"ये साली विभा उस दिन के बाद कॉलेज मे नही दिखी..."हॉस्टिल की तरफ आते हुए मैने खुद से कहा और ये सच भी था क्यूंकी उस दिन के गॅंग-बंग के बाद विभा को मैने कॉलेज मे नही देखा था, विभा जैसी लड़की जो एक दिन मे कॉलेज के दस राउंड मारती हो वो कॉलेज मे एक हफ्ते से ना दिखे तो थोड़ा झटका तो लगता ही है, वो मुझे एक हफ्ते से नही दिखी थी इसका एक ही मतलब हो सकता है कि वो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई....लेकिन क्यूँ, मैने तो नारी जात का सम्मान करते हुए उसे सही-सलामत भेजा था,
"पीरियड्स चल रहे होंगे..."मैने अंदाज़ा लगाया और सिगरेट के कश मरते हुए फिर हॉस्टिल की तरफ चल पड़ा, लेकिन दिमाग़ मे अब भी विभा ने क़ब्ज़ा कर रक्खा था, क्यूंकी उस दिन के गॅंग-बॅंग के बाद मैं बहुत उत्सुक था कि उसकी और मेरी मुलाकात कैसी होती है ,उसका क्या रियेक्शन होता है...वो मुझे देखकर हासेगी या फिर गुस्सा करेगी या फिर कुछ और ही करेगी....
"भू को शायद कुछ पता हो..."ऐसा सोचते हुए मैं हॉस्टिल मे दाखिल हुआ और सीधे भू के रूम की तरफ चल पड़ा...
"और भू पेपर कैसे बनाया..."भू के रूम मे घुसते ही मैने उससे पुछा....
"एक क्वेस्चन छूट गया..."
"ला पानी पिला, बहुत धूप है बाहर..."
"मैं अभी पढ़ाई करूँगा तू जा यहाँ से, एक हफ्ते बाद आना जब टेस्ट ख़तम हो जाएँगे..."एक साँस मे ही भू ने कहा...
"अबे कुत्ते,मैने तुझे डिस्टर्ब करने नही आया हूँ....बस कुछ जानना है "
"क्या जानना है..."
"विभा को जानता होगा..."सीधे पॉइंट पर आते हुए मैने कहा"वो कुछ दिनो से दिखी नही कॉलेज मे ?"
"विभा..."अपने माथे पर शिकन लाते हुए भू ने अपने भेजे मे गूगल की तरह विभा का नाम सर्च करने लगा और जल्द ही वो बोला"वो कॉलेज मे दिखेगी कैसे, वो तो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई..."
"तुझे कैसे मालूम,"
"कल रात ही फ़ेसबुक पर उससे बात हुई थी मेरी..."
"ग़ज़ब...रीज़न मालूम है..."
"उसने कुछ नही बताया...."
"चल ठीक है तू पढ़ाई कर ,बाइ.."भू के रूम से बाहर जाते हुए ना जाने क्या मन मे आया कि मैं पीछे मुड़ा और भू से बोला"एश की कोई न्यू न्यूज़...."
पहले तो भू हिचकिचाया और मुझे अपनी आँखो से ये बताने लगा कि उसके बाय्फ्रेंड ने मुझे सबके सामने थप्पड़ मारे थे उसका नाम मत ले और फिर मैने भी उसे आँखो के इशारे से बताया कि मैने भी तो गौतम को सबके सामने थप्पड़ मारा था , हिसाब बराबर.....
"एश..."दिमाग़ मे एश का नाम सर्च करते हुए भू बोला"उसके बाय्फ्रेंड गौतम के बाप को किसी ने चाकू पेला है और अपने बाप के इलाज के सिलसिले मे वो कल आउट ऑफ सिटी गया है लगभग एक हफ्ते के लिए...कल सीनियर के हॉस्टिल गया था तो वही कुछ लोगो ने बताया"
"थॅंक यू भू "उच्छल कर मैने उसे गले लगा लिया और फिर उसके बिस्तर पर उसे पटक कर मैं अपने ख़यालो मे गुम हो गया.....
अब कुछ दिन तक मैं और एश एक साथ एक ही कॉलेज मे , और आज एक बार फिर से मुझे इंतेज़ार था कल की सुबह का...कल के टेस्ट जल्दी से ख़तम होने का....प्लान सिंपल था कल जब टेस्ट ख़तम होगा तो मैं पूरा कॉलेज छान मारूँगा और जहाँ भी एश मिलेगी वही उससे लड़ाई करके अपना मूड फ्रेश करूँगा , वो चिल्लाएगी चीखेगी मुझे जान से मारने की धमकी देगी...और मैं उसे चुड़ैल कहूँगा....अरमान फिर मचल उठे ,दिल फिर खिल उठा....किस्मत फिर जाग उठी और मैं अपने रूम मे घुसते हुए ताव से बोला"एक क्वेस्चन छोड़ दूँगा कल एग्ज़ॅम मे और जल्दी से जल्दी एश को ढूँढ निकलुन्गा..."
