RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"क्या दिन भर लगा रहता है बे उस चुदर्रि के साथ...गान्ड के जैसी तो शकल है उसकी और सर के बाल इतने बेकार कि यदि रियल मे छु लूँ तू मुझे मिर्गी मार जाए और लावा तू उससे बात क्या करता है, मैं तो किसी भी लड़की से तीन-चार मेस्सेज के बाद बात ही नही कर पाता..."
"चुप रह लवडा...इंग्लीश मे सेंटेन्स बनाने मे दिक्कत हो रही है..."
"पता नही लवडा क्या बात करते रहते हो तुम लोग...लवडा मुझे तो 'हाई'..'व्हेयर डू यू लिव' 'व्हाट आर यू डूयिंग' पुछने के बाद समझ ही नही आता कि आयेज क्या बात करूँ और फिर खम्खा ,उससे चूत की माँग कर देता हूँ,जिसके बाद वो मुझे ब्लॉक देती है....पता नही मेरा क्या होगा..."
"जो होगा ,बहुत ही...बहुत ही बुरा होगा....लवडा इश्क़ तुम फर्माओ और नाम हमारा खराब हो..."रूम मे गुस्से से तमतमाते हुए सौरभ घुसा और सीधे मेरे सामने आकर खड़ा हो गया"क्या चूतियापा मचा रखा है बे तूने...वो कल की लौंडी आराधना मुझे मेरे दोस्तो के सामने रोक कर कहती है कि मैने ,तुझे भड़काया है कि तू उसे छोड़ दे..."
"चल बे...ऐसा वो बोल ही नही सकती...उसमे इतनी हिम्मत ही कहाँ."
"बेटा,खिड़की से नीचे झाँक...हॉस्टिल के बाहर वाली रोड पर खड़ी थी,जब मैं अंदर आ रहा था तो...अब पता नही है या नही..."
"इसकी माँ की जय...इसे दौरा तो नही पड़ रहा...."आराधना को रोड से हॉस्टिल की तरफ आते देख मैं भौचक्का रह गया....क्यूंकी जहाँ तक मेरी याददाश्त जाती है,उसके हिसाब से इस हॉस्टिल मे 20-22 साल पहले सिर्फ़ एक ही लड़की आई थी और बुरी तरह चुद कर गयी थी....लेकिन अभी फिलहाल मैं इसलिए नही घबरा रहा था कि आराधना के साथ मुझे वही सब कुच्छ होने का डर था, जो 20-22 साल पहले उस लड़की के साथ हुआ था...बल्कि इसलिए क्यूंकी यदि आराधना बाइ चान्स हॉस्टिल मे घुस गयी तो बहुत बड़ा हंगामा खड़ा हो जाएगा....इसलिए मैने सौरभ से कहा...
"तू जा और उसे वापस भेज दे..."
"अपुन नही जाने वाला ,किसी और को पकड़..."
"अरुण ,तू जा..."
"चूस..."
"जा ना बे जल्दी...वरना वो अंदर घुस जाएगी..."
"चूस..."
"जल्दी जा...यदि तू अभी गया तो फिर मैं फेरवेल के दिन तुझे अपना दूँगा.....मतलब ब्लेज़र दूँगा..."
"घुस... लेकिन तू अब इतना बोल रहा है तो चला जाता हूँ..."बोलकर अरुण उठा और ब्लेज़र के बदले मेरा काम करने के लिए मान गया....
"उससे बोलेगा क्या..."
"नो आइडिया...तू बता क्या बोलने का है उसको..."
"तू....ह्म्म्मक...."सोचते हुए मैने कहा "तू उसे बोल देना कि हम दोनो गे है और एक-दूसरे के साथ ज़िंदगी भर साथ रहने का फ़ैसला कर चुके है...इसलिए अब वो हमारी गे-लाइफ मे इंटर्फियर ना करे....ये सही रहेगा...जा बोल दे,जल्दी जा...लवडे के बाल जाना ,यहाँ खड़ा क्यूँ है..."
