RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
वैसे तो मेरे साथ बहुत सारी दिक्कते जुड़ी हुई है लेकिन जैसे सपने मुझे आते है ,उनकी तो बात ही अलग है...मैं ज़िंदगी मे सबसे ज़्यादा तीन बार डरा हूँ और तीनो बार मैं नींद मे था.यानी कि मेरे पास ऐसे तीन डरावने सपने है ,जो मेरी अब तक फाड़ कर रख देते है....अधिकतर सपने मे देखे गये इन्सिडेंट होश मे आने के बाद याद नही रहते ,लेकिन जिन तीन सपनो की बात मैं कर रहा हूँ, उनका हर एक पल जहाँ मे ऐसे बसा है जैसे वो आम सपना ना होकर (आ+ ब )²=आ²+ 2अब +ब² का फ़ॉर्मूला हो....बोले तो फुल याद है...
मेरे टॉप थ्री हॉरिबल ड्रीम मे थर्ड नंबर आता है 'ए डेड ड्रीम' का जिसके बारे मे आप सब जानते ही होगे...दूसरा नंबर आता है ,उस सपने का जिसमे मैं रात को अचानक किसी जंगल मे होता हूँ और बस भागता रहता हूँ, फिर अचानक मुझे एक मंदिर दिखता है ,जहाँ कुच्छ लोग आदमियो की बलि दे रहे थे....जब मैं भाग कर वहाँ पहुचता हूँ तो वो लोग मुझे देख लेते है और मुझे पकड़ कर रस्सी से बाँध देते है....उस वक़्त वहाँ उस मंदिर मे कुल चार लोग थे जिनके चेहरे मुझे आज तक याद है...उन चारो मे से एक , एक आदमी का गला हलाल करता है और मुझे कहता है कि "अगली बारी तेरी है ,तैयार हो जा...."और उसके बाद फटाक से मेरी नींद खुल जाती है और ये सब सपना था ,इसके लिए मैं उपरवाले का दिल ही दिल मे शुक्रिया अदा करता हूँ....थ्री हॉरिबल ड्रीम की इस लिस्ट मे फर्स्ट नंबर पर जो सपना है उसमे मैने खुद को मरते हुए देखा है और मैं बता नही सकता कि खुद को मरते हुए देखना कैसा लगता है...आइ थिंक आइ शुड स्टार्ट आ थ्रेड वित टाइटल'माइ हॉरिबल ड्रीम्स'
वेल, मैं ये बकवास इसलिए कर रहा हूँ क्यूंकी उस रात जब मैं पेलम-पेल दारू पीकर...दीवार का सहारा लेकर सोया था तो मुझे सपने मे आतिन्द्र दिखा....ये मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था कि जब कोई ड्रीम जो मैं पहले देख चुका हूँ , वो दोबारा से मुझे दिखाई दे रहा था...मतलब कि जिस सपने को मैने 5 साल पहले देखा था, वो रिपीट हो रहा था....सीन वही था, मैं नींद से उठा तो शाम हो चुकी थी और हॉस्टिल मे शोर मचा हुआ था, पहले की तरह मैने इस बार भी खुद को कोसा कि मैं इतनी देर तक कैसे सोता रहा और फिर जिस तरफ हल्ला मच रहा था उस तरफ भागा ,जहाँ बाथरूम मे आतिन्द्र की बॉडी लटकी हुई थी...उसके बाद मेरी नींद खुली और सीन अब भी बिल्कुल वैसा ही था ,जैसे की 5 साल पहले था...मेरे होश मे आते ही मेरा घुटना दीवार पर ज़ोर से टकराया था.
वैसे कहने को तो सब कुच्छ वैसा ही था और मेरी फट भी वैसी ही रही थी लेकिन इसमे एक बात जो नयी थी वो ये कि मुझे अबकी बार मालूम था कि ये एक सपना है और सिर्फ़ एक सपना....जैसा कि मेरे इस 'ए डेड ड्रीम' की एंडिंग 5 साल पहले हुई थी , वैसी अब भी हो रही थी ,यानी की जिस हॉल मे मैं खाना खा रहा था वहाँ से सभी लड़के अचानक ही एका-एक गायब हो गये और मेरा वो मरहूम दोस्त ज़मीन मे बिखरे हुए अनाज के दानो को अपने हाथो से बटोर रहा था.....
