RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
दीपिका मॅम की सलवार तो मैं कब का उतार चुका था ,और अब बुरी तरह से अपना जिस्म उसके जिस्म से रगड़ने के कारण उसका सूट कमर तक खिसक चुका था,उसके होंठो को चूस्ते हुए मैं अक्सर बीच-बीच मे उसकी जाँघो को अपने हाथो से सहलाता ,जिससे दीपिका मॅम और जोश मे आ जाती....पहले पहल तो मैं तेज़ी के साथ दीपिका मॅम के होंठो को जाकड़ कर किस करता रहा ,लेकिन जब कुछ देर बाद दीपिका मॅम ने जकड़ना चालू किया तो मेरी हालत खराब हो गयी...लेकिन वो वक़्त ही ऐसा था कि उसके होंठो को अलग करने का मन नही कर रहा था...लेकिन मुझे जब दीपिका मॅम की छातियों का ख़याल आया तो मैने उसके होंठो को खुद के होंठो से अलग कर उसके सीने पर नज़र दौड़ाई...दीपिका मॅम की साँसे बहुत तेज़ चल रही थी ,जिसकी वजह से उसका सीना बहुत तेज़ी से उपर-नीचे हो रहा था....मैं दीपिका मॅम के उपर-नीचे होते सीने को देखकर यही सोच रहा था कि अब क्या करूँ.....
"बिना कपड़ो के इन दोनो को देखने का बहुत मन कर रहा है"
"नो...."वो फर्श पर इतराते हुए बोली
"वो क्यूँ...."
"मेरा समान है, मेरी मर्ज़ी..."
"ओके..."
उसके बाद मैने उसके दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथो मे पकड़ कर दीपिका मॅम की तरफ देखा....वो हवस की पुजारीन मेरी इस हरकत से बहुत खुश हो रही थी और उसकी ये खुशी उसकी आँखो मे मैं सॉफ देख सकता था....मैने पूरी ताक़त के साथ उसके दोनो बूब्स को दबाया और दीपिका मॅम दर्द से चीख उठी और एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर आकर लगा....
"ईडियट...दर्द होता है..."
"तेरी माँ की...."गाल पर होते जलन को सहते हुए मैं खुद से बड़बड़ाया और एक बार फिर उसके सीने को ज़ोर से दबा दिया और पहली बार की तरह वो इस बार भी ज़ोर से चीखी ,लेकिन अबकी बार जब मुझे मारने के लिए दीपिका मॅम ने अपना हाथ उठाया तो मैने उनके हाथ को पकड़ा और मरोड़ दिया....और उसी वक़्त उन्होने अपने दूसरे हाथ से मुझे मारने की कोशिश की...लेकिन नतीजा पहले वाले हाथ की तरह था....
"दुख रहा है..."आँखो मे दर्द लिए हुए वो बोली"छोड़ो,प्लीज़.."
उसके दर्द से कराहने के बाद मैं दूसरी तरफ देखने लगा तो फिर से बोली"अरमान...लीव मे यार ! "
"नोप,.."
"अरमाआअन्णन्न्....."
"एक शर्त पर छोड़ूँगा...."
"कैसी शर्त,..."
"तुम मुझसे ये बोलो कि अरमान मैने तुम जैसा हॅंडसम, ब्रिलियेंट,हार्ड फकर लड़का...आज तक नही देखा..."
"ठीक है...अरमान मैने आज तक तुम जैसा हॅंडसम ,ब्रिलियेंट और.....आगे क्या था"
"हार्ड फकर..."
"हार्डफकर लड़का नही देखा..."
"थॅंक यू मॅम...मैने भी आप जैसी दुधारू लड़की आज तक नही देखी...."बोलते हुए मैने उनके दोनो हाथो को छोड़ दिया ,
"दिमाग़ खराब है क्या तुम्हारा...किसी लड़की के साथ कोई ऐसे बिहेव करता है क्या..."
लड़कियो की बक-बक करने की आदत बहुत भयंकर होती है, वो बक-बक करके सारी रात गुज़ार दे और इस वक़्त मुझे ऐसा ही कुछ महसूस हो रहा था...मैं ये नही चाहता था कि सूरज देवता सुबह दस्तक दे दे और मैं दीपिका मॅम के केवल होंठ चूस कर निकल जाउ...इसलिए मैने दीपिका मॅम के सूट को जो कि पहले से कमर तक आ गया था उसे उपर खिसकाते हुए दीपिका मॅम की गर्दन तक ले गया...
"मैं सोच रहा था कि यदि ये आपका ड्रेस उतार दिया जाए तो...आहह"मैने मुस्कुराते हुए कहा....
"उसके लिए तो खड़ा होना पड़ेगा...लेकिन तुम तो कब से मेरे उपर ही लदे हो ,"
"ओह ! ऐसा क्या.."
