RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मालूम नही उस तक पहुचने मे कितना वक़्त लगा, लेकिन ऐसा लगा जैसे सादिया बीत गयी हो, जैसे जैसे मैं उसकी तरफ बढ़ता एक अजीब से धुन मेरे कानो मे पड़ रही थी, उसकी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ रही थी...मैं जहाँ तक पहुचा था,वही खड़ा हो गया और अपनी आँखे बंद करके अपने दोनो हाथ फैला लिए....आसमान का चाँद अब अपनी पूरी रंगत मे आ चुका था, जैसे वो भी ये नज़ारा देखने के लिए कब से राह तक रहा था...मैने जैसी ही अपनी आँख खोली ,वहाँ आस-पास कोई नही था...मैं चौक गया ये देखकर कि सब लोग कहाँ चले गये, वहाँ सच मे इस वक़्त कोई नही था, या फिर वो सभी मुझे दिख नही रहे थे...मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि अरुण वहाँ अकेला बैठा हुआ मुझे जल्दी से एश की तरफ जाने के लिए कह रहा था, मैने फिर सामने देखा...वहाँ भी कोई नही था, सिर्फ़ एक लड़की सफेद कपड़ो मे किसी एंजल की तरह सज कर बैठी हुई थी...फिर अचानक उसने अपनी नज़रें पीछे मेरी तरफ की और मुझे देखकर मुस्कुरा दी...उसे मुस्कुराता हुआ देख कर मैने एक बार फिर अपनी आँखे बंद की और अपने दोनो हाथ फैला दिए...कुछ देर बाद ही किसी ने मुझे आहिस्ते से अपने बाँहो मे समेट लिया....मैं जानता था कि वो कौन है,...
"एश...ईईईईईई..."
"ओये ,कहाँ खो गया बे..."किसी ने बुरी तरह मेरे बाँये हाथ को झड़कते हुए बोला....
"आनन्नह...."
"ये क्या आनंह कर रहा है, नींद लग गयी थी क्या..."अरुण ने पुचछा...
कुछ वक़्त तो मैं शांत रहकर ये समझने की कोशिश करने लगा कि ,आख़िर हो क्या रहा है, सभी वहाँ आस-पास बैठे हुए वेलकम पार्टी का मज़ा ले रहे थे....
"झपकी लग गयी थी यार..."मैने कहा...
"ये कैसी झपकी है बे, दोनो हाथ फैला कर..."
"चल छोड़ ना..."अरुण को टोकते हुए मैने कहा"वो डॅन्स प्रोग्राम कब होगा...."
"नेक्स्ट वही है...उसका तो नेम अनाउन्स हो गया..."
"क्या , एश के साथ कौन है..."
"गौतम..."
" एश के साथ मैं क्यूँ नही हूँ ,इतनी सुंदर अप्सरा ,मुझ जैसे हॅंडसम के साथ ही सूट करेगी, उस गौतम के साथ नही..."
"देख मेरा दिमाग़ मत खिसका..."अरुण आगे भी बहुत कुछ बकता, शायद गालियाँ भी देता ,लेकिन नवीन ने अरुण को रुकने के लिए कहा और मुझे समझाते हुए कहा...
"जो आंकरिंग कर रहा है, उसी ने ग्रूप डॅन्स के लिए कपल बनाए है और आंकरिंग करने वाला सिटी का है...तो तू खुद सोच सकता है कि बेनेफिट तो उसके दोस्तो को ही मिलेगा ना...उसके जिन जिन दोस्तो का दिल जिस लड़की पर आया होगा ,उसने उनका नाम ले लिया...."
"इसका मतलब हॉस्टिल वाले वेलकम पार्टी मे पार्टिसिपेट नही करते..."
"हॉस्टिल वाला तू है या मैं...??? ये तो तुझे मुझसे बेहतर मालूम होगा..."
