Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:43 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरे पास दो रास्ते थे और मैने दूसरे रास्ते को अपनाने का सोचा लेकिन फिर 5 सेकेंड बाद मैने सोचा कि क्यूँ ना दोनो ही रास्तो को कंबाइन कर दिया जाए...क्यूंकी बहाना भी मारो तो कुच्छ लेवेल का बहाना मारो...ये आड झूठ बहाना मारने से क्या फ़ायदा.....इसलिए मैने कहा...
"शकल ऐसी क्यूँ बना रखी है , घरवालो ने ऑटो किराए के पैसे नही दिए क्या और अभी जो मैने लास्ट लाइन बोली ,वो तो ऐसिच धोखे से निकल गया...सीरीयस मत हो..."


जवाब मे एश साइलेंट होकर अपना लाल चेहरा ना मे हिलाते रही और होंठ को दाँत से चबाने लगी....एश का रंग-रूप ,हाल-चाल देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कि बात बनी नही...इसलिए मैने अपने दूसरे प्लान को भी आक्टीवेट किया और बोला...
"जस्ट जोकिंग रे...आक्च्युयली मैं आराधना को 'आइ लव यू' बोलना चाहता था..तू तो जानती ही होगी उसे, फर्स्ट एअर मे पढ़ती है...उसिच से अपुन फटट ले प्यार करता है और दो दिन से लगातार उसे आइ लव यू बोलने की प्रॅक्टीस कर रेला हूँ...और अभी कुच्छ देर पहले अचानक मेरे मुँह से वो लाइन निकल गयी,जिसकी प्रॅक्टीस मैं पिछले दो दिन से कर रहा हूँ....तुझे यकीन नही होगा ,पर आराधना को आइ लव यू बोलने के चक्कर मे मैं हॉस्टिल के आधे लड़को को आइ लव यू बोल चुका हूँ...मतलब कि मुझसे जो भी थोड़ी देर बात करता है ,मेरे मुँह से उसके लिए आइ लव यू ,निकल जाता है..."

"तो ये बात है, एक पल के लिए तो मेरी साँस ही रुक गयी थी..."बोलते हुए एश ऐसे लंबी-लंबी साँसे भरने लगी, जैसे मैं सिगरेट के काश लेते वक़्त भरता हूँ....
.
"हां ,यही बात है... "(अच्छा हुआ मान गयी...) ,इसके बाद मैने सोचा कि जब तीर कमान से निकल ही चुका है तो क्यूँ ना थोड़ा-बहुत ज़ख़्म भी दे दिया जाए..

"वैसे तुझे क्या लगा था कि मैने तुझे आइ लव यू,कहा है...चल हट, तुझमे ऐसा है ही क्या, जो मैं तुझे आइ लव यू ,कहूँगा...तुझे आंकरिंग मे झेल रहा हूँ,वही बहुत है...वैसे आइ लव यू एश...दिल से..."बोलते हुए मैने जीभ फिसलने की आक्टिंग की और फिर कहा"देखा तूने, मैं फिर से तुझे आइ लव यू कह दिया...जबकि मैं तुझे आइ लव यू नही कहना चाहता ,लेकिन फिर भी आइ लव कह दे रहा है...आइ रियली लव यू, आइ रियली लाइक योउ फ्रॉम माइ इनसाइड आंड आउटसाइड ऑफ दा हार्ट....माँ कसम , आइ लव यू..."

जीभ फिसलने का बहाना करके मुझसे जितनी बार हो सका मैने उतनी बार एश को आइ लव यू ,कहा...और उसे मालूम तक नही चला कि मेरी जीभ नही फिसल रही,वो तो मैं अपने दिल की भडास निकाल रहा हूँ...जो चार साल से अंदर दबी हुई थी...फला कितना जोरदार आक्टिंग करता हूँ मैं ,मुझे तो ऑस्कर मिलना चाहिए .
.
मैं अपनी चालाकी और होशियारी पर अंदर ही अंदर खुद को शाबाशी दे ही रहा था कि एश वहाँ से उठी और सामने की रो पर बैठे हुए बाकी स्टूडेंट्स के पास पहुच गयी...वहाँ जाकर एश ने आराधना के कान मे कुच्छ कहा ,जिसके बाद आराधना पीछे पलटी और मुझे देखते हुए उसने आँख मारी...

