Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
शुरू मे तो मैने सबसे पहले अपना शर्ट उतारा और शर्ट को कमर पर बाँधा...फिर सोचा कि अब इस लौंडिया को इसकी करनी की सज़ा दी जाए....मैने आंजेलीना का थोबड़ा पकड़ा और उसके हाथ से चाकू छीन कर दूर फेक दिया....उस दौरान एक बार मेरे मन मे ये भी ख़याल आया कि साली को यही पटक कर जबर्जस्ति चोद दूं...लेकिन अब ना तो मुझे वो पसंद थी और ना ही उसकी खूबसूरती मुझे रास आ रही थी...

मैने उसका थोबड़ा अपने हाथ से दबाया और बोला....

"एक झापड़ मारकर तेरी सारी होशियारी वही घुसा दूँगा ,जहाँ से तू निकली है...सेक्स नही करना था तो सीधा सॉफ मना कर देती ,यहाँ लाकर चाकू घुसाने की क्या ज़रूरत थी...और तूने अपने आप को समझ क्या रखा है बे...जो ऐसा करने का सोचा...शुक्र मना कि मैं हूँ वरना कोई दूसरा होता तो तुझे पटक-पटक कर यही चोदता... यदि तेरा ये चाकू थोड़ा और अंदर घुसता तो मेरा तो उपर का टिकेट कट गया होता...,तुझे क्या,तू तो यहाँ से चुप चाप खिसक लेती... और तू मुझे लड़कियो की पॉवर दिखाना चाहती है तो सुन...यदि मेरा दिमाग़ सटक गया तो तेरे पेट मे घूमा के ऐसा घुसा मारूँगा कि सारी दवाई फिर तेरे पेट का इलाज नही करा पाएगी....और तूने क्या कहा कि मैं आज के बाद तुझसे बात ना करूँ...अरे लवडा आज के बाद यदि मेरी आँखो ने तुझे भूल से भी देख लिया तो मैं अपनी आँखे फोड़ लूँगा....पता नही कहाँ-कहाँ से चली आती है,सौरभ सही कहता है कि इन लड़कियों को हमेशा चोदते रहना चाहिए तभी साली औकात मे रहती है..."बोलकर मैने आंजेलीना को पूरी ताक़त से पीछे धकेला .जिसके बाद उसके नीचे गिरने की आवाज़ आई और साथ मे एक चीख भी सुनाई दी....आंजेलीना ज़ोर से चीखी थी लेकिन फिर भी मैं नही रुका और अपने मोबाइल की रोशनी मे आगे बढ़ने लगा......
.
मेरा माथा बहुत गरम था और मैं बिना कुच्छ सोचे समझे आंजेलीना को गालियाँ बकते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा था कि ,तभी मुझे आंजेलीना की आवाज़ सुनाई दी....

"क्या हुआ...साली कहीं मरने वाली तो नही...मरने दो ,एमसी इसी लायक है ,बकल..."बड़बड़ाते हुए मैं फिर आगे बढ़ा...

"हेल्प....हेल्प...अरमान..."

"इसकी तो...मरवाएगी ये लवडी इतनी ज़ोर से चीखकर...एक बार देखकर आता हूँ कि क्यूँ ये अपना गला फाड़ रही है..."

जब आंजेलीना की चीखे और तेज़ होने लगी तो मैने वापस जंगल की तरफ टर्न मारा...क्यूंकी मुझे डर था कि यदि उसे कुच्छ हुआ तो लवडा फसूँगा तो मैं ही

"क्या हुआ...क्यूँ इतना भौक रही है..."आंजेलीना के पास पहूचकर मैने रूखी आवाज़ मे उससे पुछा....

"तुम्हे शरम नही आती,एक लड़की को इतनी ज़ोर से धक्का देते हुए...मैं इतनी ज़ोर से गिरी हूँ कि अब खड़ी तक नही हो पा रही..."

"यही बात मुझे चाकू मारते समय सोचा होता तो ऐसा नही होता...अब समझ मे आया कि मुझे कितना दर्द हुआ होगा..."

"आइ'म सॉरी...लेकिन अब मुझे जल्दी से उठाओ...मुझे कॅंप पहुचना होगा...वरना बहुत बड़ी आफ़त हो जाएगी..."
.
पहले मैने सोचा कि उसे उसके ही हाल पर छोड़ दूं लेकिन बाद मे ध्यान आया कि अगर इसे कुच्छ हुआ तो जान मेरी ही जाएगी...इसलिए मैने ना चाहते हुए भी अपने दिल पर हज़ार टन का पत्थर रखा और उसे उठाकर कर चुप चाप कॅंप की तरफ बढ़ा....
.
.
"आगे बोल बे...रुक क्यूँ गया..."जब मैं रुका तो वरुण बोला...

"थक गया यार ,कहानी सुनते-सुनते...अब नींद आ रही है..."मैं वहाँ से उठा और सीधे बाल्कनी पर पहुच गया....

"मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि तू मुझे एडा बना रहा है..."मुझपर शक़ करते हुए वरुण भी मेरे पीछे-पीछे बाल्कनी पर आ गया...

"अरुण से पुछ ले...यदि तुझे यकीन ना हो तो..."

"अरुण से क्या पुच्छू...वो तो तेरी हां मे हां मिला देगा...साले गे-पार्ट्नर जो ठहरे तुम दोनो...."

"फिर तो एक ही तरीका है ,तुझे यकीन दिलाने का..."बोलते हुए मैने अपना शर्ट उतरा और कमर पर बना हुआ सिल्वा जी के चाकू का निशान वरुण को दिखाया.....

"कमाल है यार...मतलब सच मे उस एमबीबीएस वाली ने तेरे अंदर चाकू पेल दिया था...बहुत डेरिंग लड़की थी वो...यदि वो तेरे कॉलेज मे रहती तो पक्का तुझे सुधार देती. फिलहाल तो ये बता कि फिर आगे क्या हुआ..."

"आगे क्या हुआ ,वो कल...मेरा मुँह दुख रहा है बोलते-बोलते...जा एक पेग दारू ला "

"कॅंप वाला चॅप्टर ख़त्म तो कर दे...प्लीज़ "

"उसके बाद कुच्छ खास नही हुआ...मैं और आंजेलीना साथ-साथ कॅंप मे तो आए ,लेकिन हमने फिर एक-दूसरे से एक शब्द भी नही कहा...कभी-कभी वो मुझे देखती...लेकिन मैने उसे पलट कर देखा तक नही....जिस वक़्त वो अपने कॅंप जा रही थी उस वक़्त उसने मुझसे कहा था कि मैं अपने घर पहूचकर इंजेक्षन लगवा लूँ ताकि घाव सूख जाए...और फिर..."
"और फिर...क्या "
"और फिर वो अपने कॅंप मे लन्गडाते हुए चली गयी...वो आख़िरी बार था जब मैने उसे देखा था...उसके बाद वो मुझे कभी नही दिखी..."
"कभी नही दिखी का क्या मतलब...उसके अगले दिन क्या वो कॅंप से बाहर नही निकली थी क्या..."

"अगले दिन...."बाल्कनी से बाहर देखते हुए मैने कहा"अगले दिन जब मेरी आँख खुली तो उसका कॅंप हट चुका था...मतलब कि एमबीबीएस वाले मेरे आँख खुलने से पहले सुबह-सुबह ही वहाँ से चले गये थे...हमे भी उसी दिन वापस लौटना था...लेकिन हमारे प्लान के मुताबिक़ हम लोगो ने दोपहर को वो जगह छोड़ी और रात के 11 बजते तक वापस कॉलेज पहुच गये....इस दौरान मेरे दिमाग़ मे पूरी तरह से सिर्फ़ और सिर्फ़ आंजेलीना छाइ रही...जिसकी सबसे बड़ी वजह मेरे कमर का घाव तो जो जाते वक़्त आंजेलीना ने मुझे दे दिया था....उस वक़्त भले ही मुझे उसपर गुस्सा आया था लेकिन अब जब भी उस पल को ,उस 24 साल की लड़की को याद करता हूँ तो एक मुस्कान दिल पर छा जाती है और दिल से सिर्फ़ एक ही आवाज़ निकलती है कि 'काश...वो लड़की मेरे कॉलेज मे पढ़ती'..."

चॅप्टर-43:प्लॅन्स आक्टिव अगेन

आंजेलीना के द्वारा दिए हुए ज़ख़्म ने मुझे कुच्छ दिनो तक अपनी चपेट मे पकड़े रखा ,लेकिन घाव ज़्यादा गहरा नही था इसलिए मैं एक हफ्ते के अंदर ही फिट-फट हो गया था...आंजेलीना ने मेरी कमर मे जो चाकू घुसेड़ा था उसकी वजह से मैं कुच्छ दिनो तक बुखार से परेशान रहा...जिसके कारण मैं नेक्स्ट वीक मे कयि दिन कॉलेज तक नही जा सका....मेरे खास दोस्तो ने उस ज़ख़्म के बारे मे पुछा कि मेरी कमर मे ये चोट कैसे लगी...उस वक़्त यदि मैं उनको सच बता देता तो मुझे पूरा यकीन है कि वो सब मुझे धिक्कार्ते इसलिए मैने झूठ बोल दिया कि ' आंजेलीना को अंधेरे जंगल मे पेड़ के सहारे चोद्ते वक़्त पीछे वाले पेड़ का नुकीला हिस्सा चुभ गया था...'
.
मेरे इस जवाब के बाद तो मेरे और भी फॅन बन गये और अब तो जूनियर्स अक्सर मुझसे लड़की पटाने की टिप्स भी लेने के लिए आने लगे थे...लेकिन उन फलो को कौन बताए कि मेरा काम तो मेरे हाथ से ही चल रहा है.....
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आंजेलीना के द्वारा दिए गये घाव को पूरी तरह भरने मे कयि हफ्ते लग गये और खुद आंजेलीना मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे कयि महीनो तक छाइ रही...लेकिन फिर जैसे-जैसे दिन बीतता गया आंजेलीना पुरानी किताब की तरह हो गयी थी ,जो अक्सर एक किनारे पर पड़े-पड़े धूल खाती रहती है...ठीक उस धूल खाती किताब की तरह मैने भी आंजेलीना और आंजेलीना की यादों को अपने अंदर दफ़न कर दिया,क्यूंकी आंजेलीना की यादो को ज़िंदा रखने की कोई खास वजह मेरे पास नही थी....
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कॅंप मे जो कुच्छ भी हुआ...उसकी चर्चा पूरे कॉलेज मे तो कुच्छ दिनो तक हुई,लेकिन फिर बाद मे सभी ,सब कुच्छ भूलकर अपने वर्तमान मे जीने लगे...

