RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं शांति से पीछे पलटा और शांति से सुलभ के पास गया...
"मैने कहा था ना कि,लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता..."
"तो फिर तुम ही बता दो कि बॅस्केटबॉल का बेस्ट प्लेयर कौन है..."एक बार फिर मेघा ने अपना सवाल दोहराया...
"पूरे वर्ल्ड मे माइकल जॉर्डन और इस कॉलेज मे मेरे बराबर कोई प्लेयर नही है..."
"ओ..हेलो एक्सक्यूस मी..."तमतमते हुए दिव्या खड़ी हुई"इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर मेरा भाई है ,तुम नही..."
"ये कौन है..."सुलभ की तरफ देखते हुए मैने पुछा...
इस समय दिव्या पर मुझे गुस्सा तो इतना आ रहा था कि बस का दरवाजा खोलकर उसे बाहर फेक दूं...लेकिन मैं फिर भी शांत रहा और सुलभ की हालत इस समय 'काटो तो खून नही' वाली थी...उसकी समझ मे बिल्कुल भी नही आ रहा था कि वो किसे शांत कराए,मुझे या दिव्या को....
"तुम मुझे नही जानते, याद करो लास्ट एअर मे तुमने मुझे फ़ेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा था और मैने तुम्हारी फ्रेंड रिक्वेस्ट दो दिन बाद आक्सेप्ट की थी..."
"सॉरी, रॉंग नंबर...आइ हेवन'ट एनी फ़ेसबुक आइडी...."
मेरे ऐसा कहने पर दिव्या को कुच्छ नही सूझा कि वो मुझे आगे क्या कहे,इसलिए गुस्से से तमतमाते अपने चेहरे को लेकर वो चुप चाप अपनी जगह पर बैठ गयी. दिव्या ,एश के ठीक साइड मे बैठी थी और जब दिव्या अपनी जगह पर बैठ गयी तो एश ने बहुत ही धीमे लफ़ज़ो मे कहा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ....एश के ये लफ्ज़ किसी और को तो सुनाई नही दिए ,लेकिन लीप रीडिंग के कारण मैने तुरंत समझ गया कि एश ने दिव्या से अभी-अभी क्या कहा है.....
"ओये सुन ,फ़ेसबुक गर्ल..."दिव्या की तरफ देखकर मैं पूरे शान से बोला"अपने बगल वाली को बोल दे कि ,मेरे बारे मे उसे जो कुच्छ भी कहना है वो ,खुलकर कहे..."
"तुम मानो या ना मानो अरमान, लेकिन मेरा भाई ही इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर है..."
"ख्वाबो की दुनिया से बाहर आओ बेबी और सच को देखो...सब कुच्छ अपने आप समझ आ जाएगा..."मैने कहा...
वहाँ दूसरो के लिए टाइम पास करने का एक अच्छा-ख़ासा महॉल बन रहा था कि तभी वॉर्डन ,जो कि सबसे पीछे अपने कान मे इयरफोन फसाए हुए थी, वो बोली"बाय्स आंड गर्ल्स...हम अब बस पहुचने वाले है..."
वॉर्डन की बात सुनकर सबका ध्यान हमारे इस बेस्ट प्लेयर की लड़ाई से हटा और सब अपने-अपने बॅग्स उतरने मे लग गये कि तभी मुझे वो आवाज़ सुनाई दी,जिसे मैं पिछले काई महीनो से सुनना चाहता था...तभी मुझसे उस लड़की ने बात की,जिससे मैं बात करने के लिए तड़प रहा था. उसकी आवाज़ सुनते ही दिल जैसे खुशी के मारे झूम उठा, बिना इसकी परवाह किए कि वो मुझे बोल क्या रही है....
"यदि ऐसा ही है तो कॅंप ख़त्म होने के बाद गौतम और तुम्हारा एक मॅच हो जाए,जिससे सबको पता चल जाएगा कि बेस्ट कौन है..."
एश ने ये लफ्ज़ कहे ही इस तरह थे कि अब सबकी नज़ारे मुझ पर टिकी थी , वहाँ मौजूद लगभग सभी लोग पहले जल्दी से जल्दी बस से नीचे उतरना चाहते थे लेकिन जब एश ने मेरे सामने ,गौतम के साथ मॅच खेलने का चॅलेंज रखा तो ,जैसे सब के सब वही जाम गये...कोई भी बस से नीचे नही उतर रहा था,जबकि गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन कबकि नीचे उतर चुकी थी....
उस वक़्त सभी मेरे जवाब के लिए हद से ज़्यादा उत्सुक थे ,सभी चाहते थे कि मैं एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करूँ और उसे हां बोल दूं...मैने सुलभ की तरफ देखा तो वो भी इशारे से मुझे ,एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करने को कह रहा था...लेकिन सवाल यहाँ ये नही था कि दूसरे क्या चाहते है ,बल्कि सवाल यहाँ ये था कि मैं ,क्या चाहता हूँ और मैं इस बकवास से दूर जाना चाहता था.....
