RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस दिन एश ने जब खुद मुझे पार्किंग मे मिलने के लिए कहा तो मेरे मन मे एक ख़याल कौधा कि 'ये साला कॉलेज का पार्किंग है या हमारा लवर पॉइंट '
एश से इस सेमेस्टर मे मैं जितनी बार पार्किंग मे मिला था ,उतना तो मैं पिछले चार साल मे शायद उससे मिला भी नही होऊँगा और आज फिर मुझे अपने लवर पॉइंट मे अपने लवर से मिलने जाना था....
उस दिन मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हुई थी और वो ये कि ना जाने कैसे एश से पार्किंग मे मिलने वाली बात को मैं भूल गया...दोस्ती-यारी..हँसी-मज़ाक मे कॉलेज के लास्ट पीरियड तक आते-आते तक तो जैसे मैं ये भूल ही चुका था कि मुझे एश से मिलना भी है ,उपर से क्लास के लौन्डे ने पूरी क्लास मे ये खबर भी फैला दी कि 'दा डार्क नाइट राइज़स' ह्ड प्रिंट मे आ चुकी है,इसलिए क्लास ख़त्म होने के बाद हम जिन-जिन लौन्डो को राइज़स डाउनलोड करनी थी...वो न्यू इट बिल्डिंग या फिर लाइब्ररी की तरफ और उनमे से एक मैं भी था.....अरुण को बॅटमॅन कुच्छ खास पसंद नही था,इसलिए वो सौरभ के साथ सीधे हॉस्टिल की तरफ हो लिया और मैं, सुलभ के साथ लाइब्ररी मे जा पहुचा....लाइब्ररी रात के 10 बजे तक खुली रहती थी लेकिन कॉलेज के बाद वहाँ एक्का-दुक्का स्टूडेंट ही दिखते थे...इसलिए डाउनलोडिंग स्पीड भी पेल के आती थी...
कॉलेज के बाद लाइब्ररी के सुनसान होने की वजह ये थी कि गर्ल्स हॉस्टिल मे ऑलरेडी वाईफ़ाई लगा हुआ था और लौन्डो को जो डाउनलोड करना होता था ,वो दिन मे ही क्लास बंक करके डाउनलोड कर लेते थे....
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" पहले हमारे हॉस्टिल मे भी वाईफ़ाई चलता था लेकिन इस साले टकलू प्रिन्सिपल ने बाद मे वाईफ़ाई हटवा दिया...वरना कॉलेज के बाद यहाँ आने की ज़रूरत नही होती ..."डार्क नाइट राइज़स ,को डाउनलोडिंग मे लगाकर मैने सुलभ से कहा,इस बात से अंजान कि एश उधर पार्किंग मे मेरा इंतज़ार कर रही है...
"सो तो है...ओये बीसी"
"ऐसे पवित्र शब्द निकालने की कोई वजह...बक्चोद लाइब्ररी मे तो गाली मत दिया कर...वरना अभी वो लाइब्ररी का इंचार्ज इन्सल्ट करके भगा देगा तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी तेरी..."
"होना क्या है...यदि उसने ऐसा किया तो उस लवडे की लौंडिया को छोड़ूँगा नही....तूने देखा है उसे ,कैसे मरवा-मरवा का गोल-गप्पा हुए जा रही है...और मैं चौका इसलिए क्यूंकी वो तेरे हॉस्टिल वाला कल्लू शर्मा को चश्मा लग गया है, वो देख साला इधरिच ही आ रहा है..."
"अजीब है यार..."कल्लू को अपनी तरफ आता देख मैने थोड़ी उँची आवाज़ मे कहा, ताकि कल्लू भी सुन सके...मैं बोला"कैसे-कैसे लौन्डो को चश्मा लग जाता है यार, साले अभी तक फर्स्ट एअर क्लियर नही है और चश्मा लगाकर पढ़ाकू की औलाद बनकर घूम रहा है...."
"बोल तो ऐसे रहा है जैसे तू कॉलेज का टॉपर हो..."हम दोनो के पास बैठते हुए कल्लू ने कहा.."और मैने फर्स्ट एअर की सारी बॅक लास्ट एअर मे ही क्लियर कर ली थी...अब सिर्फ़ 5थ सेमिस्टर. के 3 और 6थ सेमिस्टर. के 4 है...इन्ही बॅक को क्लियर करने के लिए दिन रात पढ़ाई करता हूँ,इसीलिए चश्मा लगा है..."
"बेटा ये पढ़ाई करने के कारण चश्मा नही लगा है, ये तो 3जीपी क्वालिटी मे बीएफ देख-देख कर हिलाने का नतीज़ा है...अबे कालिए खुद को देख और मुझे देख...कितना बदसूरत दिखता है तू..."
"बदसूरत भले ही हूँ,लेकिन लौंडिया पटा कर बैठा हूँ...तेरी तरह रॅनडा तो नही हूँ..."
