RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
दीपिका मॅम कुछ देर तक कुछ सोचती रही और फिर उन्होने मेरी शर्त मान ली....तो शर्त के मुताबिक ये तय हुआ था कि वो मेरा लंड चुसेगी और मैं उसकी गान्ड मारूँगा...आइ डॉन'ट थिंक कि इसमे मेरा कोई नुकसान हुआ है....मैं दीपिका मॅम के उपर से उठकर उनके बगल मे लेट गया और वो मेरी जाँघो के बीच अपने नितंब रखकर बैठ गयी और मेरे लंड को मुट्ठी मे भरकर आगे-पीछे करने लगी...कुछ देर तक वो ऐसे ही करती रही...
"जल्दी चूसो ना "
"रूको कुछ देर,पहले इसे तैयार तो कर लूँ....हां अब तैयार है..."
उसके बाद उसने अपनी जीभ बाहर निकाली मेरे लंड पर फिराने लगी,
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इसे दीपिका मॅम की आर्ट ऑफ ब्लोवजोब कहे या फिर कुछ और....कि मुझे उस वक़्त ज़्यादा मज़ा आ रहा था,जब वो मेरे लंड को अपने मुँह मे भरती और बाहर निकाल देती इनस्टेड ऑफ उस वक़्त के,जब मैं उनकी रसभरी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था......
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जब दीपिका मॅम का मन भर गया तो वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं एक बार फिर उनके उपर चढ़ गया....
"घूम जाओ..."
"पहले थोड़ी देर आगे की सेकाई कर दो, देन........श्ह्ह्ह्ह"
"ओके....श्ह्ह्ह"
मैने एक बार फिर उनकी चूत पर लंड रखा और तेज़ी से एक बार मे ही अपना पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया और पहले की तरह ही उससे चिपक कर तेज धक्के मार रहा था....अब उसके होंठ तो चूम नही सकता था ,इसलिए मैने अबकी बार उसकी छातियों को निशाना बनाया और दीपिका मॅम के निपल्स को कसकर दबाया.....
"आआअनन्नह......"एक दर्द भरी उँची चीख दीपिका मॅम के मुँह से निकली...
"सॉरी...."बोलते हुए मैने एक और बार उनके दोनो निपल को मसल दिया और बोला "सॉरी अगेन..."
"मुझे तुम्हारी चीख निकालने के कयि तरीके मालूम है और कुछ तरीके तो ऐसे है कि तुम्हारी चीख भी नही निकलेगी....इसलिए ज़्यादा होशियारी नही..ओके"
"दिल से सॉरी...नेक्स्ट टाइम से नही करूँगा..."
और मैं फिर से उस काम मे लग गया,जो मैं कुछ देर पहले कर रहा था....अब मेरे लंड मे एक गुदगुदी से पैदा हो रही थी,जिसके कारण मैने खुद-ब-खुद धक्को की स्पीड तेज कर दी....मैं जान चुका था कि मैं झड़ने वाला हूँ और प्रीवियस प्लान के मुताबिक मुझे अपनी दीपिका मॅम की गान्ड भी मारनी थी,लेकिन मैं नही रुका....मेरे धक्के लगातार तेज़ होते गये और मैं निढाल होकर दीपिका मॅम के उपर गिर गया......
दीपिका मॅम और मेरे बीच फेरवेल की रात को जो कुछ भी हुआ वो सब सच था,लेकिन मेरे खास दोस्तो मे शुमार वरुण को जैसे यकीन ही नही हो रहा था....
"तू एडा बना रहा है मुझे..."
"अब क्या हुआ "
"मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि तूने दीपिका मॅम और खुद का चॅप्टर खुद से जोड़ लिया है...आइ मीन मुझे तो सब फेंक लग रहा है..."
"दीपिका मॅम अब मेरे कॉंटॅक्ट मे नही है,वरना उसी से पुच्छ लेता तू..."
मैं और वरुण बात कर ही रहे थे कि निशा की कॉल एक बार मेरे सेल मे टपक पड़ी और मेरे कॉल रिसीव करते ही वो मुझसे पुछने लगी कि मैं कहाँ हूँ और मैने बोल दिया कि मैं अपने रूम पर हूँ....
"वी हॅव टू गो सम व्हेयर"
"व्हेयर ? "
"मैं तुमसे एम.बी.डी. रेस्टोरेंट के पास मिलती हूँ..."
