RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण,सौरभ,नवीन और राजश्री पांडे तो मेरे साथ आने के लिए तैयार हो गये थे,लेकिन सुलभ अब भी नाटक कर रहा था.
"तू चलेगा हमारे साथ..."
"मैं नही जाउन्गा..."
"तुझसे पुछ थोड़ी ही रहा हूँ ,मैं तो तुझे बता रहा हूँ कि तू चलेगा हमारे साथ "
जैसे-तैसे करके हम सबने सुलभ को भी राज़ी कर लिया और जब सब तैयार हो गये तो मैने उन सबको वहाँ कुच्छ देर रुकने के लिए कहा....
"अब क्या हुआ,जल्दी चल...मुझसे कंट्रोल नही हो रहा..."
"रुक जा, वो वॉर्डन एक बार हमे देखने ज़रूर आएगा कि हम कॅंप पर मौजूद है या नही...एक बार वो हमे यहाँ देख ले फिर कोई बात नही..."
"तब तक तो साली रात हो जाएगी,फिर लड़किया मेरा खूबसूरत चेहरा कैसे देखेगी "मायूस होते हुए अरुण एक तरफ बैठ गया.
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जैसा कि मेरा अनुमान था वॉर्डन हमारे कॅंप मे आया ,लेकिन आधे घंटे बाद और जैसे ही वॉर्डन हमे देख कर वापस अपने कॅंप मे घुसा तो हम 6 लोग ,तुरंत उस पहाड़ी से नीचे उतर कर डॅम के किनारे पर पहुँचे....उस पहाड़ी से नीचे उतरने मे हम सबके पसीने छूट गये थे और हाँफने भी लगे थे.
"गान्ड फॅट गयी बे,नीचे उतरने मे...अब बस कोई लड़की ब्लो जॉब दे दे तो मज़ा आ जाए..."हान्फते हुए सौरभ बोला.
सौरभ के बाद बारी-बारी से सबने अपनी डिज़ाइर जाहिर की, कुच्छ ने कहा कि उसे स्मूच करना है तो किसी ने कहा वो लड़की की छातियों को मसलना चाहता है...किसी ने कहा कि वो लड़की को झाड़ी के पीछे लेटा कर ठोकना चाहता है तो किसी ने कहा कि डॅम मे कूदकर 'अंडर वॉटर रोमॅन्स' करेगा...पर इन गधो को कौन बताए कि ऐसा आज तो क्या,आने वाले तीन दिनो मे भी ये नही कर सकते....
नदी के उपर एक लंबा-चौड़ा पुल बना हुआ था, जिसके दोनो तरफ थोड़ी-थोड़ी दूर पर बैठने के लिए लोहे की चेर्स फिट किए गये थे और इस वक़्त ,शाम के समय पुल पर बैठने की जो जगह थी वो हाउसफूल थी...मतलब की हर एक जगह पर प्रेमी जोड़ो ने कब्जा कर रखा था.
उन सबको बैठने की सभी जगह पर कब्जा करते देख मेरा रोम-रोम गुस्से से भड़क उठा और मेरे दिमाग़ मे एक खुरापाति आइडिया आया....
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वैसे किसी महान पुरुष ने कहा है कि ' दूसरो के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार मत करो,जो तुम्हे खुद खुद के साथ पसंद ना हो...' लेकिन ये वक़्त उस महान पुरुष की बोरिंग बातों को मानने का नही था इसलिए मैने सबको अपने करीब बुलाया और बोला
"मेरे प्यारे भाइयो और भाइयो...चलो थोड़ा मौज-मस्ती करते है..."
इसके बाद मैने सबको क्या-क्या करना है ये बताया और जब सबने इसपर अपनी सहमति दे दी तो हम सब एक साथ आगे बढ़े .
"रेडी दोस्तो..."पुल पर आगे बढ़ते-बढ़ते जब हम लोग एक कपल के पास पहुँचे तो मैने अपने दोस्तो से कहा"सुलभ तू आगे जा और सौरभ तू अपना मोबाइल निकाल ले..."
