Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:46 PM,
#54
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
. टर्निंग शॉप का हेड मुझे उस दिन बहुत चूतिया लगा...साला खुद को आर्मी का लेफ्टीनेंट समझ रहा था उसकी कहानी मुझे बाद मे मालूम चली...हुआ ये था कि हमारे टर्निंग शॉप का हेड बहुत बड़ा देशभक्त था...और ये इन्फर्मेशन मुझे मेरे ही हॉस्टिल एक लड़के ने दी थी...उस वक़्त मैं ये नही जानता था कि ये इन्फर्मेशन देने वाला मेरा दोस्त सौरभ मेरा खास दोस्त बनेगा....लेकिन ये हुआ पूरे इतमीनान के साथ हुआ...

"अब क्या हुआ यार तुझे..."
"तुमने कहा था आज बताओगे...तू तुमने क्या सोचा..."
"किस बारे मे..."मैं जानता था कि निशा किस बारे मे पुच्छ रही है,लेकिन फिर भी मैने अंजान बनते हुए पुछा...और उसने तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर दी,लेकिन थोड़ी देर बाद उसने फिर कॉल किया...
"अरमान, अब मेरे मोम-डॅड मुझपर नज़र रखने लगे है...वो बोलते है कि अब मैं घूमना बंद कर दूं..."
"तो सही तो बोल रहे है...तुम्हारी शादी को सिर्फ़ दो हफ्ते बाकी है, इसलिए ज़्यादा मत घूमो ,काली हो जाओगी..."
"तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है..."
"ना..ये तो मैं दिल से बोल रहा हूँ..."
"मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ,लेकिन मेरे अकेले घर से निकलने मे पाबंदी लगा रखी है...कहते है,जहाँ भी जाओ तो ड्राइवर के साथ जाओ..."
"सही है..."
"क्या सही है..."
"कुच्छ नही ,वो मैं अपने दोस्त से बात कर रहा था...हां बोलो क्या बोल रही थी..."
"यही कि अब मैं घर से अकेली नही निकल सकती..."
"एक मिनिट..."अपने दिमाग़ को टटोलते हुए मैं कोई आइडिया ढूँढने लगा"एक काम करो निशा..."
"कैसा काम, एक तो मैं पहले से ही परेशान हूँ उपर से तुम्हारा काम भी करूँ...क्या तुम्हे नही मालूम कि मेरे मोम-डॅड मुझे कही भी अकेले जाने नही देते,इसपर मैं तुम्हारा काम कैसे करूँगी...और वैसे भी अपना काम खुद करना चाहिए...."
"पहले मेरी बात तो सुन ले डायन..."निशा को बीच मे रोक कर मैं बोला"कल एक माल मे हम गये थे...याद है..."
"हां..."
"ड्राइवर के साथ वही पहुचो और जब ड्राइवर कार पार्क करने जाएगा तो तुम कार से निकलकर माल के अंदर आ जाना,मैं तुम्हे उधर ही मिलूँगा..."
"ओके..."
.
निशा से बात करने के बाद मैने वरुण से उसके कार की चाबी माँगी तो वो बोलने लगा कि उसे आज उसकी फेमिली के पास उसे जाना है...

"उस लौंडिया को मैने कल माल मे दो लड़को के साथ देखा था...दूर ही रह तू उससे"मैने वरुण की कार लेने के लिए अपना जाल फेका...

"क्या बोल रहा है यार..."वरुण एक दम से शॉक्ड होकर बिस्तर पर सीधे बैठ गया"वो तो बोल रही थी कि उसकी लाइफ मे मेरे सिवा और कोई लड़का नही है..."

"अबे झूठ बोल रही है वो...मैने कल माल मे उसे दूसरे लड़को के साथ देखा था...."
"सच..."
"तेरी कसम..."
"भाड़ मे गयी साली, मुझे चूतिया बनाने चली थी...मैं तो आज उसे नेकलेस गिफ्ट करने वाला था...अच्छा हुआ जो तूने उसकी असलियत बता दी...वरना मैं तो खामख़ाँ पप्पू बन जाता"आँखो मे अँगारे भरकर वरुण उठा और मुझे कार की चाभी देकर थॅंक्स भी बोला....