उसके बाद मैं और दीपिका मॅम उठ खड़े हुए, दीपिका मॅम का गोरा जिस्म अब पूरी तरह मेरी आँखो के सामने था, उंसके जिस्म के इस दीदार से एक वक़्त के लिए जैसे मैं भूल ही गया कि वो हवस की पुजारीन है, और यदि वो है भी तो मुझे कौन सा उसके साथ शादी करनी है....मुझे उस वक़्त कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उसने आज तक 10 का लंड लिया होगा या फिर 100 का....
"आइ आम रेडी..."उसने मुझे कसकर पकड़ा और खुद से सटा कर मेरे होंठो को बुरी तरह जाकड़ लिया और मैने भी उसके होंठो को कसकर जकड़ा और उसकी पैंटी को नीचे खिसकाने लगा....दीपिका मॅम की चिकनी चूत को मसल्ने का ख़याल ही मेरे अंदर हॉर्स पवर भर देता , और दीपिका मॅम की चूत को सहलाते वक़्त मैने एक छेड़-छाड़ करने की सोची... मैने दीपका मॅम की चूत को ठीक उसी तरह कसकर दबाया ,जैसे कि कुछ देर पहले उसकी छातियों को दबाया था...और इस बार तो जैसे दीपिका मॅम की जान ही निकल गयी, वो मुझे दूर फेंकते हुए मुझपर चिल्लाई
"फक यू...ब्लडी अरमान "
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वैसे तो मेरी दिली-इच्छा थी कि मैं दीपिका मॅम को उठा-उठा कर...लिटा-लिटा कर ,हार्ड कोर स्टाइल मे चोदु...और मैने अभी तक ऐसी कोशिश भी की थी..लेकिन हर बार दीपिका मॅम को वो नापसंद ही आता,इसलिए मुझे महसूस होने लगा कि कही वो गुस्सा होकर ,मेरे सारे अरमानो पर पानी ना फेर दे...और वैसे भी जब फ्री की चूत मिले तो ज़्यादा वेराइटी नही देखनी चाहिए....
"मैं तैयार हूँ..."बोलते हुए मैं दीपिका मॅम के पीछे खड़ा हो गया, वो पलट कर कुछ कहती या फिर कुछ करती उससे पहले ही मैने दीपिका मॅम को जाकड़ लिया"एक बात कहूँ मॅम..."
"यस..."
"मुझे बहुत दिन से इंतज़ार था इस पल का...शायद तब से जब मेरी पहली नज़र आप पर पड़ी थी...यू आर टू हॉट,...आइ नेवेर सी आ जबर्जस्त माल लाइक यू इन माइ होल लाइफ..."
"सच...."अपनी तारीफ सुनकर जैसे दूसरी लड़किया मचल जाती है ,वैसे ही वो भी मचल उठी..और मेरे हाथ मे अपने हाथ डालते हुए बोली"खुद को बहुत चालाक समझते हो..."
"अजी, आपके आगे तो हम एक दम नौसीखिया है..."
"ये अचानक क्या हो गया तुम्हे..."अपने हाथो से मेरे हाथ को सहलाते हुए दीपिका मॅम ने पुछा....
"मैने सोचा कि...पता नही क्या सोचा, बस दिल ने कहा और मैने कर दिया..."
"मुझे यही और ऐसे ही लड़के पसंद है...."
"मतलब कि मैं पसंद आया..."उसके हाथो को दूर करके उसके नंगे पेट को सहलाते हुए मैने अपने दोनो हाथ उसकी पैंटी के अंदर घुसा दिए और अबकी बार एक दम प्यार से उसकी चूत को मसल्ने लगा.......
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मैं दीपिका मॅम से अब इतनी शराफ़त से पेश आ रहा था और इसकी सिर्फ़ एक ही वजह थी कि मैं उसे जल्द से जल्द ठोकना चाहता था...मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था और वो थी कि इधर-उधर उंगली डलवा कर टाइम पास कर रही थी....इसीलिए मैं उनसे एक दम प्यार से बात करने लगा....वैसे तो ये मेरी किसी लड़की के साथ फर्स्ट नाइट थी, और इस काम मे मैं वाकाई मे दीपिका मॅम के सामने एक नौसीखिया था...लेकिन गूगल महाराज की कृपा से थोड़ा बहुत तो मैं जानता ही था...मैने कयि ब्लॉग्स "फर्स्ट टाइम सेक्स" के बारे मे पढ़ा था...और जैसे किसी सब्जेक्ट का नोट्स हम बनाते है,वैसे ही "फर्स्ट टाइम सेक्स" का भी मैने नोट्स बनाया था.... और एक और साइट राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर थोड़ा बहुत ग्यान लिया था वैसे सेक्स कहानियाँ भी अजीब होती है पता नही कैसे लोग एक बार मे ही लड़की से मिलकर उसकी चूत तक पहुँच जाते हैं
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"रुक क्यूँ गये....डियर अरमान..."लगभग सिसकते हुए दीपिका मॅम बोली, गूगल महाराज की कृपा दृष्टि पर मैं इतना खो गया था कि मेरा हाथ जो कि कुछ देर पहले दीपिका मॅम की वाइट पैंटी के अंदर उछल रहा था वो अब शांत हो गया था...