जब हमने सब ताम-झाम कर लिए तो सुलभ एक प्रेमी जोड़े के सामने जाकर खड़ा हो गया, जो आपस मे एक-दूसरे का हाथ थामे हुए शांति से बैठ कर बात कर रहे थे....
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"ये देखो, ये है हमारे महान भारत के युवा..जो यहाँ पब्लिक प्लेस मे अश्लीलता फैला रहे है."एक दम सीरीयस होते हुए सुलभ बोला,
सुलभ के मुँह से ऐसी धार्मिक बाते सुनकर वो प्रेमी जोड़े ऐसे चौके जैसे उनके माँ-बाप ने उन्हे रोमॅन्स करते हुए देख लिया हो...उनकी तो पूरी तरह से बॅंड बज चुकी थी.
"ऐसे लोग...ऐसे ही लोग है ,जो हमारी संस्कृति को धूमिल करते है..."उसके बाद उन दोनो की तरफ देखकर सुलभ बोला"तुम्हे पता है हमे आज़ादी किस तरह मिली,कितनो का खून बहा...हमे आज़ादी मिली इसका मतलब ये नही तुम लोग कही भी बैठकर ,कुच्छ भी करोगे...सालो कुच्छ तो शरम करो..."बोलते हुए सुलभ ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा...जिसके बाद वो लड़का जो अपनी माल के साथ वहाँ बैठा हुआ था,वो ताव मे सुलभ को मारने के लिए खड़ा हो गया...लेकिन जब हम सब सुलभ के पीछे खड़े हो गये तो वो लड़का शांत बैठ गया....
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"सौरभ अब तेरी बारी..."आगे बढ़ते हुए मैने कहा और सौरभ को छोड़ कर हम सब वही रुक गये....आगे जाकर सौरभ ठीक एक कपल के सामने रुक गया और उनमे शामिल लड़के का कंधा थपथपा कर बोला...
"भाई,एक नंबर लिखना तो..."
"चल निकल यहाँ से..."वो लड़का बोला...
"लिख लेना ना यार..."मासूम सी शक्ल बनाते हुए सौरभ ने विनती की तो लड़की का दिल पिघल गया और उसने अपने बाय्फ्रेंड को इशारे से कहा कि वो सौरभ की बात मान ले...
"चल बोल..."उस लड़के ने अपना मोबाइल निकाल कर कहा
"थॅंक्स यार, वो आक्च्युयली मैने मेरे दोस्त हीरालाल से हीरालाल का नंबर माँगा था और इस वक़्त मेरे पास कोई कागज ,पेन नही है तो..."
"अब बकेगा भी."
"हां चल लिख...99"
"99.."
"99..."
"9999..."नंबर लिखने के साथ-साथ ही वो लड़का धीमी आवाज़ मे नंबर रिपीट भी कर रहा था.
"फिर 99..."
"999999"
"चार बार फिर 9"
"चार बार फिर 9,....9999999999"लिखने के बाद जब उस लड़के ने सौरभ के बताए नंबर पर गौर किया तो उसका भेजा ठनका और वो गुस्से से खड़ा हो गया"बीसी, चोदु समझ रखा है "
"नीचे बैठ बोसे ड्के..."एक तमाचा उसके गाल पर जड़ते हुए सौरभ ने कहा और उसी वक़्त हम सबने वहाँ अपनी एंट्री मारी...जिसके बाद वो लड़का पहले वाले लड़के की तरह चुप-चाप बैठ गया और हम लोग आगे बढ़ गये ,अपने नये शिकार की तालश मे....
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"राजश्री अब जा ,तेरी बारी..."
एक बार फिर हम लोग रुक गये और जिसे शिकार करना था,उसे आगे भेज दिया...राजश्री आगे जाकर एक कपल के पास रुक गया...