"अब थॅंक्स मत बोल यार "जब मेरे द्वारा फेके गये जाल मे चाभी फस गयी तो मैने कहा"एक और बात ,साली का फोन आए तो बिल्कुल भी रिसीव मत करना....मैं चलता हूँ..."
.
वरुण की कार लेकर मैं माल की तरफ निकल पड़ा ,माल पहुचने मे मुझे मुश्किल से आधा घंटा ही लगा होगा लेकिन निशा का इंतज़ार करते हुए मुझे एक घंटे से भी ज़्यादा समय हो गया था....

"एक कप कॉफी देना..."ऑर्डर देते हुए मैने एक और बार निशा का नंबर डाइयल किया और पिछले कयि बार की तरह इस बार भी उसका नंबर स्विच ऑफ बता रहा था...

"इसने अपना मोबाइल क्यूँ बंद करके रखा है..."

इसके बाद आधा घंटा और बीता लेकिन ना तो निशा आई और ना ही उसका नंबर ऑन हुआ...जिस टेबल पर मैं बैठा था उसके सामने वाले टेबल पर कुच्छ लड़के बैठ कर किसी मूवी के बारे मे बात कर रहे थे...

"महीनो हो गये कोई मूवी देखे हुए...आज देख लेता हूँ..."

मैने वहाँ का बिल पे किया और सिनेमाहोल की तरफ बढ़ा...अब पहले जैसा मैं नही रहा था,जो किसी मूवी के रिलीस होने के पहले ही उसके बारे मे डीटेल मालूम कर लूँ, मैने बाहर लगे मूवी के पोस्टर देखे और फिर टिकेट काउंटर पर जाकर उसे मूवी का नेम बताया....
"इस शो की सारी टिकेट बिक चुकी है..."
"तो किसी और मूवी का ही टिकेट दे दे..."
"किस फिल्म का टिकेट सर..."
जहाँ पर मूवी के पोस्टर्स लगे हुए थे उसी के बगल मे टिकेट काउंटर था, मैं एक बार फिर वापस आकर पोस्टर्स को देखने लगा और उसके बाद जैसे ही मुड़ा तो नीचे वाले फ्लोर पर मुझे निशा दिखाई दी लेकिन साथ मे उसके पेरेंट्स भी थे...
"कमाल है मैं इधर डेढ़ घंटे से कॉफी पी-पी कर उसका इंतज़ार कर रहा हूँ और ये इधर फॅमिली शॉपिंग कर रही है...अभी बताता हूँ इस डायन को..."
बोलते हुए मैं लिफ्ट से नीचे आया लेकिन तब तक निशा अपने पेरेंट्स के साथ ब्राइडल वेअर शॉप के अंदर चली गई और उनके पीछे-पीछे मैं भी अंदर जा पहुचा...