मैं चुप हो गया,क्यूंकी इसके आलवा मैं कर भी क्या सकता था...मेरे पास कोई सूपर पॉवेर तो थी नही कि मैं वही खड़ा होकर अपनी दिलेरी दिखाता.....धीरे-धीरे सभी लड़के अपनी-अपनी डॅन्स पार्ट्नर का हाथ पकड़ कर स्टेज पर ले गये...मुझे सब से कोई लेना देना नही था, मैं तो एश को देख रहा था...अब मैं एक बार फिर उसे निहार रहा था, मैने देखा की गौतम , एश का हाथ पकड़ कर सामने ले गया, और थोड़ी देर बाद म्यूज़िक शुरू हो गया....
"क्या घंटा नाच रहे है, ये लोग...साले सब लड़के देहाती लग रहे है..."खुन्नस मे मैं बोला"यदि डॅन्स करना नही आता तो मुझसे सीख लेते..."
"अभी आगे -आगे देखो अरमान मिया, कैसे मज़ा आता है..."ये बोलकर नवीन चुप हो गया...अरुण इस वक़्त सीटी मारने मे तुला हुआ था...उस साले को ज़रा भी परवाह नही थी कि मुझपर उस वक़्त क्या बीत रही थी....
"कैसे मज़ा आएगा, ये देहाती आगे भी ऐसे ही डॅन्स करेंगे"
5 कपल्स इस वक़्त सामने थे...एश ,गौतम के साथ थी और वरुण फर्स्ट एअर की किसी लड़की के साथ मज़े लूट रहा था...जहाँ जहाँ वो पाँचो कपल खड़े थे , उनके ठीक उपर एक लाइट लगी हुई थी, जो म्यूज़िक के साथ ओं होती और हर एक कपल के चारो तरफ लाइट का एक घेरा बना देती...हर 5 मिनट. बाद उस लाइट का दायरा कम होता जाता, यानी कि हर 5 मिनट. बाद एश और गौतम करीब आते जाते...उधर लाइट जली और इधर मेरा दिल जला, अरुण अब भी लगातार, नोन-स्टॉप सीटी मारे पड़ा था.....
"अबे अरमान, सामने देख...भारी मज़ा आ रहा है...वो देख वरुण ने फर्स्ट एअर वाली आइटम को गोद मे उठा लिया...."
"चल वापस हॉस्टिल...."
"क्यूँ "
मैं जवाब मे कुछ नही बोला, देर ही सही लेकिन अरुण को आख़िर कार समझ मे आ ही गया कि मैं उदास क्यूँ हूँ...वो बोला"चल आजा एम.डी. मारके आते है..."
"ये क्या है..."
"डी+ए+आर+यू...."
"डी+ए+आर+यू....मतलब दारू...?"मैने पुछा...
"यस..."
मैने फ़ौरन अरुण को इनकार किया और सामने देखने लगा, जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था दिल की जलन बढ़ती जा रही थी, फिर अचानक ही ख़याल आया कि यदि दिल जलाना ही है तो क्यूँ ना दारू पीकर जलाया जाए...
"कड़वा तो नही लगेगा..."
" नही बे, एकदम मज़ा आएगा..."
"उल्टी हो गयी तो..."
"अपुन है ना..."
"यदि ज़्यादा चढ़ गयी तो ...."
"अपुन तेरे को हॉस्टिल तक छोड़ेगा..."
मैं कुछ देर के लिए फिर चुप हो गया और सोचने लगा कि अरुण के साथ जाउ या ना जाउ.....तभी मेरे कानो मे वो आवाज़ गूँजी...
"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."
वैसे अभी तक मैने सिगरेट पीकर मेरे बड़े भाई की इस नसीहत को सिर्फ़ आधा ही तोड़ा था,
और अब मैं ये सोच रहा था कि इसे पूरा तोड़ दूं या फिर आधा बचे रहने दूं.....
"एक बार पी लेते है, अगली बार से नो..."मैने सोचा, और अरुण को हां कर दी....