"अरमान..."अपनी लाल आँखो से उसने मुझे देखा....
"तंग आ चुका हूँ इस म्सी से, बीसी जब देखो तब टपक पड़ता है...."मेरा ये बोलना मेरे सपने मे ये दूसरी नयी चीज़ थी, जो 5 साल पहले नही हुआ था....
"तू आतिन्द्र...मैं तेरी माँ चोद दूँगा ,यदि दोबारा मुझे कभी दिखा तो...बीसी हर चीज़ की कोई लिमिट होती है .बेटा अभी हॉस्टिल के लौन्डो को बुलवाकर तेरी रूह का रेप कर दूँगा....और ये तू जो खाना बटोर रहा है उसे क्या अपने गान्ड मे भरेगा, चल निकल ,लवडा मुझे डराने आया है...."हँसते हुए मैने सपने मे कहा और इधर दूसरी तरफ नींद मे हँसते हुए मेरी नींद खुली.....
"अब कभी नही आएगा बीसी सपने मे, फाइनली आइ वॉन..."हाथ उठाते मैने खुद को शाबाशी दी और उठ कर खड़ा हुआ....
अभी सिर्फ़ 6 बजे थे ,इसलिए मैने जॅकेट ताना और एक सिगरेट जला कर हॉस्टिल के बाहर आ गया....हॉस्टिल के बाहर आकर मैं सड़क पर चलते हुए गर्ल्स हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....
वैसे तो मेरी नींद 9 बजे के पहले कभी नही खुलती थी लेकिन आज जब मैं सुबह 6 बजे उठकर बाहर आया तो मुझे मेरे कॉलेज के बारे मे कुच्छ अलग ही चीज़े मालूम हुई, जैसे की हॉस्टिल की कुच्छ लड़किया ,शॉर्ट्स पहनकर सुबह-सुबह दौड़ने जाती है....कुच्छ लड़किया अपने स्पोर्ट की प्रॅक्टीस भी करती है ,जिनमे लड़के भी शामिल रहते है.....
"अब समझा साला कि ऐसे चूतिया लोग माल कैसे पटा लेते है...ये फले, सुबह-सुबह लड़कियो के हाथ मे अपना लंड थमा देते है जिसे लड़किया थाम भी लेती है....बीसी कल से मैं भी सुबह 6 बजे उठकर प्रॅक्टीस मे जाउन्गा...एक ना एक तो ज़रूर पटेगी..."
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हॉस्टिल के बाहर मैं तक़रीबन आधा घंटा तक टहलता रहा और फिर वापस हॉस्टिल आ गया...हॉस्टिल आकर मैने अरुण और सौरभ को भी अपना ये प्लान बताया ,लेकिन उन्होने सॉफ मना कर दिया की वो 6 बजे नही उठेंगे,,..
"बेटा ,यदि सुबह 6 बजे कटरीना कैफ़ अपना चूत भी दिखा रही हो ना तब भी मैं नही जाउन्गा....9 बजे उतना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है,जिसे कोई नही छीन सकता "अरुण टूथपेस्ट उंगली से घिसते हुए बोला"और लवडे ,आज कॉलेज से आते टाइम याद दिलाना ब्रश लेना है..."
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कॉलेज मे सब कुच्छ बाकी दिन की तरह नॉर्मल ही हुआ सिवाय मेरी और आराधना की बात-चीत के अलावा...मतलब मैने उससे पहली बार छूट कहा कि मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ और उसने भी फुल जोश के साथ हां कहा और फिर टाइम फिक्स हो गया....टाइम लंच के बाद का था और वेन्यू अवधेश का रूम था, अवधेश एक फ्लॅट लेकर कॉलेज के ही कुच्छ लड़को के साथ रहता था...अवधेश ने मुझे लंच मे ही अपने फ्लॅट का अड्रेस ,फ्लॅट की की के साथ दिया और कहा की कॉलेज ख़त्म होने के तक मैं अपना काम निपटा लूँ और ये बात मैं किसी को ना बताऊ, ख़ासकर के उसके फ्लॅट पार्ट्नर्स को......
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"तुझे एड्स वगेरह तो नही है ना..."अवधेश और उसके दोस्तो के फ्लॅट मे पहूचकर मैने आराधना से पुछा....