ब्राइडल वेअर का शॉप बहुत बड़ा था और वहाँ भीड़ भी बहुत थी,लेकिन उस भीड़ मे निशा को मैने बहुत जल्दी ढूँढ लिया...वो कुच्छ ले नही रही थी बस इधर से उधर घूम-फिर रही थी...उसके पेरेंट्स उससे थोड़ी दूर मे थे....वो जब अपने पेरेंट्स से थोड़ी और दूर मेरी तरफ आ गयी तो मैं उसके सामने गया और उसका हाथ पकड़कर वहाँ से बाहर ले आया....
"अरमान तुम यहाँ..."
"मैं यहाँ दो घंटे से हूँ,..."
"सॉरी अरमान, मेरे मोम-डॅड ने मुझसे पुछा कि मैं माल क्या करने जा रही हूँ तो मैने ऐसे ही कह दिया मूवी देखने...और फिर वो भी मेरे साथ आ गये..."
"और तेरा नंबर क्यूँ बंद है... "
"डॅड ने मेरी पुरानी सिम तोड़कर फेक दी यहाँ से आने के पहले...मैं अपना न्यू नंबर दूं..."
"अभी रहने दे...चुप चाप चल मेरे साथ..."
"कहाँ..."लिफ्ट के अंदर आते हुए वो बोली"मोम-डॅड गुस्सा करेंगे...."
"तेरे मोम-डॅड की तो...."जब निशा ने मुझे घूरा तो मुझे बीच मे ही रुकना पड़ा....
"मैं कार लेकर आया हूँ ,वही चलकर बात करते है..."
"कार मे... "
"क्या हुआ..."
"कार मे क्यूँ..."
"रेप करने के मूड मे हूँ,अब चले"
.
"मोबाइल स्विच ऑफ कर दे और जब वापस जाए तो ये बहाना मार देना कि बाथरूम गयी थी..."
"ओके..."
"हां बोल,क्यूँ मिलना था मुझसे..."
"मैं यही बोलना चाह रही हूँ कि हालत बिगड़ते जा रहे है...हमे भाग जाना चाहिए..."
"अच्छा...और भाग कर कहाँ जाना चाहिए...स्विट्ज़र्लॅंड चले या फिर यूएसए या फिर जापान या इंग्लेंड या चाइना "
"कहीं भी भाग जाएँगे...ये दुनिया बहुत बड़ी है..."अपने दोनो हाथ को फैलाते हुए वो खुशी से बोली...
"एक थप्पड़ मारूँगा तो सारा फिल्मी जूनूर सर से उतर जाएगा..."
अब मैं उसे कैसे बताता कि मैं तो खुद घर से भागकर यहाँ आया हुआ हूँ और अब यहाँ से भागकर कहा जाउ...
"तो फिर तुमने क्या सोचा..."
"मुझे कुच्छ दिन का टाइम दो, मैं कुच्छ सोच लूँगा...अब मोबाइल ऑन कर ले और जा...तेरे घरवाले हंगामा मचा रहे होंगे..."
"तो मैं जाऊ..."
"हां..."
"पक्का मे जाऊ..."
"हां जा ना..."
"सच मे जाऊ..."
"अरे ये जाऊ-जाऊ क्या लगा रखा है,अब मोबाइल मे मेस्सेज करू क्या...चल कल्ती हो जा..."
"एक चुम्मी दो ना..."
"ओ तेरी "


निशा को एक किस देने के बाद मैने कार अपने फ्लॅट की तरफ घुमाई...अब निशा और मेरा मामला बहुत सीरीयस हो गया था जो आने वाले दिनो मे और भी भयानक होने वाला था...मुझे डर बस इसी बात का था कि जिस दिन उसके बाप को मालूम चलेगा कि मैं उसकी बेटी के साथ उसी के घर मे क्या करता हूँ तो यक़ीनन वो मुझे उसी वक़्त गायब कर देगा और मेरा वो हश्र करेगा जो मैं सोच भी नही सकता...मुझे निशा से सॉफ कह देना चाहिए था कि वो अपना रास्ता नापे और आज के बाद मुझे कॉंटॅक्ट ना करे ,इसी मे मेरी भलाई थी...लेकिन मैने ऐसा कुच्छ भी नही किया,मैने ऐसा कुच्छ करने की कोशिश तक नही की....जिसकी वजह ये हो सकती थी कि शायद मैं भी वही चाहता हूँ जो निशा चाहती है...लेकिन मैं हंड्रेड पर्सेंटेज श्योर नही था,इसलिए मैने खुद को अभी तक रोक रखा था....लेकिन अब वक़्त रुकने का नही था क्यूंकी मेरे पास अब सिर्फ़ उंगलियो मे गिने हुए दिन ही बाकी थे...


