Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:44 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
आराधना को चुप करा कर मैने कॉलेज की सीढ़िया चढ़ि और सीधे सीएस ब्रांच की क्लास की तरफ पहुचा...जहाँ कल्लू मुझे बाहर ही मिल गया...
"आबे ओये कालिए ,इधर आ...किसी से मिलवाना है तुझे "

जहाँ कंप्यूटर साइन्स की क्लास लगती थी, वहाँ जाकर मैने आराधना के दूर के भाई कल्लू को आवाज़ दी...दर-असल यही वो सीन था, जो मैने आंकरिंग की प्रॅक्टीस करते वक़्त सोचा था और साथ मे ये कल्लू को मेरा जवाब था ,जब उसने कहा था कि मैं कभी लड़की नही पटा सकता....आराधना को लेकर कंघी चोर की तरफ जाते हुए मैं खुश इतना हो रहा था जैसे कि नासा मे मेरी जॉब लग गयी हो और थोड़े ही देर बाद एक स्पेस मिशन के लिए निकलना हो.

"आराधना ,अब थोड़ी सी स्माइल ला अपने चेहरे पर ,मैं तुझे अपने सबसे खास दोस्त से मिलवाने जा रहा हूँ, या फिर कहूँ कि यही वो लड़का है जिसने मुझे कुच्छ दिन पहले कहा था कि मैं तुझे सेट करूँ ,वरना मैं तो किसी लड़की की तरफ देखता तक नही..."

अपनी आदत के अनुसार कल्लू ने तो पहले मेरी तरफ आने से मना कर दिया लेकिन बाद मे जब उसने आराधना को मेरे साथ देखा तो ,जहाँ खड़ा था ,वहाँ से झटका खाकर दो कदम पीछे हट गया और अपनी आँखे छोटी करके मुझे देखने लगा.....
"जानती है, ये है तो मेरा बेस्ट फ्रेंड लेकिन एक नंबर का चोर है, लोगो के कंघी ,तेल,साबुन, टवल, अंडरवेर एट्सेटरा. एट्सेटरा. जैसी छोटी-छोटी चीज़े ये पलक झपकते पार कर देता है. और एक बार तो हद तब हो गयी जब हॉस्टिल मे एक लड़का अपनी अंडरवेर लेकर नहाने गया, तब हमारे ये कल्लू महाशय अपने प्लान के मुताबिक़ बाथरूम मे जा पहुँचे और उस लड़के की अंडरवेर उठा ली...उसके बाद इसकी जो धुलाई हुई, उसका निशान अभी तक इसके चेहरे पर है..."
"ये मेरा भाई है..."
"क्या..."चौकाने का नाटक करते हुए मैं आराधना से थोड़ी देर हट गया और आराधना को ऐसे देखने लगा ,जैसे कि वो बिल्कुल न्यूड खड़ी हो और अपने चूत मे उंगली कर रही हो...
.
"तेरा भाई..लेकिन तुम दोनो तो एक ही ब्रांड की पैदाइश नही लगते ,मतलब कि तू कहाँ आपल मोबाइल और वो फला चाइना मोबाइल...."
"हम दोनो एक ही गाँव से है, इस तरह वो मेरा भाई ही हुआ ना..."

"लगा था, मुझे तुम दोनो को देखकर ही लगा था कि तुम दोनो यक़ीनन गाँव से होगे...खैर कोई बात नही, अब यहाँ तक आ ही गये है तो चल , मिल ले अपने भैया से...वरना वो मुझे हॉस्टिल मे मारेगा..."

"नो सर, मुझे बहुत डर लग रहा है, कहीं वो मेरे घर मे कॉल ना कर दे..."परेशानी वाली एक्सप्रेशन अपने फेस पर लाते हुए आराधना बोली...