उस दिन ना तो मैने ढंग से अगले दिन होने वाले एग्ज़ॅम की तैयारी की और ना ही ढंग से सोया...जब भी आँख लगती,पलके भारी होने लगती तभी एश की भूरी आँखो को मैं महसूस करता ,उसकी सूरत नींद मे भी किसी साए की तरह मुझसे लिपटी रहती, मुझे ऐसा लगता जैसे की वो मेरे पास वही मेरे ही बिस्तर पर मेरे उपर लेटी हो और लेफ्ट साइड मे धड़क रहे दिल को मुस्कुराते हुए सहला रही हो और फिर जब मैं उसे अपने दोनो हाथो मे समेटने के लिए अपने हाथ आगे करता तो वो गायब हो जाती, और मेरी आँख खुल जाती....एश को वहाँ ना पाकर मुझे थोड़ा सॅड भी फील होता और खुद्पर हँसी भी आती....किसी के ख़यालो मे खोए रहना , सोते जागते बस उसी के बारे मे सोचना ये सब मैने सिर्फ़ हिन्दी फ़िल्मो मे होते हुए देखा था...लेकिन उस रात उन सब लम्हो को मैने खुद महसूस किया, मैं जब भी अपनी आँखे बंद करता और हल्की से नींद लगती तभी ना जाने कहाँ से एश आ जाती और हम दोनो एक दूसरे से लड़ते झगड़ते....मैने तो उसे चिढ़ाने के लिए उसका निक नेम तक सोचा लिया था "चुड़ैल..." हक़ीक़त की तरह मैं सपने मे भी उसे चुड़ैल कहता और हक़ीक़त की तरह सपने मे भी वो मुझे जान से मारने की धमकी देती...उसे पाने के लिए कलेजा तड़प रहा था , उसे छुने के लिए मैं बेताब हुआ जा रहा था....उस वक़्त मेरे लिए सारी दुनिया एक तरफ और एश एक तरफ थी, "कल का एग्ज़ॅम पक्का खराब जाने वाला है..."आधी रात को मैं लगातार नींद के टूटने से परेशान होकर बैठ गया और आँखे मलते हुए अंधेरे मे ही सिगरेट सुलगाई....
मेरी आँखो मे उसकी सूरत का कुछ ऐसा रंग चढ़ा था कि मुझे डर लगने लगा था खुद से कि कही मैं वो रंग निकलते निकलते अँधा ना हो जाउ, मैं उस वक़्त अजीब हरकते कर रहा था...सिगरेट के कश लेते हुए मैं कभी एश को पाने के लिए एकदम बेचैन हो जाता तो कभी उसके बारे मे सोचकर दिल खिल उठता....मोबाइल मे टाइम देखा रात के 2 बज रहे थे, नींद तो आने से रही इसलिए मैने बाहर टहलने का फ़ैसला किया और रूम से बाहर आ गया, अरुण चैन की नींद ले रहा था इसलिए उसे उठाकर बक्चोदि करने का मन नही किया...सुना था कि ज़िंदगी मे कभी-कभी कोई चीज़ हमे ऐसी मिल जाती है जो ज़िंदगी से भी ज़्यादा प्यारी लगने लगी, ज़िंदगी से भी ज़्यादा अनमोल लगे और आज मुझे वो चीज़ मिल गयी थी ,आज वो ज़िंदगी से भी प्यारे और अनमोल चीज़ एक लड़की के रूप मे मुझे मिली गयी थी ,जो सीध लेफ्ट साइड मे असर करती थी.....मेरे दिमाग़ का कॅल्क्युलेशन अब भी मुझे इस बात की हिदायत दे रहा था कि मैं उसके बारे मे ना सोचु, मेरा दिमाग़ की कॅल्क्युलेशन ये भी कह रही थी कि एश कभी भी मुझसे दिल नही लगाएगी, उस रात मैने एग्ज़ॅम मे आने वाले किसी मोस्ट इंपॉर्टेंट क्वेस्चन की तरह ज़िंदगी के उस मोस्ट इंपॉर्टेंट सच को भी इग्नोर किया, उस मोस्ट इंपॉर्टेंट सच को मैने कयि बहाने बनाते हुए टाल दिया इस आस मे कि किसी ना किसी बहाने से एश इस बहाने को सच कर देगी.....
