RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
पहले तो पेट्रोल लाने का काम हम तीनो ने एकदुसरे पर थोपा...लेकिन सिंगल जाने के लिए जब हम तीनो मे से कोई भी राज़ी नही हुआ तो प्लान ये बना कि हम तीनो बाइक को लुढ़काते हुए पेट्रोल पंप तक ले जाएँगे, वहाँ पेट्रोल भरवा कर ,बार जाएँगे और बार मे डिस्को दीवानी पर डॅन्स करेंगे.......
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कॉलेज के हॉस्टिल हाइवे से थोडा अंदर था ,अभी हम तीनो उसी रोड पर थे,इसलिए पहला काम ये था कि कैसे भी करके हाइवे पर आना...जहाँ हम खड़े थे ,वहाँ से हाइवे को जोड़ने वाले सिर्फ़ दो रास्ते थे, एक रास्ता गर्ल्स हॉस्टिल के जस्ट सामने से होकर निकलता था तो दूसरा जंगल के अंदर की भूल भुलैया से होकर जाता था....गर्ल्स हॉस्टिल के सामने इस वक़्त बहुत लोग जमा हो गये होंगे और उनमे से कही कोई हमे पहचान ना ले, इसका डर था....वैसे भी एलेक्षन और वेलकम पार्टी के बाद मैं काफ़ी फेमस हो गया था, इसलिए उस रास्ते से हाइवे तक जाना खुद को गोली मारने के बराबर था.....इसलिए हम तीनो वहाँ से तुरंत जंगल के अंदर कट लिए, ताकि गर्ल्स हॉस्टिल से कोई झाँके तो हमे देख ना पाए....अरुण इस वक़्त बाइक लुढ़का रहा था और मैं सिगरेट के कश मारते हुए अरुण से आगे का रास्ता पुछ रहा था.....
"चल लवडा ,गर्ल्स हॉस्टिल की लड़कियो को चोद के आते है..."भू एकदम अचानक से भड़क कर बोला,...
"क्या हुआ बे..."
"चोदने का मन कर रहा है,किसी को.."
"एक काम कर पैंट की ज़ीब खोल ,लवडा निकाल...और हिलाना शुरू कर दे...अंधेरा है,कोई नही देख पाएगा...."
"अबे अरुण, ये तू उस भूत्नि वाले रास्ते से क्यूँ ले जा रहा है..."मेरी बात को इग्नोर करते हुए भू चिल्लाया...
"यही एक रास्ता है..."
"बीसी, वो आत्मा हम तीनो को दिख गयी तो....गला काट कर पेड़ पर लटका देगी..."
"ऐसा क्या..."मैं बोला"मैने ये भी सुना है,कि जिसकी हाइट कम होती है...उसका कलेजा काटकर वो खा जाती है"
"कम हाइट मतलब......मैं...अबे हट"
बाइक लुढ़का-लुढ़का कर हम तीनो उस नीम के पेड़ के पास पहुचे ,जहाँ पर एक लड़की लोगो को किताब लिए हुए दिखाई देती थी...."
"अरुण,रुक...मूत के आता हूँ..."बोलकर मैं उसी नीम के पेड़ के ठीक नीचे गया और मूत्कर आया, मुझे ऐसा करते देख अरुण और भू भी वहाँ पहुचे और मूत कर हम तीनो जंगल वाली रोड के अंदर घुसे.....
"यार अरमान...अब वो लौंडिया,नीम के पेड़ के नीचे पढ़ नही पाएगी..."
"वो क्यूँ..."
"हम तीनो ने जो कर दिया है वहाँ...उसकी बदबू से वो कुछ स्टडी नही कर पाएगी ,सो सॅड "
"सब साला चूतियापा है, कोई भूत चूत नही है उधर...वरना दो बार हम वहाँ गये,वो हमे दिखी क्यूँ नही..."
"किसी ने एक बार भी नीम के पेड़ के उपर नज़र मारी थी क्या..."इतनी देर मे भू बोला...जिसे सुनकर हम तीनो के कदम वही के वही रुक गये,...
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भू सही कह रहा था, हम तीनो ने पेड़ के उपर एक बार भी नही देखा था,..और इस वक़्त अंजाने मे ही मुझे ऐसा लगने लगा कि वो लौंडिया,उस नीम के पेड़ के उपर बैठी थी....