कॉलेज वापस आकर मैं भी बहुत खुश हुआ था, वैसे तो हमलोग सिर्फ़ तीन दिन के लिए कॉलेज से दूर गये थे,लेकिन मैं खुश इतना था जैसे कि तीन जनम के बाद आज मैं वापस अपने कॉलेज मे आया हूँ...मैं खुश इसलिए भी था क्यूंकी कल से अपनी ज़िंदगी फिर उसी जानी पहचानी नापी-तुली ट्रॅक पर चलने वाली थी और तीन तीनो के बाद फाइनली मैं अपने कॉलेज ठीक-तक तरीके से पहुच ही गया था ,जहाँ 'अरमान' शब्द सिर्फ़ मेरा नाम नही, बल्कि एक ब्रांड था...वो भी नंबर.1 ब्रांड
.
फोर्त सेमेस्टर मे मैं 12 सब्जेक्ट्स के एग्ज़ॅम देकर थर्ड एअर मे आया था. इसलिए मेरा विचार तो यही था कि जैसे मस्ती भरी ज़िंदगी मैने शुरू के दो साल मे बिताए थे ,वैसे ही बाकी के दो साल भी गुज़ारुँगा...लेकिन थर्ड एअर मे आते ही मुझे खुद लगने लगा कि 'लवडा इसके बाद सिर्फ़ एक साल और बचा है और यदि अब सीरीयस नही हुए तो फिर पूरी ज़िंदगी सीरीयस रहना पड़ेगा...इसलिए बाकी सब चुतियापे को साइड करके सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान देते है....'
.
अपने इसी सोच को सच की शक्ल देने के लिए मैने थर्ड एअर की शुरुआत मे कुच्छ प्लॅन्स बनाए थे लेकिन तीन दिनो की कॅंप की मस्ती और एश के करीब आने की चाह मे मैने अपने ही प्लॅन्स की गान्ड मार ली थी...

कॅंप मे जाने का मेरा जो प्रमुख उद्देश्य था,वो तो पूरा नही हुआ...उल्टा लेने के देने पड़ गये,वो अलग....

कॅंप से वापस आने के बाद मैने अपने बॅच के लौन्डे-लौंदियो मे एक जबरदस्त उत्साह देखा...और वो उत्साह 'गेट' के एग्ज़ॅम के लिए था...साला जिसे देखो वही गेट के लास्ट एअर के कटफ ,कॉलेजस के बारे मे बात करता था...कोई 'मेड ईज़ी' के गाते के नोट्स खरीद रहा था तो कोई इंटरनेट से सिर्फ़ और सिर्फ़ स्टडी मेटीरियल डाउनलोड कर रहा था....जिधर देखो ,उधर कॉंपिटेटिव एग्ज़ॅम्स का साया दिखता था...तब मुझे अहसास हुआ कि इन सबमे मैं कही पीछे छूट रहा हूँ...क्यूंकी ना तो मैने दूसरो की तरह किसी नामी-गिरामी कोचिंग क्लासस के नोट्स लिए और ना ही मैने गेट , कॅट की कोचैंग क्लासस जाय्न की....इन सबके आलवा मैं जब भी गूगल महाराज के दर्शन करता तो सिर्फ़ और सिर्फ़ पॉर्न वीडियोस और मूवी डाउनलोड करता....कॅंप के बाद की कॉलेज लाइफ ने मुझे बहुत डरा दिया था...मुझे अब सपने मे एश के साथ-साथ ,गेट एग्ज़ॅम के मनगढ़त एग्ज़ॅम सेंटर दिखने लगे थे...और जब ये डर मेरे अंदर बढ़ता गया तो मैने भी देल्ही से गेट के नोट्स मॅंगा लिया और नेक्स्ट सेमेस्टर से गेट की कोचैंग जाय्न करने का फ़ैसला किया.....
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 02:34 PM

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