"डियर अरमान....काफ़ी स्पीडली प्रोग्रेस हो रही है मेरी इज़्ज़त मे"इसके साथ ही मैने दीपिका मॅम की पैंटी मे हलचल फिर से शुरू कर दी और थोड़ी ही देर मे उनकी पैंटी को नीचे खिसका दिया....
"मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है..."
"अजीब ? "
"सही बटाऊ तो मैं थोड़ा नर्वस हूँ मॅम,..."
"क्लास टीचर की तरह ही तुम मुझे सेक्स टीचर अस्यूम कर लो..."
"वो सब तो ठीक है,लेकिन मैं सच मे थोड़ा नर्वस हूँ...बोले तो अपुन की फॅट रेली है..खैर कोई बात नही..."
"सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा डियर...चलो बेड पर चलते है..."बोलते हुए दीपिका मॅम बेडरूम की तरफ बढ़ी और उनके पीछे -पीछे मैं भी बेडरूम की तरफ बढ़ा....
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बेडरूम के अंदर जाने के बाद दीपिका मॅम ने अपनी पैंटी ,जिसे मैने नीचे खिसका दी थी...उसे पूरा का पूरा खुद से अलग करने के बाद उसने अपनी ब्रा भी खोल दी.... दीपिका मॅम को पूरी नंगी देखकर मेरे अंदर सनसनी सी फैल गयी...मैं क्या करूँ ,उस थोड़े से सनसनी वक़्त मे मुझे कुछ नही सूझा...मैं कभी दीपिका मॅम की गोरी-गोरी चुचियों को निहारता तो कभी उनके कमर के नीचे बने नरक के द्वार को.....वो कुछ देर वही बिस्तर के पास खड़ी होकर मटकती रही और फिर इशारे से मुझे अपने करीब आने को कहकर बिस्तर पर लेट गयी....
"कम ऑन, अरमान..."
"ओके..."लंबी-लंबी साँसे भरते हुए मैं बोला....और सिर्फ़ बोला ही कुछ किया नही...
"वहाँ खड़े ही रहोगे या अपना खड़ा भी करोगे..."
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मैं इस वक़्त दीपिका मॅम के बिस्तर के सामने खड़ा होकर यही सोच रहा था कि जंग के मैदान मे कूद जाऊ या फिर वापस लौट जाऊ....मैं उस वक़्त ऐसा इसलिए सोच रहा था क्यूंकी मुझे डर था कि कही दीपिका मॅम को एड्स की बीमारी ना हो....इस वक़्त मेरे कुछ अरमान ,जो मैने कॉलेज के शुरुआती दिनो से देखे थे वो अब पूरे होने वाले थे....लेकिन ऐन मौके पर मेरे खुराफाती दिमाग़ मे ना जाने एड्स की बीमारी कहाँ आ गयी थी,जिसकी वजह से मैं वही बिस्तर के पास खड़ा था...
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"मेरे पास तो कॉंडम भी नही है..."मैं खुद से बड़बड़ाया"रास्ते मे खरीद लेना चाहिए था..."
"अरमान "अपने मम्मे सहलाते हुए वो बोली
"हां.. आ रहा हूँ..."
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मैं कुछ देर तक और ऐसे ही वहाँ खड़ा रहा आंड फाइनली मैने खुद को मज़बूत करके दीपिका मॅम से पुछा...
"आपको एड्स तो नही है ना "
मेरे इस सवाल से वो थोड़ा चौक गयी और अपने मम्मे सहलाना बंद करके मेरी तरफ देखकर बोली"दिमाग़ तो सही ठिकाने पर है..."
"मेरी बात को दिल पर मत लो ,मुँह मे लो...."
"कॅन आइ नो दट व्हाई डिड यू अस्क दट क्वेस्चन...."
"आइ आस्क्ड दट क़्वश्चन बिकॉज़ ऑफ सेक्स अबिलिटी ऑफ युवर पुसी अलॉंग वित डिफरेंट डिक्स..."
"मैं सच ही कहूँगी इसकी क्या गॅरेंटी है...मैं तो झूठ भी बोल सकती हूँ..."
"दट वाज़ नोट माइ क्वेस्चन...."
"मुझे एड्स है...."मेरी तरफ देख कर दीपिका मॅम ने जवाब दिया
"मुझे कोई फरक नही पड़ता..."बोलते हुए मैं झटके से बिस्तर पर चढ़ा और अपने कपड़े उतार दिए....