"म्सी..."कल्लू का सर पकड़ कर मैने लाइब्ररी की टेबल मे पटक दिया और बोला"औकात से बाहर बोलता है...बेटा मैं लौन्डियो को भाव नही नही देता,वरना लौन्डियो की तो मैं नादिया बहा सकता हूँ...फ़ेसबुक पर 1332 लड़कियो की फ्रेंड रिक्वेस्ट पेंडिंग पड़ी है अभी...बात करता है..."अपनी शेखी झाड़ते हुए मैने कहा...
"बोल ना कि गे है...और तेरा लंड खड़ा नही होता..."
"फिर औकात से बाहर बोला तूने लवडे..."एक बार फिर मैने कालिए का सर पकड़ा और पहले की तरह टेबल पर दे मारा...
"बेटा,मुझपर गुस्सा उतारने से कुच्छ नही होगा...तू रॅनडा था ,रन्डवा है और रन्डवा रहेगा..."बोलकर कल्लू वहाँ से उठा और लाइब्ररी से भाग खड़ा हुआ....
कल्लू की बात सुनकर मेरा रोम-रोम ब्लास्ट फर्नेस मे जलने लगा...मैं कल्लू को मारने के लिए उसके पीछे भागा...लेकिन तभी सुलभ ने 'डाउनलोडिंग फैल हो जाएगी' की गुहार मारकर मुझे रोक दिया, वरना कल्लू तो आज मेरे हाथो शाहिद ही होने वाला था जैसे-तैसे मैं अपमान का घूट पीकर बैठ तो गया, लेकिन सुलभ के सामने अपनी बेज़्ज़ती से मैं थोड़ा निराश और परेशान था क्यूंकी कल कॉलेज मे सुलभ यही बात पूरे लौन्डो को बताने वाला था और तो और मुझसे ये कहते भी नही बन रहा था की 'देख यार...ये बात किसी और को मत बताना...'
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जब डार्क नाइट राइज़स डाउनलोड हुई तो हम दोनो लाइब्ररी से निकल कर बाहर आए...हम दोनो पार्किंग के पास से भी गुज़रे,लेकिन तब भी मुझे ये याद नही आया कि एश ने मुझे पार्किंग मे मिलने के लिए बुलाया था क्यूंकी मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे तो कालिया के वो शब्द घूम रहे थे,जो उसने मुझसे लाइब्ररी मे कहे थे....
"सुलभ...सुन तो.."
"बोल.."
"यदि मैने तीन हफ्ते के अंदर इस कल्लू की बहन को पटाकर नही छोड़ा तो तू मेरा लंड काट देना...लेकिन तब तक आज लाइब्ररी वाली बात किसी को मत बताना...."
"रहने दे,तुझे ये कल्लू की बहन को छोड़ने वाली पार्तिक़या लेने की कोई ज़रूरत नही है...मैं वैसे भी किसी को नही बताउन्गा, बेफिकर रह..."
"कमान से निकला तीर..मुँह से निकला शब्द...लंड से निकला मूत...गान्ड से निकला ***...जिस तरह वापस नही होते,उसी तरह अरमान की प्रातिक़या कभी वापस नही हो सकती..."
"यदि ऐसा ही है तो फिर खा कसम आल्बर्ट आइनस्टाइन की...लेकिन मुझे लगता नही कि तू ये कर पाएगा..."
"अब तो आइनस्टाइन चाचा की कसम ले ली है, इज़्ज़त तो रखनी ही पड़ेगी...बोले तो अब आराधना डार्लिंग तीन हफ़्तो के अंदर चुद कर ही रहेगी..."
उसके बाद सुलभ ने अपना रास्ता नापा और मैने हॉस्टिल का रास्ता नापा...
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उस दिन मेरा बर्तडे था...लेकिन दूसरे जहाँ चाहते है कि उनके बर्तडे के दिन सब उसे विश करे...वही मैं चाहता था कि किसी को मेरा बर्तडे मालूम तक ना चले....इसकी कोई ख़ास वजह तो नही थी बस वजह यही थी कि बर्तडे के दिन जानवरो की तरह पड़ने वाली मार से मैं बहुत घबराता था. लेकिन अब तो जंग का बिगुल बज चुका था और लौन्डे अपने-अपने बर्तडे के दिन मेरे द्वारा हुई ठुकाई का बदला लेने के लिए हॉस्टिल मे तैयार खड़े थे कि ,कब मैं हॉस्टिल के अंदर घुसू और वो मेरी ठुकाई शुरू करे....
8थ सेमेस्टर मे मनाया गया मेरा बर्तडे कयि कारणों से मेरे लिए यादगार साबित हुआ...
पहला कारण ये कि एश ने प्यार से मुझे ऑडिटोरियम मे चॉक्लेट गिफ्ट किया, जिसे मैने लेने से इनकार कर दिया
दूसरा कारण ये कि ज़िंदगी मे पहली बार एश ने मेरा इंतज़ार किया और मैं उससे मिलने नही गया
तीसरा कारण जो मेरे बर्तडे को यादगार बनाने के पीछे था,वो ये कि मैने उसी दिन आराधना को चोदने की प्रातिक़या की थी...
