RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
दूसरे दिन मेरी नींद अरुण से पहले खुली, जिसका एक रीज़न शायद ये भी हो सकता था कि अरुण ने रात-भर फ़ेसबुक पर किसी लौंडिया से चाटिंग की होगी...कॉलेज के लिए देर हो रही थी,लेकिन अरुण तो भजिए तल के सो रहा था....
"जागो मोहन प्यारे, सवेरा हो गया, सुर्य आकाश मे अपनी लालिमा बिखेर रहा है और आप है कि यहाँ अपने शयन कक्ष मे चिर निंद्रा मे खोए हुए है...आज महाविद्यालय की तरफ प्रस्थान करने के बारे मे आपका क्या विचार है..."
"तूने कुछ कहा क्या..."आँखे मलते हुए वो उठा और उठने के तुरंत बाद ही बिना ब्रश किए कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा....
"अबे लोडू, ब्रश तो कर ले कम से कम..."
"शेर कभी ब्रश नही करता, खून हमेशा उनके दांतो मे लगा रहता है "
"ग़ज़ब...."
.
आज मैं पहली बार कॉलेज मे पढ़ने की उम्मीद लिए जा रहा था, मैने बहुत कुच्छ सोच रखा था,जैसे कि कुच्छ भी हो जाए,मैं क्लास मे एक लफ्ज़ भी अपने मुँह से नही निकालूँगा, टीचर्स जो पढ़ाएँगे वो समझ मे आए चाहे ना आए मैं फिर भी पढ़ुंगा...और हुआ भी ऐसा ही , मैने शुरू के फाइव पीरियड्स बिना किसी धमाके के निकाल लिए थे...आज किसी भी टीचर ने मुझे किसी भी बात के लिए नही टोका, और फाइनली मैं आज बहुत खुश था....सबको मेरे इस नये बर्ताव से थोड़ी हैरानी तो हुई लेकिन उन सबसे ज़्यादा हैरान और परेशान मेरा खास दोस्त अरुण था और उससे भी ज़्यादा हैरान और परेशान मैं खुद था....
.
"ओये अरमान, ये क्या लौंदियो की तरह डर कर चुप चाप बैठा है...मर्द बन और पहले की तरह बक्चोदि कर..."
"अभी तो फिलहाल मुझे स्टूडेंट बनना है और मर्द तो मैं हूँ ही..."
"मेरा कहने का मतलब था रियल मर्द बन..."
"चुप कर लवडे,आज मैं पढ़ने के मूड मे हूँ..."
"क्या पढ़ेगा इस बकवास पीरियड मे,"जमहाई लेते हुए अरुण ने कहा"एक तो वैसे भी ये ग्रूप डिस्कशन सब्जेक्ट सबसे बोरिंग सब्जेक्ट है उपर से ये भावना माँ को देखकर नींद और आ जाती है...यदि तू अपने बड़े भैया की नसीहत को इस पीरियड मे छोड़ देगा तो तेरा ही फ़ायदा होगा..."
"अबे बाहर कर देगी ये मोटी..."
"घंटा बाहर करेगी, ज़रा एक नज़र पूरी क्लास मे घुमा कर देख...सब टाइम पास कर रहे है..."
.
अरुण के कहने पर मैने अपनी नज़र एक बार पूरी क्लास मे दौड़ाई,वो सही बोल रहा था...जहाँ भावना माँ एक तरफ किसी टॉपिक पर लेक्चर दे रही थी वही दूसरी तरफ क्लास के सभी स्टूडेंट्स खुद का लेक्चर चला रहे थे...मैने सोचा की इस पीरियड मे अपने दिमाग़ को तोड़ा आराम दिया जाए....
.
"चल आजा लड़कियो के बारे मे बात करते है..."जमहाई मरते हुए मैने कहा...
"वो सब तो ठीक है लेकिन इस फटतू नवीन को इधर से भगा...साला खुद तो डरता रहता है उपर से हमे भी डरता है..."
"रहने दे ,मैं खुद ही यहाँ से चला जाता हूँ..."हम दोनो की बक बक से परेशान होकर नवीन ने कहा....