"कोई दिक्कत है क्या..."जिस कपल के सामने अपने पांडे जी खड़े थे, उसमे से लड़के ने आँखे बड़ी करके भारी आवाज़ मे पुछा...
जिसके जवाब ने अपने पांडे जी ने सबसे पहले राजश्री का पाउच फाडा और मुँह मे डालकर राजश्री के दानो को चबाते हुए बोले"यहाँ राजश्री का रेट क्या चल रहा है..."
"ओये भिखारी जाता है यहाँ से या दूं दो हाथ..."
"सुन बे लोडू, लड़की के साथ है तो ज़्यादा उचक मत,वरना गुटखे की पीक सीधे तेरे मुँह पर मारूँगा...सॉरी बोल"
"तू ऐसे नही मानेगा..."बोलते हुए वो लड़का हुआ ही था कि अरुण दौड़कर वहाँ पहुचा और उस लौन्डे को एक हाथ जमा दिया...
"तेरी माँ की ...."वो लड़का ज़ोर से चिल्लाया
"चुप चाप बैठ म्सी.."एक झापड़ राजश्री ने तन कर उस लड़के से कहा..
वो लड़का थोड़ा फटतू किसम का था,इसलिए जब उसे दो थप्पड़ पड़े तो उसने रोना शुरू कर दिया, जिसके बाद हम सबने उसे सॉरी कहा और आगे बढ़ गये....
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"अब मेरी बारी..."वहाँ से बहुत आगे आकर मैने कहा.
मेरी नज़र एक ऐसे कपल पर पड़ी थी जो कि आपस मे एक दम से घुले-मिले हुए थे..बोले तो दोनो स्मूचिंग कर रहे थे . मैने एक लंबी साँस ली और उनके पास जाकर लड़के के सर के बाल को पकड़ कर उसका सर ज़ोर से कयि राउंड घुमा दिया...
"साले तेरा पता चल ही गया ना, तू ही है वो...जो मेरी बहन के साथ इश्क़ फरमाता है, बकल..."बोलते हुए मैने एक बार फिर उस लड़के के बालो को पकड़ा और खीचते हुए कयि राउंड घुमा दिया....
अब तक हम लोगो ने जितने भी कपल्स को परेशान किया था ,उनमे से सबने ने हमारे साथ बहस की थी...लेकिन ये लड़का कुच्छ नही बोल रहा था उल्टा मुझे सॉरी बोल रहा था.लड़के की ये हालत देख कर मैने उसे एक-दो मुक्का और मारा और लौंडिया की तरफ देखकर कहा"बहना तू आज घर चल...तेरी खबर तो मैं अच्छे से लूँगा..."बोलते हुए मैं वापस पीछे पलटा और अपने दोस्तो की तरफ आने लगा...
हँसी तो मुझे इस वक़्त इतनी आ रही थी कि अपना पेट पकड़ कर हँसने का मन कर रहा था, लेकिन मैने खुद पर कंट्रोल करके रखा हुआ था.
वो लड़का जहाँ डर के मारे शांत बैठा था वही उसकी आइटम इस कन्फ्यूषन मे थी कि "उसका ये भाई कहाँ से पैदा हो गया..."
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"जानू, तुम ठीक तो हो ना..."उस लड़की ने अपने लूटे-पिटे बाय्फ्रेंड से कहा"ये मेरा भाई नही है..."
"क्या..."दुनिया भर की नफ़रत लिए वो लड़का एक दम से खड़ा हुआ,लेकिन हम लोग तो वहाँ से कब के खिसक चुके थे.
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पुल से नीचे उतर कर हम लोग एक जगह खड़े हुए और अपना पेट पकड़ कर हँसने लगे....राजश्री पांडे की हँसी इतनी भयंकर थी कि उससे ज़मीन मे खड़ा नही हुआ जा रहा था, वो बार -बार हँसते हुए गिरने लगता...
