Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:32 PM,
#38
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
जैसे-जैसे एग्ज़ॅम के दिन पास आ रहे थे,वैसे-वैसे ठंड भी बढ़ने लगी थी...कयि साल पहले सर्दी के मौसम की एक बड़ी असरदार कहावत सुनी थी मैने और वो ये थी कि....सर्दी के मौसम मे नींद बहुत झक्काश आती है, एक बार जो सोए तो उठने का मन ही नही करता...लेकिन ये झक्कास नींद उसे ही आती है,जिसके पास रहने के लिए घर हो और ठंड से बचने के लिए रज़ाई या कंबल....जिसके पास ये होता है,वो मस्त आराम की नींद लेता है और जिसके पास ये दोनो चीज़ नही होती वो ऐसा सो जाता है कि फिर कभी उठता नही....मेरे पास रहने के लिए घर और ओढ़ने के लिए कंबल ,दोनो थे...इसलिए मुझे तो नींद झक्कास वाली ही आनी थी.....
.
उस दिन के बाद मैने एक दिन भी कॉलेज के दर्शन नही किए, दिन भर या तो रूम मे पड़ा रहता या फिर सीडार के साथ बैठकर गप्पे मारता, इस वक़्त ना तो मेरे पास एश थी, ना ही दीपिका मॅम और ना ही विभा....इन तीनो का एग्ज़ॅम से कुछ दिन पहले मेरे आस-पास ना होना मेरे लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हो सकता था, क्यूंकी इस सिचुयेशन मे मैं सिर्फ़ सोता,ख़ाता ,पीता और मूठ मारता...इन सब कामो के बावज़ूद इतना समय था कि मैं जबरदस्त तरीके से हर एक सब्जेक्ट की तैयारी कर लेता, लेकिन मैने बिल्कुल भी ऐसा नही किया....मैं हर दिन सुबह से शाम हॉस्टिल के बाहर की हरियाली मे टहलता रहता और पढ़ने की बजाय , मैं क्यूँ नही पढ़ता इसकी वजह ढूंढता रहा.....
.
और जब सेकेंड क्लास टेस्ट शुरू हुए तो मैने बहुत ज़ोर से कुल्हाड़ी अपने पैर पर मारी, मैने एक भी टेस्ट नही दिया....मैं जानता था कि ये सब ग़लत है,मुझे ऐसा नही करना चाहिए...ऐसा करके मैं खुद को खाई की तरफ धकेल रहा हूँ....मैं सब कुछ जानता था और हर तरीके से जानता था ,लेकिन मैने फिर भी वही किया जो मुझे नही करना चाहिए था.....मैने पूरा का पूरा सेकेंड इंट्नल्स अटेंड नही किया, अरुण हर दिन एग्ज़ॅम देकर आता और मुझे गालियाँ बकता , लेकिन मैने उसे झूठ कह दिया था कि मेरी तबीयत बहुत खराब है,बैठने तक की हिम्मत नही है....अरुण कोई दूध पीता बच्चा नही था, वो जानता था कि मैं सिर्फ़ बहाना मार रहा हूँ,लेकिन वो मुझे बोलता भी तो कितना,...उसने मुझे धमकी भी दी कि यदि मैं अगले पेपर से कॉलेज नही गया तो मेरे घर कॉल करके सब बता देगा....
.
जब कुल्हाड़ी मार ही ली थी तो फरसा मारने मे क्या जाता है, अबकी बार मैने फरसा मारते हुए उससे कहा कि ,यदि उसने मेरे घर कॉल किया तो मैं उसके घर कॉल करके बता दूँगा कि वो रोजाना गर्ल्स हॉस्टिल मे छुप छुप कर जाता है.....बस फिर क्या था,बात बन गयी, हमारे बीच ये डील फिक्स हुई कि ना तो मैं उसके घर कॉल करूँगा और ना ही वो मेरे घर कॉल करेगा...मेरा एग्ज़ॅम फॉर्म भी उसी ने भरा, और एग्ज़ॅम के दो दिन पहले वो अड्मिट कार्ड मुझे देते हुए बोला...
