Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:20 PM,
#1
Lightbulb  Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आजाद पंछी जम के चूस.


.शहर के पाश कॉलोनी में शांति कुंज के नाम से एक बड़ा सा मकान है दो मंजिला मकान है। जिसमे तीन लोगो की फैमिली रहती है।
रवि सिंह----- उम्र 39 साल, शहर की मैन बाजार में कपड़े का व्यवसायी। तन्दरुस्त 5'6 इंच, और एक माचो मैन जिसका सपना हर एक महिला देखे।
आरती-----उम्र 37साल, रवि की पत्नी, एक जबरदस्त फिगर की मालकिन,( रंग गोरा, पतले पतले होंठ,मोटे मोटे बॉब्स,बाहर को उभरी हुई गांड जिसको देख कर हर कोई पाना चाहता है) एक घेरलू औरत है रवि की नजर में , बाकी जो ये है आगे कहानी में देखते है।
सोनल-----18 उम्र रवि और आरती की इकलौती संतान। अभी गर्ल्स स्कूल में 12th में पढ़ती है। अपने पिता और माता से बिल्कुल अलग। अभी अभी जवान हुई है। चुचिया बाहर आने की बेताब , सुडौल गांड, और साधारण चेहरे की मालकिन। अभी तक लड़को के संपर्क से अनजान। बिलकुल चुपचुप सी, छुईमुई सी। जिसको देख कर सायद ही कोई सेक्स करना चाहे।
रामु---- 58 साल घर का नॉकर पिछले 25 सालों से । रवि के पिताजी का रखा हुआ।
जया--- 53 साल रामु की पत्नी। रामु के साथ घर का काम करती है।
मोनिका--- 24 साल रामु और जया की बेटी। एक सेक्स की आग में जल रही लड़की। दो साल पहले विवाह हुआ था लेकिन शादी के एक साल बाद ही पति की मौत हो गयी, जहरीली शराब के पीने के कारण। तब से अपने माँ- बाप के साथ रहती है और अपनी माँ का हाथ बढ़ाती है घर के कामो में।
रात के 10 बजे है, आधा घणटे पहले रवि अपनी दुकान से वापिश आया है। और फ्रेश होकर खाना खा कर बैडरूम में बेड पर आज की दुकान की सैल परचेस
अपने लैपटॉप पर चढ़ा रहा था। तभी आरती एक छोटी सी सेक्सी सी मैक्सी पहनकर बाहर आती है बाथरूम से। आरती सेक्स की देवी लग रही थी। आज आरती का मूड सेक्स का था। रवि वैसे तो सेक्स में काफी अच्छा था लकीन कुछ समय से आरती के साथ उसका इंटरेस्ट कम हो गया था। महिने में एक दो बार ही आरती को खुश करने या अपना मूड बनने पर चुदाई करता था।
आरती को लगता था कि रवि अब काम की थकान की वजह से चुदाई नही करता। इसलिये वही कभी कभी पहल करती है। लेकिन आरती के जीवन में कुछ खालीपन था जो वो खुद भी नहीं समझ पाती थी की क्या?सबकुछ होते हुए भी उसकी आखें कुछ तलाशती रहती थीं। क्या?पता नहीं?पर हाँ कुछ तो था जो वो ढूँढ़ती थी। कई बार अकेले में आरती बिलकुल खाली बैठी शून्य को निहारती रहती, पर ढूँढ़ कुछ ना पाती।
आज आरती का यह रूप देखकर रवि हैरान था, ये मैक्सी रवि काफी समय पहले लेकर आया था लेकिन आरती ने एक बार पहन कर फिर कभी यूज़ नही की। लेकिन आज आरती ने खुद इसको पहना था और बिना ब्रा और पैंटी के।
आज आरती का पूरा शरीर जल रहा था। वो जाने क्यों आज बहुत उत्तेजित थी। रवि के साथ लिपट-ते ही आरती पूरे जोश के साथ रवि का साथ देने लगी। रवि को भी आरती का इस तरह से उसका साथ देना कुछ आजीब सा लगा पर वो तो उसका पति ही था उसे यह पसंद था। पर आरती हमेशा से ही कुछ झिझक ही लिए हुए उसका साथ देती थी। पर आज का अनुभब कुछ अलग सा था। रवि आरती को उठाकर बिस्तर पर ले गया और जल्दी से आरती को कपड़ों से आजाद करने लगा।

रवि भी आज पूरे जोश में था। पर आरती कुछ ज्यादा ही जोश में थी। वो आज लगता था कि रवि को खा जाएगी। उसके होंठ रवि के होंठों को छोड़ ही नही रहे थे और वो अपने मुख में लिए जम के चूस रही थी। कभी ऊपर के तो कभी नीचे के होंठ आरती की जीब और होंठों के बीच पिस रहे थे। रवि भी आरती के शरीर पर टूट पड़ा था। जहां भी हाथ जाता कसकर दबाता था। और जितना जोर उसमें था उसका वो इस्तेमाल कर रहा था। रवि के हाथ आरति की जाँघो के बीच में पहुँच गये थे। और अपनी उंगलियों से वो आरती की योनि को टटोल रहा था। आरती पूरी तरह से तैयार थी। उसकी योनि पूरी तरह से गीली थी। बस जरूरत थी तो रवि के आगे बढ़ने की। रवि ने अपने होंठों को आरती से छुड़ा कर अपने होंठों को आरती की चूचियां पर रख दिया और खूब जोर-जोर से चूसने लगा। आरती धनुष की तरह ऊपर की ओर हो गई।