"तो चल, आते है..."कहते हुए हमने नवीन से उसके बाइक की चाभी ली और भू के साथ वहाँ से निकल गये....जब तक शराब की दुकान नही आ गयी मैं बाइक मे पीछे बैठा हुआ यही सोचता रहा कि दारू पीने के बाद मेरा क्या हाल होगा, मैं होश मे रहूँगा या फिर बेहोश हो जाउन्गा,....अरुण ने बाइक शराब दुकान के सामने रोकी और भू बाइक से उतारकर दुकान की तरफ बढ़ा....
"अबे अरुण, थोड़ा डर लग रहा है..."भू जब दुकान की तरफ गया तो मैने अरुण से कहा...
"डर मत बे, "
"कहीं मैने एश के साथ कुछ उल्टा सीधा किया तो..."
"कोशिश भी मत करना...वरना सिटी वाले भककम पेलेंगे, बाद मे भले हॉस्टिल के पास वो मार खा जाए..."
भू हाथ मे एक बड़ी सी बोतल लेकर आया और बोला"लवडा बोतल छुते ही नशा चढ़ गया, आयईी साला चल घुमा गाड़ी उस बनिये के दुकान की तरफ...."
एक दुकान से हमने एक-एक लीटर की दो पानी की बोतल ली और उसके बाद हॉस्टिल वाली रोड की तरफ बढ़ चले...बाय्स हॉस्टिल के आगे और गर्ल्स हॉस्टिल के थोड़ा पीछे एक रास्ता था, जो जंगल की तरफ जाता था....अरुण ने बाइक वही घुमाई और सड़क पर जहाँ रोड लाइट जल रही थी वहाँ रोक दिया....रात को उस रास्ते से कोई गुज़रे ये कभी कभार ही होता था और रात के 11 बजे तो ये और भी नामुमकिन था.....मैं ये जानता था कि इस वक़्त उधर से कोई नही आएगा-जाएगा...लेकिन फिर भी मैने भू और अरुण से कहा....
"किसी ने देख लिया तो...."
"रात को तो इधर लौन्डे लोग तो माल चोदने तक नही आते...."
"वो क्यूँ...."
"भूत का लफडा है इधर...."
"तब तो उसे भी दारू पिलाना पड़ेगा..."हँसते हुए मैने कहा....
अरुण ने पहले हाथ से बोतल की ढक्कन खोलने की कोशिश की,लेकिन जब कयि बार ट्राइ मारने के बाद भी बोतल नही खुली तो वो बोतल की ढक्कन को दाँत से खोलने की कोशिश करने लगा....और इधर भू चिप्स की पॅकेट खोलकर खाए पड़ा था.....
"सच मे इधर भूत का लफडा है अरमान...."बोतल की ढक्कन खोलने के बाद वो बोला"कहते है कि हमारे कॉलेज की एक लड़की ने इधर ही सुसाइड किया था...."
"और वो आज हमारे साथ दारू पिएगी तो उसे मुक्ति मिल जाएगी, राइट "
अरुण ने भू को पानी की बोतल लाने के लिए कहा और जब भू बाइक से पानी की बोतल ले आया तो एक बोतल मुझे पकड़ा कर अरुण बोला, "आधा पानी पी जा.."मैने वैसा ही किया...शुरू मे सोचा कि शायद ऐसा करने से कम नशा चढ़ता हो,...लेकिन बाद मे जब अरुण ने शराब ,उस आधी खाली बोतल मे मिलाई तब समझ आया कि वो तो पानी की बोतल मे शराब डालने का जुगाड़ जमा रहा था.....पानी की दोनो बोतल मे आधा आधा शराब भरकर हिलाते हुए मुझे एक नीम के पेड़ की तरफ इशारा किया, जो अब सूखने की कगार पर था...
"वो पेड़, दिख रहा है..."
"यो..."
"वही उस लड़की ने फाँसी लगाई थी...."
"किस लड़के ने, और ये टॉपिक बंद कर..."
"ऐज युवर विश...."अरुण तो शांत हो गया लेकिन फिर भू ने चिप्स का एक टुकड़ा अपने मूह मे डालकर चबाते हुए बोला....