"एग्ज़ॅम कब से है, मालूम है ना..."
"दो दिन बाद..."
"फर्स्ट पेपर सिविल का है..."
"चल बाइ, थॅंक्स...आता हूँ सिगरेट फूक के..."
उसके हाथ से अड्मिट कार्ड लेकर मैने ऐसे ही टेबल पर फेक दिया और रूम से निकल कर सीनियर हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....कुछ दिन से मैं अपने सीनियर्स के साथ रात रात भर रहता और बकर्चोदि करता...सोने और जागने का कोई टाइम नही था...जब नींद लगे तो वो हमारे लिए रात हो जाती थी ,और जब आँख खुले तो वो हमारी सुबह....उस वक़्त मैने दुनिया के हिसाब से ना चलकर ,एक खुद की पर्सनल दुनिया बना ली थी,जिसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं था, मेरे मन मे जो भी आता, वो मैं करता....मेरे ऐसा करने पर दूसरो पर क्या एफेक्ट करता है, उससे मुझे कोई लेना -देना नही था,....
.
ऐसा करते -करते एक दिन और बीत गये और एग्ज़ॅम शुरू होने मे सिर्फ़ एक दिन बचा था, रात को सोचा कि अपुन तो ब्रिलियेंट है,एक दिन मे ख़त्म कर दूँगा....उस रात मैं पूरे 12 घंटे तक सोया, और सुबह जब नींद खुली तो एक घबराहट ने मुझे घेर रक्खा था...मैने उठते ही अरुण से, जो कि इस वक़्त बुक खोलकर बैठा हुआ था, उससे मैने टाइम पुछा..
"अभी सुबह के 4 बजे है, और सोजा...जब 12 बाज जाएँगे तब मैं उठा दूँगा...."
"अबे टाइम बता ना..."
"10 बजे है..."
"एमसी, कल पेपर है, और अभी तक कुछ पढ़ा नही....तू एक काम कर, मैं जब तक बाथरूम से आता हूँ,तू मेरी बुक पकड़ और इंपॉर्टेंट क्वेस्चन्स मार्क कर दे..."
"हेलो...."मैं बिस्तर से नीचे उतर ही रहा था की अरुण बोला"मेरे पास इतना टाइम नही है...अभी पूरा का पूरा 3 यूनिट बाकी है..."
"एक यूनिट मे मार्क कर दे, 1 मिनट. लगेगा..."बोलते हुए मैं रूम से बाहर आया...
.
उस दिन एक नयी चीज़ मुझे पता चली...और वो ये कि मैं रत्ती भर भी होशियार नही हूँ, एक क्वेस्चन एक घंटे मे याद हो रहा था और उसके बाद यदि आगे के दो चार पढ़ लो, तो साला पीछे क्या पढ़ा है,ये नही मालूम था....बीच बीच मे मैं बुक के राइटर की,क्लास की टीचर की माँ-बहन करता और जब मन फिर भी नही भरता तो अरुण को गाली देता....इसका नतीज़ा ये हुआ कि अरुण ने कान मे हेडफोन लगाया और फिर पढ़ने लगा....मेरी हालत बहुत ही बेकार थी,शाम के 7 बज गये थे,लेकिन अभी सिर्फ़ एक ही चॅप्टर याद हुआ था, और उसमे भी कोई गारंटी नही थी कि उस चॅप्टर के क्वेस्चन यदि एग्ज़ॅम मे आए तो बन ही जाएँगे......वाकई मे उस वक़्त मुझे वो दिन याद आने लगे ,जिसे मैने यूँ ही बर्बाद कर दिया था,अब मुझे अहसास होने लगा था कि कल के पेपर मे मैं ज़िंदगी मे पहली बार फैल होने वाला हूँ.....
.
