RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण और सौरभ के जाने के बाद मैने अपने दोनो हाथ पीछे किए और आराम से बैठकर अपने आस-पास वालो को देखने लगा....
"ये तो आंजेलीना जानेमन जैसी दिख रेली है...पक्का वही होगी, बीसी बहुत उड़ रही है आज कल,अभी इसके पर काटकर आता हूँ.."बोलते हुए मैं अपनी जगह से उठा और जिस जगह आंजेलीना बैठी थी...ठीक उसी टेबल पर उसके सामने जाकर बैठ गया...
दारू पीने से बहुत सारे नुकसान होते है ये मैने कही पढ़ा था ,लेकिन दारू पीने से फ़ायदा क्या होता है ये मुझे मालूम था.दारू पीने के बाद सबसे बड़ा फ़ायदा जो मुझे होता है वो ये कि मुझे फिर किसी का डर नही रहता चाहे वो मेरे थाइ के बराबर बाइसेप्स रखने वाले बार के बाउन्सर ही क्यूँ ना हो....
मैं बेखौफ़ आंजेलीना की तरफ बढ़ा और वहाँ पहूचकर मैने सबसे पहले जो कहा वो ये था कि''क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ''
"बिल्कुल नही..."
"मैं पुछ थोड़े ही रहा हूँ,मैं तो बता रहा हूँ..."कहते हुए मैने एक चेयर खींची और उसपर बैठकर अपने लड़खड़ाते-डगमगाते शरीर को आराम दिया....
.
"यदि यहाँ एक पल भी और रुके तो मैं तुम्हारी शिकायत कर दूँगी और मेरी शिकायत के बाद तुम्हारा जो हाल होगा...उसकी कल्पना तुम खुद कर सकते हो...इसलिए बेटर यही रहेगा कि तुम...."
"अरे चुप चाप बैठ ना...बाकी लड़कियो के माफ़िक़ बोर क्यूँ कर रही है...."आंजेलीना अपनी धमकी पूरी दे पाती उससे पहले ही मैं उसपर टूट पड़ा...
.
"यहाँ आने की कोई खास वजह...तुम ज़रूर अपना गॉगल लेने आए होगे..."
"ये ले,फिर से पुरानी बातों को लेकर बैठ गयी...गॉगल तू ही रख ले,मेरी तरफ से गिफ्ट समझ कर...."
"फिर यहाँ क्या मुझसे इश्क़ लड़ने आए हो..."रोलिंग आइज़ डालते हुए आंजेलीना बोली..."मैं तुम्हे जानती हूँ ,तुम ज़रूर कुच्छ सोच कर ही आए होगे..."
"सोचकर तो आया हूँ...वो तुम्हारी काली कलूटी फ्रेंड पिंकी कहाँ..."
"ज़रा संभाल कर...वो फ्रेंड है मेरी...वरना..."
"तू फिर धमकी देना शुरू हो गयी...ये सब बद-दिमाग़ लड़कियो की निशानी है..."मैने कहा...
आंजेलीना को बाद-दिमाग़,बोरिंग लड़कियो का एग्ज़ॅंपल देकर मैं इसलिए शांत करा रहा था क्यूंकी अभी वो लड़कियो वाले घिसे-पिटे लहजे मे बात कर रही थी और जब मैने उसे ये सब कहकर रोकता तो वो तुरंत चुप हो जाती और फिर मुझे देखकर कुच्छ सोचने लगती....
"वो दोनो कही गयी है...लेकिन तुम्हे उन दोनो से क्या काम है..."आंजेलीना ने अबकी बार धीरे से कहा....
"ऐसिच लड़किया मुझे बहुत पसंद है ,जो हर काम मे कॉर्पोरेट करती है"बोलते हुए मैने आंजेलीना के सामने टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाया और पूरा गले के नीचे गटक गया....
"बड़ा अजीब टेस्ट है यहाँ के पानी का..."ग्लास वापस टेबल पर रखते हुए मैने अपना मुँह टेढ़ा किया...
"यूवउुुुउउ स्टुपिड...वो मैने झूठा किया था..."
"ऐसा क्या...तभिच मैं सोचु कि पानी का टेस्ट इतना खराब कैसे हो गया...यार कभी-काभ ब्रश भी कर लिया कर और यदि तेरे पास ब्रश खरीदने के लिए पैसे नही है तो मुझसे ले ले...बहुत रहीस हूँ मैं..."