"वाह बेटा...यदि ये गे वाली बात...जो मैं उसे अभी कहूँगा...वो उसने कॉलेज मे किसी के सामने बक दिया तो...."
"तो किसी और का नाम ले लेना...किसी का भी..."
"कालिया का नाम ले लूँ..."
"बहुत मज़ाक सूझ रहा है ,तुझे इस वक़्त.... "
"तो फिर तू ही बता क्या बोलू...."
"तू एक काम कर तू उसे जाकर बोल दे कि अरमान खुद से खुद की मार रहा है...मतलब वो सेल्फ़-गे है....बोसे ड्के, तुझसे होना-वोना कुच्छ नही फालतू मे मेरा टाइम खोटी कर रहा है....गान्ड मरा तू,सौरभ से ,इसी के लायक है तू और आज के बाद यदि तूने मेरा ब्लेज़र की तरफ आँख उठाकर भी देखा तो तेरे आँख मे मूठ मार दूँगा....मैं ही जाता हूँ और उसे खदेड़ कर आता हूँ..."
"तू तो दिल पे ले गया...मैं तो मज़ाक कर रहा था.तू ब्लेज़र निकाल के रख...मैं दो मिनिट मे उसका काम तमाम करके आता हूँ..."
पूरे कॉलेज की फेरवेल पार्टी एक साथ होने के कारण काई डिटॅनर्स और सिटी के लौन्डो ने इसका बहिस्कार कर दिया था...फेरवेल पार्टी का बहिस्कार करने वाले लौन्डो ने अपने करीबी दोस्तो को भी इस खेल से बाहर निकलवा दिया था...जिसके कारण बहुत सारे हाइलाइट लौन्डे,जिनके साथ हॉस्टिल वालो का पंगा हो सकता था...वो उस दिन के चमकती-दमकती शाम मे नही पहुँचे. उन चूतियो के ना आने का अफ़सोस बहुत लोगो को हुआ होगा, लेकिन सबसे ज़्यादा अफ़सोस जिसे हुआ वो मैं था...क्यूंकी उन सबको सबके सामने शब्दो से चोदने का एक बेहतरीन मौका मैने गँवा दिया था....
फर्स्ट एअर वालो की वेलकम और हम लोगो का फेरवेल एक ही दिन था,इसलिए कुच्छ बुद्धि-जीवियो ने टाइम मॅनेज करने के लिए अपना सारा तन-मन-धन इस पर झोक दिया और फाइनली जो शेडूल बना उसके अनुसार दोपहर 2 बजे से फ्रेशर्ज़ का प्रोग्राम और उसके बाद हमलोगो का...प्रिन्सिपल, सारे होड़ , प्रोफेस्सर्स डाइरेक्ट शाम को कुच्छ देर के लिए आने वाले थे, इसलिए दोपहर भर मैं जिसके साथ जो चाहे कर सकता था.
वैसे तो वेलकम मुझे और एश डार्लिंग दोनो को मिलकर करना था ,लेकिन उस दिन वो एक तो जिस क्लब मे फंक्षन था ,वहाँ आई नही,उपर से उसका मोबाइल ऑफ बता रहा था.कुच्छ लौन्डो ने कहा कि किसी दूसरी लड़की को मैं धर लूँ ,उन्होने तो कुच्छ के नाम भी सजेस्ट कर दिए थे,जिन्होने गोल्डन जुबिली के प्रोग्राम मे आंकरिंग की थी....
"तुझे क्या लगता है, मैं यहाँ रोला झाड़ने के लिए आंकरिंग कर रहा हूँ...लवडे, एश थी,इसलिए मैं आया और अब तू किसी भी ऐरी गैरी को उठाकर लाएगा और बोलेगा कि ले, शादी कर ले इसके साथ तो मैं कर लूँगा क्या...."
"लेकिन मैं तो शादी के लिए नही आंकरिंग के लिए बोल...."