"फैल..."ये ऐसा एक शब्द था, जिससे मुझे नफ़रत तो नही थी,लेकिन फिर भी ये मुझसे आज तक दूर ही रहा,...मैने कयि लड़कों की मारक्शीट मे लाल स्याही से ये वर्ड छपा हुआ देखा,लेकिन अपने करीब कभी नही पाया,...उस वक़्त मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ एग्ज़ॅम नज़र आ रहा था, दीपिका मॅम, विभा और एश का यदि ख़याल भूल के भी आ जाता तो मैं चिल्ला -चिल्ला कर इन तीनो को गाली देता और कहता कि सालियो ने मेरा पूरा समय बर्बाद कर दिया...ना ये तीनो मुझे दिखती और ना ही मैं ऐसे लफडे मे फँसता....बीसी तीनो का मर्डर कर देना चाहिए....
.
उस एक वक़्त मैं सच मे थोड़ा पागल हो गया था, जहाँ मुझे मेडितेशन की ज़रूरत थी मैने वहाँ गालियों और सिगरेट से काम लिया,..कयि बार तो ये ख़याल आया कि कहीं भाग जाता हूँ और सीधे एग्ज़ॅम के बाद आउन्गा, लेकिन इसका कोई फ़ायदा नही था...क्यूंकी नेक्स्ट सेमेस्टर मे मुझे 12 पेपर्स देने पड़ते,उस वक़्त मैने पढ़ने के सिवा सब कुछ किया, पढ़ाई मे ध्यान लगे इसलिए आँखे बंद करके तीन-तीन बार गायत्री मन्त्र, सरस्वती मंत्र भी पढ़ा...लेकिन सब बेकार....जैसे जैसे रात हो रही थी, मैं उस रात की गहराई मे पागलो की तरह चिल्ला रहा था, उस वक़्त मैं ऐसा बन चुका था कि यदि कोई मुझे मेरा नाम लेकर भी पुकारे तो मैं उस साले की वही ऑन दा स्पॉट ,हत्या कर दूं.....लेकिन उसके पहले मेरी हत्या करने के लिए एक कॉल आया....
"कल से एग्ज़ॅम शुरू है..."
"हां..."
"सब कुछ पढ़ लिया..."
"नही लास्ट का कुछ पोर्षन बचा है...."
ये मेरी मोम की कॉल थी, जिन्होने एग्ज़ॅम के ठीक 43 हज़ार 200 सेकेंड्स पहले मुझे कॉल किया था, यानी की रात के 10 बजे...उस वक़्त ले देके कैसे भी करके मैने 2 चॅप्टर कंप्लीट किया था...लेकिन हालत आयाराम और गयाराम वाली थी...यानी कि उस वक़्त एक क्वेस्चन कोई पुच्छ दे तो उसका जवाब देने के लिए मुझे बुक देखना पड़े....

"माँ कसम क्या हालत बन गयी है मेरी...."मैं उस वक़्त भूल गया था कि लाइन पर दूसरी तरफ भी कोई है...

"क्या हुआ अरमान..?"
"कुछ..कुछ नही..."घबराते हुए मैं बोला"सब ठीक है, "

"ठीक है फिर,अच्छे से पेपर देना और हां ,वो पांडे जी की बेटी से ज़्यादा नंबर लाना.."
"ओके.....और कुछ.."
"और सुन, "इसके बाद उनकी उस लाइन ने मेरा कलेज़ा फाड़ के रख दिया ,"बदनाम मत करना, कल ही तेरे पापा अपने दोस्त के सामने तेरी बधाई कर रहे थे कि तू अभी तक अपने स्कूल मे टॉप मारते आया है..."
"हाा....."
"चल ठीक है...खाना खाया..."