"कब..."मैं थोड़ा सा बौखला गया जब निशा ने एम.बी.डी. रेस्टोरेंट के पास मिलने के लिए कहा तो
"अभी,कुछ देर मे..."
"ठीक है,आधे घंटे मे पहुचता हूँ वहाँ,वैसे जाना कहा है..."
"पहले पहुचो तो सही..."
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मैने कॉल डिसकनेक्ट की और वरुण को एक ज़रूरी काम का बहाना बताकर तैयार होने लगा... मैं भी कितना बड़ा बेवकूफ़ था जो कि उन दोनो से झूठ बोल रहा था जो मेरी रॅग-रग से वाकिफ़ थे....
"अपनी आइटम से मिलने जा रहा है ना..."जब तैयार होकर मैं रूम से निकलने वाला था तभी वरुण ने टोका
"तुझे कैसे मालूम चला..."
"कॉल हिस्टरी देखकर..."
"तुम दोनो को अब कोई और काम नही बचा क्या..."
"यार अरमान,मेरा भी जुगाड़ जमा ना निशा से...जब से उसे बारिश मे भीगते हुए देखा है,रोम-रोम सिहर उठता है उसके नाम से "
अभी वरुण ने निशा के प्रति अपने अरमान ज़ाहिर किए थे कि अरुण ने अपना मुँह फाडा"मेरा भी जुगाड़ जमा दे माइ बेस्ट डोसिट..."
"अबे तुम दोनो ने सुबह-सुबह ये क्या बक-बक लगा रखी है और निशा मंदिर का कोई प्रसाद है क्या जो तुम दोनो के साथ बाटू ,उसकी शादी होने वाली है..."
"अभी सुबह नही शाम है...और तू बोले तो मैं तेरे साथ चलता हूँ..इसी बहाने नागपुर घूम लूँगा..."अरुण ने खड़े होते हुए कहा ,उसे शायद यकीन था कि मैं उसे हां ही कहूँगा,पर वो ग़लत था और वैसे भी लड़कियो के मामले मे सारी थियरी ग़लत ही हो जाती है...यदि निशा साथ ना होती या फिर यदि मैं नरक मे भी जा रहा होता तो अरुण को घसीट कर ले जाता....लेकिन उस वक़्त मैने ऐसा नही किया,
"अबे तू कहाँ आएगा हड्डी मे कवाब बनने....मतलब कवाब मे हड्डी बनने..."
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बहुत मशक्कत करनी पड़ी अरुण और वरुण को समझाने मे और आख़िर कार वो मेरे साथ ना आने के लिए मान गये, लेकिन उनकी एक शर्त थी कि मैं उन दोनो के लिए वापस लौटते वक़्त दारू का एक-एक खंबा लेकर ही आउ....
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"कितनी देर हुई आए हुए...मैं ज़्यादा लेट तो नही हुआ.."एम.बी.डी. रेस्टोरेंट मे पहूचकर मैने निशा से कहा...
"बैठो अरमान..."निशा ने उखड़े हुए अंदाज़ मे जवाब दिया..
"अंकल-आंटी से बहस हुई क्या तुम्हारी "
इस सवाल के पीछे मेरा एक और मक़सद ये भी पता करने का था कि कही निशा ने हम दोनो के बारे मे अपने मोम-डॅड को ना बता दिया हो,वरना मेरे लिए बहुत मुश्किले खड़ी होने वाली थी...यदि निशा के माँ-बाप को इस समय जबकि निशा की शादी को कुछ दिन ही बाकी थे,उन्हे ये पता चलता कि उनकी गैर मौजूदगी मे मैं उनकी बेटी के साथ रास-लीला रचता हूँ तो वो शायद मुझे ज़िंदा नही छोड़ेंगे....
"नो, मोम-डॅड से कोई बहस नही हुई....वो कल डेविड आ रहा है मुझसे मिलने..."एक ग्लास मे पानी लेकर निशा ने गले से नीचे उतारते हुए कहा
"ये चूतिया डेविड कौन है...जिसकी वजह से तुम इतनी उदास हो.."
"मेरा होने वाला हज़्बेंड "
"ओह तेरी...सॉरी दट आइ कॉल्ड हिम चूतिया..."अबकी मैने भी सामने रखे पानी के ग्लास को उठाया और पूरा खाली किया..
