RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उसके बाद का मुझे कुछ याद नही था, स्कूटी मे बैठकर जो आँख लगी,वो सीधे सुबह आँखो मे पड़ती धूप के कारण खुली......मैने उपर नज़र घुमाई तो आसमान था,अगल बगल जंगल ,सामने राख जमा थी,जिसमे से हल्का हल्का धुआ निकल रहा था....और आँखे तब फटी की फटी रह गयी जब जब मैने देखा कि मेरे शरीर मे पैंट ही नही है, मैं कमर के नीचे बिल्कुल नंगा था....
"अरुण....कुत्ते,"
"इधर हूँ..."एक मरी हुई सी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...मैने अपने कमर के नीचे वाले प्राइवेट पार्ट को हाथो से छुपाया और अरुण की तरफ बढ़ा, उसके बगल मे भू लेटा था, ,जिसने सर पर मेरे पैंट को मुकुट की तरह पहन रक्खा था...
"तेरा किसी ने रेप कर दिया..."आँखे मलते हुए उसने कहा....
"तू पहले मेरा पैंट दे, जिसको सर पर मुकुट की तरह लगा रक्खा है..."मैने भू से कहा...मेरा हाथ अब भी मेरे शरीर के प्राइवेट पार्ट को ढके हुए था...भू ने अपने सर से मेरी पैंट निकाली और मेरी तरफ फेका...
"अंडरवेर कहाँ है..."पैंट उठाकर गुस्से से मैने पुछा...
"तुम दोनो को याद नही,लेकिन कल बहुत कुछ हुआ...."अपनी एक आँख बंद करके अरुण खड़ा होता हुआ बोला"कल, तूने अपनी चड्डी उतार कर प्रिन्सिपल के घर की बाउंड्री मे फेंका और भू ने अपना चश्मा तोड़ दिया...."
"क्या "भू बीच मे रो पड़ा...
"और मैने सब कुछ जो कल रात हमने किया वो एक कॉपी मे लिखा है...."
पैंट पहन कर मैने सबसे पहले अपना मोबाइल चेक किया,वो मेरी ही पैंट के जेब मे था...भू के चश्मे के दोनो काँच टूट चुके थे, और अरुण वहाँ एक पेड़ पर चढ़ कर कुछ ढूँढ रहा था....
"कल रात तूने अपने अंडे निकालकर पेड़ पर रख दिए थे क्या,जो आज सुबह उठते ही वहाँ चढ़ गया...."
"मैने अपना मोबाइल और वो कॉपी यहीं कहीं रक्खा था...ताकि तुम दोनो से बचा रहे...वो रहा,मिल गया..."
एक कॉपी और अपना मोबाइल लेकर अरुण नीचे आया, हम तीनो की हालत एकदम बाद से बदतर थी,कपड़े बेहद ही गंदे थे,कुछ जगह से कपड़े फॅट भी गये थे....आँखे बंद किए हुए हम तीनो धीमी-धीमी चल मे वहाँ से हॉस्टिल के लिए निकले तभी अरुण कॉपी खोलकर हमारे कल के कारनामे सुनाने लगा.....
"दीपिका मॅम ने कल रात को जब हॉस्टिल के पास स्कूटी रोकी तो मैं और अरमान उस से उतरे...नीचे उतरने के बाद अरमान वापस स्कूटी पर बैठ गया, और पीछे से दीपिका मॅम को पकड़कर उनकी चुचिया दबाने लगा ,और बोला कि आइस क्रीम खिलाओ...दीपिका मँ ने गुस्से मे अरमान को एक झापड़ मारा और मुझे कहा कि मैं अरमान को वहाँ से ले जाउ...तब हमारे अरमान बाबू ने जोश मे आकर एक बार कसकर दीपिका मॅम के सीने को दबाया और वहाँ से निकल गये....दीपिका मॅम के जाने के बाद हम दोनो को गालियाँ बकता हुआ भू वहाँ आया...."
"एक मिनट. रुक..."अरुण को बीच मे रोक कर मैने कहा"क्या सच मे मैने ऐसा किया,या फिर तू मुझे एडा बना रहा है"
"आगे पढ़ता हूँ....."अरुण आगे पढ़ता हुआ बोला"भू हमसे नाराज़ था क्यूंकी हम दोनो उसे अकेले कंट्री क्लब मे छोड़कर चले आए थे, उसके बाद हम हॉस्टिल की तरफ बढ़े,लेकिन गेट से ही वापस रोड की तरफ लौट आए,क्यूंकी अरमान को और दारू पीनी थी..उसके बाद हम तीनो दारू भट्टी गये और वहाँ से तीन बमफर उठाया और फिर उस शराब दुकान वाले की कॉपी और पेन लेकर वहाँ से भाग दिए......"