"बीसी, इसे क्या हुआ... "आराधना का वो आँख मारना मुझे ऐसे लगा ,जैसे किसी ने मेरे हाथ मे बिजली के तार थमा दिए हो....
.
"आराधना से तूने क्या कहा...जो वो ऐसी अमानवीय , असंवंधानिक हरकत कर रही है..."एश जब मेरे पास वापस आई तो मैने झटके से पुछा...

"तुम्हे तो मुझे थॅंक्स कहना चाहिए...मैने तुम्हारा काम कर दिया..."

"कैसा काम, कौनसा काम, किस तरह का काम..."

"मैने आराधना से जाकर कहा कि ,तुम उससे बहुत प्यार करते हो...लेकिन कहने मे शर्मा रहे हो..."

"लग गये ल..."सामने खाली स्टेज की तरफ देखते हुए मैं बड़बड़ाया...
.
कुच्छ देर पहले जहाँ मैं अपनी होशियारी पर गुमान कर रहा था वही अब मेरे आँखो के सामने अंधेरा छा रहा था...
"पहली बार किसी ने प्यार से ठोका है...बेटा अरमान ,तू तो चुद अब..."दिल ही दिल मे एश को कोसते हुए मैने उससे कहा"मैं ज़रूर सपना देख रहा हूँ...है ना..."

"नो, इट्स ट्रू..शी आक्सेप्टेड युवर प्रपोज़ल..."

"रियली...मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नही है,.."(गान्ड मराए प्रपोज़ल...)

"कमाल करते हो अरमान, मैने तुम्हारा इतना बड़ा काम किया और तुमने मुझे एक थॅंक्स तक नही कहा..."

"थॅंक यू, थॅंक यू वेरी मच...मैं इतना ज़्यादा खुश हूँ कि तुम्हे बता नही सकता, दिल कर रहा है कि जाकर छत्रपाल को एक थप्पड़ मार दूं या फिर अपने हॉस्टिल की छत से खुशी के मारे नीचे कूद हो जाउ... , आइ लव यू एश, रियली लव यू...आल्बर्ट आइनस्टाइन और न्यूटन बाबा की कसम ,आइ लव यू... "

"फिर से तुम्हारी ज़ुबान फिसल गयी, इसपर लगाम लगाओ...वरना दूसरी लड़कियो को कहा तो कही सॅंडल ना पड़ जाए...मेरी बात अलग है ,मैं एक मेच्यूर लड़की हूँ "

"खाख मेरा मेच्यूर है...ज़हर पिला के बोलती है की मुझे थॅंक्स कहो..."एश की तरफ देखकर मैं बड़बड़ाया...

शुरू मे तो मुझे ये लगा कि एश ने मुझे ये किस मुसीबत मे फेक दिया है ,लेकिन आंकरिंग की प्रॅक्टीस करने के दौरान जब मैने आराधना को देखा तो मेरा 1400 ग्राम का दिमाग़ कुच्छ घूमा और मेरी एक्स-रे टाइप नज़र आराधना के सीने से होती हुए उसके टाँगो के बीच मे से जब गुज़री तो मेरा अंग-अंग फड़कने लगा....

प्रॅक्टीस के बाद मैने एश को दिल से शुक्रिया कहा और आराधना मुझे पकड़े ,उससे पहले ही लगभग भागते हुए वहाँ से अपनी क्लास की तरफ हो लिया....पता नही मेरे अंदर अचानक से इतनी खुशी क्यूँ घर कर गयी थी कि कुच्छ देर तक तेज़ चलने के बाद मैं दौड़ने लगा और मेकॅनिकल ,4थ एअर की क्लास के गेट के पास ड्रिफ्ट मारकर फिसलते हुए डाइरेक्ट क्लास के अंदर आ गया....दूसरी क्लास शुरू हो चुकी थी और आइआइटी,रूरकी से हमारे फ्ड होल्डर , श्री जे.के. अग्रवाल जी रोबाटिक्स की क्लास ले रहे थे...बोले तो मेकॅनिकल डिपार्टमेंट के होड़ की क्लास चल रही थी...