"एक बार देख के आएँ क्या,..."भू ने एक बार फिर अपना मूह फाडा...
साला अभी तक मैं और अरुण कितना डेरिंग बन रहे थे,लेकिन अब हम दोनो की हालत ख़स्ता हो गयी थी, अरुण का तो पता नही,लेकिन मेरी सिचुयेशन ऐसी थी कि मुड़कर पीछे देखने तक की हिम्मत नही थी,और रही सही कसर वहाँ बहने वाली हवाओं ने पूरी कर दी....जैसे ही हमारे पीछे कुछ हलचल हुई ,हम तीनो वहाँ से तेज़ी से खिसक लिए...अरुण बाइक का हॅंडल संभाले बाइक दौड़ा रहा था और मैं,भू बाइक को पीछे से धक्का दे रहे थे......
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हाइवे की डाइरेक्षन हमे मालूम थी,इसलिए हम तीनो उसी तरफ बढ़े, और थोड़ी ही देर मे टीचर्स के सरकारी घर नज़र आने लगे तो हम तीनो ने चैन की साँस ली....
"वाकई मे फट गयी थी बे..."हाइवे पर आकर मैं हान्फते हुए बोला..."भू पहले, तू अपना मूह बंद करके रक्खा कर...खा म्खा गान्ड फाड़ दी..."
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वहाँ से पेट्रोल पंप तक पहुचने मे हमे मुश्किल से 15 मिंट. लगे, बाइक की टांक पेट्रोल से फुल करवाई और बाइक पर बैठे....शुरू-शुरू मे तो हमने सोचा था कि शांति से सारीफो की तरह पेट्रोल भरवा कर पैसे देंगे और वहाँ से चलते बनेंगे...लेकिन अचानक ही अरुण को ना जाने क्या सूझा वो मेरे कान मे फुसफुसाया...
"अबे चल भाग चलते है...बिना पैसे दिए..."
"सच मे..."
"हां..."
"एक मिनट. भैया, बाइक आगे बढ़ाकर पैसे देता हूँ..."बोलकर मैने बाइक कम स्पीड मे थोड़ा आगे बढ़ाई और फिर ज़ोर से आक्सेलरेटर देकर वहाँ से रफू चक्कर हो गये....अपनी इस हरकत पर हम तीनो ही पेट पकड़ कर हंस पड़े
हँसते-खेलते, सड़क पर चल रहे लोगो को गरियाते हुए हम तीनो बार पहुचे...बार का नेम था" इंपीरीयल ब्लू...."
"आए, साला ये तो दारू के नाम पर बार का नाम है..."अरुण बाइक से उतरकर बोला,
भू अब भी बाइक पर सवार था और जैसे ही वो बाइक पर से उतरा,धडाम से ज़मीन पर गिर गया....
"अबे साले, भोपु...ऐसी गान्डुल हरकते करेगा तो बार वाले अंदर नही घुसने देंगे..."
"*** चोद दूँगा सबकी... "अपना एक हाथ बार की तरफ करके भू बोला"मज़ाल किसकी जो मुझको अंदर आने से रोके..."
"ओये अरुण, ये खुद को जंगल का राजा तो समझ रहा है"
"मेरे को भी यही लगिंग...चल आजा अंदर चलते है...."
भू के बाए साइड मैं और दाए साइड अरुण खड़ा हुआ, हम दोनो ने उसे पकड़ रक्खा था,ताकि वो बार के पहलवानो के सामने आंदु पांडु हरकते ना करे.....हमारा प्लान कामयाब रहा, हम तीनो बिना किसी रोक टोक के अंदर घुसे....मैं पहली बार किसी डिस्को बार के अंदर आया था,इसलिए मैं हद से ज़्यादा एग्ज़ाइटेड था...मैं बार के अंदर पौवा पीकर झूमने वाली लड़कियो को देखना चाहता था और फिर एकदम फिल्मी स्टाइल मे जो भी हॉट आइटम नशे मे दिखे,उसके साथ डॅन्स करना चाहता था....मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि हमारे जंगल के राजा भू महाशय ने जोरदार सीटी बजाई और जहाँ खड़े थे वही अपना लंगर डॅन्स शुरू कर दिया कुछ लोग जो डॅन्स करने मे बिज़ी थे, उन्होने तो कोई गौर नही किया...लेकिन वहाँ बहुत से लोग मतलब कि कपल्स ऐसे थे जो टेबल पर बैठकर आराम से बाते कर रहे थे...वो भू की इस हरकत पर हंस पड़े.....एक और चीज़ जो मैने नोटीस कि वो ये कि वहाँ सबसे खराब कपड़े हमी तीनो के थे...बार मे काम करने वाले वेटर्स तक ने भी चमचमाता सूट पहन रक्खा था......दारू पीकर तो फुल टल्ली थे,इसलिए जहाँ छोटे-छोटे ग्लास मे दारू मिल रहा था ,हमने उस तरफ देखा तक नही और सीधे आकर एक टेबल पर बैठ गये.....