"मेरे साथ रहने का यही तो फ़ायदा है कि कोई खबर घर तक नही पहुँचेगी...तू मुझसे चिपक कर चल,बाकी मैं देख लूँगा..."
"लेकिन सर, वो..."
"अरे तू टेन्षन कैकु लेती है ,हॉस्टिल मे मैं उसका पैर पकड़ कर माफी माँग लूँगा कि ,वो तेरे घर कॉल ना करे...अब चिपक"
"नही सर..."
"चिपक नही तो मैं खुद तेरे घर कॉल करूँगा..."
अब आराधना बुरी तरह फँस चुकी थी उसके लिए एक तरफ मेरे रूप मे कुआ था तो दूसरी तरफ कंघी चोर के रूप मे खाई थी...लेकिन मैने उसे कुए मे कूदने के लिए कहा ,यानी की उसने उस वक़्त मेरी बात मानी और मुझसे सात कर खड़ी हो गयी.

हमारे कल्लू भाई साहब की हालत इस वक़्त देखते ही बनती थी, बेचारे की हालत ऐसी थी ,जैसे किसी ने उनकी लुल्ली काट ली हो और नंगी लड़की सामने रख कर बोला गया हो कि"दम है तो चोद के दिखा..."

मुझे और आराधना को साथ देखकर कालीचरण का पारा तेज़ी से उपर चढ़ा और उसने आते ही आराधना को खींचकर मुझसे अलग किया....

"प्रिय, तुम सामने वाली सीढ़ी से नीचे निकल जाओ...मैं बाद मे मिलूँगा..."
.
आराधना के वहाँ से जाने तक मैं चुप रहा और जैसे ही वो नीचे गयी मैने घूम कर एक झापड़ कालीचरण के गाल मे दे मारा....कल्लू कंघी चोर ,इस वक़्त खुन्नस मे था ,इसलिए जवाबी हमला उसने भी मुझपर करना चाहा लेकिन मैने तब तक उसके गाल पर एक और तमाचा जड़ दिया...जिससे वो अबकी बार पूरी तरह हिल गया....

"रुक म्सी, अभी बताता हूँ तुझे..."बोलते हुए कल्लू अपनी क्लास की तरफ भागा

"रुक बीसी,...गली किसको देता है"कल्लू के पीछे जाते हुए मैने एक लात उसे मारी और वो अपनी क्लास की गेट से टकरा कर अंदर गिर गया और मुझे उल्टा सीधा बकने लगा....

कंप्यूटर साइन्स की क्लास मे इस वक़्त बहुत से लड़के और लड़किया ,जो टिफिन लाते थे,वो लंच कर रहे थे और मेरे यूँ जोरदार एंट्री से उनका खाना रुक गया...

अब जब कल्लू अपने क्लास मे था और क्लास मे लड़किया भी थी तो वो मुझे अब गालियाँ नही दे रहा था, बस तरह-तरह की धमकी दे रहा था की "वो मुझे देख लेगा...अपने गाँव से गुंडे बुलवाकर मेरी हड्डी-हड्डी तुडवा देगा,..वगेरह-वगेरह..."

"तुझे पता है ,मैं गाल और सर को ज़्यादा टारगेट क्यूँ करता हूँ..."नीचे गिरे हुए कल्लू को एक झापड़ मारकर मैं बोला"ताकि लोग देख सके तूने मार खाई है.बेटा औकात मे आजा ,वरना फाड़ के रख दूँगा और एक बात बता बे तूने मुझे समझ क्या रखा है ,जो मेरे सामने अपनी अकड़ दिखाते रहता है. अब दिखा अपनी अकड़...और क्या बोला तूने कि तू मेरी एक-एक हड्डी तुडवा देगा...अबे बाकलोल , अपने क्लास मे तो तू मेरा कुच्छ उखाड़ नही पाया, फिर बाहर क्या कर लेगा..."

बोलते हुए मैं अचानक रुक गया ,क्यूंकी मुझे याद आया कि जिस क्लास मे मैं हूँ वो क्लास एश की है और तब से मैं कल्लू के सीने पर बैठकर लंबी-लंबी दिए जा रहा हूँ...मैं तुरंत खड़ा हुआ और पूरी क्लास की तरफ देखा...