"चुप...बिल्कुल चुप..."मिक अपने चेहरे पर फिट करते हुए मैं बोला"ले पहले फोटो खींच भाई का और यदि तूने फोटो डेलीट मारा, तो तुझे दुनिया से डेलीट कर दूँगा..."
"3 बजने वाले है यार...कब तक उसका इंतज़ार करेंगे...तू कहे तो सोना को बोलू.एक नंबर. की माल है..."फोटो खींच कर उस लड़के ने कहा...
"सोना हो या चाँदी हो...चाहे हीरा ही क्यूँ ना हो...."
"फिर क्या करे..."
"अकेले जाता हूँ मैं..."
"लेकिन..."
"टेन्षन मत ले...मैं सब संभाल लूँगा...बहुत एक्सपीरियेन्स है मुझे इन सबका..."स्टेज की सीढ़िया चढ़ते हुए मैने कहा....
"इसके पहले भी कभी मंच संचालन किया था क्या..."
"किया था ना,बहुत बार कर चुका हूँ, सपने मे..."
"बेस्ट ऑफ लक..."
"गान्ड मे डाल ले अपना लक..."
स्टेज मे जाते ही सामने मौज़ूद सभी लड़के-लड़कियाँ मेरी तरफ देखने लगे....वैसे मैने आज तक किसी को बताया नही,लेकिन मुझे उस दिन सुबह से ही घबराहट हो रही थी,इसलिए बिना किसी को बताए मैने दो पेग मार लिए थे,ताकि जब सबके सामने जाउ तो मेरी फट के हाथ मे ना आ जाए.
वेल,जब आंकर मैं रहूं तो 'मेरे भाइयो और बहनों....गुड आफ्टरनून फ्रेंड्स...थॅंक्स टू कमिंग हियर....एट्सेटरा. एट्सेटरा.' जैसी लाइन्स का इस्तेमाल तो मैं करने से रहा उपर से दारू चढ़ा लेने के कारण मेरी ज़ुबान थोड़ी सी स्लिप हो गयी और मेरे मुँह से पहली लाइन जो निकली वो ये थी....
"मुझे ,क्यूँ देख रहे हो बे...इधर-उधर देखो..बढ़िया महॉल है..."
इसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है,लेकिन उस दिन यहिच हुआ ,. वैसे तो मुझे स्टेज पर आते वक़्त कयियो ने कयि बार मुझे स्टेज पर जाकर क्या बोलना है ये रटवाया था, लेकिन स्टेज पर पहुच कर मुझे मालूम चला कि बीसी स्क्रिप्ट तो स्टेज के पिछवाड़े मे छूट गयी,अब क्या जाए.....इस बीच सामने बैठी पब्लिक की उत्सुकता लगातार बढ़ती ही जा रही थी कि मैं इतना शांत क्यूँ हूँ,कुच्छ बोलता क्यूँ नही....वैसे उत्सुक तो मैं भी था कि बिना स्क्रिप्ट के मैं क्या बोलूँगा .
मैं कुच्छ मिनिट्स माइक को इधर-उधर करके सोचता रहा कि क्या बोलना है, वैसे मैं चाहता तो वापस जाकर स्क्रिप्ट ला सकता था...लेकिन नही, पब्लिक को ऐसे गान्ड दिखा कर जाना मतलब घोर बेज़्ज़ती...इसलिए मैने बोलना शुरूकिया.....