नवीन मौका देख कर पीछे वाली सीट पर समा गया और नवीन के जाते ही मेरे और अरुण के बीच पढ़ाई की बाते शुरू हो गयी...भावना मॅम का स्लीपिंग लेक्चर अब भी चालू था...भावना मॅम की क्लास को हम दोनो ने इस कदर भुला दिया कि हमे याद तक नही रहा कि अभी हम दोनो कॉलेज मे है...
"अरुण आंड अरमान..क्या चल रहा है उधर.."
"कुछ नही...कुच्छ भी तो नही माँ.."मैने तुरंत मोबाइल बॅग मे डाला और खड़ा हो गया...
"मोबाइल लाओ इधर और होड़ के पास चलने को तैयार हो जाओ"
"सॉरी मॅम,वो किसी की कॉल आ रही थी..."
"इतना एमर्जेन्सी कॉल था तो पर्मिशन लेकर बाहर जा सकते थे,इस तरह से क्लास को चिड़िया घर बनाने की क्या ज़रूरत थी..."
"नेक्स्ट टाइम से बिल्कुल भी ऐसा नही करूँगा..."एक दम प्यार से माफी मॅगने वाले अंदाज़ मे मैने कहा...
"अच्छा ये बताओ,जो सवाल मैने पुचछा था उसका जवाब क्या होगा..."
"रिपीट दा क्वेस्चन प्लीज़ "
भावना मॅम ने क्वेस्चन रिपीट किया लेकिन सब कुछ पानी की तरह मेरे सर के उपर से गया "मॅम, एक बार ग्रूप डिस्कशन का टॉपिक बताओ ना ..."
उसके बाद भावना मॅम मुझे खा जाने वाली नॅज़ारो से देखने लगी और गुस्से से चीखते हुए बोली"निकल जाओ मेरे क्लास से..."
"म्सी चिल्ला मत, वरना एक बार लंड फेकुंगा तो पूरा खानदान चुद जाएगा..."उनकी आँखो मे देखते हुए मैने अपनी आँखो से ही कह दिया और पैर पटकते हुए क्लास से बाहर आया....
क्लास से बाहर निकाले जाने के कुच्छ ही देर बाद ही कुच्छ ऐसा हुआ कि जहाँ कुच्छ देर पहले मैं भावना मॅम को गालियाँ दे रहा था अब वही मैं उनके मोबाइल पर थॅंक यू का मेस्सेज भेजना चाहता था...थॅंक यू का मेस्सेज मोबाइल पर इसलिए क्यूंकी भावना मॅम के सामने जाकर थॅंक यू बोलने की हिम्मत नही थी
"एश....रुक"एश जब क्लास से अकेली निकली तो मैने उसे आवाज़ दी लेकिन उसने मुझे पूरी तरह से इग्नोर किया और आगे चल दी...
"ओये चुड़ैलिन रुक..."
"क्या है "गुस्से से पलट कर वो बोली..
"तुझे भी क्लास से निकाल दिया क्या"उसे हल्का सा धक्का देते हुए मैने कहा..
.जिससे वो भड़क उठी और दूर होते हुए बोली
"माइंड युवर बिहेवियर..."
"चल चुड़ैल,ज़्यादा भाव मत खा...और ये बता कि तुझे क्लास से क्यूँ निकाला है..."
.
क्लासस अभी भी चल रही थी इसलिए कॉरिडर अभी पूरा खाली था,जिसमे मैं एश को परेशान कर रहा था...और दिल ही दिल मे ये भी सोच रहा था कि आज तो मस्त मौका मिला है....
"अरमान, मेरा मूड इस वक़्त बहुत खराब है...दूर रहो मुझसे..."
"ईईईईईई....."
"क्या ईईईई.."
"कुछ नही "उदास होते हुए मैने सोचा कि शायद मैं कभी एश को आइ लव यू नही बोल पाउन्गा...साला वैसे तो बहुत शेर बनता हूँ लेकिन जब इस चुड़ैल को आइ लव यू बोलने की बारी आती है तो हवा टाइट हो जाती है....फिर मैने सोचा कि आइ लव यू बोलने की इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो सेकेंड सेमेस्टर ही चल रहा है....