"यहाँ काम करने वाले स्टाफ कहते है कि , कभी कभी रात मे वो लड़की जिसने अपनी जान दी थी...बुक के साथ उसी पेड़ के नीचे पढ़ते हुए दिखाई देती है...."
"अच्छा..."मैने चिप्स का पॅकेट भू के हाथ से छीन कर कहा"बॅक आई होगी, उस लड़की की "
अरुण ने अब दोनो पानी की बोतलो मे शराब मिक्स कर दिया था और एक बोतल मुझे देते हुए बोला"शुरू मे हल्का सा कड़वा लगेगा...बाद मे सब ठीक हो जाएगा..."
अरुण ने बोतल मूह से लगाई और ऐसे पीने लगा,जैसे की वो शराब नही 100 % प्योर् वॉटर पी रहा हो, उसकी देखा सीखी मैने भी बोतल को अपने मूह मे ऊडेला और दो तीन घूट मारकर बोला"ज़्यादा कड़वा नही है..."और मैने फिर दो चार घूट मारकर बोतल भू को दी....और ये देखने की कोशिश करने लगा कि मुझे चढ़ि है या नही....लेकिन मैं ठीक था, पहले जैसा ही नॉर्मल बिहेव कर रहा था.....
"ला और दे बे..."अरुण के हाथ से बोतल छीनी और दो चार घूट और अपने पेट मे डाला, अंदर जलन हुई लेकिन मैं बर्दाश्त कर गया और थोड़ी देर बाद हम तीनो ने पानी की दोनो शराब मिक्स बोतल खाली कर दी...मैं अब भी पहले जैसा ही महसूस कर रहा था....
वहाँ से बाइक पर बैठकर हम तीनो कंट्री क्लब के लिए सिगरेट पीते हुए निकल गये... खुद को नॉर्मल तो मैं कंट्री क्लब मे पहुचने के बाद भी महसूस कर रहा था...लेकिन अब थोड़ा माइंड फ्री था...एश का ख़याल दूर-दूर तक नही था, उस वक़्त मन कर रहा था तो सिर्फ़ नाचने का....बक्चोदि करने का.....हम तीनो वापस नवीन के बगल मे बैठे , सभी सीनियर्स पीछे खड़े रोल जमा रहे थे और हम फर्स्ट एअर के 10-15 लड़के बाय्स वाली कॉलम मे सबसे पीछे बैठे हुए थे ,सामने स्टेज पर कौन चूतिया नाच रहा था,मालूम नही...लेकिन मेरा उस वक़्त खेल-कूद करने का बहुत मन कर रहा था...सारी टेन्षन उस वक़्त जैसे छु मंतर हो गयी थी और उसी वक़्त मैने अरुण से कहा"लंगर डॅन्स कब चालू होगा..."
"बोल तो अभी यहिच चालू कर देते है..."
"आइडिया बुरा नही है...."
और फिर क्या था, हम 10-15 फर्स्ट एअर के जो लड़के वहाँ पीछे बैठे थे ,वही खड़े हो गये और गला फाड़ फाड़ के उधम मचाने लगे....मैं तो छुट्टी की गालियाँ बक रहा था, ये जानते हुए भी कि वहाँ टीचर्स, सीनियर्स के साथ साथ एश भी मौजूद है....अब वहाँ का महॉल ये था कि 90 % स्टूडेंट्स अब हमारा लंगर डॅन्स देख रहे थे...हमारी इस बहूदी हरकत का अंज़ाम ये हुआ कि स्टेज पर उस वक़्त जो परर्फमेन्स कर रहे थे, वो वही रुक कर बीच मे ही स्टेज छोड़कर वहाँ से चले गये
.