"स्टूऊवप्प्प....वो पानी नही बियर था और बहुत महनगा भी...इसलिए टेस्ट उसका नही तुम्हारे मुँह का खराब है..."आंजेलीना अपने दांतो के बीच जबर्जस्त फ्रिक्षन लाते हुए बोली...
"वो क्या है ना कि अपुन बियर-शियर नही डाइरेक्ट दारू पीता हूँ...इसलिए इन सॉफ्ट ड्रिंक का टेस्ट मुझे नही मालूम....मैने तेरी बियर पी उसके लिए सॉरी...लेकिन फिकर नोट ,मैं एक दूसरी बियर मागाता हूँ...उसका बिल मैं भरुन्गा"
.
"मुझे नही चाहिए बियर...तुम चुप हो जाओ और यहाँ से दफ़ा हो जाओ..."
"इतना गुस्सा क्यूँ होती है..."आंजेलीना के सामने वाली चेयर से उठकर मैं सीधे उसके लेफ्ट साइड मे रखे हुए चेयर पर बैठ गया और बोला"इस बार पक्का बिल मैं भरुन्गा...टेन्षन कैकु लेती है..."
"वो मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि बिल मुझे ही देना पड़ेगा,अरमान मैं तुम्हारे तिकड़म से बहुत अच्छी तरह वाकिफ़ हो चुकी हूँ...यू कॅन'ट फूल्ड मी अगेन..."
"सच मे बिल मैं दूँगा...तू चाहे तो मेरा दस हज़ार का मोबाइल सेक्यूरिटी के लिए रख ले,या फिर मेरा वॉलेट..."
.
बोलने के साथ ही मैने अपना मोबाइल, वॉलेट निकाल कर टेबल के उपर रख दिया और वो पहला मौका था जब आंजेलीना मुझे देखकर दिल से मुस्कुराइ थी....मेरी वो हरकत शायद उसे अच्छी लगी थी, खैर ये तो वही बता सकती है कि वो उस वक़्त मुस्कुराइ क्यूँ थी
.
"अंदर रख लो..."वॉलेट और मोबाइल मुझे जेब के अंदर रखने को बोलकर आंजेलीना ने एक बियर माँगाया और हमारी बात-चीत आगे बढ़ी.....
.
शुरू मे आंजेलीना ने एक बियर माँगाया लेकिन बाद मे एक के बाद एक ,तीन बियर की बोतल हम दोनो ने मिलकर खाली कर दी...इस बीच मैं तो नशे के मॅग्ज़िमम लेवेल पर जा पहुँचा था लेकिन आंजेलीना पर थोड़ा ही असर हुआ था, क्यूंकी वो अब भी पूरी तरह खोलकर (दिल ) मेरे सामने नही आ रही थी....
"एक और मँगाऊ क्या..."मैने पुछा...
"नही..अब हो गया...यदि एक बोतल और चढ़ाई तो चल भी नही पाउन्गी..."
"अरे कुच्छ नही होगा...."ज़ोर देते हुए मैने कहा...
"आइ नो माइ लिमिट्स बेटर दॅन यू..सो प्लीज़ कीप क्वाइट..."मुझे घूरते हुए उसने अपने दांतो के बीच फिर से जोरो का फ्रिक्षन फोर्स लगाया....
"तो मत पी ना..इतना भड़क क्यूँ रही है...और एक बात बताऊ..."
"नही...मुझे घर जाना है...आइ मीन कॅंप ."खड़े होते हुए वो बोली...
"मेरे पास बिल पे करने के लिए पैसे नही है...वॉलेट खाली है और मोबाइल मेरे दोस्त का है..."
"व्हाआटतत्त.... "
"सॉरी...लेकिन यहिच सच है "
"अब मुझसे एक लफ्ज़ भी बात मत करना ,मैं सोच रही थी कि यहाँ से जाने के बाद तुम्हारा गॉगल तुम्हे लौटा दूँगी...लेकिन अब सीधे जाकर तोड़ दूँगी..."
"अरे सुन तो...वो गॉगल भी मेरा नही है..."एक और ट्रिक अपनाते हुए मैने आंजेलीना से कहा....लेकिन इस बार उसने मेरी एक भी नही सुनी और वहाँ से सीधे चलती बनी....
.
जहाँ मैं बैठा था वो वहाँ से थोड़ी दूर खड़ी होकर चींकी,पिंकी को ढूँढने लगी और जब वो दोनो उसे कही नही दिखी तो उसने अपना मोबाइल निकाला....
"यहाँ क्या कर रहा है बे लोडू..."मेरे अगल-बगल वाली कुर्सियो पर अरुण और सौरभ ने अपना स्थान ग्रहण करके मुझसे कहा"अब बेटा सीधे से कॅंप चलते है...इससे पहले कि कोई लफडा हो जाए..."