और अपने हाथों का दबाब पूरे जोर से उसने रवि के सिर पर कर दिया रवि का पूरा चेहरा उसके चूचियां से धक गया था उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। पर किसी तरह से उसने अपनी नाक में थोड़ा सा हवा भरा और फिर जुट गया वो आरती की चूचियां पर। आरती जो कि बस इंतेजर में थी कि रवि उसपर छा जाए। किसी भी तरह से बस उसके शरीर को खा जाए। और। उसके अंदर उठ रही ज्वार को शांत कर्दे। रवि भी कहाँ देर करने वाला था। झट से अपने को आरती की गिरफ़्त से आजाद किया और अपने को आरती की जाँघो के बीच में पोजीशन किया और। धम्म से लण्ड चुत के अंदर।

आआआआआह्ह। आरती के मुख से एक जबरदस्त। आहह निकली।
और रवि से चिपक गई। और फिर अपने होंठों को रवि के होंठों से जोड़ दिया। और अपनी सांसें भी रवि के मुख के अंदर ही छोड़ने लगी। रवि आवेश में तो था ही। पूरे जोश के साथ। आरती की चुत के अंदर-बाहर हो रहा था। आज उसने कोई भी रहम या। ढील नहीं दी थी। बस किसी जंगली की तरह से वो आरती पर टूट पड़ा था। पता नही क्यों रवि को आज आरती का जोश पूरी तरह से नया लग रहा था। वो अपने को नहीं संभाल पा रही थी। उसने कभी भी आरती से इस तरह से संभोग करने की नहीं सोची थी। वो उसकी पत्नी थी। सुंदर और पढ़ी लिखी। वो भी एक अच्छे घर का लड़का था। संस्कारी और अच्छे घर का। उसने हमेशा ही अपनी पत्नी को एक पत्नी की तरह ही प्यार किया था किसी। जंगली वा फिर हबसी की तरह नहीं। आरती नाम के अनुरूप ही सुंदर और नाजुक थी। उसने बड़े ही संभाल कर ही उसे इस्तेमाल किया था। पर आज आरती के जोश को देखकर वो भी। जंगली बन गया था। अपने को रोक नहीं पाया था।

धीरे-धीरे दोनों का जोश ठंडा हुआ तो दोनों बिस्तर पर चित लेटके। जोर-जोर से अपने साँसे। छोड़ने लगे और। किसी तरह अपनी सांसों पर नियंत्रण पाने की कोशिश करने लगे। दोनों थोड़ा सा संभले तो एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुराए। रवि आरती की ओर देखता ही रहा । आज ना तो उसने अपने को ढँकने की कोशिश की और नहीं अपने को छुपाने की। वो अब भी बिस्तर पर वैसे ही पड़ी हुई थी। जैसा उसने छोड़ा था। बल्कि उसके होंठों पर मुश्कान ऐसी थी की जैसे आज उसको बहुत मजा आया हो। रवि ने पलटकर आरती को अपनी बाहों में भर लिया और।
रवि- क्या बात है। आज कुछ खास बात है क्या।

आरती- उउउहह। हूँ। नही।

रवि- फिर। आज कुछ बदली हुई सी लगी।

आरती- अच्छा वो कैसे।

रवि- नहीं बस यूही कोई फिल्म वग़ैरह देखा था क्या।

आरती- नहीं तो। क्यों।

रवि- नहीं। आज कुछ ज्यादा ही मजा कर रही थी। इसलिए।

और हँसते हुए। उठ गया और। बाथरूम की ओर चला गया।

आरती वैसे ही बिस्तर पर बिल्कुल नंगी ही लेटी रही। और अपने और रवि के बारे में सोचने लगी। कि

रवि को भी आज उसमें चेंज दिखा है। क्या चेंज। आज का सेक्स तो मजेदार था। बस ऐसा ही होता रहे। तो क्या बात है। आज रवि ने भी पूरा साथ दिया था। आरती का।

इतने में उसके ऊपर चादर गिर पड़ी और वो अपने सोच से बाहर आ गई

रवि- चलो सो जाओ।

आरती रवि की ओर देख रही थी। क्यों उसने उसे ढक दिया। क्या वो उसे इस तरह नहीं देखना चाहता क्या वो सुंदर नहीं है। क्या वो बस सेक्स के खेल के समय ही उसे नंगा देखना चाहता है। और बाकी समय बस ढँक कर रहे वो। क्यों क्यों नहीं चाहता रवि उसे नंगा देखना। क्यों नहीं वो चादर को खींचकर गिरा देता है। और फिर उसपर चढ़ जाता है। क्यों नहीं करता वो यह सब। क्या उसका मन भर गया है।
जो हमेशा अपने पति के पीछे-पीछे घूमती रहती थी या फिर उनके आने और उठने का इंतजार करती रहती थी वो अब आजाद पंछी की तरह आकाश में उड़ना चाहती थी और बहुत खूल कर जीना चाहती थी उसके तन और मन की पूर्ति को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि अभी-अभी कुछ देर पहले जो भी वो की थी उससे उसे कोई थकान भी नही हुई है वह फिर से चाहती थी करना।
रवि लेटेते ही सो गया। लकीन आरती की आंखों में कुछ चल रहा था। आज जो उसने दिन में देखा था वो उसको याद आ रहा था जिसके कारण आरती आज पहली बार बेकाबू हुई थी।
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