"अच्छा हुआ, एश नही है...वरना खमखा इज़्ज़त डाउन हो जाती, वैसे भी पहले से इतनी डाउन है..."क्लास की लड़कियो की तरफ देख कर मैने सोचा और गॉगल जेब से निकालकर लगाते हुए कालिए से बोला"सुधर जा, वरना यहाँ तो कम धोया है वरना हॉस्टिल मे इतना धोउंगा कि काले से गोरा हो जाएगा...गुडबाइ.."इसी के साथ मैने कल्लू को एक फ्लाइयिंग किस दी और वहाँ से जाने लगा...लेकिन तभी मुझे याद आया कि दिव्या भी क्लास रूम मे है और एश को वो आजकल परेशान भी कर रही है...इसलिए मैं तुरंत पीछे पलटा और खड़े हो चुके कल्लू को वापस गिराकर कहा"कुच्छ तो रेस्पेक्ट कर बे मेरी, जब तक यहाँ से ना जाऊ खड़ा मत हो...मेरी इज़्ज़त करना सीख जा, वरना गौतम के माफ़िक़ तुझे भी कोमा मे भेज दूँगा..."
.
सीएस की क्लास से बाहर निकलते वक़्त मैने दिव्या की तरफ तो नही देखा लेकिन इतना ज़रूर जान गया था कि मेरी लास्ट लाइन सुनकर उसकी अंदर ही अंदर जली होगी...
अब मेरा इरादा चुप-चाप एक अच्छे बच्चे की तरह वहाँ से निकल जाने का था लेकिन गेट पर एश मुझे खड़ी हुई दिखाई दी और उसके हाव-भाव देखकर मुझे अंदाज़ा हो गया कि उसने मेरी आख़िरी लाइन सुन ली है...लेकिन अभी अपुन फुल रोल मे था और गॉगल भी लगाए हुए था ,इसलिए सीधे एश के सामने जाकर सीना तानकर खड़ा हो गया...
"मेडम जी, रास्ता देंगी क्या...मैं ग़लती से दूसरी क्लास मे आ गया हूँ..."
"व्हाई नोट..."बोलते हुए एश सामने से हट गयी...
"देखो तो कितना प्यार करती है मुझे, मेरी कोई बात नही टालती, लव यू टू ,बेब्स..."एश को देखकर मैने खुद से कहा और सीएस की क्लास से बाहर आया...
एश की क्लास से मैं कुच्छ कदम ही दूर आया था कि मुझे अचानक कुच्छ याद आया और वापस पलट कर दौड़ते हुए मैने ठीक वैसा ही ड्रिफ्ट मारकर सीएस , फोर्त एअर की क्लास मे घुसा, जैसा ड्रिफ्ट मैने आज होद की क्लास मे मारा था...

कल्लू ज़मीन से उठकर अपनी जगह चुप-चाप बैठा हुआ था और एश भी एक जगह अकेले बैठी हुई थी...कल्लू को इस वक़्त उसके क्लास के लड़को ने घेर रखा था और मुझे बुरा-भला कहकर कल्लू को दिलासा दे रहे थे....मैने सीएस क्लास के गेट को एक हाथ से पकड़ा और कल्लू को आवाज़ दी...
"क्यूँ बे कालीचरण, क्या बोला था मैने कि जब तक मैं ना जाऊ ,यही लेटे रहना खड़ा क्यूँ हो गया...चल सामने आकर वापस लेट जा..."

"ये क्या दादागिरी है..."कालिए के दोस्तो मे से एक ने मुझे देखकर कहा...

"यदि उससे इतना ही लगाव है तो तू आकर सामने लेट...नही तो उसे सामने भेज..."

मेरी बात सुनकर कालिए के सारे दोस्त पीछे हो गये और फिर से कालिया मार ना खाए ,इस डर से वो अपनी जगह से उठा और सामने आकर ज़मीन पर लेट गया....

"थोड़ा तो रेस्पेक्ट देना सीख बे कंघी चोर...कितना प्यार से समझाया था कि जब तक मैं यहाँ से चला ना जाऊ ,उठना मत...यही बात मैं तुझपर हाथ उठाकर भी तो समझा सकता था ना लेकिन मैने तुझपर हाथ उठाया क्या ? नही उठाया ना...अरे पगले ,भाई है तू मेरा...आइ लव यू ,रे..."बोलते हुए मैं सीएस के बाकी स्टूडेंट्स की तरफ नज़र घुमाई...