."तो इसमे बुराई क्या है, हज़्बेंड है तेरा...आएगा प्यार के मीठे दो बोल गुनगुनाएगा ,चम्मा चाटी करेगा , फिर यहाँ वहाँ हाथ मार कर तुझे यहाँ से ले जाएगा...."
"मुझे वो पसंद नही...."
"और वो क्यूँ..."
"कार मे चलकर बात करते है ,कहीं चलना है हम दोनो को...."
हम दोनो एम.बी.डी. रेस्टोरेंट से बाहर निकल कर निशा की कार मे हो लिए,...ये पहली बार था जब मैं निशा के साथ अपनी कॉलोनी से बाहर निकला था, यूँ तो नागपुर आए हुए महीनो हो गये थे,लेकिन नागपुर के बारे मे अब भी मैं कुछ नही जानता था,जिसकी एक वजह ये थी कि मैं शहर की भीड़ भाड़ से दूर रहता था और दूसरा कुछ नया जानने की इच्छा महीनो पहले जैसे सीने मे ही दफ़न हो गयी थी...लेकिन आज निशा के साथ होने पर मैं नागपुर को पहली बार गौर से देख रहा था....और तभी मुझे बीते दिनो की याद आई जब हम हमेशा यही कहा करते थे कि काश हम नागपुर मे पढ़ते, काश हम नागपुर मे रहते या फिर काश कि नागपुर यहाँ से पल भर की दूरी मे होता....ऐसा कहने की हमारी सिर्फ़ और सिर्फ़ एक वजह थी और वो वजह थी सस्ते दामो मे अपना जिस्म परोसने वाली देसी और विदेशी लड़किया और कमसिन औरत....
"नागपुर के बारे मे मैने सुन रखा है कि यहाँ रात बिताने के लिए खूबसूरत लड़किया बहुत सस्ते दामो मे मिल जाती है..."खूबसूरत वर्ड पर मैने जानबूझ कर ज़्यादा ज़ोर दिया,ताकि निशा जल भुन जाए...और जैसे कि मेरा अंदाज़ा था निशा का रियेक्शन ठीक वैसा ही था...
"क्यूँ....उनके साथ रात बितानी है क्या "वो चिढ़ते हुए बोली...
"कुछ जुगाड़ जमा दो...आज कल रात को नींद नही आती "
"आगे थोड़ी दूर पर एक क्लिनिक है..कहो तो डॉक्टर से कन्सल्ट करके एक पाय्सन ले लो...रात मे फिर अच्छी नींद आएगी..."निशा फिर चिढ़ने वाले अंदाज़ मे बोली...
"थॅंक्स फॉर दा सजेशन, लेकिन मुझे मेरा ही आइडिया ज़्यादा पसंद है...कुछ जुगाड़ जमा दो..."उसकी तरफ देखते हुए मैने कहा"और हां लड़की रशियन हो तो और भी ज़्यादा सुकून से नींद आएगी "
"अरमान अब बस भी करो,आइ हॅव टू से सम्तिंग..."
"मैं सुन रहा हूँ..."
निशा ने अगले ही पल कार सड़क के साइड मे रोक दी और फिर मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर बोली"मैने आज तक तुम्हारे सिवा किसी और के साथ सेक्स नही किया है...मैने तुम्हे आज तक मेरे जितने भी बाय्फरेंड्स के नेम और अड्रेस बताए सब फेक थे..."
ये मेरे लिए एक शॉकिंग न्यूज़ थी, मेरे लिए निशा की इस बात पर यकीन करना कि उसने आज तक मेरे सिवा और किसी के साथ बिस्तर गरम नही किया है ,ये बात मुझे कुछ हजम नही हो रही थी...उसने मुझे ये दिल को झकझोर कर रख देने वाली बात अभी क्यूँ बताई ये तो मैं जानता था,लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर उसने पहले मुझसे झूठ क्यूँ बोला
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उसने मुझे ये दिल को झकझोर कर रख देने वाली बात अभी क्यूँ बताई ये तो मैं जानता था,लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर उसने पहले मुझसे झूठ क्यूँ बोला
मैं इस वक़्त ऐसे हैरान था जैसे कि कितना बड़ा आश्चर्या देख लिया हो
"मैं जानती हूँ कि तुम्हे यकीन नही हो रहा है.."
"नही ऐसी कोई बात नही है,मुझे यकीन हो रहा है..."