निशा अब मुझे अच्छी लगने लगी थी ,इसमे कोई दो राय नही थी, पिछले कुच्छ दिनो मे मैने निशा का एक अलग ही रूप देखा था, उसका ये नया रूप ठीक वैसा ही था जैसा कि मुझे एक लड़की मे पसंद था...वो मुझसे प्यार करती थी ,अच्छा ख़ासा बोर यानी की पकाती भी थी और मेरे द्वारा डायन कहने पर वो गुस्सा भी नही होती थी....पिछले कयि दिनो मे कयि बार मेरा लेफ्ट साइड भी निशा के लिए धड़का था और यदि इस वक़्त मेरे सामने उसका बाप ना होता और मैं अच्छी-ख़ासी नौकरी कर रहा होता तो बिना एक पल गवाए उससे शादी कर लिया होता...पर सच ये था कि ऐसा कुच्छ भी नही था...उपर से मेरा दिमाग़ निशा के उस बात पर अटका हुआ था जिसमे वो बोली थी कि मेरे सिवा और किसी के साथ उसने आज तक सेक्स नही किया था.....निशा के इस भारी-भरकम और दिल की धड़कनो को तेज़ कर देने वाले स्टेट्मेंट को चेक करने के लिए मुझे फ्लश-बॅक मे जाना था ,जहाँ वो अक्सर सेक्स करते वक़्त कुच्छ लड़को के नाम बताया करती थी......
.
मैं अपने रूम तक पहुच चुका था और फ्लश बॅक मे जाने की तैयारी कर रहा था,मैने आँखे बंद की और निशा के साथ उसके बिस्तर पर बिताए गये गरम लम्हो को याद करने लगा....निशा के साथ अपनी पिछली यादो को ताज़ा करने के बाद मुझे याद आया कि वो एक लड़के का नाम बहुत बार लिया करती थी और इसके लिए याददाश्त का तेज़ होना बहुत ज़रूरी था, जो की मेरी बहुत पहले से थी
"विष्णु.."नाम याद करते हुए मैने कहा...
"नही विष्णु नही कुच्छ और नाम था उसका...विशाल..ये भी नही....कुच्छ अलग ही नाम था...क्या था उस घोनचू का नाम...
याद आया, विश्वकर्मा...इसी नाम को वो बार-बार लेते हुए गाली बकती थी....
.
"अरमान तू आज उपर आ..."बाल्कनी से अपना गला फाड़ते हुए वरुण ने मुझे धमकी दी....

"इतना ज़्यादा प्यार तो इसे मुझपर पहले कभी नही आया...कही इसे मालूम तो नही चल गया कि मैं इसे एडा बनाकर इसकी कार ले गया था...."

"तूने साले मुझसे झूठ बोला कि मेरी फॅंटी दो-दो लड़को के साथ सेट है...ताकि तू अपनी फॅंटी से मिलने के लिए मेरी कार ले जा सके..."

"ह्म्म्म्म ....हां "रूम के अंदर आते हुए मैने कहा...

"देखा वरुण मैने सही कहा था.."अरुण बीच मे बोला"कि ये साला बहुत चकमा देता है, अच्छा हुआ जो मैने तुझे इसके बारे मे बता दिया,वरना आज ही तेरी सेट्टिंग टूट जाती..."

"मेरे जाने के बाद हुआ क्या..."

"मैं बताता हूँ..."मेरी गर्दन दबाते हुए अरुण बोला"तेरे जाने के बाद वरुण बहुत उदास था कि उसकी आइटम ने उसको धोका दिया और उसने ये भी बताया कि उसे इस धोखे की खबर तूने कार माँगते वक़्त दी...तभिच अपुन सब समझ गया और मैने वरुण अंकल को उसकी आइटम से बात करने को कहा...जानता है हमे क्या मालूम चला..."
"क्या..."
"यही कि वो दो दिन से आउट ऑफ सिटी थी और आज ही नागपुर आई है...बेटा तेरी रग-रग से वाकिफ़ हूँ ,अपुन के साथ ज़्यादा शान-पट्टी नही करने का...अब तू ये बता कि तू वरुण की कार लेकर कहाँ उड़ रहा था..."
"एक प्राब्लम है यार..."
"कैसी प्राब्लम..."
"निशा की दो हफ्ते बाद मॅरेज है और वो मुझसे भागने के लिए कह रही है..."
"दिमाग़ सठिया गया है क्या तेरा "मुझे नीचे गिराकर अरुण ने कहा
"अबे गधे, उसके बाप के बारे मे नही मालूम क्या...गान्ड तोड़ देगा तेरी..."वरुण गुस्से मे बोला..
"इसीलिए मैने उसे उसी वक़्त मना कर दिया था जब उसने मुझसे ये बात कही थी..."
"गुड..."
"लेकिन मैने निशा से ये भी कहा था कि मैं कुच्छ ना कुच्छ जुगाड़ निकाल लूँगा..."
"कैसा जुगाड़ "
"अपन दोनो की शादी का...लेकिन उससे पहले एक काम करना है..."ग्लास मे पानी डालते हुए मैं बोला"निशा के बारे मे कुच्छ पता करना है..."
"बीसी, खुद का ठिकाना नही और शादी करने चला है..."मेरे हाथ से पानी का ग्लास छीन कर अरुण बोला"इस लौंडिया से मिला तो मुझे ,अभी साली को दवाई दे देता हूँ,बड़ी आई शादी करने वाली...वैसे वो एक काम कौन सा है..."
"काम नही प्राब्लम है वो भी एक नही तीन-तीन...पहला ये कि वो एक क्रिस्चियन है ,दूसरा उसका रहीस बाप और तीसरा मुझे ये मालूम करना है कि निशा ने मुझसे जो कुच्छ भी कहा वो सच है या नही..."
"क्या कहा उसने..."
"वो मैं तुझे क्यूँ बताऊ...बस तू एक काम कर,मैं एक लड़के का नाम बताता हूँ तू फ़ेसबुक मे उसके नेम के आगे नागपुर लिखकर सर्च मार..."
"नाम बता..."अरुण अपना मोबाइल निकालते हुए बोला...
"विश्वकर्मा,नागपुर..."
"20 से ज़्यादा लौन्डे है इस यूज़र नाम के..."
"तो उनमे से सबकी आइडी खोल और एक कॉलेज का नाम बताता हूँ वो देख..."निशा के कॉलेज का नाम बताते हुए मैने कहा और रिज़ल्ट मे हमे दो विश्वकर्मा मिले....