"मे आइ कम इन, सर..."क्लास के अंदर आकर मैने पुछा ,क्यूंकी दौड़ते हुए ड्रिफ्ट मारने के कारण मैं 2 फुट क्लास के अंदर दाखिल हो चुका था....

"अभी क्यूँ पर्मिशन माँगी, अपनी सीट पर बैठकर ,'मे आइ कम इन, सर' बोलते..."

"सॉरी सर..."दो कदम पीछे हटकर मैने कहा"मे आइ कम इन सर.."

"आ जाओ..."

"थॅंक यू सर.."बोलते हुए मैं अंदर आया और जाकर सबसे पीछे वाली सीट पर बैठ गया....
.
वैसे तो क्लास किसी भी टीचर की हो, मैं बात करता ही था,लेकिन होद सर को मैं थोड़ा रेस्पेक्ट देता था ,इसलिए उनकी क्लास मे मैं चुप रहता था ,लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं बात नही करता था...होद सर की क्लास मे हम लोग रिटन फॉर्मॅट मे डिस्कशन करते थे....

"इतना खुश क्यूँ है बे गान्डुल, किसी ने चूसा दिया क्या..."अरुण अपनी कॉपी पर ये लिखकर सामने होद सर की तरफ देखने लगा...

"मैने एक माल पटा ली है..."मैने रिप्लाइ किया...

"क्या बात करता है,..चोदु मत बना, सच बता..."

"अरे लवडा सच मे तेरे भाई ने लौंडिया सेट कर ली...बड़ी दुधारू लड़की है..."

"कौन है..? "

"आराधना...अपने कालिए की दूर की बहन..."

"ओये बीसी,...मैं भी चोदुन्गा..."

"पहले मैं तो चोद लूं... "

"ओके, अब सामने देख, नही तो होद चोदेगा..."
.
इसके बाद रोबाटिक्स की पूरी क्लास मे हमारे बीच कुच्छ ऐसी ही छोटी-मोटी..इधर-उधर की बाते रिटन फॉर्मॅट मे हुई और जब श्री जे.के. अग्रवाल जी क्लास से गये तो अरुण बोला....

"क्यूँ बे, सात सेमेस्टर तक तो एश का बड़ा सच्चा आशिक़ बना फिरता था, अब कहाँ गयी तेरी आशिक़ी..."

"ये आराधना तो ल वाली है...दबाओ, डालो और धक्के मारो...बस"

"लेकिन मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है , तूने लड़की बदल ली है तो कही तुझे आराधना से प्यार ना हो जाए...मैने बहुत से लौंदो को देखा है, जो पहले तो सिर्फ़ चूत के लिए लड़की पटाते है लेकिन फिर चूत मारते-मारते चूतिया बनकर उसी लड़की के आगे-पीछे घूमते है..."

"अबे बक्चोद होते है ,वो लौंदे..."

"देख के बीड़ू, कही आराधना से प्यार ना हो जाए..."

"यू कॅन चेंज दा गर्ल...नोट लव. टेन्षन ना ले, कुच्छ नही होगा..."बोलते हुए मैने सामने वाले लड़के को मज़ाक ही मज़ाक मे एक झापड़ मारा और फिर खुद की तारीफ करते हुए बोला"फला ,क्या डाइलॉग मारा है..'यू कॅन चेंज दा गर्ल..नोट लव'...ताली बजा बे"
.
नेक्स्ट क्लास छत्रपाल की थी और छत्रपाल एक दम करेक्ट टाइम पर क्लास मे पहुचा...क्लास मे आते ही उसने 'बिज़्नेस एतिक्स, एकॉनमी, एन्वाइरन्मेंट' जैसे बोरिंग टॉपिक पर अपना बोरिंग भाषण शुरू कर दिया और इधर हमारी बात-चीत भी जारी थी...
.
"एनएसयूआइ का फॉर्म भरेगा, प्रेसीडेंट के लिए..."अरुण की जगह अभी-अभी शिफ्ट हुए सुलभ ने पुछा...

"बकवास कामो के लिए, आइ हॅव नो टाइम...दूसरा दुकान ढुंढ़ो बाबूजी..."

"सच बोल बे, जैसे फिर किसी दूसरे को मैं ढूंढूं..."

"बोला ना...बकवास कामो के लिए मेरे पास टाइम नही है और वैसे भी आइ हेट खांग्रेस्स.."