"फिर खुश क्यूँ नही हो रहे हो..."
"मैं खुश तो हूँ, मैं बहुत ज़्यादा खुश हूँ...."
"तुम्हारी शकल देख कर तो ऐसा नही लग रहा..."
"क्या सच मे..."साइड मिरर को अपनी तरफ करके मैने उसमे अपना चेहरा देखा"ऐसा तो कुछ भी नही है...."
उसके बाद निशा कुच्छ नही बोली,उसने कार स्टार्ट की और वापस सड़क पर दौड़ा दी....लेकिन मैं अब भी मिरर मे देख रहा था, मुझे निशा की बात पर बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था और उसी वक़्त जैसे उसने मेरे अंदर की उलझन को समझ लिया हो वो बोली
"तुम बिलीव नही कर रहे हो कि मैं आज तक सिर्फ़ तुम्हारे साथ...."
"नही..बिल्कुल नही, मुझे पूरा यकीन है...देखो मैं कितना खुश हूँ..."झूठ बोलते हुए मैने मुस्कुरा दिया...
हमेशा फिलॉसोफी झाड़ने वाला मैं आज अपनी ही फिलॉसोफी नही समझ पा रहा था , मुझे देखकर उस वक़्त कोई भी कह सकता था कि मैं इस वक़्त किसी कन्फ्यूषन मे हूँ और कुछ सोच रहा हूँ....लेकिन पूरे वक़्त मैं जबर्जस्ति मुस्कुराने की आक्टिंग करता रहा,ताकि निशा को भनक ना लग जाए कि मैं उसपर शक़ कर रहा हूँ....
मैं पूरे रास्ते भर यही कोशिश करता रहा कि निशा को इस बात का अहसास ना हो जाए कि मुझे उसकी बात पर यकीन नही है,मैं ऐसे रिएक्ट करता जैसे मैं बहुत खुश हूँ...थोड़ी देर बाद निशा ने कार एक माल के सामने रुकी
"अरमान, ये झूठा बर्ताव करना बंद करो...मैं जानती हूँ कि तुम्हे मेरी बात पर भरोसा नही है..."
"ऐसा बिल्कुल भी नही है..."मैने एक बार फिर मुस्कुराने का झूठा लिबास ओढ़ते हुए कहा"बाइ दा वे ,तुम मुझे इस माल मे क्यूँ लाई हो...कही मूवी दिखाने का प्लान तो नही है..."
"घुमाने लाई हूँ तुम्हे ,दिन भर इंडस्ट्री मे तो रहते हो..."अपने बालों को मिरर मे देखकर संवारते हुए निशा बोली"बाइ दा वे ,तुमने अभी तक बताया नही मैं कैसी दिख रही है..."
"एक दम झक्कास..."बोलते हुए मैने उसकी तरफ सिर्फ़ अपने हाथ ही बढ़ाए थे कि वो डर कर तुरंत कार से बाहर निकल गयी...
"ड्राइवर कार पार्क करके आओ..."
"मैं ड्राइवर..."
"नही तो क्या मैं हूँ ड्राइवर..."
"जैसी आपकी आग्या मालकिन जी..."
मैने कार पार्क की ओर माल के अंदर आया....निशा माल के अंदर थोड़ी ही दूर पर मुझे खड़ी हुई दिख गयी...उसके बाद तो जैसे कयामत ही आ गयी, वो जहाँ भी कुछ खरीदने जाती वहाँ आधे से एक घंटा उसको टाइम लगता और उस पूरे टाइम मे मैं जमहाई लेता हुआ बाहर माल मे आने जाने वाले को देखता रहता....
"निशा, पूरे 2 घंटे हो गये है...लेकिन अभी तक तुझे कुच्छ पसंद नही आया क्या "
"मेरी बेस्ट फ्रेंड का बर्तडे है तो उसको कुछ अलग ही देना पड़ेगा ना और मेहनत तो मैं कर रही हूँ इससे तुमको क्या परेशानी है..."
"मुझे लगा , तुम अपनी शादी के लिए शॉपिंग कर रही हो पर यहाँ तो पूरा मामला ही उल्टा निकला"
"शादी के लिए शॉपिंग की क्या ज़रूरत, वेड्डिंग ड्रेस है तो मेरे पास..."