जब स्टेज पर परर्फमेन्स करने वाले चले गये तो म्यूज़िक भी बंद हो गया और हम सब वही पीछे अपनी-अपनी कुर्सिया पकड़ कर शांत बैठ गये और ऐसे बिहेव करने लगे जैसे कि हमने कुछ किया ही ना हो....ये हरकत हमारे लिए बहुत छोटी थी,लेकिन सामने बैठे टीचर्स, पीछे खड़े सीनियर्स और दाई तरफ बैठी हुई लड़कियो को बहुत बुरी लगी थी, टीचर्स के इशारे पर कुछ सीनियर्स हमारे पास आए और धीमी आवाज़ मे बोले...
"क्या बक्चोदि लगा रक्खी है बे, इतने सारे टीचर्स , इतने सारे लोग यहाँ बैठे है....उनके सामने माँ बहन की गालियाँ बक रहे हो...."
हम सब चुप रहे, क्यूंकी इस वक़्त सबकी नज़र हमारी तरफ ही थी, हमे चुप बैठा देखकर सीनियर्स सर पर चढ़ गये और एक ने कहा...
"यदि अब किया तो यही पर झापड़ मार दूँगा...फिर बोलना मत कि सबके सामने क्यूँ मारा, रहना है तो रहो,वरना चुप चाप खिसक लो..."
हम फिर चुप रहे , और प्रोग्राम फिर शुरू हुआ,अबकी बार हम मे से कोई कुछ नही बोला, सब एक दूसरे का मूह ताक रहे थे कि क्या करे,तभी वहाँ दीपिका मॅम ने एंट्री मारी, उसे देखकर औरो का तो पता नही पर मेरा सब कुछ वाइब्रट होने लगा...मालूम नही उसने क्या पहना था, चेहरे पर क्या थोपा था...लेकिन एकदम झक्कास लग रही थी....
"वो...माल..."मैं सिर्फ़ इतना ही बोल पाया, मैं और भी बहुत कुछ बोलना चाहता था...लेकिन जैसे शब्द बाहर ही नही आ रहे थे, जीभ हिलती, मूह खुलता...लेकिन फिर भी मैं कुछ नही बोल पा रहा था....दीपिका मॅम अपने पर्फ्यूम की खुश्बू बिखेरती हुई,सामने टीचर्स के पास जा बैठी और दीपिका मॅम का पीछा करते हुए मेरी नज़र स्टेज पर पड़ी....
"ये बीसी कान क्यूँ फाड़ रहे है ,बंद करवा ये सब..."किसी राजा की तरह फरमान जारी करते हुए मैने अरुण से कहा...
"तुझे चढ़ गयी है..."खीस निपोर कर अरुण बोला"बैठ जा,वरना पेलाइ खा जाएगा..."
"कौन है साला, जो अपुन को टच करिन्गा...."अपनी चेयर से उठकर मैं अरुण के सामने खड़ा हुआ, तब मुझे पता चला कि मैं ढंग से खड़ा भी नही हो सकता...मेरा पूरा शरीर किसी पेंडुलम की तरह आगे पीछे हो रहा था....
"अबे ये क्या चोदने की प्रॅक्टीस कर रहा है..,बैठ जा चुप चाप"
उस वक़्त वहाँ चल रहे म्यूज़िक सिस्टम का साउंड बहुत ज़्यादा था,इसलिए हम कितना भी चिल्ला लें, आवाज़ हमारे बीच ही घूम रही थी, मुझमे जब खड़े रहने की और शक्ति नही बची तो अरुण जिस कुर्सी पर बैठा था,उसे पकड़ कर मैं बोला..."........"कुछ नही बोल पाया मूह खुला और बंद हो गया....
"क्या..."
"क..कुछ..."मैं चुप चाप अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया, साला ये तो परेशानी हो गयी, दारू पीने के बाद तो मैं जैसे गूंगा ही हो गया था....बड़ी मुश्किल से मैने अरुण को समझाया कि मैं कुछ बोल नही पा रहा हूँ....
"होता है...होता...फर्स्ट टाइम यसिच होता है..."
"कुछ करना..."इशारे से मैने कहा...