हम दोनो फ्लॅट के अंदर आए और मैने दरवाज़ा लॉक किया....
"तुम ये सब क्यूँ पुच्छ रहे हो..."
"क्यूंकी मैं कॉंडम नही लाया...."
"तो तुम्हे डर है कि यदि मेरे ज़रिए तुम्हे एड्स हुआ तो तुम मर जाओगे..."
"डर मुझे मरने का नही है जानेमन...डर मुझे एड्स होने के बाद की लाइफ का है...."अपना पॅंट उतारते हुए मैने कहा....
"मेरे कपड़े तुम उतारोगे या मैं खुद उतारू..."बिस्तर पर लेटे हुए आराधना बोली...
"उसकी फिकर तुम बिल्कुल मत करो ,वो तो मैं उतार ही लूँगा, लेकिन पहले ये बता की मुँह मे लेगी क्या....बहुत मज़ा आएगा.....मुझे और शायद तुझे भी..."
"मैने पहले ही कहा है सियइररर..."बिस्तर पर उठकर बैठते हुए आराधना बोली...
वैसे तो मैं कोई दरियादिल इंसान नही हूँ लेकिन ये बोलते हुए आराधना ने जैसे अपना मुँह बनाया उसे देखकर मैने सोचा हटाओ यार, अगली बार कर लेंगे वैसे भी अभी तो आधा 8थ सेमेस्टर बाकी है.....
"ओके..."बोलकर मैं भी उसके बराबर बिस्तर मे बैठा और आराधना को देखने लगा....
वैसे तो मेरे पास लॉजिक, ट्रिक्स का पिटारा है .लेकिन गूगल महाराज की कृपा से मैं थोड़ा बहुत आइ रीडिंग भी कर लेता हूँ,जो कि अधिकतर सही नही होती ,लेकिन कभी-कभी सच होती है....आराधना इस वक़्त मुझे देखकर काँप रही थी.मैने उसकी तरफ देखा वो थोड़ा सा घबराई हुई थी , जैसे की ये उसका फर्स्ट टाइम हो....
"इसके पहले किया है..."
"ना...म्म हां...एक बार..."
"ग्रेट..."थोड़ा ,पीछे हट कर मैने पुछा"कहा, कब ,किसके साथ..."
"वो...गाँव मे एक लड़के ने जबर्जस्ति की थी खेत मे...."काँपते हुए आराधना बोली...
"टू बॅड, उसके बाद क्या हुआ..."
"उसके बाद मैं सिर्फ़ बदनाम हुई और कुच्छ नही हुआ...."
"ऐसा क्या..."इसके बाद मैने आगे कुच्छ नही पुछा ,क्यूंकी मैने अंदाज़ा लगा लिया था कि जिस लड़के ने आराधना के साथ जबर्जस्ति चुदाई मचाई थी ,वो कोई बड़े बाप का लौंडा होगा और फिर या तो उन लोगो ने आराधना के बाप को धमकी दी होगी या फिर पैसे....फिलहाल मैं यहाँ आराधना का दिल बहलाने नही आया था इसलिए मैं इस टॉपिक मे और ना घुसते हुए ,आराधना की तरफ घुमा....
"ओके, लेट'स स्टार्ट अरमान, चोद दे इसको अब..."मैने खुद से कहा और आराधना के होंठ की तरफ अपने होंठ स्लोली मोशन मे बढ़ाए...कि तभी आराधना ने अपना चेहरा उपर किया....
मैने आराधना को देखा और फिर वो सोच क्या रही है ये जानने के लिए मैने उसकी आँखो मे देखा....आराधना इस वक़्त किसी उलझन मे नही थी कि वो मुझे रोके या नही ,बल्कि वो तो पूरी तरह तैयार थी और ना ही उसे किसी भी तरह की झिझक थी...लेकिन एक घबराहट उसकी आँखो को ढक कर बैठी हुई थी...और मेरा ये समझ पाना कि आराधना क्या सोच रही है, बहुत मुश्क़िल हो गया,इसलिए मैने थोड़े देर के लिए अपने दिमाग़ को आराम दिया और वापस आराधना के होंठो की तरफ बढ़ा...इस बार मैं सफल हुआ और कुच्छ देर की शांति के बाद आराधना के होंठ भी हरकत करने लगे,फिर मेरी तरह एक दम से तेज़ हो गये....