"ना...हां..ना...धत्त तेरी, हां खा लिया...अब रखता हूँ, "

उसके बाद जैसे जिस्म मे बहता खून सूख गया हो, मेरी हालत और खराब हो गयी और मैं अपने बाल नॉचकर ज़ोर से चिल्लाया....मैने रूम के सारे सिगरेट के पॅकेट को एक जगह रक्खा और उसपर माचिस मार दी , उस वक़्त मैं उन सबको फॅक्टर्स को दोषी करार दे रहा था,जिन्होने मुझे अभी तक पढ़ने नही दिया था....सिवाय खुद के, जबकि इस मशीन को खराब करने वाला मैं फॅक्टर मैं खुद था.


उस एक कॉल ने मुझे इतना डरा दिया ,जितना मैं खुद नही डरा था....ना जाने घरवाले मुझे लेकर क्या क्या अरमान लिए बैठे थे और यहाँ मैं उनके अरमानो पर एक झूठी बुनियाद की परत चढ़ा था...हॉस्टिल के जिस रूम मे मैं रहता था,इस वक़्त उस रूम के बीच-ओ-बीच अभी मैने आग सुलगा कर रक्खी थी...मेरे जहाँ मे सिर्फ़ एक ख़याल था कि जब रिज़ल्ट आएगा तो मैं क्या कहूँगा घरवालो से...उन्हे क्या एक्सक्यूस दूँगा,

"बीमार हो गया था"ऐसा बोल दूँगा, मैने सोचा...लेकिन ये कुछ फिट नही हुआ....इसके बाद कयि और आइडियास आए,लेकिन एक भी ढंग का नही था...और मैने दो घंटे और ऐसे ही बर्बाद कर दिया, टाइम देखा तो रात के 12 बज रहे थे....अरुण अब भी कान मे हेडफोन घुसा कर पढ़ने मे बिज़ी था,ना तो वो मेरी हरकते देख रहा था और ना ही कुछ बोल रहा था...साला कमीना,कुत्ता

मैं अभी तक रूम मे बहुत कुछ कर चुका था...लेकिन वो तब से चुप चाप पड़ा था और जब 1 बज गया तो अरुण ने पढ़ना बंद किया और मेरे पास आकर बोला...
"और ले मज़े, जब पढ़ने को बोल रहा था तो होशियारी पेल रहा था..."
"यही बोलने तू अपने बेड से उठकर मेरे बेड पर आया है..."
जवाब मे अरुण ने मेरी बुक उठाई और हर यूनिट मे 3-3 क्वेस्चन मार्क करके बोला"हर साल इनमे से एक आ ही जाता है, सुबह उठकर पढ़ लेना और 2-2 नंबर वाले देख लेना...पेपर आराम से निकल जाएगा...."
"सच मे पेपर निकल जाएगा..."
"खून से लिखकर दूं क्या अब"
"थॅंक्स यार..."
सोया तो मैं एक बजे था, लेकिन फिर भी मेरी नींद सुबह के चार बजे अपने आप खुल गयी, आज ना ही सर दर्द दे रहा था और ना ही सुबह उठते ही करने की इच्छा हो रही थी ,कुल मिलाकर कहे तो एग्ज़ॅम के कारण पूरी फटी पड़ी थी...मैने उठते ही बुक खोली और अरुण के बताए क्वेस्चन को रट्ता मारने लगा, रट्ता इसलिए क्यूंकी समझने का टाइम नही था, मैने न्यूयीमेयरिकल तक को याद कर लिया और जैसे-जैसे क्वेस्चन याद होते जाते, मेरा कॉन्फिडेन्स बढ़ने लगा और एक बार मैं फिर से चिल्लाकर बोला"यदि दो दिन पहले से पढ़ता तो साला मैं तो टॉप मार देता..."
.
सुबह हुई और एग्ज़ॅम का टाइम भी आया, लेकिन एग्ज़ॅमिनेशन टाइम के ठीक आधा घंटे पहले मुझे होश आया कि ना तो मेरे पास पेन है और ना ही पेन्सिल...

"दो पेन है..."तैयार होते हुए मैने अरुण से पुछा...
"ब्लॅक है, चलेगा..."
"दौदेगा...."उसके हाथ से पेन लेकर मैने शर्ट की जेब मे रक्खा और बोला"पेन्सिल है..."