"क्या सच मे हमने तीन बोतल खरीदी थी...."
"आगे पढ़ता हूँ और बीच बीच मे रोका मत करो बे,फ्लो बिगड़ जाता है..."भू पर चिल्लाते हुए अरुण ने वापस कॉपी पर निगाह डाली"उसके बाद हम तीनो उस नीम के पेड़ के नीचे पहुचे,जहाँ कयि साल पहले हॉस्टिल की एक लड़की ने अपनी जान दे दी थी...वहाँ बैठकर अभी तक जो कुछ हुआ था,वो मैने शराब दुकान वाले की कॉपी मे लिखा और इंतेज़ार करने लगे उस लड़की का जो अक्सर रात को बुक लेकर पढ़ते हुए दिखाई देती है....यहाँ ये भी लिखा है कि ये प्लान अरमान का था,उसी ने कहा था कि चलो उस लौंडिया के भूत को चोद के आते है,....उसके बाद हमने एक बोतल वही खाली की और जब वो लड़की नही आई तो अरमान ने खाली बोतल की जगह भरी बोतल को फोड़ा और उसके काँच को पकड़ कर हिन्दी और इंग्लीश दोनो मे लिख दिया""भूतनि यदि तेरी गान्ड मे दम हो तो मेरे सामने आना, मैं कल फिर आउन्गा...""उसके बाद वहाँ जो कुछ हुआ उसे मैने कॉपी मे लिखा..."बोलते बोलते अरुण चुप हो गया....
"आगे बोलना मज़ा आ रहा है सुनने मे..."
"अबे साँस तो लें दे..."लंबी-लंबी साँस भरकर अरुण ने प्रवचन फिर शुरू किया"देन, हम सब कन्फ्यूज़ थे कि अब कहाँ जाए, तभी भू ने अरमान के सामने शर्त लगाई कि यदि वो अपनी चड्डी उतार कर प्रिन्सिपल के घर मे फेकेगा तो वो अपना चश्मा वही फोड़ देगा...और उसके बाद वैसा ही हुआ..अरमान प्रिन्सिपल के घर के सामने नंगा हुआ और अपनी चड्डी गोल गोल घुमाते हुए प्रिन्सिपल के घर के अंदर गोल कर दी, फिर क्या था भू ने भी जोश मे अपना चश्मा उतारा और वहिच सड़क पर दे मारा....उसके बाद हम वापस नीम के पेड़ के नीचे आए और मैने वहाँ बैठकर अभी जो कुछ भी हुआ उसे फिर से लिखा.....उसके बाद कहाँ जाएँ हमे नही सूझा तो अरमान ने शराब की बोतल घुमाई और जिस तरफ भी उस बोतल का मुहाना रुका,हम उधर ही बढ़ गयी...यहाँ आकर अरमान ने अपनी पैंट भू के सर मे बेल्ट से बाँध दी और भू को मुकुट पहना कर इस जंगल का राजा बना दिया...उसके बाद हम तीनो ने वहाँ आग जलाई और उस आग के चारो तरफ जंगली डॅन्स किया...और फिर मैने वो सब कुछ लिखा जो यहाँ हुआ और पेड़ मे चढ़ कर मोबाइल और कॉपी छुपा दिया....."
हम तीनो अपनी आँख मलते हुए जंगल से निकल कर हॉस्टिल की तरफ जाने वाली सड़क पर पहुच गये थे...तभी मेरा मोबाइल बजना शुरू हो गया....
"हेलो,..."जमहाई लेते हुए मैने कहा...
"अरमाआअन्णन्न्"किसी की दूसरी तरफ से जोरदार चीखने की आवाज़ आई, मैने स्पीकर ऑन करके रक्खा था,इस लिए इस आवाज़ ने मेरे कानो को भी चीर डाला....
"कौन है बे...."
"आज कॉलेज आओ, बताती हूँ तुमको..."
"क..क..कौन, दीपिका मॅम..."अंदाज़ा लगाते हुए मैं बोला...
"आज आओ तुम कॉलेज..."बोलकर उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी....
"अब इसको क्या हुआ..."जेब मे मोबाइल ठूंस कर मैं खुद पर झल्लाया और हॉस्टिल की तरफ बढ़ा...
