RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण ने जो अड्रेस मेरे मोबाइल पर मेस्सेज किया था ,वहाँ पहूचकर मैने एक रूम का दरवाज़ा खटखटाया और जब एक लड़का बाहर निकला तो मैने उससे विश्वकर्मा के बारे मे पुछा....
"आप कौन हो..."
"मैं विश्वकर्मा का दोस्त हूँ...विश्वकर्मा कहाँ है..."
"मालूम नही है क्या, विश्वकर्मा सर यहाँ दो महीने पहले रहते थे...अब उनकी पढ़ाई कंप्लीट हो गयी है तो ये रूम छोड़ कर जा चुके है..."
"उनका कोई नंबर वगेरह है क्या..."उसके रूम पर नज़र डालते हुए मैने कहा....
जिस रूम मे विश्वकर्मा रहता था ,वो एक छोटा सा रूम था,जैसा कि अक्सर बाहर पढ़ने वाले लड़के को होता है...दीवारो पर एक तरफ कयि बिकनी पहने हुए लड़कियो की फोटोस लगी हुई थी तो दूसरी तरफ एक बड़े से दिल मे विश्वकर्मा और निशा का नाम लिखा हुआ था....
"एक नंबर है...दूं क्या"
मैने हां मे सर हिलाया तो उसने विश्वकर्मा का नंबर मुझे दे दिया और जब मैं वहाँ से वापस जाने लगा तो वो लड़का बोला...
"लेकिन ये नंबर तो एक साल से बंद है..."
"फिर मैं इस नंबर का क्या आचार डालूँगा...कोई दूसरा नंबर दे ,जो चालू हो..."
"वो मेरे रूम पार्ट्नर के पास होगा,लेकिन वो अभी है नही....एक काम करो आप कल आकर मिलो..."
"ये सही रहेगा..."मैने कुच्छ सोचा और फिर अपना नंबर उस लड़के को देकर कहा "सुन ना यार,ये मेरा नंबर है...यदि तेरा वो दोस्त आ जाए ,जिसके पास विश्वकर्मा का नंबर है तो...प्लीज़ उसे बोल देना कि वो विश्वकर्मा का नंबर मुझे सेंड कर दे..."
"ठीक है बोल दूँगा...और कुच्छ..."
मेरी नज़र एक बार फिर दीवार पर ठीक उसी जगह पड़ी,जहाँ पर बड़े से दिल के अंदर विश्वकर्मा और निशा का नाम लिखा हुआ था....
"ये विश्वकर्मा के साथ किस लड़की का नाम लिखा हुआ है..."
"इसको बारे मे मत पुछो भाया...जोश आ जाता है..."
"ठीक है,मैं चलता हूँ...और ध्यान से अपने दोस्त को बोल देना..."
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उस लड़के से मिलने के बाद मैं पूरे दिन बीच-बीच मे अपना मोबाइल चेक करता रहा कि कही कोई मेस्सेज तो नही आया है...लेकिन मेरी इस मेहनत का रिज़ल्ट ज़ीरो निकला...ना ही किसी का कॉल आया और ना ही कोई मेस्सेज....
"पक्का भूल गया होगा उल्लू..."
फ्रस्टेशन मे मैने कहा और बाल्कनी के पास आकर एक सिगरेट जलाई....सिगरेट के कश मारते हुए मैने एक नज़र निशा के घर की तरफ डाली....पूरे कॉलोनी मे निशा का घर अलग से ही दिख रहा था, उसके घर का स्ट्रक्चर ही कॉलोनी के दूसरे फ्लॅट से अलग और बड़ा था...जिस वजह से यदि कोई उस तरफ से गुज़रे तो उसकी नज़र निशा के आलीशान घर पर पड़ ही जाती थी.खानदानी रहीस होना भी बहुत सुकून देता है...ना तो कोई टेन्षन और ना ही कोई डिप्रेशन की मेरा फ्यूचर क्या होगा...मैने अपनी ज़िंदगी के चार साल इसी डिप्रेशन मे गुज़ारे थे कि इंजिनियरिंग कंप्लीट होने के बाद मैं क्या करूँगा....लेकिन निशा के साथ ऐसा नही था वो तो अपने माँ-बाप की पूरी जयदाद की अकेली वारिस थी....