उस रात काफ़ी देर तक इधर उधर टहलने के बाद मैं वापस अपने बिस्तर पर जा गिरा और सुबह के 5 बजे जाकर मेरी आँख लगी जो सीधे टेस्ट के आधे घंटे पहले खुली, वो भी अरुण के उठाने के कारण...
"क्या है बे, आज टेस्ट देने नही जाना क्या..."अरुण ने मुझसे पुछा, वो बिल्कुल तैयार था और अब शायद एक बार रिविषन मारने के जुगाड़ मे था.....
"टाइम...."आँखो को मलते हुए मैं बोला"टाइम क्या हुआ है"
"ज़्यादा नही सुबह के 10 बज रहे है, आधे घंटे मे एग्ज़ॅम शुरू होने वाला है....यदि नींद पूरी ना हुई हो तो 5-10 मिनट. की एक छोटी सी नींद और ले ले..."
"5 मिनट. बाद उठा देना..."बोलकर मैने फिर चादर तान ली....
.
उस दिन के एग्ज़ॅम मे मुझे सिर्फ़ इतना मालूम था कि टेस्ट किस सब्जेक्ट का है, डेट और डे भी मैने आगे वाले से पुछ कर भरा था , साला मुझ जैसे ब्रिलियेंट लड़के से पेपर का एक क्वेस्चन नही बन रहा था , दिल किया कि खाली कॉपी एग्ज़ॅम इनविजाइलेटर के मूह पर दे मारू, लेकिन फिर रिज़ल्ट मे एक बड़े से ज़ीरो का ख़याल आया तो हर क्वेस्चन के आन्सर मे कुछ कुछ लिखकर बाहर निकला....जिस हिसाब से मैने आज का टेस्ट दिया था उसके अनुसार तो मुझे बहुत दुखी होना चाहिए था और अरुण को गाली देकर अपनी भडास निकलनी चाहिए थी लेकिन ना तो मैं दुखी था और ना ही मेरा गाली देने का मन था, मैं खुशी ख़ुसी इनविजाइलेटर को कॉपी सब्मिट करके बाहर आया,...पहले मैं लाइब्ररी मे घुसा लेकिन आज वहाँ एश नही थी, उसके बाद मैने उपर ,नीचे सभी कॉरिडर मे भी ढूँढा लेकिन एश फिर भी ना दिखी....तब जाकर मुझे ध्यान मे आया कि टेस्ट तो उसका भी है , अभी एग्ज़ॅमिनेशन रूम मे ही होगी तो क्यूँ ना जहाँ उसकी कार खड़ी रहती है वहाँ से थोड़ी दूर खड़े रहकर इंतेज़ार किया जाए.....लगभग आधे घंटे मैं कॉलेज पार्किंग के पास खड़ा रहा लेकिन वहाँ पार्किंग मे ना तो उसकी कार थी और ना ही एश...लेकिन मैं फिर भी वाहा खड़ा रहा क्यूंकी मुझे यकीन था की कोई भी इतनी जल्दी एग्ज़ॅम हॉल से निकलेगा....लगभग आधे घंटे तक मैं वहाँ खड़े होकर मक्खिया मारता रहा तब जाकर एश दिखाई दी, वो अपने कुछ दोस्तो के साथ हस्ती हुई कॉलेज के गेट से बाहर आ रही थी और टर्न मारकर अपने दोस्तो के साथ कॅंटीन की तरफ चल दी......
"एक नंबर की भूक्कड़ है ये तो , मैं इतनी देर से उसके इंतेज़ार मे यहाँ खड़ा हूँ और वो कॅंटीन की तरफ चल दी...."
मैं भी कॅंटीन की तरफ चल पड़ा लेकिन कॅंटीन मे घुसने से पहले मैने सीडार को कॉल किया और बोला कि मैं कॅंटीन मे जा रहा हूँ, नज़र मारते रहना......
मैं कॅंटीन मे जहाँ एश बैठी थी उसी के पास वाली टेबल पर बैठा...कुछ देर तक तो उसके दोस्त वही रहे लेकिन फिर सब अपने -अपने घर को निकल गये...एश को उसके कयि दोस्तो ने कहा कि वो उनके साथ चले वो उन्हे घर ड्रॉप कर देंगे...लेकिन एश ने हर किसी को टाल दिया ,वो बोली कि उसके डॅड ने ड्राइवर से कार भेजवा दी है...वो जल्द ही यहाँ पहुच जाएगा.....