ये तो सिर्फ़ शुरुआत थी,उस दिन हमे ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि हमारे साथ क्या क्या होने वाला है....शराब की दुकान वाले को मालूम नही कहाँ से खबर लग गयी थी कि उसकी दुकान से उसके हिसाब किताब वाला कॉपी लेकर भागने वाले इस कॉलेज के थे, उसने जब कॉलेज स्टाफ को ये बताया कि कल रात को तीन लड़को ने ये हरकत की है तो कुछ का ध्यान सीधे हम तीनो पर गया, और उन्होने फेस टेस्ट करने के लिए उस शराब दुकान वाले को कॉलेज बुलाया....और हम तीनो, इस वक़्त वही प्रिन्सिपल के ऑफीस मे किसी मुज़रिम की तरह अपना फेस टेस्ट करा रहे थे....
"यही तीनो है सर जी..जिन्होने हमारा लेखा जोखा वाला कॉपी मार के ले गये रहीं कल रात के..."
"इसका समान इसे वापस करो..."कड़कती हुई आवाज़ मे प्रिन्सिपल बोला....
"यस सर , हॉस्टिल मे रक्खी है..."अरुण ने जवाब दिया,..
"तुम इनके साथ हॉस्टिल जाओ और अपना समान लेकर चलते बनो इधर से..."शराब दुकान वाले को भी हड़काते हुए प्रीसिपल बोला...
हम तीनो वहाँ से निकल ही रहे थे कि उस महा बक्चोद दारू दुकान वाले ने अपना सड़ा सा मूह फाड़ कर प्रिन्सिपल से बोला"तीन बोतल र्स का धन नही मिला है, सर जी "
"गेट लूऊऊवस्त...."
"क्यूँ बे चूतिए, बोस डीके ,तेरे गान्ड मे इतनी अकल नही है...जो तू वहाँ दारू के पैसे माँगने लगा..बीसी"अकड़ दिखाते हुए मैने कहा...
"सुन बे, दोबारा उस एरिया मे तू दिख भी मत जाना,वरना वही पर कत्ल कर देब..."वो भी अकड़ कर बोला...
"जा बेटा, अब ना तो तुझे तेरी वो कॉपी मिलेगी और ना ही तेरी तीन बोतल का धन..."
"वापस जाउ सर के पास..."
"मैं तो मज़ाक कर रहा था..."तुरंत अपने तेवर बदल कर मैने कहा"तू तो बुरा मान गया यार....भाई है तू अपना "
उसके बाद हमने उस दारू वाले को पैसे और उसकी कॉपी दी और बॅग उठाकर कॉलेज पहुचे, क्लास मे घुसे तो लड़को ने बोला की प्रिन्सिपल सर ने हम तीनो को बुलाया है, ये सुनकर रोम रोम कांप गया ,और ये डर सताने लगा कि प्रिन्सिपल ये खबर घर मे ना दे दे, वरना अच्छि ख़ासी पिटाई होती.....
"हे भगवान,अबकी बार बचा ले...कसम से आज के बाद दारू शब्द भी मूह से नही निकालूँगा...शनिवार और मंगलवार को शुद्ध शाकाहारी खाना खाउन्गा...बस इस बार बचा ले..."मैं उस वक़्त प्रिन्सिपल के सामने खड़ा होकर यहीं सोच रहा था और यदि मैं सही हूँ तो यही हालत अरुण और भू की भी थी.....
"तुम तीनो मे से अरमान कौन है..."कुछ लिखते हुए प्रिन्सिपल ने पुछा...
"सर मैं..."
"घर का नंबर बताओ..."
"जी..."
"अगले 10 सेकेंड के अंदर 10 डिजिट का अपने घर का मोबाइल नंबर बताओ..."
"क्षकशकशकशकशकशकशकशकशकश....लेकिन क्यूँ सर..."
"अब ये भी बताऊ...."अपना सर उपर करके प्रिन्सिपल सर मुझपर चिल्लाए और बोले"कल रात को भी तुम तीनो ने बहुत हंगामा किया...और साला तुम लोगो ने इस कॉलेज को बना के क्या रक्खा है...जहाँ एक दारू वाला अपने पैसे माँगने आता है...."
"सॉरी सर...."
"रोल नंबर. क्या है..."एक ग्लास पानी अपने गले से नीचे उतारने के बाद उन्होने पुछा और जब मैने उन्हे अपना रोल नंबर. बताया तो बोले"पढ़ने मे अच्छे हो..."