"अब मेरे पीछे मत आना..."कॉरिडर मे आगे बढ़ते हुए एश बोली...
वैसे तो एश ने मुझे उसको फॉलो करने के लिए मना किया था लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे अपने साथ चलने का इन्विटेशन दे रही हो....मेरी सोच सही थी या फिर मैं ग़लत था,ये मुझे नही पता...लेकिन उस दिन मैं एश के पीछे-पीछे गया...शुरू मे तो वो गुस्सा हुई लेकिन फिर चुप हो गयी और कॅंटीन के पास पहुचते ही वो मुझपर मुस्कुराने लगी....
.
"तुम पर केस कर दूँगी..."हँसते हुए उसने कहा...
कॅंटीन मे वो जिस टेबल पर बैठी थी मैं भी अब वही बैठ गया था...
"तुम्हे मालूम है एश ,यू आर लाइक माइ कॅट...बोले तो एक दम सेम टू सेम.."
"तुम्हारा दिमाग़ सही नही है,तुम बिल्कुल पागल हो,मैं जा रही हूँ यहाँ से.."तुनक कर एसा वहाँ से उठी और जाने लगी...
.
मैं चाहता तो एश का हाथ पकड़ कर रोक सकता था...लेकिन मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझसे कहा कि "बेटा फ़िल्मो की कॉपी मत कर...वरना तिलमिलाई हुई एश लाफा तो मारेगी ही साथ मे गौतम के साथ पंगा अलग...."
मैने अपने सिक्स्त सेन्स की बात मान ली और एश को एक शब्द भी नही कहा मेरे ऐसा करने की एक और वजह ये थी की....अपुन की भी कोई इज़्ज़त है, अब वो बार-बार मुँह फूलकर भागे तो भाग जाए... उसके बाद मैं लगभग आधे घंटे तक और कॅंटीन मे बैठा रहा और जो मन मे आया उसे माँगा कर खाया और पैसे सीडार के अकाउंट मे एड करा दिए....
.
"आई साला...मज़ा आ गया आज तो..." हॉस्टिल वाली सड़क पर चलते हुए मैने कहा..
मैं अब हॉस्टिल जाकर सीधे सोने के मूड मे था जिससे रात को रिलॅक्स होकर पढ़ सकूँ...लेकिन उसी समय मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा...
"एमटीएनएल भाई को आज मेरी याद कैसे आ गयी..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए मैने कॉल रिसेव की"हेलो..."
"हाई...हेलो छोड़ और ये बता बॅस्केटबॉल खेल लेता है ना..."
"एक दम झक्कास प्लेयर हूँ..."
"तो आजा बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर,एक प्रॅक्टीस मॅच चल रहा है..."
"अभी..."
"हां अभी..."
"लेकिन अभी तो मैं तैयार नही हूँ, एक तो मैने अभी ही जानवरो की तरह पेट भरा है और दूसरा मैं जीन्स पैंट मे बॅस्केटबॉल कैसे खेलूँगा..."
"जल्दी से इधर पहुच सब जुगाड़ है..."
"आता हूँ "
.
मॅच खेलने का मन तो नही था लेकिन सीडार भाई की बात को टालना मैने मुनासिब नही समझा...बॅस्केटबॉल के ग्राउंड पर पहुचा तो मालूम चला कि मामला एक प्रॅक्टीस मॅच से कहीं ज़्यादा है....जिसकी कहानी मुझे सीडार ने बताई...हुआ कुच्छ यूँ कि हॉस्टिल के किसी सीनियर ने किसी बात पर सिटी वालो को बॅस्केटबॉल मॅच खेलने का चॅलेंज दे दिया और मॅच स्टार्ट होने के कुछ ही देर बाद हॉस्टिल वालो मे से दो प्लेयर जो की मॅच विन्नर थे वो ज़ख़्मी हो गये....इसलिए सीडार ने मुझे मॅच खेलने के लिए बुलाया....इतने लोगो मे से उसने मुझे ही कॉल किया इसकी वजह शायद ये थी कि मैने कुछ दिन पहले सीनियर हॉस्टिल मे बॅस्केटबॉल का नॅशनल प्लेयर होने की हुंकार मारी थी...
|