"लेकिन उस दिन जब तुम्हारे अंदर भूत सवार हुआ था तब तो तुमने बरसात मे भीगकार उस लाल साड़ी का सत्यानाश कर दिया था..."
"वो तो साड़ी थी ना उसे मैं वेड्डिंग मे कैसे पहन सकती हूँ..."
"क्यूँ..."
"मैं क्रिस्चियन हूँ, क्या तुम्हे ये नही पता..."
" सच"
"या"
"शॉपिंग बाद मे कर लेना ,मेरा सर घूम रहा है...अभी फिलहाल वापस चलते है..."
लेकिन वो नही मानी उसने आधे घंटे तक मुझे और उस माल मे खाना खाया और जब हम दोनो वापस कार मे आए तो मैने अपनी आँखे बंद की और अपने सर को सहलाते हुए सारी चीज़ो को एक-एक करके समझने की कोशिश करने लगा......
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"निशा "नेम तो हिंदू है लेकिन ये खुद को क्रिस्चियन बता रही है, नो प्राब्लम
लेकिन फिर इसके पास शादी का लाल जोड़ा कैसे आया...इसकी माँ की....पूरे दिमाग़ का डोसा बनाकर खा गयी है
"निशा ,अपना पूरा नेम बताना तो एक बार..."आँख खोलते ही मैने पहला सवाल यही पुछा...
"निशा पेरेज़...क्या तुम्हे सच मे नही पता था कि मैं एक क्रिस्चियन हूँ..."
"नही और मुझे कोई फरक भी नही पड़ता...लेकिन फिर एक सवाल अब है कि तुमने फिर वो लाल साड़ी अपने पास क्यूँ रखी है..."
"क्यूंकी मुझे वो पसंद आ गयी थी,तो मैने उसे खरीद लिया...इसमे बुरा क्या है..."
"कुछ भी बुरा नही है...मैं तो ऐसे ही जनरल नालेज के लिए क्वेस्चन पुच्छ रहा था ,तुम कार चलाओ..."बोलकर मैने अपनी आँखे बंद कर ली
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यदि देखा जाए तो ग़लती निशा की नही थी ,हम दोनो पहले केवल बिस्तर पर कबड्डी खेलने के लिए मिला करते थे ,इसलिए एक दूसरे के बारे मे हमे ज़्यादा कुछ नही पता था....जैसे मैं निशा के बारे मे ज़्यादा नही जनता था वैसे ही वो भी मेरे बारे मे कुछ नही जानती थी...उसने मेरे बारे मे कयि बार कुच्छ नया जानने की कोशिश की थी लेकिन मैने हर बार फुल स्टॉप का बोर्ड टाँग दिया क्यूंकी यदि मैं उसे बताता तो क्या बताता कि मैं अपने घर से भाग कर यहाँ रह रहा हूँ....और उसे अपने बारे मे कुछ ना बताने का सबसे बड़ा रीज़न ये भी था कि वो फिर मेरी लाइफ के और भी पहलुओ को जानने की कोशिश करती....
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"अरमान...एम.बी.डी. रेस्टोरेंट आ गया..."
"तो क्या यहाँ से मैं पैदल जाउ..चल ना लिफ्ट दे दे...वैसे तुमने मुझे बुलाया किसलिए था"
"वही तो बताने की कोशिश कर रही हूँ...लेकिन कुछ बोल नही पा रही..."
"अब ऐसा क्या धमाका करने वाली हो जानेमन "
"रेस्टोरेंट मे चलकर बात करते है "
हम दोनो एम.बी.डी. के अंदर घुसे और एक कोने वाले टेबल पर बैठ कर मैने दो कप कॉफी का ऑर्डर दिया और निशा की तरफ देखकर कहा"हां बोलो,अब..."
"आइ लव यू...अरमान"
"हां ,आगे बोलो..."मेरे दिल की धड़कने तेज़ होनी शुरू हो चुकी थी....
"मैं डेविड से शादी नही कर सकती..."
"ह्म्म...आगे बोलो..."
"तुम कुछ करो ना ,जिससे ये शादी रुक जाए..."
"ह्म्म...आगे बोलो.."
"डू यू लव मी "
"ह्म्म...आगे बोलो..."
"अब आगे क्या बोलू...सब तो बोल दिया ,अब तुम बोलो "गुस्से से मेरे हाथ मे अपने नाख़ून गढ़ा कर निशा ने कहा...
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