RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"तभी साला ,मैं सोचु कि इतनी रात हो गयी लेकिन ये वॉर्डन खाना बनाने का इंतज़ाम क्यूँ नही करवा रहा है....साला धोकेबाज़..."सूट बूट पहनते हुए पांडे जी ने राजश्री की एक पॅकेट फाडा और सारा माल मुँह मे भरकर बोले"अरमान भाई...वैसे एक तरह से देखा जाए तो ये सही भी है...कम से कम एमबीबीएस वाली लौन्डियो से मेल-मिलाप तो हो जाएगा...."
"उस आंजेलीना जौली से बचकर रहना बेटा...वो बहुत खिसियाई हुई है..."
"अरे यदि वो आंजेलीना जौली है तो हम है यहाँ के ब्रॅड पिट, आख़िर चुदेगि तो हमी से..."अरुण शीसे मे अपने बाल ठीक करते हुए बोला...
"तू बेटा ,हमेशा अपनी औकात से उँची उड़ान ही मारने की सोचता है और फिर बाद मे...."
"इसी उड़ान मे तो मज़ा है पगले..."बीच मे ही अरुण बोल पड़ा"वरना अपनी औकात मे तो तुझ जैसे मिड्ल क्लास के लोग भी उड़ लेते है, अपुन थोड़ा स्पेशल है..."
"जाओ बेटा, जब वो चोदेगि तो मेरे ही पास आओगे..."बड़बड़ाते हुए मैं कॅंप से बाहर निकला और मेरे बाहर निकलने के बाद मेरी टोली भी बाहर निकली....
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"निकल आए राजकुमारो...अब इधर भी आ जाओ..."हम बाहर निकले ही थे कि हमारे जलँखोर वॉर्डन ने ताना मारते हुए कहा....
"अरमान, साले की शकल देख...एक दम गधे की गान्ड जैसी है...बीसी मेरी खूबसूरती से जलता है..."अपनी आदत अनुसार अरुण ने धीमी आवाज़ मे वॉर्डन को सलामी ठोकी.
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वॉर्डन इस समय भी ठीक उसी बड़े से पत्थर पर खड़ा था,जहाँ आज सुबह खड़े होकर इन्स्ट्रक्षन दे रहा था....वॉर्डन के सामने हमारे कॉलेज की पूरी भीड़ जमा थी और जब हम 6 लोग उस भीड़ मे शामिल हुए तो वॉर्डन जो कि अपने दोनो हाथ शक्तिमान स्टाइल मे अपने कमर मे रखा हुआ था, वो नीचे कुदा.....
"अरमान जी ,आप कहाँ है...अपने खूबसूरत नूरानी चेहरे का दीदार तो हम सबको कराईए,आपसे कुच्छ बात करनी है..."वॉर्डन बड़े ही कूल अंदाज मे बोला....
ऐसा बोलते वक़्त वो खुद को बहुत स्मार्ट समझ रहा था लेकिन साला एक नंबर का चोदु लग रहा था और कुच्छ नही...साला गधे की गान्ड
"इधर हूँ मैं...सर"अपना हाथ खड़ा करते हुए मैं बोला...
"आज की रिपोर्ट के मुताबिक़ तुमने ,सामने वाले कॉलेज के कुच्छ लड़को से हाथा-पाई की और उन्हे गोली मार देने की धमकी भी दी...."
"कहाँ सर...मैं तो पूरे दिन बुखार से तड़प रहा था,यकीन ना हो तो अरुण और पांडे जी से पुच्छ लो..."
"तुम पहले सामने आकर अपना फेस दिखाओ ,बाद मे मैं किसी और से कुच्छ पुछुन्गा...."
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मैने अपना सर नीचे झुकाया और आँखे उदास करके वॉर्डन की तरफ बढ़ा....
"तुम नीचे खाना खाने नही जाओगे...तुम्हारे दोस्त तुम्हारा खाना पॅक करवा के ले आएँगे..."
"मेरी उन सबसे आज सुबह ही लड़ाई हो गयी है,फिर वो मेरे लिए इतना क्यूँ करेंगे और मैं सच मे नीचे नही गया था..."
"फिर एमबीबीएस वालो ने तुम्हारा नाम क्यूँ लिया...."
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वॉर्डन के इस सवाल पर मैं एक डायलॉग मारने जा ही रहा था कि बीकेएल दिव्या ,बीच मे कूद पड़ी...
"झूठ बोलता है ये सर, मैने इसे दोपहर को पुल पर देखा था यकीन ना आए तो एश से पुच्छ लो और मेघा से भी...."
"दिव्या सच कह रही है क्या..."कड़क आवाज़ के साथ वॉर्डन ने एश और मेघा से सवाल किया और दोनो ने हां मे अपनी गर्दन हिला दी....
"अब बोलो अरमान..."अपनी जीत पर भयंकर हँसी और आँखो मे विजयी चमक लिए वॉर्डन मेरी तरफ मुड़ा"तुमने तो कहा था कि ,तुम अपने कॅंप से बाहर ही नही निकले थे...फिर पुल पर इन तीनो ने तुम्हे कैसे देखा...."