"एक ही है...."
"गुड, बीच से तोड़ के दे..."
जब पेन्सिल को बीच से तोड़ने के लिए मैने कहा तो अरुण मुझे घूर्ने लगा...
"अब तू एक पेन्सिल के लिए मत रो बे, पैसे ले लेना..."
इसके बाद मैने आधी टूटी हुई पेन्सिल भी शर्ट की जेब मे डाली...
"भाई, एरेसर भी बीच से काटकर देना,वो भी नही है"
अरुण ने अपने दाँत पिसे और फिर बीच से एरेसर काट कर दिया....अब मेरे पास सिर्फ़ एक चीज़ नही थी,वो थी "कटर" मैने एक बार फिर अरुण की तरफ देखा...
"अब और कुछ मत माँग लेना..."
"चल कोई बात नही, आगे-पीछे वालो से माँग लूँगा..."
उसके बाद मुझे ख़याल आया कि अड्मिट कार्ड तो लिया ही नही, और सब काम छोड़कर मैं अड्मिट कार्ड ढूँढने लगा, लेकिन अड्मिट कार्ड कही मिल नही रहा था...एक तो वैसे भी देर हो रही थी उपर से एक और प्राब्लम.....
"बीसी, ये अड्मिट कार्ड कहाँ गया, अरुण तूने देखा क्या..."
"अबे चुप, रिविषन मार रहा हूँ, डिस्टर्ब मत कर...."
मैने बहुत ढूँढा, टेबल पर रक्खी हुई हर एक चीज़ को उलटा-पुल्टा कर देखा, टेबल के उपर नीचे,आगे पीछे हर जगह देखा...खुद के और अरुण के बिस्तर को तहस नहस भी कर दिया लेकिन अड्मिट कार्ड कही नही मिला, एग्ज़ॅम की टेन्षन पहले से ही थी और अब अड्मिट कार्ड का नया झमेला....
"अरुण, तू भी ढूँढ ना ,शायद कहीं मिल जाए..."
"आ स्माल रेक्टॅंग्युलर ब्लॉक टिपिकली मेड ऑफ फाइयर्ड ऑर सन-ड्राइड क्ले, यूज़्ड इन बिल्डिंग...."वो मेरी तरफ देखकर याद करते हुए बोला...
"अबे, अड्मिट ढूँढ मेरा,मालूम नही कल कहाँ रक्खा था..."
"आ स्माल रेक्टॅंग्युलर ब्लॉक टिपिकली मेड ऑफ फाइयर्ड ओर सुन-ड्राइड क्ले, यूज़्ड इन बिल्डिंग"
"बोसे ड्के..."
"बोसे ड्के ,ये ब्रिक की डेफिनेशन है,पढ़ ले...एग्ज़ॅम का फर्स्ट क्वेस्चन यहिच होगा..."
"अच्छा, ले एक बार फिर बोल तो..."
ब्रिक की डेफिनेशन याद करने के बाद मैं फिर अड्मिट कार्ड इधर-उधर देखने लगा, और जब रूम मे कही नही मिला तो मैं रूम से निकलकर आस-पास वाले रूम मे जाकर पुछने लगा कि मेरा अड्मिट कार्ड यहाँ तो नही छूटा है, और जब कभी नही मिला तो मैं मूह लटका कर रूम मे आया....
"मिला..."
"लवडा मिला..."
"ये ले, "बोलते हुए अरुण ने मेरा अड्मिट कार्ड मुझे थमाया और बोला"तेरे ही टेबल पर था...."
"सचöनें डंक..."
"ये कौन सी गाली दी तूने..."
"थॅंक्स बोला, सचöनें डॅंक को जर्मन मे थॅंक यू कहते है..."
"कक्के, पेपर इंग्लीश मे ही देना "
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:32 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,409,975 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,238 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,195,415 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 903,566 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,603,396 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,037,453 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,879,443 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,816,027 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,941,108 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 276,536 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)