"आइ हेट खांग्रेस्स , सच मे...फिर फर्स्ट एअर मे क्यूँ लड़ा था..."

"उस समय अपने को ज़रूरत थी..इसीलिए , अब नही है इसलिए नही लड़ रहा..."

"कितना सेल्फिश है बे तू ..."

"चुप कर बे, एक पप्पू कम है क्या ,जो मैं दूसरा बनू और इंग्लीश मे एक सेंटेन्स है 'नो आर्ग्युमेंट ,प्लीज़'..."

"लड़ लेना बे...मस्त दारू की पार्टी मिलेगी..."

"जो मेरी पहली बात ना माने उसके लिए इंग्लीश मे एक दूसरा सेंटेन्स भी है' गो टू हेल '..."

"गान्ड मारा..."

.
लंच हुआ और मेरी पूरी मंडली हर दिन की तरह कॅंटीन के लिए रवाना हुई...मेरे दोस्तो को आराधना और मेरी सेट्टिंग की जानकारी हो चुकी थी और वो सब हल्के-फुल्के जोक्स, कॉमेंट्स मुझपर पेले पड़े थे, जैसे की मैं आराधना का दूध दबाउंगा तो वो क्या बोलेगी, जब मैं उसकी चूत मे उंगली करूँगा तो वो कैसे कसमसाएगी, रिक्ट कैसे करेगी वगेरह-वगेरह......इस बीच सौरभ मेरे बगल मे खड़ा था और उसे पता नही क्यूँ, पर मेरी परवाह हो रही थी कि आराधना मेरी ज़िंदगी मे एक तूफान लेकर आएगी, शायद उसने उस तूफान को बहुत पहले भाँप लिया था, जिसकी भनक तक मुझे उस वक़्त नही थी...

"आराधना ,कुच्छ सही नही लग रही बे..."मुझे ,मेरे दोस्तो से थोड़ा आगे लेजा कर सौरभ ने मेरे कान मे कहा...

"क्यूँ ,क्या हुआ..."

"माना कि हर कुत्ते का दिन आता है और उसे लड़की चोदने को मिल जाती है...लेकिन तेरा दिन अभी नही आया है..."

"तू मेरे साथ एमबीए-एमबीए खेल रहा है क्या..जो बात को यूँ घमा फिरा कर बोल रहा है, सीधे-सीधे बोल ना..."

"सीधे-सीधे मैं ये बोलना चाहता हूँ कि , जो लड़की बड़ी आसानी से राज़ी हो जाती है ,वो कभी आसानी से पीछा नही छोड़ती..."

"तू फालतू मे टेन्षन ले रहा है, मेरे पास बॅक अप प्लान है..."

"और क्या है वो तेरा बॅक अप प्लान..."

"तू लवडा ,पहले थोड़ा दूर चल..आने-जाने वाले लोग फालतू मे मुझे गे समझ रहे है..."सौरभ को धक्का देते हुए मैने कहा"और अभी फिलहाल मेरे पास कोई बॅक अप प्लान नही है लेकिन बाद मे बना लूँगा..."

"सोच ले कोई भी इंसान ,दो नाव मे पैर रखेगा तो डूबेगा ही..."

"बेटा मैं ,जॅक स्पेरो हूँ और अकॉरडिंग तो जॅक स्पेरो ज़िंदगी सिर्फ़ एक समझौता है...जिससे अभी हाल-फिलहाल मे काम बने ,वो समझौता करो, बाकी कल की कल देख लेंगे..."

"सोच ले...मेरा पर्सनली एक्सपीरियेन्स है, ज़िंदगी झंड हो जाती है ,ऐसी लड़कियो के कारण..."

"ज़िंदगी कभी हर सिरे से खुशहाल नही रहेगी मेरे दोस्त और जितनी जल्दी हो सके हमे इसकी आदत डाल लेनी चाहिए..."
.
कॅंटीन मे पहूचकर फाइनली सौरभ का मुँह बंद हुआ और मैने चैन की साँस ली क्यूंकी मेरे आधा डज़न डाइलॉग्स जो मैने फ्यूचर के लिए बचा रखे थे, वो सौरभ को समझाने मे वेस्ट हो चुके थे...