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दिव्या के द्वारा मेरे खिलाफ बोलना मुझे रास नही आया और दिल किया कि अपना जूता उतार कर सीधे उसके मुँह पर दे मारू या उसके सर के बाल को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से ज़मीन पर दे मारू....लेकिन तभी मेरे 1400 ग्राम के ब्रेन ने अपनी ताक़त दिखाई और दिव्या को मैने उसी के द्वारा फेके हुए जाल मे फाँसते हुए कहा....
"मैं मानता हूँ कि मैं कॅंप से निकलकर पुल की तरफ गया था लेकिन यहाँ सवाल ये खड़ा होता है कि दिव्या वहाँ क्या कर रही थी,जबकि...आपने किसी भी स्टूडेंट को पुल की तरफ जाने से सॉफ मना किया था...."इसके बाद मैने वॉर्डन से धीमे लफ़ज़ो मे कहा,जिससे आगे की वार्तालाप सिर्फ़ हम दोनो ही सुन सके...मैं बोला"अरे सर, हम लोग तो फिर भी लड़के है..हमारा क्या होगा,लेकिन लड़कियो का इस तरह से घूमना ठीक बात नही, कही कुच्छ उच-नीच हो जाती तो आप किसी को मुँह दिखाने के लायक नही रहते....आपकी नौकरी तो हाथ से जाती ही ,साथ मे इन लड़कियो के माँ-बाप आप पर लापरवाही का केस भी करते..."
"ह्म्म..."
"सर हम लोग तो फिर भी आपके हॉस्टिल मे रहते है,हमे मालूम है कि आपकी इज़्ज़त को कैसे बचना है लेकिन इन लड़कियो की क्या मज़ाल जो आपके...आपके हुक़ुम की अवहेलना करे,..ये तो सरासर आपके गाल पर तमाचा जड़ा है इन लौन्डियो ने...सॉरी मेरा मतलब इन लड़कियो ने मैं तो कहता हूँ कि अभिच उस माँ दी लाडली को पनिशमेंट दो..."
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"तुम तीनो पुल पर क्या कर रही थी..."आँखो मे अँगारे लिए हुए वॉर्डन ने दिव्या की तरफ देखा और दिव्या ने मेरी तरफ...साली मुझे ऐसे गुस्से से देख रही थी,जैसे मैं उसके टुकड़ो पर जीता हूँ. उसकी इस हरकत से मेरा खून भी खौल उठा....
"आँख नीचे कर ले और अपने बाप का रुतबा किसी और पर झाड़ना वरना थर्ड सेमेस्टर की कहानी दोबारा दोहराने मे मुझे ज़रा सा भी वक़्त नही लगेगा और सर को ये बता कि तू पुल पर किससे मिलने गयी थी..."
"तू कॉलेज पहुच तब तुझे मैं अपनी पॉवर दिखाती हूँ..."
"ओके, बेबी...लेकिन पहले ये बता कि तू क्या करवाने पुल के उस पार गयी थी...जबकि सर ने सॉफ मना किया था कि कोई उस तरफ नही जाएगा..."
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जहाँ कुच्छ देर पहले सारे स्टूडेंट्स मंद-मंद मुस्कान के साथ मेरी और वॉर्डन के बीच की बात-चीत का मज़ा लूट रहे थे,वही अब महॉल गड़बड़ा गया था...एक पल मे सारा मज़ा अब हैरानी से भरा पड़ा था.वहाँ बीत रहा हर एक पल, मेरी और दिव्या के बीच हो रही हर बात-चीत...वहाँ मौजूद सभी के दिलो पर एक डर पैदा कर रही थी....दिव्या शांत नही हो रही थी और मैं तो शांत होने से रहा....
"मैं कुच्छ भी करने गयी थी ,तुझे उससे क्या....तू क्या करने गया था..."
"दारू पीने गया था ,अब बोल..."जब मेरा माथा ठनका तो मैं सीधे आर-पार की लड़ाई पर उतर आया"इसे समझा लो रे कोई,वरना यही पर लाल कर दूँगा...फिर जाकर चाहे अपने बाप को बताना या फिर अपने बगल वाली के बाप को...."
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इस गरमा-गर्मी के दौरान दिव्या अपना सारा आपा खो चुकी थी और यही हाल मेरा भी था,...मैं यदि चाहता तो इस सिचुयेशन को बहुत अच्छी तरह से संभाल सकता था
लेकिन गुस्सा मुझपर भी सवार था और खून मेरा भी खौल रहा था....मुझे पक्का यकीन है कि यदि मेरे दोस्तो ने मुझे और दिव्या की सहेलियो ने उसे नही रोका होता तो मेरे हाथ वो बहुत पूरी तरह मार खाती....लेकिन ऐसा हो नही पाया और मेरे दोस्त मुझे तुरंत वहाँ से पकड़ कर दूर ले आए....
"माँ चोद दूँगा उसकी, बीसी समझती क्या है खुद को...अपने बाप के दम पर उचक रही है...ज़्यादा दिमाग़ खराब हुआ तो इस बार उसके भी बाप को मारूँगा...फिर चाहे मेरा मर्डर ही क्यूँ ना हो जाए..."अरुण और सौरभ को दूर धकेल कर मैं लड़कियो के उस झुंड की तरफ बढ़ा ,जिस झुंड के बीच मे दिव्या थी....
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