"थॅंक यू सर और कसम से सर आगे से ऐसा कुछ भी नही करूँगा...आप बोलॉगे तो मैं उस रास्ते भी नही जाउन्गा, मैं खुद पूजा पाठ वाला आदमी हूँ,मालूम नही कल मदिरा को हाथ कैसे लगा लिया,वरना मैं तो कोल्ड ड्रिंक तक नही पीता सर....आज के बाद बिल्कुल ऐसा नही करूँगा...घर मे कॉल मत करो...."और उसके बाद हम तीनो ने एक बड़ा सा "प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज" बोला
"एक-एक अप्लिकेशन तैयार करो और उसमे ये लिखो कि आज के बाद यदि मैने ऐसी ग़लती की तो मुझे आप कॉलेज से सीधे निकाल सकते है..."
"थॅंक यू सर..."
जैसे तैसे जान छूटी तो हम तीनो क्लास की तरफ भागे...लेकिन मुझे ये नही पता था कि वहाँ दीपिका मॅम अपने सीने का दर्द लिए मेरी राह तक रही थी....
"मे आइ कम...."दीपिका मॅम को क्लास के अंदर देखकर मेरी ज़ुबान लड़खड़ा गयी...
"इन..."
आज दीपिका मॅम कुछ उखड़ी-उखड़ी सी थी,जहाँ पहले वो अक्सर चलती क्लास के बीच मे मुस्कुरा के देखती थी आज वही वो मुझे देख तक नही रही थी, उसने सबसे ,क्लास मे बैठे 60 मे से 59 स्टूडेंट्स से वेलकम पार्टी के बारे मे पुछा ,सिवाय मुझे छोड़कर.....जब इतनी हॉट आइटम जो पहले आप पर फिदा हो और फिर इस तरह से पलटी मार जाए तो दर्द तो होता ही है...लेकिन ये दर्द लेफ्ट साइड वाला ना होकर राइट साइड वाला या फिर कमर के नीचे वाला दर्द था.....
"हॅव आ नाइस डे..."बोलते हुए दीपिका मॅम क्लास से निकल गयी ,और इसी के साथ रिसेस का टाइम भी हो गया....
दीपिका मॅम के वहाँ से जाने के बाद मैं बहुत देर तक सोचता रहा कि क्या करूँ, उसे मनाऊ या फिर उसी हालत मे छोड़ दूं ,जैसी हालत मे वो है....लेकिन फिर प्रॅक्टिकल के 40 नंबर का ख़याल आया और मैं वहाँ से उठकर सीधे कंप्यूटर लॅब की तरफ बढ़ा....
"गुड आफ्टरनून मॅम..."लॅब के अंदर घुसते ही मैं बोला...
"व्हाट ईज़ कन्सर्वेशन ऑफ एनर्जी..."
" एनर्जी कॅन नेवेर बी क्रियेटेड ऑर डेस्ट्राय्ड..इट ट्रॅन्सफॉर्म ओन्ली वन फॉर्म टू अनदर फॉर्म...."
"बट आइ कॅन क्रियेट आ प्रोग्राम आंड डेलीट आ प्रोग्राम...सिट डाउन..."
"थॅंक यू मॅम, मैने सोचा कि कल रात वाली वजह से आप नाराज़ होंगी..."
"स्टॅंड अप..."
"क्यूँ..."
"जाके दरवाज़ा बंद करो,"
"लेकिन इस बीच यदि कोई आ गया तो..."उस वक़्त मैं दीपिका मॅम की आँखो मे ये झाँकने की कोशिश कर रहा था कि वो करना क्या चाहती है...
"सब टीचर्स मीटिंग के लिए न्यू बिल्डिंग मे गये है सिवाय दो तीन को छोड़कर...और यदि इस बीच कोई आ गया तो नुकसान तुम्हारा होगा..."उसने अपना पर्स खोला और लिपस्टिक निकलते हुए बोली"मैं सबको यही बोलूँगी कि ,तुम जबर्जस्ति यहाँ घुस आए थे..."
"क्या मॅम, एक तो वैसे भी कल वाला कांड यमराज के माफिक मेरे इधर उधर घूम रहा है,उपर से आप और डरा रही हो..."
"खुद को बचाने के लिए तो झूठ तो बोलना पड़ेगा ना...मुआहह.."मुझे एक फ्लाइयिंग किस देते हुए वो बोली"दरवाज़ा बंद कर दो, "
"यस मॅम ,"दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए मैने सोचा"रुक साली ऐसा चोदुन्गा कि तेरा सारा अंजर पंजन ढीला पड़ जाएगा "
|