दीपिका मॅम अपने दोनो पैरो को जोड़े बिस्तर पर लेटी थी,मैने उनकी जाँघो को अपने दोनो हाथो से मसल्ते हुए उनकी जाँघो को फैलाया...और ऐसा करते ही मुझे नरक का वो द्वार दिखा....जिसके चक्कर मे ना जाने कितने तबाह हो गये....
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तभी मुझे राजशर्मा का एक शेर याद आ गया
चूत री चूत तूने खाए बिराने पूत
यदि होती बीघा चार तो देती देश उजाड़
वैसे तो ये मेरा फर्स्ट टाइम था ,लेकिन अब मुझे किसी गाइड्लाइन की ज़रूरत नही थी...मैने दीपिका मॅम की दोनो जाँघो को कसकर पकड़ कर उपर उठाया और दीपिका मॅम को अपने करीब खींचा....जिससे उनकी रसभरी चूत और मेरे लंड के बीच अब कुछ ही फाँसला था...उसके दोनो पैरो को अपने कंधे पर रखक्कर दीपिका मॅम की चूत को पहले अपने लंड से सहलाया....इस बीच दीपिका मॅम अपनी छातियों को मसल रही थी....
"आर यू रेडी...."दीपिका मॅम की कमर को कसकर पकड़ते हुए मैं बोला और नीचे झुक कर उनके होंठो पर एक जोरदार किस भी किया....
"याअहह..."उसने अपनी सहमति दी...
और दीपिका मॅम की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैने अपने लंड को उनकी चूत के बीच-ओ-बीच रखा और हल्का सा दबाव दिया.....लेकिन मेरा लंड ज़रा सा भी अंदर नही गया....फिर मैने और ज़ोर से दबाव बनाया...
"बेवकूफ़...थोड़ा ,नीचे डालो..."
"ओह ! सॉरी "
अपने लंड को दीपिका मॅम की चूत मे थोड़ा नीचे करने के बाद हल्का सा दबाव बनाया और मेरे लंड का उपरी हिस्सा तुरंत अंदर घुस गया....
"अरे ग़ज़ब "
"क्या ग़ज़ब...पूरा घुसा..."
मैने एक लंबी साँस भरी और फिर ज़ोर का झटका मारा, मेरा लंड बिना किसी रोक-टोक के सीधे घुसता चला गया और मुझे परम सुख की अनुभूति होने लगी....मैं अपनी आँखे बंद किए हुए कुछ देर तक उस पल को अपने लेफ्ट साइड से अटॅच करना चाहता था....लेकिन लंड की प्यासी दीपिका मॅम को ये शायद नापसंद था...उसने उसी वक़्त ,जब मैने एक जोरदार धक्का मारकर अपनी आँखे बंद कर ली थी ,तो उसी वक़्त उसने मुझे टोक दिया...और उसके बाद मैं दीपिका मॅम से लिपट कर उनकी चूत मे अपना लंड लगातार पेलता रहा....इस वक़्त दीपिका मॅम मुझे बहुत अच्छी लग रही थी...उनकी हर एक सिसकारी मुझे और भी ज़्यादा रोमांचित कर देती....मैं कभी उनकी बूब्स को ज़ोर से दबाता तो कभी उनके होंठो पर अपनी उंगलिया फिराता तो कभी उनके गुलाबी होंठो को अपने होंठो से जकड लेता....मेरे हर धक्के के साथ हम दोनो का बिस्तर पर लहराता जिस्म हम दोनो को एक-दूसरे मे समा जाने का मौका दे रहा था...और जब हम दोनो की आँखे एक-दूसरे से मिलती तो उस पल जैसे किसी ने हाइ वोल्टेज करेंट की वाइयर मुझसे टच करा दी हो,उस समय मेरा जोश दुगना हो जाता....
"य्ाआहह....स्टॉप नाउ..."
"क्या हुआ.."हान्फते हुए मैं बोला....
"आइ वान्ट टू सक युवर...."
"नोप...फिर मैं किस कैसे करूँगा..."
"तो कर लेना,उसमे क्या है..."
"मुझे बेकार लगता है..."
"दट'स युवर प्राब्लम...अरमान..."
"एक शर्त पर..."दीपिका मॅम के मम्मों को सहलाते हुए मैने इशारा किया...
"नही..बिल्कुल नही..."
"अब दर्द का बहाना मत बना लेना...क्यूंकी इतने लोगो के साथ सोई हो तो दो चार ने तो वहाँ लंड डाला ही होगा..."
"यॅ. तुम सही हो,लेकिन मुझे पसंद नही.."
"फिर मुझे भी लवडा चूसाना पसंद नही "उसके टाइट निपल को सहलाते हुए मैने कहा...
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