"तुम उठो वहाँ से..."एश को ना जाने क्या जोश चढ़ा जो वो अपनी जगह से उठकर मेरे मामले मे दाखिल हुई....उसने कालीचरण को उठाया और मुझे देखकर बोली"अरमान, दिस ईज़ टू बॅड...प्लीज़ डॉन'ट डू दिस..."

"एक घंटे मेरे साथ आंकरिंग करके तू क्या सोचती है कि तू मुझपर राज़ करेगी...अरे हम पर तो वो भी राज़ नही कर पाए ,जो 21 साल से पाल रहे है और तू, सुन बे कालिए...यदि तूने एक कदम भी आगे बढ़ाया तो ये डेस्क दिख रहा है ना ,सीधे उठाकर ,सर मे दे मारूँगा...चल वापस लेट..."

"डिज़्गस्टिंग..."बोलते हुए एश ,वहाँ से अपनी जगह वापस चली गयी और कालिया वापस ज़मीन पर लेट गया...
"वैसे मैं वापस एक लड़के से मिलने आया था, नाम है आवधेस गिलहारे...वो है क्या क्लास मे..."

"मैं हूँ..."एक लड़के ने अपना हाथ खड़ा किया

"आजा पगले, तू तो भाई है मेरा...सुलभ ने बुलाया है"
.
"तुम्हे लगता है कि ,तुम यूँ ही हमारे क्लास मे गुंडा-गर्दि करके चले जाओगे और हम कुच्छ नही करेंगे...कल मेरे डॅड ,तुमसे बात करेंगे..."इतनी देर से दिव्या जो अपने जज़्बात दबा कर बैठी थी, वो फाइनली खड़े होकर मुझे धमकाते हुए बोली....

"ओक बहन...लेकिन खड़े होकर बोलने की क्या ज़रूरत है, मैं कोई टीचर थोड़े ही हूँ,जो इतना रेस्पेक्ट दे रही है...माना कि तू मुझसे डरती है,लेकिन ऐसा भी क्या है...चल बैठ जा..."

"अरमान, तू तो अब गया काम से...थर्ड सेमेस्टर की धुलाई भूल गया लगता है... "

दिव्या की बात सुनकर मैं चुप रहा ,जिससे उसकी हिम्मत और बढ़ी और वो ज़ाबर-पेली हँसते हुए बोली"डर गया क्या डरपोक...दम है तो अब बोल.."

"देखो मल्लू आंटी , आख़िरी बार आपके पिता-श्री ने धोखे से पकड़ा था यदि मेरी तरह मर्द होते तो फेस टू फेस फाइट करते , दम है तो भेज देना हॉस्टिल,आंड फॉर युवर काइंड इन्फर्मेशन, अपने झातेले बाप से कहना कि 2000 आदमी लेकर आए, क्यूंकी 500 तो हम हॉस्टिल मे रहते है और हम सबकी इतनी औकात तो है ही कि अपने-अपने सोर्स लगाकर 3-3 लड़के एक्सट्रा कहीं से बुला सके..."बड़े ही शालीन ढंग से मैं बोला,तब तक अवधेश भी मेरे पास आ चुका था...मैने आगे कहा"और आख़िरी लाइन तूने क्या कही कि मैं डर गया...हुह. तो एक अंदर की बात बताऊ,मैं वाकाई मे एक मिनिट पहले डर गया था लेकिन फिर ख़याल आया कि डरने मे कोई बुराई नही है .वैसे भी डार्क नाइट राइज़स मे बोला गया है कि डरना ज़रूरी है... , चल बे अवधेश, हमारे जापान जाने की प्लॅनिंग पर कुच्छ सोच-विचार करना है "

"दुनिया हसीनो का मेला...मेले मे ये दिल अकेला...बाजू हट बे लवडे.."मैं गाने का सुर ले ही रहा था कि सामने कॉलेज का कोई लौंडा आ गया और मुझे रुकना पड़ा.....