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"अबे तू कब आया..."वरुण ने रूम के अंदर आते ही पुछा...
"बस अभी 2-3 घंटे हुए होंगे आए हुए "उसके हाथ मे पॅक किए हुए खाने की तरफ देखते हुए मैने कहा....
"काम हुआ..."
"1 % हुआ ,99 % बाकी है..."
"मतलब..."
"मतलब कि ये वही विश्वकर्मा है,जिसकी तालश मुझे थी...लेकिन वो अब ये शहर छोड़ कर जा चुका है..."
"तो अब आगे क्या..."
"एक लड़के के पास नंबर है विश्वकर्मा का...उसी के मेस्सेज का इंतज़ार कर रहा हूँ..."
"मैं क्या बोलता हूँ..."खाने की पॅकेट्स को खोलते हुए अरुण ने कहा"पहले खाना खा लेते है..."
"और खाना खाने के बाद सो जाते है और सोने के बाद सब कुच्छ भूल जाते है...है ना ,साले भुक्कड़ "
"अबे मेरी पूरी बात तो सुन...पहले खाना खाइंग देन गोयिंग टू उस चूतिया के रूम देन माँगिंग उससे विश्वकर्मा का मोबाइल नंबर देन कॉलिंग विश्वकर्मा को और अट दा एंड कॉलिंग विश्वकर्मा आंड आस्किंग अबाउट निशा...क्या बोलता है अरमान ,सॉलिड प्लान है ना..."
"खाने मे क्या है..."एक चेयर खीचकर अरुण के बगल मे बैठते हुए मैने पुछा....
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खाना खाने के बाद हम तीनो वरुण की कार मे सवार होकर ,विश्वकर्मा के अड्रेस की तरफ बढ़े , उसके रूम का दरवाज़ा बंद था और जब मैने दरवाज़ा खटखटाया तो एक दूसरे लड़के ने दरवाज़ा खोला.....
"यस..."
"विश्वकर्मा का नंबर है ना आपके पास..."
"हां..लेकिन आप कौन..."
"मैं उसके कॉलेज का दोस्त हूँ...मुझे उसका नंबर देना तो..."
उस लड़के से विश्वकर्मा का नंबर लेने के बाद मैने उसे थॅंक्स कहा और वापस वरुण की कार मे बैठकर अपने फ्लॅट की तरफ चल पड़े....मुझसे अब एक पल का भी इंतज़ार नही हो रहा था इसलिए मैने कार मे बैठे-बैठे ही विश्वकर्मा को कॉल किया...
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"हेलो..."
"हेलो..विश्वकर्मा जी बोल रहे है क्या..."
"यस...आप कौन..."दूसरी तरफ से आवाज़ आई...
"आपसे कुच्छ पुछना था..."
"क्या..."
"निशा के बारे मे..."
निशा के बारे मे सुनकर दूसरी तरफ कुच्छ देर तक खामोशी छाइ रही...
"हू आर यू..."
"आक्च्युयली मैं आपसे आगे बात करूँ उसके पहले मैं कुच्छ पॉइंट क्लियर कर देना चाहता हूँ...जैसे कि मेरी निशा से शादी होने वाली है लेकिन मुझे वो पसंद नही और मैं कुच्छ ऐसा करना चाहता हूँ,जिससे कि निशा से मेरी शादी टूट जाए....अब आप समझ ही गये होंगे कि मैं किस बारे मे बात कर रहा हूँ..."
कुच्छ देर तक विश्वकर्मा फिर शांत हो गया और मैं इधर हेलो...हेलो की धुन चिल्लाता रहा....