"एक ने अपना अड्रेस तक दिया है लेकिन एक की आइडी ब्लॅंक है...बोले तो ना फोटो ना कोई डीटेल्स..बस कॉलेज का नाम लिख रखा है चूतिए ने..."

"पहले वाले का अड्रेस देना तो..."
.
अरुण ने उसका अड्रेस मेरे मोबाइल पर मेस्सेज किया और मुझसे पुछा कि ये विश्वकर्मा कौन है और मैं उससे क्यूँ मिलने जा रहा हूँ....

"वो मेरा गे पार्ट्नर है...उसे छोड़ने जा रहा हूँ ,तू चलेगा मेरे साथ..."

"बिल्कुल नही..."

"तो अब अपनी बक बक बंद कर और मुझे आराम करने दे..."

"ओये हेलो...आगे की स्टोरी क्या पॅपा जी सुनने वाले है...."वरुण चादर खीचता हुआ बोला...

"अभी नही यार..."

"पर मेरा मूड है और यदि तूने ऐसा नही किया तो मैं कल सुबह निशा के बाप को जाकर सारी सच्चाई बता दूँगा..."
मुझे मालूम था कि वरुण ऐसा कुच्छ भी नही करता लेकिन फिर भी मैं उठकर बैठ गया.....
.
अब सब कुच्छ बदलने लगा था...अब ना ही हमारे क्लास मे दीपिका मॅम थी और ना ही कुर्रे सर...सीडार की इंजिनियरिंग कंप्लीट हो चुकी थी,इसलिए वो चला गया और उसी साल उसकी ड्रीम गर्ल विभा भी चली गयी लेकिन वरुण इस साल भी कॉलेज मे था...एश और गौतम का प्यार समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ रहा था और मेरे पास इस बारे मे सोचने का टाइम नही था....
"टाइम नही था का क्या मतलब..."वरुण ने मुझे बीच मे रोका...
"मतलब की सुबह 9 बजे उठकर शाम के 5 बजे तक कॉलेज मे सडना...उसके बाद सीधे हॉस्टिल आकर सो जाना और फिर रात को थोड़ी बहुत कॉलेज वर्क करना..."

"तो फाइनली तूने थर्ड सें से पढ़ाई शुरू कर दी..."

"पढ़ाई नही ,सिर्फ़ लिखाई और वर्कशॉप के मशीन्स के ड्रॉयिंग बनाना...मैं पूरी रात यही करता था, ताकि वर्कशॉप की नेक्स्ट क्लास के पहले तक मेरा काम पूरा हो जाए...वरना साला वो फ़ौजी अटेंडेन्स नही देता था...."

"घंटा...इसका मतलब एश से तू प्यार नही करता था ,वो सब तेरा अट्रॅक्षन था..."

"अट्रॅक्षन ईज़ दा रूट ऑफ लव...अंकल जी...वरना हमारे आस-पास के अट्मॉस्फियर मे ऐसे कई एलिमेंट्स और फोर्सस थे जो रिपल्षन का काम करते थे और इतने रिपल्सिव फॅक्टर्स के होने के बावजूद मैं एश से जुड़ा रहा...इसका मतलब कुच्छ तो ऐसा था जो मुझे उससे बँधे रखता था...."

"चल आगे बता "
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:46 PM

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