"तुझे फालतू के लफडे मे फँसना अच्छा लगता है क्या..."आवधेस ने मुझे सामने आए उस लड़के से दूर ले जाते हुए कहा...
"अबे तू डर कैकु रेला है...अपुन है ना..."
"चल ओके, अब ये बोल कि तुझे मुझसे क्या काम है..."
"सुना है , एश और दिव्या की लड़ाई हो गयी है...जितना पता है, सब बोल डाल..."
"पूरी बात तो अपने को नही मालूम ,लेकिन इतना ज़रूर मालूम है कि, झगड़े की वजह तू था..."
"मैं..." दिव्या और एश के झगड़े की वजह मैं हूँ सुनकर मैं चौंका...

"और नही तो क्या, दिव्या का कहना था कि यदि अरमान,एश का आंकरिंग पार्ट्नर है तो फिर एश को छत्रपाल सर से बात करके पार्ट्नर चेंज करने को कहना चाहिए ,या फिर आंकरिंग छोड़ देनी चाहिए...लेकिन एश का कहना था कि वो ,उसकी बात क्यूँ माने...बस फिर क्या,दोनो एक जैसी ही घमंडी थी, आड़ गयी अपनी बात पर...नतीज़ा एक मजेदार एंटरटेनमेंट के रूप मे सबके सामने आया....तू उस दिन क्लास मे रहता तो बहुत मज़ा आता...."
"और तुझे ये सब कैसे पता चला..."
"मेरी गर्लफ्रेंड ने बताया..."
"साला...इसने भी माल पटा कर रखी है, इन लड़कियो को भला मैं क्यूँ पसंद नही आता, ये फली मुझे प्रपोज़ क्यूँ नही करती..."सोचते हुए मैने आवधेस से कहा"और तेरी वो गर्लफ्रेंड,जिसने तुझे इतना सब कुच्छ बताया ,वो ज़रूर दिव्या के साइड होगी..."
"करेक्ट बोला, ये तुझे किसने बताया..."
"तुझे क्या लगता है, तेरे पास बस गर्ल फ्रेंड है...मैने हर ब्रांच के हर क्लास मे एक माल पटा रखी है, उन्ही मे से एक ने बताया..."
"तो अब मैं चलूं..."
"चल निकल...थॅंक्स.."
.
आवधेस के जाने के बाद मैं कुच्छ देर वही खड़ा रहा और दिव्या-एश के झगड़े का जो कॉंप्लेक्स ईक्वेशन था ,उसे सॉल्व करने लगा...ये झगड़ा स्टोरी मे एक नया ट्विस्ट था, क्यूंकी एश ने मेरे साथ आंकरिंग करने के लिए दिव्या से झगड़ा किया था, यानी कि....यानी कि... ,हो ना हो, ये लड़की मुझपर फिदा ज़रूर है ,उपर से जब मेरे सिक्स्त सेन्स ने इस पर मुन्हर लगा दी तो मैं और भी खुश हुआ...दिल किया की थर्ड फ्लोर से ही नीचे कूद जाऊ या फिर अपना शर्ट फाड़ डालु और अपना सर पीछे वाली दीवार पर दे मारू....
"कल एश से ये ज़रूर पुछुन्गा की उसकी ,दिव्या से लड़ाई क्यूँ हुई थी, फिर देखता हूँ कि वो क्या वजह बताती है...एसस्स...एसस्स...कल्लू तेरी *** की चूत, तेरी *** का भोसड़ा..."
.
कॉलेज के बाद मैं हॉस्टिल के लिए जब रवाना हुआ तो मेरे दिमाग़ से ये बात निकल चुकी थी कि मैने आज कालिए को कॉलेज मे उसके क्लास वालो के सामने चोदा है और वैसे भी जब एश की तरफ से पॉजिटिव रेस्पोन्स आएगा तो उस चूतिए को कौन याद करेगा...लेकिन मुझे क्या पता था कि वो साला कालिया हॉस्टिल मे लड़को को इकट्ठा करके पंचायत कर रहा है....इसका पता तो मुझे हॉस्टिल जाने पर ही लगा,जब वॉर्डन ने मेरे हॉस्टिल मे घुसते ही मुझे अपने रूम मे बुलाया....
"तूने कल्लू को क्यूँ मारा..."जब मैं वॉर्डन के पीछे-पीछे उसके उसके रूम की तरफ जा रहा था तो उन्होने पुछा...
"वो कुच्छ ज़्यादा ही उड़ रहा था, बैठा दिया साले को...छोटी-मोटी बात है, आप टेन्षन मत लो..."

