RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
गौतम के टूर्नामेंट मे जाने के बाद एक बहुत बड़ा कांड हुआ...ऐसा कांड जिसने मुझे एक पल के लिए दोतरफ़ा बाँट दिया था,मतलब कि मेरे शरीर के दो हिस्से...मैं कुच्छ पॅलो के लिए कन्फ्यूज़ हो गया था कि किसका साथ दूं और किसका साथ छोड़ू......
गौतम अब भी टूर्नमेंट के चलते बाहर था और मैं ,अरुण के साथ कॅंटीन मे बैठा हुआ था....अरुण अपनी वाली को लाइन दे रहा था और मैं अपनी वाली को...फरक सिर्फ़ इतना सा था कि अरुण वाली अरुण को मस्त रेस्पोन्स दे रही थी और मेरी वाली मुझे देख तक नही रही थी.....
"वो देख पास वाली टेबल खाली हो गयी,चल उधर चलते है..."अरुण का हाथ पकड़कर मैने कहा और उसे उठाने लगा...
"अबे मरवाएगा क्या..."अपना छुड़ा कर अरुण बोला...
"डर मत आजा.."
"अबे चल जा..."
"आना ना कुत्ते.."
"नही आउन्गा कमीने.."
"लवडा मुँह मे दे दूँगा,आजा नही तो..."
"मैं गान्ड मार लूँगा तेरी...चुप चाप बैठ जा नही तो..."
"भूल मत कि मैं अरमान हूँ..."
"और तू भी मत भूल की मैं अरुण हूँ"
"तेरी तो....कैकु खा रेला है ,चल ना...तेरा बिल मैं भर दूँगा..."
"क्या सच मे "
"माँ कसम "
"अब रुलाएगा क्या पगले,चल आजा..."
और फिर हम दोनो उठे और कॅंटीन पर इधर-उधर नज़र मारकर एश के पास वाली टेबल पर बैठ गये....
"वेटर दो प्लेट समोसा, दो पेप्सी और दो पानी पाउच लाना जल्दी से..."ताव देकर अरुण चीखा...
अरुण के चीखने के बाद मैं कुच्छ ऐसा सोचने लगा जिससे एश मेरी तरफ देखे और मुझसे लड़ाई करे...
"यार अरुण,तूने मेरी बिल्ली देखी है क्या..."
"अब ये बिल्ली कौन है..."
"अबे वही,जिसका रंग गोरा है...बात-बात पर गुस्सा हो जाती है..."मैने हँसते हुए कहा और आँखे तिरछि करके एश पर नज़र डाली...उसके चेहरे का रंग इस समय गुस्से से लाल हुआ जा रहा था...
"तुमने कहा था कि यदि मैं तुम्हारी फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट आक्सेप्ट कर लूँगी तो तुम मुझे परेशन करना बंद कर दोगे...और मुझे बिल्ली भी नही कहोगे..."
"मैं आजकल ग़ज़नी बन गया हूँ,सब कुच्छ बहुत जल्द भूल जाता हूँ..."उसके सामने बैठते हुए मैने कहा....
"तू एश को बिल्ली बोलता है "ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए अरुण भी वहाँ से उठा और जाकर दिव्या के साइड मे बैठ गया....
अरुण को हँसता देख ,दिव्या भी हंस पड़ी और फाइनली एश की हालत देखकर मैं भी मुस्कुरा उठा...जब तक अरुण हंस रहा था,जब तक दिव्या हंस रही थी...तब तक तो एश शांत थी...लेकिन जैसे ही मैं हंसा तो उसके अंदर मानो ज्वालामुखी फूट गया और वो गुस्से मे बोली...
"मैं बिल्ली तो तुम बिल्ला..."
"चल आजा फिर कोंटे मे "
आगे एश कुच्छ कहती या फिर मैं कुच्छ कहता ,उसके पहले ही हॉस्टिल के 3र्ड एअर का एक लड़का अपने कुच्छ दोस्तो के साथ वहाँ आया और एक झटके मे टेबल पर रखे पानी के ग्लास को उठाकर दिव्या के मुँह पर पूरा पानी डाल दिया....एक पल के लिए तो मैं जैसे सकते मे आ गया कि ये क्या हुआ......
"तेरी माँ की....."दिव्या की ये हालत देखकर अरुण उस लड़के की तरफ पलटा,जिसने ये हरकत की थी...."नौशाद सर,आप...."हॉस्टिल मे रहने वाले सीनियर को देखकर अरुण बोला....उसका गुस्सा नौशाद को देखकर एक पल मे ठंडा हो गया था,...
"तू चल अभी जा यहाँ से,मुझे अपना प्राइवेट मॅटर सुलझाना है..."अरुण को खड़ा करके नौशाद उसकी जगह बैठ गया और हॉस्टिल के दूसरे सीनियर्स ने मुझे भी वहाँ से जाने के लिए कहा....
"भीगे होंठ तेरे...प्यासा दिल मेरा..."गुनगुनाते हुए नौशाद ने अपना हाथ दिव्या की तरफ बढ़ाया...
"सर...वो मेरी दोस्त है,.."नौशाद का हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
इस वक़्त दिव्या और एश का भी चेहरा फीका पड़ चुका था, दोनो की आँखो मे डर की एक लहर दौड़ रही थी...जिसका अंदाज़ा मैने लगा लिया....