आराधना के होंठो को अपने होंठो से मसल्ते हुए ही मैने उसे बिस्तर पर नीचे लिटाया और मैं खुद उसके उपर आ गया...हम दोनो की ये लीप किस्सिंग का प्रोग्राम बीच-बीच मे रुकता और फिर थोड़ी देर तक एक-दूसरे को देखकर फिर शुरू हो जाता....
अब मैं आराधना के उपर पूरी तरह से समा गया और अपने हाथ से कभी उसकी छातियों को मसलता तो कभी उसकी चूत को...मैं जब भी आराधना की चूत को उसके जीन्स के उपर से सहलाता तो वो थोड़ा उच्छल जाती थी और अपने जाँघो को इधर-उधर करके अपनी चूत को छिपाने की कोशिश करती....लेकिन जब मैने उसके जीन्स के हुक को खोला तो वो शांत हो गयी. उसने किस का रिप्लाइ देना भी बंद कर दिया और फिर से अपनी अजीब नॅज़ारो से मुझे देखने लगी....
"व्हाट..."आराधना को इस तरह देखता हुआ पाकर मैने पुछा...
"कुच्छ नही..."
"मुझे मालूम था..."बोलकर मैने आराधना की जीन्स उसके घुटनो तक नीचे खिसका दी और उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा....साथ मे वो वर्ल्ड फेमस काम भी किया जिसे लोग 'उंगली करना ' कहते है
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आराधना की जीन्स घुटनो तक नीचे खिसका कर और पैंटी के अंदर हाथ डालकर उसकी चूत सहलाते हुए, उसकी चूत मे उंगली करते हुए मैने अपने दूसरे हाथ से उसके टॉप को उपर गर्दन तक चढ़ा दिया और ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स पर मुँह फेरने लगा....
आराधना की चूत से पहले सिर्फ़ दीपिका मॅम की चूत मे मैने उंगली की थी और उस वक़्त मुझे अचानक उसकी याद आने लगी थी....आराधना भले ही ,दीपिका की तरह हॉट माल ना हो लेकिन आराधना की चूत,दीपिका की चूत से काई गुना मस्त थी, ये मैने उंगली करते वक़्त ही जान लिया था....
आराधना के उपर से मैं एक बार फिर उठा और उसकी जीन्स जो कि घुटनो मे अटकी थी उसे पैरो के बीच से पूरा निकाला...यही काम मैने उसकी पैंटी के साथ भी किया, और आराधना को पीछे पलटा कर उसकी ब्रा भी उतार कर फेक दिया और आराधना के उपर अबकी बार नंगा चढ़ गया...अब हम दोनो ही बिना कपड़े के थी और आराधना को स्मूचिंग करते वक़्त मेरा लंड कभी उसकी चूत से टच होता तो कभी उसकी जाँघो से...कुच्छ देर तक ऐसा ही करते रहने के बाद आराधना ने अपने हाथ से अपनी चूत को फैलाया और मुझे इशारा किया....
"थॅंक यू..."कहते हुए मैने अपना लंड आराधना की चूत के मुंहाने के पास टीकाया .
सच बताऊ तो उस वक़्त मैं बहुत खुश था, पता नही क्यूँ पर मैं था....मुझे आराधना से प्यार नही था लेकिन फिर भी मैं खुश था...बहुत खुश था...
"डू यू रियली लव मी अरमान....सर.."जब मैं अपना लंड,आराधना की चूत मे पेलने वाला था ,तभी उसने पुछा...
"यॅ, ओफ़कौर्स, आइ लव यू..."बोलते हुए मैने अपना लंड आराधना की चूत मे घुसा दिया और अपनी आँखे बंद कर ली...उसके बाद मेरी स्पीड बढ़ते समय के साथ बढ़ती गयी और जब मैने अपनी आँखे खोली तो देखा कि आराधना की भी आँखे बंद थी...वो अपने दोनो हाथो से मुझे कसकर पकड़े हुए थे और मैं लगातार अपना लंड उसके छूट के अंदर-बाहर करे जेया रहा था......हमारे इस पूरे खेल के दौरान आराधना ने अपनी आँखे बंद करके रखी हुई थी और उसने अपनी आँखे तभी खोली, जब ये खेल ख़त्म हुआ...और उसने एक बार फिर मुझसे पुछा...