"टेन्षन क्यूँ ना लूँ, वो आज लंच के बाद ही कॉलेज से अपना बोरिया-बिस्तर लेकर हॉस्टिल आ गया और मुझसे बोला कि प्रिन्सिपल के पास तेरी कंप्लेंट करने जा रहा है..."
"उसकी तो...है कहाँ वो इस वक़्त..."
"मेरे रूम मे बैठा रो रहा है..."
"अभी चोदता हूँ म्सी को..."
कल्लू की हरकत जानकार मेरे बॉडी का टेंपरेचर तुरंत मेरे रिक्रिस्टलिज़ेशन टेंपरेचर को पार कर गया और मैं वॉर्डन के रूम की तरफ सरपट भागा...

"कहा है बीसी ,कालिया..."वॉर्डन के रूम मे जाकर मैने वहाँ बैठे लौन्डो की तरफ देखा तो मुझे कालिया वही लड़को के बीच बैठा हुआ दिखाई दिया...सब के सब लौन्डे , पीसी मे कोई मूवी देख रहे थे...मैं सीधे कल्लू के पास गया और उसके थोबडे मे एक मुक्का मारा...

"क्यूँ बे, प्रिन्सिपल के पास जा रहा था ना ,अब जा..."

"देखो सर, ये मुझे फिर मार रहा है..."रोते हुए कालिए ने वॉर्डन को आवाज़ लगाई...जिसके बाद वॉर्डन ने मुझे पकड़ कर पीछे किया...

"अपने दिमाग़ का इलाज़ करवा अरमान...मैं यहाँ पर हूँ ना ,कुच्छ तो इज़्ज़त कर मेरी..."

"आपकी तो मैं गांद फाड़ इज़्ज़त करता हूँ सर, लेकिन ये कालिया अपने आप को समझता क्या है...इसे समझाओ कि जंगल मे रह रहा है तो शेर की हुक़ूमत स्वीकारणी पड़ेगी नही तो जान से जाएगा...."

"तू अभी यहाँ से बाहर जा,.."

"मैं क्यूँ जाऊ, इसे भेजो बाहर..."

"मैने कहा ना कि बाहर जा...जाता है या नही..."
अब वॉर्डन से संबंध बिगड़े उससे अच्छा तो यही था कि मैं वहाँ से बाहर ही चला जाऊ...इसलिए मैने गुस्से से फफकती अपनी आँखो से कालिए को एक बार घूर कर देखा और वहाँ से सीधे अपने रूम की तरफ बढ़ा....

"क्या हुआ बे , अरमान लंड..ऐसे गान्ड जैसी शक्ल क्यूँ बना रखी है..."मेरे रूम मे पहुचते ही अरुण ने कॉमेंट पास किया...

"तेरी गान्ड के नीचे जो आईना तूने दबा रखा है ना ,उसे अलग कर दे...वरना यदि आईना टूटा तो तुझे तोड़ दूँगा..."