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बस से नीचे उतर चुकी वॉर्डन ने सभी को नीचे आने के लिए आवाज़ लगाई तो जैसे सबको होश आया कि बस रुक चुकी है और उन्हे नीचे उतरना है....
"मेरे ख़याल से तुम सबको नीचे जाना चाहिए..."मैने कहा.
मेरे ऐसा कहने से सब समझ गये थे कि मैने गौतम के साथ बॅस्केटबॉल खेलने का चॅलेंज रिजेक्ट कर दिया था और मैने जब आगे कुच्छ नही कहा तो एक तरफ जहाँ दिव्या बहुत खुश हुई वही दूसरी तरफ मेरे दोस्त बहुत उदास हुए, उनके चेहरे का सारा रंग एक पल मे छु-मंतर हो चुका था....
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"क्या हुआ तुमने कुच्छ जवाब नही दिया..."मैं बस से उतर कर आगे बढ़ ही रहा था कि एश की आवाज़ ने मेरे आगे बढ़ते हुए कदमो को रोक लिया . मैं पीछे पलटा तो एश बोली"सब तुम्हारे जवाब का इंतज़ार कर रहे है..."
मैं पहले से ही ये जानता था कि यदि हम दोनो मे फिर कभी बात होगी तो उसकी शुरुआत एश ही करेगी लेकिन मैं ये नही जानता था कि वो शुरुआत ,मुझे नीचा दिखाने के लिए होगी....मेरे दोस्त ,जो इस समय मेरे अगल-बगल,आयेज-पीछे खड़े थे ,वो सब मुझे धीरे-धीरे गालियाँ देकर बोल रहे थे कि मैं गौतम के साथ मॅच खेलने के लिए हां कह दूं..कुच्छ ने तो मेरे पैर पर ज़ोर से लात भी मारी.
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"तेरी आवाज़ मेरे कानो पर नही पड़ रही,जो बोलना है चिल्ला कर बोल..."मैने कहा.
"मैं ये कह रही थी कि तुमने कुच्छ कहा नही "मेरे पास आते हुए एश बोली और मुझसे थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी हो गयी...
"किस बारे मे.."मैं भी उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला...
"ओह कमोन,इतना बनो भी मत...सीधे-सीधे हां या ना मे जवाब क्यूँ नही देते कि तुम गौतम के साथ बॅस्केटबॉल का मॅच खेलोगे या नही..."
"और यदि मैं तुम्हारे बाय्फ्रेंड के साथ खेलना पसंद ना करूँ तो,दरअसल बात ये है कि मुझे उसकी शकल पसंद नही है..."
"सॉफ-सॉफ बोलो की तुम डर गये मेरे भाई से...हां"दिव्या चीखते-चिल्लाते हुए एश के साइड मे खड़ी हो गयी....
"पहली बात तो ये कि तू चुहिया की तरह चेटर-चेटर करना बंद कर,वरना चूहे मारने वाली दवा खिला कर तेरी जान ले लूँगा"अपना गला फाड़ कर मैं भी चिल्लाया "और दूसरी बात ये कि...डरते तो हम अपने बाप से भी नही ,नाम है शाहेंशाह..."
इसके बाद दिव्या की जो ज़ुबान पर ताला लगा ,वो फिर नही खुला और जब वो चुप हो गयी तो मैं भी अपने दोस्तो के पास जाने लगा.
"तुम शायद डर रहे हो कि कही उस दिन की तरह तुम फिर ना हार जाओ..."एश ने फिर कहा.
माँ कसम खाकर कहता हूँ कि यदि वो लड़की एश के सिवा कोई और होती तो उसे सीधे माँ-बहन की गाली देता, लेकिन वो एश थी इसलिए मैने उसे कुच्छ नही कहा क्यूंकी मेरे अंदर से ,मेरे दिल से मुझे इजाज़त नही मिली कि मैं एश को कुच्छ बुरा-भला कहूँ....मैं एक बार फिर से पीछे मुड़ा और एश की तरफ जाकर बड़े ही शांत भाव से बोला...
"कभी-कभी एक हार बहुत कुच्छ सिखा देती है जो सौ जीत भी नही सिखा पाती और मेरा लेवेल थोड़ा उँचा है इसलिए मैं गली मे चलते हर किसी के साथ मॅच नही खेलता...मैं मॅच उसी के साथ खेलता हूँ,जिससे मुझे कुच्छ सीखने को मिले,चाहे मैं हार ही क्यूँ ना जाउ...और एक बात बताऊ तुम्हारे बाय्फ्रेंड ,गौतम के अंदर एक भी ऐसी काबिलियत मुझे नही दिखती जो मेरे काम आ सके..."अपने शर्ट मे फँसे गॉगल्स को अपनी आँखो मे चढ़ाते हुए मैने कहा"इसलिए भाड़ मे जाओ तुम और तुम्हारा गौतम..."
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