"डू यू रियली लव मी,अरमान....सर.."
मुझे इस तरह के देखने के उसके अंदाज़ ने जैसे पहली बार मुझे ये अहसास कराया कि मैने अभी कुच्छ ग़लत किया, कुच्छ ऐसा जो कि मुझे नही करना चाहिए था.लेकिन फिर भी मैने किया.....यही सवाल जब आराधना ने मुझसे पहली बार पुछा था,तब भी बहुत देर नही हुई थी...यदि मैं खुद पर कंट्रोल करता और रुक जाता तो शायद वो कुच्छ नही होता, जो कि होने वाला था....
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"अपनी ब्रा,पैंटी पहन और चल...5 बजे के पहले हमे पहुचना है..."
"लेकिन अभी तो सिर्फ़ 3 बजे है..."अपनी पैंटी को अपने जाँघो के बीच फँसा कर आराधना बोली...
"तो क्या पूरे 4:59 मे ही इस रूम को छोड़ेगी....चल जल्दी, मुझे कुच्छ काम है..."
"ओके..चिल्लाते क्यूँ हो..."
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अवधेश के रूम से निकलकर मैने आराधना को हॉस्टिल के पास छोड़ा और कॉलेज पहूचकर बाइक और रूम की कीस उनके मालिको को ट्रान्स्फर करके ,हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....
इतने दिनो बाद अपनी प्यास शांत करके मैं जैसे खुश के मारे फूला नही समा रहा था...दिल कर रहा था कि नाचते हुए हॉस्टिल जाउ, पूरे रास्ते भर पटाखे फोड़ू...लेकिन फिलहाल मैने ऐसा कुच्छ नही किया क्यूंकी इस वक़्त मैं कॉलेज मे था, जहाँ मेरी बहुत इज़्ज़त थी....
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"मुझको हिलाने दे,दो बूँद टपकाने दे...
अपनी चूत मे मुझे लॉडा घुसाने दे...
यो..
चुद रही है ना तू, चोद रहा हूँ मैं....
चुद रही है ना तू...तू..तू..."एश को सामने देखकर मैं रुका....
एश को सामने देखकर एक पल मे तो मुझे जैसे हार्ट अटॅक ही आ गया कि ये मैने क्या कह दिया ,लेकिन फिर याद आया कि मैं तो गुनगुना रहा था, उसे कहाँ से सुनाई देगा...एसस्स...चल बेटा ,अरमान...रोल मे आजा...
"तूमम्म...शायद मेरी दिए हार्ड फन होगी, जो कि मेरा ऑटओग्रॅफ लेने के लिए कल से इस रास्ते पर खड़ी होगी...पता नही लोग मेरा एक ऑटओग्रॅफ पाने के लिए ना जाने क्या-क्या करते है...लाओ ,पेन...कॉपी दो..."
"हो गयी नौटंकी...अब चले, छत्रपाल सर ने बुलाया है..."
"वाइ ? आइ'म नोट इंट्रेस्टेड..."
"लुक..."
"लुकिंग..."
"सीधे से चलते हो या मैं जाकर छत्रपाल सर को बोल दूं कि अरमान को फेरवेल पार्टी की आंकरिंग करने मे कोई इंटेरेस्ट नही है..."
"एक मिनिट...पता नही मेरे कान क्यूँ बज रहे है...मुझे अभी आंकरिंग वर्ड सुनाई दिया...वो क्या है ना कि गोल्डन जुबिली के फंक्षन मे आंकरिंग ना कर पाने का सदमा जो मुझे लगा था, उसका असर अभी तक है...खैर तुम बोलो, क्या बोल रही थी..."
"हे भगवान....अब इसे कैसे समझाऊ..."