"मैं नही जा रहा तुम दोनो जाओ...मैं आ जाउन्गा..."
"ये तो वही बात हो गयी कि लंड खड़ा नही होता और दुनिया का सर्वश्रेष्ट्रा चुदक्कद बनना है...चल बेटा ,चल...वरना अकेले तू आज रात तो कॅंप नही पहुच पाएगा..."
"पहले एक काम करो,तुम दोनो किसको यहाँ से बिना कोई सवाल किए हुए..."
"ऐसे कैसे हम लोग खिसक जाए..."
"अबे जाओ,वरना अभिच मैं सामने वाले मोटू को एक झापड़ मारकर लफडा कर दूँगा...."
"हम दोनो जा रहे है...लेकिन तू कोई लफडा मत करना "अरुण और सौरभ ने मेरे हाथ जोड़े और वहाँ से उठकर दूर एक टेबल पर बैठ गये....
मैने सौरभ और अरुण को वहाँ से खिसकने के लिए इसलिए कहा था क्यूंकी आंजेलीना वापस मेरी तरफ आ रही थी और मैं नही चाहता था कि मेरे खास दोस्त उस खास मौके पर मेरे साथ रहे....
.
"क्या हुआ..."आंजेलीना को अपने सामने बैठते देख मैने पुछा....
"चींकी और पिंकी का कही कोई पता नही चल रहा....मोबाइल नोट रीचबल बता रहा है..."
"बजा रहा होगा उनकी कोई...लेकिन साली बड़ी बदसूरत है ,कपड़े ढक कर भी कोई नही बजा पाएगा...फिर...फिर पक्का दारू पीकर कही पड़ी होंगी..."
"यू आर आ बॅड बॉय...किसी के बारे मे इतना बुरा नही कहना चाहिए..."
"दिल पे ना लो सिल्वा जी....."(मुँह मे ले लो...)
.
"अरमान,चल ना लेट हो रहे है..."अरुण फिर से मेरे पास आया और जेंटलमेन वाली स्टाइल मे बोला...
"तू कौन है बे..."
"तेरा बाप..."साइलेंट मोड मे अरुण बोला...
"तू एक काम कर, तू निकल इधर से..मैं 5 मिनिट मे आता हूँ..."
जब अरुण वहाँ से गया तो आंजेलीना की दोनो सहेलिया चींकी और पिंकी ना जाने कहाँ से टपक पड़ी.....
आंजेलीना ने जब उनसे पुछा कि वो दोनो कहाँ थे तो पिंकी ने कहा कि चींकी को वॉमिट हो रही थी इसलिए वो दोनो अभी तक वॉशरूम मे थे....
"अब चलते है...वरना कल की तरह पकड़े जाएँगे..."चींकी का हाथ पकड़ कर आंजेलीना बोली...
"5 मिनिट और रुक जाओ और अपने केयरटेकर से बचने का आइडिया मुझसे लेते जाओ..."मैने बीच मे कहा...."लेकिन वो आइडिया सिर्फ़ मैं सिल्वा जी के साथ शेयर करूँगा ,तब तक तुम दोनो...वो दूर बैठकर मक्खिया मार रहे मेरे दोस्तो के साथ बैठ जाओ...."
"हमे कोई ज़रूरत नही तुम्हारे आइडिया की...भगवान ने हमे भी दिमाग़ दिया है,हम भी सोच सकते है..."
"पहले दिन ही पकड़ा गयी थी तू...याद है...यकीन मान, मैं इस काम मे माहिर हूँ..."
आंजेलीना ने मुझे देखा और फिर मेरे दोस्तो के तरफ इशारा करके चींकी,पिंकी को उधर भेज दिया...
.
आंजेलीना को मैने एक तरक़ीब सुझाई जिसके बाद उसने मुझसे हाथ मिलाया और बाइ कहकर जाने लगी...
"मोर जर्म्ज़ आर ट्रॅन्स्फर्ड शेकिंग हॅंड्ज़ दॅन किस्सिंग...."आंजेलीना जब वहाँ से जाने के लिए पलटी तो मैने विज्ञान का सहारा लिया....जिसके बाद वो वापस मेरी तरफ पलटने को तैयार हो गयी....
"अरमान...तुम बहुत परेशान करते हो, पता नही तुम्हारे दोस्त तुम्हारे साथ कैसे रह लेते है....तुम क्या एक सेकेंड भी चुप नही रह सकते..."