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"एक्सक्यूस मी सर , वुड यू लाइक सम्तिंग टू ईट ऑर ड्रिंक...." सफेद सूट पहने हुए एक शक्स हमारे पास आया,
"मेरा नाम है अरुण..."अरुण ने उसको देखकर कहा"ये है अरमान, और ये है भू...इसका वैसे पूरा नाम भूपेश है, लेकिन शॉर्ट मे हमलोग इसे भू कहते है...
"ओके..."
"ये है अरमान ,इसे प्यार से लोग अरमान ही कहते है..."
"ओके "
"आंड मैं हूँ अरुण ,मुझे भी लोग प्यार से अरुण ही कहते है..."
"ओके , वुड यू लाइक सम्तिंग टू ईट ऑर ड्रिंक"
"हां चाहिए ना..."
"क्या..."
"तीनो के लिए भरपेट पानी ला..."इसी के साथ हम तीनो ज़ोर से हंस पड़े,...
"नाइस जोक..."
"ये बुरमरी के, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई,हमारे सामने ज़ुबान खोलने की, भाग जाओ यहाँ से वरना हम तुम्हे मौत की सज़ा देंगे..."भू एकदम राजा वाली स्टाइल मे बोला....
"गार्ड्स...."उसने बाहर खड़े पहलवानो को आवाज़ दी और उसके तुरंत बाद हम तीनो बाहर निकाल दिए गये....
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हम तीनो को अपनी ये बेज़्जती बर्दाश्त नही हो रही थी कि ,किसी ने हमे धक्के मारकर....एक ने तो लात भी मारी थी बाहर निकाल दिया,..मूड तीनो का खराब था,लेकिन क्या करे,हम मे इतनी ताक़त भी तो नही थी कि बाहर खड़े उन पहलवानो को पेल सके...लेकिन उन्हे मारे बिना दिल भी बेचैन हुआ जा रहा था,...
"अबे मैं बाइक चलाता हूँ,तुम दोनो एक-एक पत्थर उठा लो..."एक दम धीरे से अरुण बोला"और जब बाइक पर बैठ जाए, तो पूरी ताक़त से उन गार्ड्स पर पत्थर फेक देना, बीसी उनका सर फॅट जाना चाहिए,,,."
अरुण ने बाइक की हॅंडल संभाली और मैं, भू पत्थर ढूँढने लगे...लेकिन साली किस्मत ही खराब थी,आस-पास कोई भी ढंग का पत्थर नही मिला.....
"एक काम करते है,थोड़ी दूर चलकर पत्थर उठाते है और फिर इन सालो को ठोकते है...."
"मस्त प्लान है"
उसके बाद हमने बिल्कुल वैसा ही किया, हम तीनो थोड़ा आगे गये और एक-एक पत्थर उठाकर कर वापस बार के सामने खड़े हुए....बार के बाहर खड़े पहलवानो ने हमे आँख दिखाई और तभी हमने अपना काम कर दिया, भू ने सीधे पेट मे दागा और मैने एक आँख बंद की ,मुझे इस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ उस पहलवान का टकला दिखाई दे रहा था...इसलिए मेरा निशाना ठीक उसके सर पर जा लगा....बाइक तो चालू ही थी, इसलिए इस कारनामे के बाद हम तीनो वहाँ से तुरंत फुर्र हो गये....और एक बार फिर हम तीनो पेट पकड़ कर हंस रहे थे......
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