"तेरी दोस्त है तो क्या अपुन को थप्पड़ मारेगी...आज तो मैं इसको नही छोड़ूँगा...साले दोनो भाई-बहन अपने बाप के दम पर बहुत उचकते है..."नौशाद ने अपना हाथ छुड़ाकर अरुण को आँखे दिखाई
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कॅंटीन मे मामला बिगड़ते देख ,वहाँ काम करने वाले बीच-बचाव के लिए आगे आए,लेकिन उन सबको नौशाद के दोस्तो ने वापस भगा दिया और कॅंटीन मे मौजूद सभी स्टूडेंट्स को वहाँ से जाने के लिए कहा....
"आज तो रेप होकर रहेगा...वो भी एक का नही दो-दो का..."कहते हुए नौशाद ने दिव्या का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खीच लिया.
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यदि इस वक़्त वहाँ नौशाद की जगह कोई दूसरा लड़का होता तो मैं तुरंत उससे भिड़ जाता,लेकिन यहाँ सिचुयेशन अलग थी...नौशाद हॉस्टिल मे रहता था और साथ मे मेरा सीनियर भी था और बरसो से चले आ रहे रूल के अनुसार मुझे नौशाद का साथ देना चाहिए था...भले ही ग़लती किसकी भी हो....
नौशाद के चंगुल से दिव्या खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही,लेकिन वो कामयाब नही हो पाई...
"इतना फुदक मत,अभी तेरी सारी गर्मी उतारता हूँ..."
"ये ग़लत है..."हिम्मत करके मैने नौशाद को दिव्या से दूर किया...
"तेरी माँ की...तू होता कौन है बे मुझे सही-ग़लत समझाने वाला...शायद तू भूल रहा है कि मैं तेरा सीनियर हूँ...चल जा यहाँ से वरना मैं भूल जाउन्गा कि तू अरमान है और मेरे हॉस्टिल मे रहता है..."कहते हुए नौशाद ने मेरा कॉलर पकड़ लिया...
"नौशाद भाई...आख़िर बात क्या है..."शांत लहजे मे मैने नौशाद से पुछा...
"मैने आज सुबह इसका हाथ क्या पकड़ लिया,साली ने सबके सामने एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर दे मारा...लवडी बहुत उचक रही थी.." धक्का देकर नौशाद ने मुझे वहाँ से जाने के लिए....
"चलो बेटा..अरुण-अरमान ,दोनो बाहर जाओ...ये हमारा मॅटर है..."हॉस्टिल के दूसरे सीनियर्स जो वहाँ नौशाद के साथ आए थे,उन्होने हमे जबर्जस्ति पकड़ कर कॅंटीन से बाहर कर दिया...
जब मुझे और अरुण को हॉस्टिल के सीनियर्स कॅंटीन से धक्का देकर बाहर कर रहे थे,तब एक वक़्त के लिए मेरी नज़रें एश से मिली...वो इस वक़्त अंदर तक डरी हुई थी,लेकिन कुच्छ बोलने,कुच्छ कह पाने की हिम्मत उसमे नही थी...जब मुझे ढककर देकर कॅंटीन से बाहर निकाला जा रहा था तो एश की आँखे मुझसे मदद की गुहार लगा रही थी...उसकी सफेद सूरत लाल रंग की मूरत मे तब्दील होने लगी थी...मैने कभी कल्पना तक नही की थी कि मैं एश को इस हालत मे देखूँगा...और मैने जब कुच्छ नही किया तो उसके आँख से आँसू की कुच्छ बूंदे उसके गाल को भिगोति हुई उसके होंठो से होते हुए ज़मीन पर गिर पड़ी....लेकिन मैं फिर भी कुच्छ नही कर पाया,क्यूंकी इससे हॉस्टिल के लड़के ही मेरे खिलाफ हो जाते और ये नौशाद वही लड़का था जिसने वरुण को मारने मे मेरी मदद की थी...मेरे दिल के इस वक़्त दो टुकड़े हो चुके थे,एक हिस्सा मुझसे कह रहा था कि मैं नौशाद की बात मानकर चुप-चाप यहाँ से चला जाऊ..तो दिल का दूसरा हिस्सा मुझे धिक्कार रहा था,मेरे दिल के दूसरे कोने से आवाज़ आ रही थी कि कॅंटीन मे जो कुच्छ हो रहा है,जो कुच्छ होने वाला है,उससे दो ज़िंदगिया बर्बाद हो जाएगी और उस बर्बादी का ज़िम्मेदार मैं रहूँगा...इसलिए मैं उन दोनो की मदद करू.....
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मैं एक रूल के लिए ये सब कुच्छ नही होने दे सकता था और ये कंडीशन ऐसी थी कि मेरा 1400 ग्राम का ब्रेन भी ठप्प पड़ा हुआ था...मुझे कोई तरक़ीब सोचने के लिए कुच्छ वक़्त लगता पर कम्बख़्त वक़्त ही तो नही था मेरे पास....उसपर से मेरी कही हुई चन्द लाइन्स जो मैने खुद एश से कही थी वो मुझे याद आ गयी....
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