"मैने ग़लत क्या कहा...ठीक ही तो कहा है और तुम मेडिकल फील्ड वाली हो तो तुम्हे ये पता होगा ऐसा मैं सोचता हूँ..."
"तो क्या अब मैं तुम्हे किस करू..."
"इरादा तो मेरा वही था...आगे तुम्हारी मर्ज़ी..."
"क्या तुम्हे पता है कि तुम बहुत बुरे हो..."वापस बैठकर आंजेलीना बोली"मतलब कि तुम एक लड़की को कॉफी हाउस मे ये कहकर खूब खिलाते-पिलाते हो कि तुम बिल पे करोगे...लेकिन बाद मे बिना किसी परवाह के तुम भाग जाते है...क्या वहाँ से भागते वक़्त तुम्हे एक पल भी ख़याल नही आया कि यदि मेरे पास पैसे नही होते तो हमारा क्या अंजाम होता....कहने को तो ये बहुत छोटी सी मज़ाक-मस्ती थी लेकिन हमारी इतने लोगो के सामने बेज़्जती भी हो सकती थी और एक बात कहूँ...टॅलेंट की कद्र हमेशा अच्छाई की राह पर होती है क्यूंकी बुराई के साथ जो टॅलेंट होता है उसे सिर्फ़ धिक्कारा जाता है..."
.
आंजेलीना ने काफ़ी अच्छा लेक्चर दिया था ,उसका 'टॅलेंट' वाला डाइलॉग भी सॉलिड था...लेकिन हमारे इरादे तो कुच्छ और ही थे....
"गाँधी जी ने कहा है कि ,हेट दा सीन...नोट दा सिन्नर...और इस हिसाब से तुम्हे मुझसे नफ़रत नही करनी चाहिए और एक किस देकर गुडबाइ बोलना चाहिए..."
"यू नो व्हाट...मैं तुम्हे अब कभी नही भूलूंगी...भले ही तुम्हारी अहमियत मेरी लाइफ मे कुच्छ ना हो,लेकिन इतना तो श्योर है कि मैं तुम जैसे एक लापरवाह लड़के को कभी नही भूलूंगी..."परेशान होते हुए आंजेलीना ने अपना सर पकड़ लिया और अपनी फ्रेंड्स को 5 मिनिट और रुकने के लिए कहा....
"अपना तो एक ही फंडा है सिल्वा जी कि आज के पल को जी लो वरना कल आगे जाकर जब आप पीछे मुड़ो तो इसका पछ्तावा नही होना चाहिए कि जीने के पल तो पीछे छूट गये...."
.
"ठीक है,मैं हार गयी...तो अब मैं चलूं..."एक बार फिर से आंजेलीना खड़ी हुई,ताकि वो अपने कॅंप जा सके...लेकिन मैने फिर ऐसा कुच्छ कह दिया,जिसकी उम्मीद ना तो उसे थी और ना ही मुझे.....
"दारू पिया हूँ जानेमन...झूठ नही बोलूँगा. आइ वान्ट टू हॅव सेक्स वित यू "
मेरे साथ सेक्स करने के मेरे प्रपोज़ल ने आंजेलीना के दिल-ओ-दिमाग़ पर गहरा आघात पहुचाया था ,जिसका अंदाज़ा मैं ,मेरे सामने पहली बार नर्वस हो रही आंजेलीना को देखकर लगा सकता था....बीते दिनो जब आंजेलीना से मेरी मुलाक़ात हुई थी ,तब से अभी तक मे वो सिर्फ़ अभी बेज़ुबान लग रही थी....
मेरे उस डिज़ाइर ने आंजेलीना को वापस बैठने के लिए मजबूर कर दिया था. वो कभी मेरे तरफ अपनी उंगली पॉइंट आउट करके मुझे कुच्छ कहना चाहती थी, वो मुझपर जबर्जस्त तरीके से भौकना चाहती थी...यदि उस वक़्त उसके शरीर मे मेरे जितनी पॉवर होती तो मैं जिस टेबल पर बैठा था,वो उसी टेबल को उठाकर सीधे मेरे उपर दे मारती...लेकिन हर बार वो कुच्छ करने का सोचती और फिर शांत हो जाती...इस बीच मैने एक चीज़ जो नोटीस कि वो ये थी कि उसके दांतो के बीच फ्रिक्षन फोर्स वित रेस्पेक्ट टू टाइम इनक्रीस हो रहा था और मुझे डर लगने लगा था कि कही उसके जबड़ो मे लगातार बढ़ते फ्रिक्षन के कारण आग ना लग जाए....
|