"क्यूँ खाली-फोकट मे भगवान का गला दबा रही हो...ये लो मेरा नंबर 7415****** . और जब भी कोई प्राब्लम हो,मुझे कॉल कर लेना...अभी मैं चलता हूँ ,क्यूंकी आधे घंटे बाद मेरी अमेरिका के लिए फ्लाइट है...."एश के दिमाग़ का भरता बनाकर मैं आगे बढ़ा ,लेकिन फिर सोचा कि एक पंच और मारा जाए ,इसलिए मैं पीछे पलटकर तेज़ आवाज़ मे बोला"डॉन'ट वरी, मैं कल ऑटओग्रॅफ दे दूँगा....इसलिए अब यहाँ खड़ी मत रहो,घर जाओ,तुम्हारे मम्मी-डॅडी परेशान हो रहे होंगे..."
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एश को पूरी तरह धराशायी करके गाना मैने जहाँ छोड़ा था ,उसे वही से स्टार्ट किया...
"चुद रही है ना तू, चोद रहा हूँ मैं...."
"ले बताना बे ,तूने कल आराधना को चोदा क्या...."भारी उत्सुकता के साथ अरुण ने तीसरी बार पुछा और मैने उसी उत्सुकता के साथ तीसरी बार भी अरुण को टाल दिया.
"ले बताना बे, गान्ड मरा क्या....मुझे भी दिलाना..."
"तू बोसे ड्के ,खाना खाने देगा मुझे...."
"इतना झल्लाता क्यूँ है, नही बताना तो मत बता..."
"जब तीन बार मना कर दिया तो समझ जाना चाहिए ना कि मैं नही बताना चाहता ,अब क्या लवडा मैं तेरे सामने अपने लंड की कथा बांचू...बाकलोल..."
"तू गान्ड मरा और तू..."डाइनिंग टेबल मे दूर बैठे एक लड़के पर बरसते हुए अरुण चिल्लाया"तू लवडे रोटी पास करेगा या सारी गान्ड मे भरेगा...."
"तो आकर ले जा ना, तेवर किसको दिखाता है..."
"चुप चाप ,रोटी लेकर इधर आ,वरना जो हाल तेरे रूम पार्ट्नर कलिए का है,वही हाल तेरा भी करूँगा....."
अरुण के इन अल्फाज़ो ने उस लड़के पर जबर्जस्त असर किया और उस लड़के ने ठीक वैसा ही किया जैसा कि अरुण ने करने को कहा था.....
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"अरमान भाई, मैं हॉस्टिल छोड़ रहा हूँ...सोचा कि आपसे मिलता चलूं...."सेकेंड एअर का एक लड़का मेरे सामने खड़े होकर बोला....
"क्यूँ बे, तुझे क्या हुआ...."
"बहुत कुच्छ हुआ है अरमान भाई, ये साले सीनियर्स....जब भी इनका मूड होता है सेकेंड एअर वालो को लाइन मे खड़ा कर देते है और फिर जानवरो की तरह मारते है...ग़लती हमारे बॅच से किसी ने भी की हो, मार सबको पड़ती है...किसी भी सीनियर का मूड खराब हो ,तो मार पड़ती है, किसी म्सी की म्सी गर्लफ्रेंड ने उसे कुच्छ कह दिया तो वो बीकेएल आ जाता है अपनी *** चुदाने....यदि इनको नींद नही आ रही हो तो तब भी भुगतना हमे ही पड़ता है और ये साले तब तक हमे ठोकते है,जब तक इन्हे नींद ना आ जाए.बीसी उल्लू की औलाद है, दो दिन से कुत्तो ने सोने नही दिया....अब रात भर जागकर लड़का क्लास जाएगा तो क्लास मे नींद आना लाज़िमी है और यदि बाइ चान्स क्लास मे झपकी मारते हुए किसी टीचर ने देख लिया तो फिर उसकी राम-कहानी अलग......अभी कल की ही बात है ,आज मिडट्म था तो मैं 1 बजे तक पढ़कर सो रहा था कि 2 बजे वो चूतिया महंत आकर मुझे मारने लगा और जब मैने उससे पुछा कि क्यूँ मार रहा है तो बोलता है कि ऐसे ही मार रहा हूँ...बीसी ये क्या तमाशा है, हमलोग भी इंसान है ,कोई रंडी की चूत नही जो कोई भी आए और चोद के चला जाए.....मेरे बाप ने बहुत कहा था कि मत मत ले, मत ले...लेकिन नही लवडा हमको ही रामानुजन बनने का बड़ा शौक था ,और आज वो शौक,बड़े शान से उतर रहा है..."
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