"दो पेप्सी लाना "मैने ऑर्डर दिया और दो पेप्सी की बोतल लेकर जहाँ एश बैठी थी वहाँ जाकर मैं बैठ गया....
"तुम...."
"कहिए ,क्या सेवा कर सकता हूँ..."
"ये सीट बुक है ,तुम जाओ यहाँ से..."
"और नही गया तो..."
"तो याद है ना, वो खंज़र और तुम्हारा सीना..."
"चल चुड़ैल, तेरे मे इतनी हिम्मत कहाँ...."
"इस कॅंटीन का ओनर कौन है..."एश ने तेज आवाज़ मे कहा, जिसे सुनकर तुरंत ही वहाँ काम करने वाला एक आदमी पहुच गया....जिसे देखकर एश बोली"इसे यहाँ से ले जाओ, ये मुझे परेशान कर रहा है..."
कॅंटीन वाला कुछ बोलता उससे पहले ही मैने हाथ दिखाकर वहाँ से जाने की धमकी दी, कभी एश उसे आँख दिखाती तो कभी मैं....जिससे बेचारा तंग आकर बोला
"आप दोनो खुद संभाल लो, मुझे बहुत काम है..."
कॅंटीन मे काम करने वाले उस शक्स के जाने के बाद एश कुछ देर तक चुप कुछ खाती रही और फिर जब उसका खाना पीना ख़तम हुआ तो वो अपना हाथ झाड़ कर मेरी तरफ झुकी और धीरे से बोली....
"यहाँ गौतम के कयि सारे दोस्त है , गौतम आकर लफडा करेगा..."
"तुम उसकी फिकर मत करो..."मैं भी धीरे से बोला...
"तो जाओ यहाँ से..."वो फिर चिल्लाकर बोली...जिससे सबकी नज़र हम दोनो पर आ टिकी...
"ये तू गाँव वाली हरकते मत किया कर, वरना तुझे अपने आस-पास भी नही रहने दूँगा..."
"मैं तुम्हारे पास घूमती हूँ क्या, तुम ही मेरे पीछे पड़े हो...."
"ईईईईईईई....."मैं एक बार फिर आइ वर्ड से आगे नही बढ़ पाया, और उसकी तरफ पेप्सी का एक बोतल सरकाते हुए बोला"लो पियो और मेरा भी पे कर देना...."
"क्या...."
"पे मतलब इन दोनो पेप्सी का भी पैसा दे देना...यार तू पक्का गाँव से आई है"
"अब मुझे गुस्सा आ रहा है, अरमान, डॉन'ट कॉल मे गाँव वाली...तुम्हे शायद मालूम नही कि मैं कौन हूँ...."
"और क्या तुम्हे मालूम है कि तुम इस समय न्सुई के होने वाले प्रेसीडेंट से बात कर रही हो..."
तभी एश का मोबाइल बज उठा उसने कॉल रिसेव की और फिर गुस्से से मोबाइल ऑफ कर दिया....
"क्या हुआ..."
"ड्राइवर का कॉल था, वो बोल रहा है कि कार बीच रास्ते मे खराब हो गयी है..."
"वेटर , दो पेप्सी और लाना" खुश होते हुए मैं एश से बोला"इन दोनो का बिल भी भर देना..."
उसने मुझे फिर गुस्से से देखा और अपना मोबाइल ऑन करके कोई गेम खेलनी लगी, कुछ देर तक तो मैं भी शांत बैठा रहा लेकिन जब उस चुड़ैल की बहुत देर तक आवाज़ नही सुनी तो मैं उसकी सामने वाली चेयर से उठकर उसकी पास वाली चेयर पर बैठ गया और मैने जैसे ही उसके मोबाइल स्क्रीन पर नज़र डाली "यू लूज़" लिखकर आया....
"तुम हंस क्यूँ रहे हो, और मुझसे दूर रहो..."वो अपनी चेयर दूर खिसकाते हुए बोली...
"मैं कहाँ हंस रहा हूँ, ये तो दुख की हँसी है..."मैने भी अपना चेयर उसके करीब खिसकाया....
"एक तो कार बीच रास्ते मे खराब हो गयी ,उपर से ये मेरा दिमाग़ खराब कर रहा है..."वो बड़बड़ाई...
"कहो तो मैं घर छोड़ दूं..."
"और वो कैसे..."
"जादू से...."
"कोई ज़रूरत नही है, क्यूंकी मेरे डॅड ने दूसरी कार भेज दी है...जो कुछ देर मे ही यहाँ पहुच जाएगी...."
|