कॅंटीन मे अपना पेट भरते हुए मुझे आराधना अपनी सहेलियो के साथ दिखी और ऑडिटोरियम मे जो मैने सोचा था , उसे करने के लिए मैने अपने दोस्तो को बाइ कहकर सीधे आराधना के पास पहुचा...

"चल उठ.."

"क्या हुआ सर..."शरमाते हुए आराधना बोली...

"तुझसे प्यार करने का मूड हो रहा है, अब चल..."

मेरे इतना कहते ही आराधना झट से खड़ी हुई और अपने सहेलियो को वो डाइरेक्ट क्लास मे मिलेगी बोलकर मेरे साथ बाहर आई....

"तू भी अपुन पे फ्लॅट थी क्या, जो ऑडिटोरियम मे तुरंत पीछे पलटकर आँख मार दी..."कॅंटीन के बाहर आराधना को रोक-कर मैने कहा...

"मैने ठीक किया ना..."

शुरू मे सोचा की आराधना से बोलू कि'क्या घंटा ठीक गया, गान्ड फट के हाथ मे आ गयी थी मेरी ,उस वक़्त' ....लेकिन फिर सोचा की वो लड़की है और साथ मे मेरी आइटम भी ,इसलिए मैने उसी बात को थोड़ा घुमा-फिराकर कहा...

"क्या खाख ठीक है, शरम नाम की कोई चीज़ है कि नही तेरे अंदर...ऐसे भी कोई आँख मारता है क्या, जानती है तेरा क्या इंप्रेशन पड़ा मुझपर...मुझे देख ,मैं कितना शरीफ हूँ, मैने खुद तुझसे अपने बे-पनाह प्यार का इज़हार ना करके एश के द्वारा अपने प्यार का इज़हार किया और एक तू है ,जो सीधे आव ना देखा ताव और आँख लपका दी...ये तो किसी भी तरह ,किसी भी आंगल से आक्सेप्टबल नही है, माना कि तू भी मुझे लव करती है लेकिन ऐसा भी क्या है जो सीधे पलटकर आँख ही मार दे.तुझे पता नही मुझे हार्ट अटॅक ही आ गया था, यदि मैं मर जाता तो ...कौन ज़िम्मेदारी लेता उसकी, ये आज कल की लड़कियो का तो चाल-चलन ही मुझे समझ नही आता , जब देखो मुँह फाडे बैठी रहती है कि , अरमान बस एक इशारा कर दे...माना कि मैं बहुत हॅंडसम हूँ लेकिन ऐसा भी क्या है कि बस मौका मिला नही की मुझपर टूट पड़ी...मुझे देख कितने शरीफी से रहता हूँ,बाक़ायदा तुम लड़कियो की भरपूर इज़्ज़त करता हूँ, तू ऐसा नही कर सकती क्या...यदि नही कर सकती तो अभी बोल दे, बाद का लफडा नही माँगता अपुन को..."

"सॉरी..."बोलते हुए आराधना लगभग रोने को हो गयी...

"तेरी तो...अब ये क्या है,...कुच्छ बोला नही कि रोना चालू, ऐसे करेगी तो कैसे चलेगा...लड़की है ना तू ...तो रानी लक्ष्मी बाई बनकर यूँ रोने के बजाय मुझे सीधे एक थप्पड़ भी तो मार सकती है ना...ऐसे रोते रहेगी ये सोचकर कि मैं तुझे शांत कराउंगा तो ये तेरी ग़लत फ़हमी है. मैं बिल्कुल भी उस टाइप का लड़का नही हूँ, जिस टाइप का तू समझ रही है...मेरी गर्ल फ्रेंड बनी है मतलब कुच्छ रूल्स, कुच्छ रेग्युलेशन, कुच्छ नियम, कुच्छ क़ायदे-क़ानून से रहना सीख...शाम तक तेरे पास मेरी गर्लफ्रेंड बनने के जो 'टर्म्ज़ आंड कंडीशन्स' है वो मैं पहुचा दूँगा, उसे अच्छे से पढ़ लेना और वैसा ही करना...वरना मैं अपने लिए कोई दूसरा बाय्फ्रेंड ढूंड लेना...अब रोना बंद कर और हँसते हुए मुझसे चिपक कर चल, एक दोस्त से मिलवाना है...तुझे..."
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 02:43 PM

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