और चौथा कारण ये था कि ज़िंदगी मे पहली बार मैं जैल गया ,वो भी तब जब हमारे डिस्ट्रिक्ट का एस.पी. ही मेरे खिलाफ हो...
यदि मैं चाहता तो पिछले तीन साल की तरह इस साल भी बर्तडे के दिन मार खाने से बच सकता था ,लेकिन अबकी बार मैने खुद ही मार खाने का सोचा...क्यूंकी ये कॉलेज मे मेरा आख़िरी साल था इसलिए मैं कॉलेज मे बनाए गये अपने आख़िरी बर्तडे को यादगार बनाना चाहता था...फिर भले ही वो यादगार पल मेरी ठुकाई से ही क्यूँ ना जुड़ी हो....
मैं हँसते-मुस्कुराते हुए हॉस्टिल के अंदर घुसा तो जिन लौन्डो ने मुझे पहले देखा वो गला फाड़कर मेरा नाम चिल्लाने लगे कि'सब जल्दी आ जाओ बे, अरमान आ गया है...'
उसके बाद फोर्त एअर के लड़को ने मुझे उठाया और मेरे रूम मे लेजा कर मुझे बंद कर दिया...उन लोगो को शायद ये डर था कि मैं कही भाग ना जाउ, लेकिन उन्हे क्या पता कि बकरा खुद बलि चढ़ने आया था....
मुझे रूम मे बंद करने के तक़रीबन 10 मिनिट बाद लड़को ने गेट खोला और गेट खुलने के कुच्छ ही सेकेंड्स के बाद अरुण ने मेरा हाथ पकड़कर सौरभ को पैर पकड़ कर उठाने के लिए कहा....
"मारो साले को, पूरे चार साल की कसर निकाल देना..."
इसके बाद जो मार मुझे पड़ी, वो साली अब तक मुझे याद है...बहुत देर तक फोर्त एअर के लड़के मेरी धुलाई करते रहे और जूनियर्स वहाँ खड़े होकर मज़ा ले रहे थे...इसके बाद उन लोगो ने मुझे मेरे बिस्तर पर लेजा कर पटक दिया और अरुण,सौरभ को भी बाकी लड़को ने पेलने के लिए उठा लिया...
"अबे ओययय्ए...मुझे क्यूँ मार रहे हो बे...मेरा बर्तडे थोड़ी है..."जब लौन्डो ने अरुण का हाथ-पैर पकड़ कर उठाया तो अरुण की गान्ड फट गयी और वो बोला...
"तुम दोनो अरमान के रूम पार्ट्नर हो, लात तो तुम दोनो भी खाओगे...देख क्या रहे हो बे, मारो लवडो को...."फोर्त एअर के झुंड मे से किसी ने कहा और फिर अरुण ,सौरभ के पिछवाड़े को लाल करके उन्हे भी मेरी तरह उनके-उनके बिस्तर पर फेक दिया गया.....साले बिना मतलब के चुद गये
"कसम से ,यदि मुझे मालूम होता कि तेरे रूम पार्ट्नर होने के कारण मैं भी लात खाउन्गा तो मैं फर्स्ट सेमेस्टर मे ही रूम चेंज कर लेता...सालो ने मार-मार के पिछवाड़ा सूजा दिया..."दर्द से कराहते हुए सौरभ बोला"वैसे अरमान तेरे तकिये के नीचे तेरा गिफ्ट है...देख तो..."
"गिफ्ट "मैने बड़ी उम्मीद के साथ अपना तकिया उठाया लेकिन मेरे अरमानो पर पानी तब फिरा जब मैने देखा कि वहाँ सिवाय कॉंडम के कुच्छ नही था...
"बोसे ड्के ,ये कॉंडम को गिफ्ट कहता है तू... दिखा दी ना तूने अपनी औकात...कम से कम 32 जीबी का पेन ड्राइव तो दिया होता ,बक्चोद..तेरे मुँह मे अरुण का लंड..."
"अबे अरमान, मेरा गिफ्ट देखने के लिए दाई तरफ पलट और बिस्तर उठा कर देख...."
अबकी बार बड़ी उम्मीद से मैं दाई तरफ पलटा और बिस्तर के नीचे देखा तो वहाँ दारू का एक क्वॉर्टर रखा हुआ था....
"अरे गजब...सारी तबीयत खुश हो गयी...लेकिन बमपर देता तो मैं और ज़्यादा खुश होता, खैर कोई बात नही इससे काम चला लूँगा..."
क्वॉर्टर निकालकर मैने फाटक से अपने लिए पेग बनाए और दर्द कम करने के लिए एक के बाद एक 2 पेग पी गया.....
"आअहह....तुम दोनो कोई वरदान माँगो बे मुझसे, मैं भगवान हूँ "
"आज रात को बार मे पार्टी दे फिर..."
"तथास्तु..."बोलते मैने फिर एक पेग चढ़ाया और सिगरेट सुलगा कर बिस्तर पर वापस लेटकर जगजीत सिंग का ग़ज़ल गाने लगा...
"ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
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