"तभी...तभी मैं सोचु कि साला मेरे पिछवाड़े मे चुभ क्या रहा है..."अपने नीचे से आईना हटाकर साइड मे रखते हुए अरुण ने कहा"वैसे तूने बताया नही कि तेरी इस गान्ड जैसी शक्ल का राज़ क्या है..."
"वो म्सी कालिया...मेरी कंप्लेंट प्रिन्सिपल से करने जा रहा था आज...वो तो वॉर्डन ने रोक लिया ,वरना शहीद कर देता उसको आज..."
"ऐसा क्या...चल फिर ठोक के आते है म्सी को..."
"रहने दे, वॉर्डन रोक लेगा..."
"वॉर्डन की *** की चूत...उसको भी मारेंगे..."
"धीरे बोल बे चूतिए, कही वो सुन ना ले..."
"अरे सुन लेगा तो क्या उखाड़ लेगा... चोदते है"
"कुच्छ खास नही करेगा,बस तेरे घर फोन करेगा बस..."
"फिर तो रहने दे...तेरे रास्ते अलग और मेरे रास्ते अलग...मैं तो तुझे जानता तक नही...मैं तो तुझे पहली बार देख रहा हूँ...कौन हो भैया आप और खाना खाया या फिर मेरा आँड खाने का विचार है..."

अरुण को मैं जवाब देता उससे पहले ही मेरे जेब मे रखा मोबाइल वाइब्रट होने लगा...मैने मोबाइल निकाला और स्क्रीन पर नज़र डाली..कॉल बड़े भैया की थी...

वैसे तो मैने स्क्रीन पर नज़र डाली थी लेकिन अरुण को जवाब देने की उत्तेजना के कारण मैने विपिन भैया का नाम देख कर भी जैसे अनदेखा कर गया...

"क्यूँ रे फोन क्यूँ नही करता तू..."मेरे कॉल रिसीव करते ही विपिन भैया मुझपर टूट पड़े...

लेकिन मैं इस वक़्त आवेग मे था ,इसलिए जैसे मैं नॉर्मली लड़को से बात करता हूँ,वैसे ही विपिन भैया से भी बात की ...मैं बोला...
"नही करूँगा कॉल ,क्या कर लेगा बे..."

"क्या कर लेगा बे...? तू अरमान ही बोल रहा है ना..."

"तेरी तो...बड़े भैया..."झटका खाते हुए मैं जैसे होश मे आया और फिर अपनी आवाज़ बदल कर बोला"नही ,मैं अरमान नही...अरमान का दोस्त बोल रहा हूँ, आप कौन..."

"मैं उसका बड़ा भाई बोल रहा हूँ, अरमान कहाँ है..."

"इधर ही है, एक मिनिट रुकिये...बुलाता हूँ उसको..."मोबाइल कान से दूर करके मैने उसी बदली हुई आवाज़ मे अपना ही नामे दो-तीन बार पुकारा और साथ मे ये भी कहा कि"कितनी पढ़ाई करेगा अरमान...सुबह से तो पढ़ रहा है "
.
"हेलो, भैया...राम राम, पाई लागू..."मोबाइल को अपने कान से सटाते हुए मैं बोला..
"क्या कर रहा था..."
"आआअहह , "जमहाई मारने की आक्टिंग करते हुए मैं बोला"पढ़ाई कर रहा था एक हफ्ते बाद क्लास टेस्ट है ना ,इसलिए...आप सूनाओ, सब बढ़िया..."
"पहले तो ये बता कि तेरा मोबाइल किसके हाथ मे था और तू घर मे कॉल क्यूँ नही करता...."
"मोबाइल मेरा.... अरुण के हाथ मे था और कल ही तो घर मे कॉल किया था...मम्मी-पापा दोनो से एक घंटे तक बात की थी..."
"लेकिन मम्मी ने तो कहा कि अरमान कॉल ही नही कर..."
"अरे कहाँ लगे हो भैया,आप भी इन बातो मे...मम्मी तो ऐसे ही बस बोल देती है की अरमान कॉल नही करता..."
"मैं तीन दिन से घर मे हूँ और मुझे ही पढ़ा रहा है..."
"अब तो फसे बेटा अरमान..."मन मे सोचते हुए मैने कहा...अब मैने यहाँ से यू-टर्न लेते हुए टॉपिक ही बदला और बोला"विजयवाड़ा से वापस कब आए....छुट्टी मिली है क्या..."
"वैसा ही समझ..."
"अरे वाह, इसी खुशी मे दो-तीन हज़ार रुपये मेरे अकाउंट मे डलवा दो..."
"चुप कर बे..."
इसके बाद जो बात मुझे पता चली वो ये की विपिन भैया की शादी तय होने वाली है और नेक्स्ट वीक विपिन भैया लड़की देखने जा रहे है...यहाँ तक तो फिर भी सब ठीक था, लेकिन मामला तब बिगड़ा जब मुझे पता चला कि जिस लड़की को विपिन भैया देखने जा रहे है वो कोई और नही ,बल्कि पांडे जी की लड़की है ,जिसने बचपन से मेरा बेड़ा गर्ग कर रखा है....बचपन से लेकर अब तक उसके कारण मुझे घरवाले घसीटते रहे कि पढ़ बेटा पढ़...पांडे जी की बेटी के फालना सब्जेक्ट मे फालना नंबर है, पांडे जी की बेटी ने अवॉर्ड जीता, पांडे जी की बेटी ने ये किया, पांडे जी की बेटी ने वो किया....वगेरह-वगेरह...मतलब कि जिस पांडे जी और उनकी बेटी ने मुझे आज तक इतना परेशान किया ,उन्हे अब ज़िंदगी भर झेलना पड़ेगा....मैने कुच्छ देर तक विपिन भैया से कोई बात नही की और आगे अनॅलिसिस करने लगा...विपिन भैया 26 साल के और वो पांडे जी की लौंडिया 22 साल की...अरमान बेटा, अब उसको लौंडिया नही भाभी बोलने की आदत डाल लो....