"जेंटल्मेन आंड जेंटलविमन....तुम लोग सोच रहे होगे कि मैं अब एक शालीन भरा, स्वच्छ भाषण प्रस्तुत करूँगा...जिसमे मैं तुम लोगो का आभार व्यक्त करूँगा कि आप लोग यहाँ आए, इसलिए धन्यवाद....यदि तुम सब ऐसा सोचते हो तो ,भूल जाओ, क्यूंकी मैं ऐसा कुच्छ भी नही बोलने वाला और मैं काहे तुम को लोगो थॅंक्स बोलू बे....एक तो फ्री का खाना खाओगे, सीटिया मारोगे, लंगर डॅन्स करके पूरे कार्यक्रम की ऐसी-तैसी करोगे...उपर से तुम सब ये अपेक्षा रखते हो कि मैं तुम लोगो का शुक्रिया अदा करू....लड़कियो का तो खैर मैं बहुत आदर करता हूँ इसलिए सबके सामने उन्हे कुच्छ नही बोलूँगा ,लेकिन लड़को...तुम लोग अपना कान खोल कर सुन लो और यदि ज़रूरत हो तो कुच्छ और भी खोल कर सुन सकते हो...लेकिन ध्यान से सुनना....तुम मे से बहुत ऐसे होंगे, जो खुद को बहुत बड़ा कूल ड्यूड, फन्नी समझते है ,जो प्रोग्राम के बीच-बीच मे मुँह मे दोनो हाथ रखकर चिल्लाते है, कॉमेंट्स पास करते है, उन लोगो ने यदि ऐसा कुच्छ भी किया...तो बेटा, मुझे जहाँ दिखोगे ,वही पर मारूँगा और लंगर डॅन्स तो बिल्कुल ही बॅन है...आइ हटे लंगर डॅन्स. ये आज के फंक्षन के टर्म्ज़ & कंडीशन्स है , यदि मंज़ूर हो तो आइ अग्री का बटन दबा कर जाय्न कर लो...वरना खिसक लो....नही तो मैं बाल पकड़ कर घसीटते-घसीटते ले जाउन्गा....."
बोलकर मैं रुका और देखा कि सब मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे मैने उनके चेहरे पर मूत दिया हूँ,मतलब वहाँ घोर चुप्पी छाइ हुई थी....
"लगता है, तुम लोगो ने दिल पे लिया...मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रहा था, दर-असल ये स्क्रिप्ट मे था....और मुझे कहा गया था कि मैं एक दम तेवर मे तुम लोग को धमकाऊ....तो कैसी लगी मेरी आक्टिंग"
मेरे ऐसा बोलते ही महफ़िल मे वापस रंगत लौट आई और सब हँसने-मुस्कुराने लगे......तभिच पीछे से एक लड़की एक हाथ मे स्क्रिप्ट और एक हाथ मे मिक लेकर मेरे पास आई.....
"इसे कही देखा है...कहाँ देखा है, याद नही आ रहा..."माइक को ऑफ किए बिना ही मैने कहा और सामने बैठी जनता को लगा कि मैं स्क्रिप्ट के अकॉरडिंग ही बोल रहा रहा हूँ, इसलिए वो इस बात पर भी हँस लिए....
"क्या कर रहे हो, अरमान..."मेरा मिक ऑफ करके ,वो लड़की बोली"लगता है सत्यानाश कर दोगे ,पूरे फंक्षन का..."
"तुझे कही देखा है..."
"बिल्ले..."
"ओह तेरी एश....आज तो माल लग रही है एक दम..."
"शट अप आंड कॉन्सेंट्रेट ऑन युवर वर्क"
"ओके बेबी...."
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एश के आने के बाद सब कुच्छ वैसा ही हुआ,जैसा कि स्क्रिप्ट मे लिखा था...मतलब की कुच्छ फर्स्ट एअर के लौन्डे-लौन्डियो ने स्टेज पर आकर अपना इंट्रो दिया और अपनी एक-एक खूबी का प्रदर्शन किया...एश के आने के बाद मैने कुच्छ भी अन्ट-शन्ट नही बोला यहाँ तक कि जो स्क्रिप्ट मे लिखा था, एश को देखने के चक्कर मे मैं वो भी बार-बार भूल जा रहा था और मैं जब भी अपनी लाइन्स बोलने की बजाय ,एश को देखने लगता तो वो कभी अपने नाख़ून मेरे हाथ मे गढ़ा देती तो कभी मेरी उंगली पकड़ कर मरोड़ देती....एक बार तो उसने सीधे एक मुक्का ही मार दिया.
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