"क्या मारा है उन सालो को,साले सात जनम तक याद रखेंगे..."
"अब सब चुप हो जाओ...वो देखो दूसरे कॉलेज की लड़कियो का ग्रूप आ रहा है..."राजश्री के पिछवाड़े मे एक लात मारते हुए मैने कहा....
"पहले मैं इस पर ट्राइ करूँगा..."
"नही पहले मैं..."
"अबे तू तो चोदु दिखता है, पहले मैं..."
"नही पहले मैं..."
उन सबकी भीनभीनाहट से जब मैं तंग आ गया तो मैने ज़ोर से चीखकर उन सबको पहले शांत कराया और फिर बोला"ये मक्खियो की तरह ,क्यूँ भीनभीना रहे हो बे और ये क्या लगा रखा है...पहले मैं ,पहले मैं...ये कोई फिल्म है क्या जो हीरो के दोस्त किसी हॉट लड़की पर शुरू-शुरू मे डोरे डालेंगे और फिर थप्पड़ खाकर वापस आएँगे..."बोलकर मैं थोड़ी देर के लिए रुका और अपने कॉलर ,शर्ट और पैंट को ठीक करने के बाद बोला"ये रियल लाइफ है,इसलिए डाइरेक्ट हीरो ,अपनी हेरोयिन से फ्लर्ट करेगा...सुलभ गॉगल देना तो मेरा."
"गर्ल्स वित ब्यूटी डॉन'ट हॅव दा ब्रेन..."
ऐसा मेरा मानना था ,लेकिन उन कॅंप के तीन दिनो मे मैं एक ऐसी लड़की से मिला जिसने उपर लिखी गयी लिखावट और मुझे एक झटके मे ग़लत साबित कर दिया.
मैं आज तक ये मानते आया था कि इस पूरी दुनिया मे मुझ जैसा मैं अकेला ही हूँ, इसलिए उस समय अट्मॉस्फियर मे रोमांच के पार्टिकल अपने आप घुल मिल गये,जब मैने अपने जैसे ही दूसरे को देखा. ये रोमांच तब और बढ़ गया जब मुझे मालूम चला कि वो दूसरे कॉलेज की है लेकिन ये रोमांच सबसे ज़्यादा उसके एक लड़की होने पर बढ़ा था.उन दिनो मैं एक ऐसी लड़की से मिला जिसने काई बार मुझे पीछे छोड़ दिया और मैं ये सोचने पर मजबूर हो गया कि एक लड़की के पास इतना दिमाग़ कैसे आ गया,जो मेरे 1400 ग्राम के ब्रेन का मुक़ाबला कर सके....
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राजश्री के हाथ से मैने अपना गॉगल लिया और आँखो मे सजाकर उन लड़कियो की तरफ बढ़ा ,जो हमारी तरफ ही आ रही थी. वो तीन थी लेकिन देखने लायक सिर्फ़ एक ही थी,जो कि बाकी दो लड़कियो के बीच मे चल रही थी....उनकी तरफ आगे बढ़ते हुए मैने गौर किया की वो तीनो लड़किया अपने ही आप मे मस्त थी, उन्हे आस-पास की बिल्कुल भी परवाह नही थी कि उनके आस-पास क्या हो रहा है, वो तो हँसते हुए, एक दूसरे का मज़ाक बनाते हुए बस आगे बढ़ रही थी....
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"ये तो दूसरे कॉलेज की लगती है..."अंदाज़ा लगते हुए मैने सोचा"साला एक इनका वॉर्डन है जो इन सबको अभी तक घूमने की पर्मिशन दे रहा है और एक साला अपना वॉर्डन है जो खुद को हिट्लर की औलाद समझता है...."
उन लड़कियो की तरफ आगे बढ़ते हुए मैं सोचने लगा कि उनसे मैं क्या बात करूँगा और तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे पीछे कोई है...मैने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे दोस्त भी धीमी-धीमी चाल मे आगे बढ़ रहे थे.
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