"इसका एक ही इलाज़ है......लंगर"
फिर क्या था, हमने कुछ लड़को को राज़ी किया और फिर नाचने लगे पीछे, अरुण तो कुर्सी उठाकर नाचने लगा.....
"सब चोदु है यहाँ...."जब मेरी आवाज़ वापस आई तो मैं गला फाड़ के चिल्लाया,...
"बैठो बे..."किसी एक को झापड़ मारकर गौतम ने बैठाया...सब तनटना के बैठ गये, सिर्फ़ मेरे और अरुण के सिवा...अरुण ने जो चेयर अपने उपर उठा रखी थी,उसे वही फेक कर मेरे पास आया....
"ज़यादा चर्बी चढ़ि है क्या,..."मुझे धक्का देकर गौतम ने कहा और मैं दूर फेका गया, शरीर पर मेरा कंट्रोल नही था,,,,
"बीसी उठाओ बे..."
जैसे तैसे मैं अपने पैरो पर खड़ा हुआ, और गौतम की तरफ बढ़ा....
"तेरा घर कितनी दूर है यहाँ से..."मैने पुछा...
"15 कि.मी. "
"और वेट..."
"65 ,क्यूँ कुश्ती लड़ेगा क्या..."हँसते हुए उसने कहा...
"आई ले, 65 केजी का मुक्का..."बोलते हुए मैने अपनी पूरी ताक़त से गौतम पर एक पंच जड़ दिया......"बीसी अगली बार हाथ लगाने से पहले ये देख लेना कि सामने कौन खड़ा है..."
"मार साले को..."अरुण दूर से चिल्लाता हुआ बोला...
"गेम ख़त्म...आइ वॉन"
मुझे किसी ने कुछ नही बोला, सारे सीनियर्स अपना हाथ मसल्ते रह गये, शायद उन्हे मालूम था कि उनके घर का रास्ता हमारे हॉस्टिल से होकर गुज़रता है.....
उसके बाद ना तो सीनियर्स हमे रोकने आए और ना ही हमने कोई उधम मचाया, उसके बाद का प्रोग्राम बहुत शांति से बीता,...
"चल आजा पेट भर के आते है, मैने तो दोपहर को खाना भी नही खाया ,इस चक्कर मे कि रात को चकाचक मस्त खाना मिलेगा..."अरुण ने मुझे पकड़ कर घसीटा, मैं अब भी लड़खड़ा रहा था,...शुरू मे मैने अरुण को मना कर दिया कि मैं खाना नही खाउन्गा, मुझे भूख नही है...लेकिन जब खाने बैठा तो बस ख़ाता ही चला गया,खाना खाने के बाद सब अपने घर की तरफ रवाना होने लगे, मैं ,भू और अरुण भी उस तरफ बढ़े,जहाँ हमने बाइक खड़ी की थी.....
"चुद गये बेटा,..."
"क्या हुआ.."
"नवीन भाग गया पहले ही, अब तो पैदल ही जाना पड़ेगा..."
"हिम्मत नही मेरे पास, मुझे उठाकर ले चलो..."मैं वहाँ बैठ गया....
"एक काम करते है, हम तुझे सुबह आके ले जाएँगे..."
"बीसी ,सुबह मैं खुद आ जाउन्गा..."
"इसे क्या हुआ है..."जब मैं सर नीचे करके वहाँ लास्ट बैठा था,तब एक लड़की की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...मैने उपर देखा...कोई जानी पहचानी सी शकल थी....
"मस्त माल है तू..."उस लड़की को देखकर मैने कहा.."चल आजा झाड़ी के पीछे..."
"तुम दोनो इसे उठाओ, मैं इसे स्कूटी मे हॉस्टिल छोड़ के आती हूँ..."कहते हुए उस लड़की ने अरुण और भू को मुझे उठाने के लिए कहा...
जब मैं खड़ा हुआ और गौर से उस लड़की को देखा तो मालूम चला कि वो तो दीपिका मॅम थी,..."सॉरी मॅम..."
"हुह..."
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