"क्या हुआ...चुप क्यूँ है..."

"कॅन्सल कर दो भैया...आप जैसे स्मार्ट ,इंटेलिजेंट ,हॅंडसम...लड़के के सामने पांडे जी की लड़की कही नही टिकती....और यदि आप मना करने मे शर्मा रहे हो तो मुझे कहो,मैं कॉल करके मना कर देता हूँ..."

"चुप कर और सनडे को सीधे घर पहुच जाना...."

"अब नही मान रहे तो आपकी मर्ज़ी, मेरा क्या...लेकिन फिर बाद मे मत कहना की मैने आगाह नही किया था वैसे भैया,कुच्छ रुपये उधारी दोगे क्या, अगले महीने की एक तारीख को ब्याज के साथ वापस कर दूँगा "

"एक बात बता अरमान, तू गाँधी को मानता है या शहीद भगत सिंग को...."उसी रात, दारू की बोतल के ढक्कन को दाँत से खोलते हुए अरुण ने पुछा....

"नमस्कार बड़े भाइयो..."पांडे जी अपने ने सर पर पट्टी के शगुन के साथ हमारे रूम मे प्रवेश किया...
राजश्री पांडे ,उस रात ड्राइविंग कर रहा था ,इसलिए हमे जहाँ छोटी-मोटी खरोचे आई थी,वही पांडे जी का हाल ये था कि वो अब भी लंगड़ा-लंगड़ा कर चलता था...पांडे जी के बाए हाथ मे प्लास्टर भी लग चुका था, यानी की पांडे को कयि हफ्ते तक अपने सिर्फ़ एक हाथ से काम चलाना था....

"म्सी, छु मत दारू की बोतल...जिस हाथ से गान्ड धोता है ,उसी हाथ से इतनी पवित्र चीज़ को छुने का दुस-साहस कर रहा है तू ....हाथ हटा अपना..."राजश्री पांडे ने जब बोतल की तरफ हाथ बढ़ाया तो अरुण बोल पड़ा....दर-असल ,अरुण चीखा...
"मैं तेरा सवाल नही समझा...एक बार फिर से दोहरा तो..."मैने कहा...
"अबे मैने तुझसे पुछा कि तू गाँधी को मानता है या शहीद भगत सिंग को...."
अरुण की इस लाइन से ही मैं समझ गया कि वो पक्के मे भगत सिंग का अनुसरण करने वाला मानव है, क्यूंकी उसने भगत सिंग का नाम पड़े आदर से लिया था और वही महात्मा गाँधी के लिए उसने सिर्फ़ 'गाँधी' वर्ड उसे किया था... क्यूँ हूँ मैं इतना स्मार्ट
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