"हां मैं सुन रहा हूँ..."
"तो बताओ फिर..."
"क्या बताऊ..."
"अपने और निशा के बारे मे..."
"ह्म्म...एक नंबर की रापचिक आइटम है वो बीड़ू...शादी कर ले उससे मस्त चोदने मे मज़ा आएगा..."
"मेरा सवाल कुच्छ दूसरा था..."थोड़ा वजन देकर मैने कहा...
"अब क्या बताऊ यार तेरे को,तू उसका होने वाला हज़्बेंड है...तू मत ही पुच्छ तो बेटर रहेगा..."
"मैं चाहता हूँ कि उससे मेरी शादी ना हो...तो प्लीज़ कोई ऐसी बात बताओ,जिसको सुनने के बाद मेरा काम हो जाए..."
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विश्वकर्मा फिर कुच्छ देर तक चुप रहा और मैं एक बार फिर कुच्छ देर तक हेलो...हेलो का राग गाता रहा....
"सब बता दूं..."
"हां ..."
"तो सुनो मेरे लाल...जिससे तेरी शादी होने वाली है ना निशा...उसको अपुन ने सेट किया था और उसकी सील कॉलेज के बाथरूम मे तोड़ी थी...साली बहुत नखरे करती थी..मुझपर हुकुम चलाती थी....कुच्छ महीनो तक मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उसे रगड़ता...लेकिन फिर बाद मे वो नाटक करने लगी...अकेले मे मैं जब भी उसके दूध और चूत सहलाता तो गुस्सा हो जाती...और एक लड़के का नाम लिया करती कि वो उसे बहुत अच्छा लगता है..."
"किस लड़के का..."
"मालूम नही..कुच्छ अरखान..अर्जन करके नाम था उस लौन्डे का..."
"अरमान...."मैने उसकी याददाश्त को सही करने के लिए अपना नाम बताया...
"हां...हां यही नाम था उस लड़के का जिसका ज़िकरा निशा हमेशा करती थी...लेकिन तेरे को उसके बारे मे कैसे मालूम..."
"ठीक वैसे ही जैसे तेरे बारे मे मालूम...आगे बता..."
"तो आगे ये हुआ कि,साली वो कुच्छ-कुच्छ पागल होने लगी...बिस्तर पर अचानक ही वो अरमान नाम लेकर मुझे पुकारती और फिर एक दिन उससे मेरा ब्रेक अप हो गया..."
"उसके बाद..."
"उसके बाद क्या...मैने उसे पूरे कॉलेज मे बदनाम कर दिया कि वो सबसे चुदवाती रहती है...मैने ये तक कॉलेज मे बोला कि उसको तो उसका बाप भी चोदता है....बोले तो एक दम उस साली की गान्ड फाड़ दी..."
"उसके बाद..."मैने कहा...
ये सब सुनते हुए मेरे बॉडी का टेंपरेचर बढ़ने लगा था और यदि विश्वकर्मा इस वक़्त मेरे सामने होता तो वरुण की पूरी कार उसके पिछवाड़े मे घुसा देता.....
"उसके बाद क्या...साली पागल हो गयी और जब तक मैं कॉलेज मे रहा उसकी बराबर लेता रहा...आलम तो ये था मेरे लाल कि पूरा कॉलेज उसे रंडी तक कहने लगा था...."
"और तूने कुच्छ नही किया..."
"ना...मैं क्यूँ कुच्छ करूँगा...मुझे तो ये सब देखकर बहुत मज़ा आता था....मेरा मन करता था कि साली को सबके सामने नंगा करके बेल्ट से खूब मारू और फिर उसके मुँह मे मूठ मार दूं....वैसे तेरा नाम क्या है..."
"अरमान...और सुन बे बीसी यदि दोबारा ये सब किसी और से कहा तो तेरे बॉडी मे जहाँ-जहाँ छेद दिखेगा वही चोदुन्गा...फोन रख म्सी ,"
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कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मैं थोड़ा उदास हो गया था क्यूंकी एक तरफ निशा झूठी साबित हो गयी थी तो वही दूसरी तरफ उसने इतना कुच्छ झेला...मुझे यकीन नही हो रहा था....एक तरफ मैं उसपर बहुत गुस्सा था तो दूसरी तरफ उसके अतीत के बारे मे जानकार दिल छल्ली हुआ जा रहा था....एक तरफ दिल निशा से ये पुछने के लिए बेचैन था कि उसने मुझसे झूठ क्यूँ बोला तो दूसरी तरफ उसके ज़ख़्मो को फिर से हरा करने का डर मुझे ऐसा करने से रोक रहा था....
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"चलता है यार,रिलॅक्स...बी आ मॅन"अरुण ने कहा....
"रिलॅक्स और इतना सब कुच्छ जानने के बाद..."
"मेरे पास एक आइडिया है...जा मूठ मार के आ..."
"अब यदि तूने कुच्छ और कहा तो मैं तुझे मार दूँगा..."
"मैने क्या किया "
कुच्छ देर तक हम तीनो मे से कोई कुच्छ नही बोला...अरुण और वरुण अंदर बैठकर एक-दूसरे के बारे मे एक-दूसरे से पुछते रहे और मैं सिगरेट का पॅकेट उठाकर बाल्कनी पर खड़ा हो गया और निशा के घर की तरफ देखने लगा....इस वक़्त दिल और सिगरेट दोनो साथ-साथ जल रहे थे....
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"मेरे पास एक आइडिया है,अरमान.... अतीत के समुंदर मे चलकर मज़े करते है...बोले तो, कहानी आगे बढ़ा ...इस तरह तेरा माइंड भी रिलॅक्स हो जाएगा "
"मेरे पास एक आइडिया है,अरमान.... अतीत के समुंदर मे चलकर मज़े करते है...बोले तो, कहानी आगे बढ़ा...इस तरह तेरा माइंड भी रिलॅक्स हो जाएगा "
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"सर जॉब कंप्लीटेड..."टर्निंग शॉप के फ़ौजी की तरफ देखकर मैने कहा...
"क्या..."
"सर जॉब कंप्लीटेड..."मैं एक बार और चीखा...
"नेटवर्क खराब है, पास आकर बोलो...ओवर..."
"ये साला खुद को आर्मी का सिपाही समझता है..."टर्निंग शॉप वाले बूढ़े को गाली बकते हुए मैने अरुण को उसके पास जाने के लिए कहा....
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"सर हमारा एक्सपेरिमेंट कंप्लीट हो गया..."उसके पास जाकर अरुण बोला और जॉब उसके सामने वाली टेबल पर रख दिया....
टर्निंग शॉप वाले फ़ौजी की उम्र और उसके आँख मे नंबर वाला चश्मा देखकर मैने सोचा था की थोड़ी-बहुत माइनर मिस्टेक वो नही देख पाएगा...लेकिन जब अरुण ने जॉब उसको दिखाया तो वो एक दम ताव से उठा...
"यहाँ का मोर्चा संभाले रखना मैं गन लेकर आता हूँ..."
"तेरी *** की चूत, तेरी *** का भोसड़ा"साइलेंट मोड मे अरुण ने अपना मुँह चलाया....
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कुच्छ देर तक वो फ़ौजी ना जाने अंदर क्या ढूंढता रहा और फिर जब वापस आया तो उसके हाथ मे एक स्केल थी...जिसमे सेंटिमेटेर के काई यूनिट घिस चुके थे...उसके स्केल की जर्जर हालत देखकर मेरे खास दोस्त अरुण ने अपनी नयी-नवेली स्केल उसकी तरफ बढ़ाई...जिससे वो फ़ौजी भड़क गया...
"दुश्मनो और उनके हथियारो पर कभी यकीन नही करना चाहिए...दो कदम पीछे हट..."
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