Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:25 PM,
#18
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो जल्दी से घूमकर अपने सीट पर बैठना चाहता था पर घूमकर आते आते उसने पेनट को और आपने अंडरवेर को थोड़ा सा हिलाकर अपने लण्ड को आकड़ने से रोका या कहिए थोड़ा सा सांस लेने की जगह बना दी वो तो तूफान खड़ा किए हुए था अंदर। आरति अब भी उसी स्थिति में बैठी हुई थी उसने अपने पल्लू को उठाने की जहमत नहीं की थी और अपने हाथों को स्तेरिंग पर अब भी घुमाकर देख रही थी मनोज के आने के बाद वो उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और
आरती- हाँ… अब क्या

मनोज साइड की सीट पर बैठे हुए थोड़ा सा हिचका था पर फिर थोड़ा सा दूरी बना के बैठ गया और आरती को देखता रहा ब्लाउज के अंदर से उसकी गोल गोल चूचियां जो कि बाहर से ही दिख रही थी उनपर नजर डालते हुए और गले को तर करते हुए बोला

मनोज- जी आप गाड़ी स्टार्ट करे

आरती- कैसे
और अपने पल्लू को बड़े ही नाटकीय अंदाज से अपने कंधे पर डाल लिया ना देखते हुए कि उससे कुछ ढका कि नहीं

मनोज- जी वो चाबी घुमा के साइड से
और आखों का इशारा करते हुए साइड की ओर देखा आरती ने भी थोड़ा सा आगे होकर कीस तक हाथ पहुँचाया और घुमा दिया

गाड़ी एक झटके से आगे बड़ी और फिर आगे बढ़ी और बंद

मनोज ने झट से अपने पैरों को साइड से लेजाकर ब्रेक पर रख दिया और ध्यान से आरतीकी ओर देखा

मनोज के ब्रेक पर पैर रखते ही आरती का सारा बदन जल उठा उसकी जाँघो पर अब मनोज अंकल की जांघे चढ़ि हुई थी और उसकी नाजुक जांघे उनके नीचे थी भारी और मजबूत थी उनकी जांघे और हाथ उसके कंधे पर आ गये थे साड़ी का पल्लू फिर से एक बार उसकी चुचियों को उजागर कर रहा था वो अपनी सांसो को नियंत्रण करने में लगा था मनोज ने जल्दी से अपने पैरों को उसके ऊपर से हठाया और गियर पर हाथ लेजाकर उसे न्यूट्रल किया और आरती की ओर देखता रहा उसकी जान ही अटक गई थी पता नहीं अब क्या होगा उसने एक बहुत बड़ी गलती कर ली थी

पर आरति तो नार्मल थी और बहुत ही सहज भाव से पूछी
आरती- अरे अंकल हमें कुछ नहीं आता ऐसे थोड़ी सिखाया जाता है गाड़ी

मनोज- जी जी जी वो
क्या कहे उसके सामने जो चीज बैठी है, उसको देखते ही उसके होश उड़ गये है और क्या कहे कैसे कहे

आरती- अरे अंकल आप थोड़ा इधर आके बैठो और हमें बताओ कि क्या करना है और ब्रेक बागेरा सबकुछ हमें कुछ नहीं पता है
मनोज- जी जी
और मनोज अपने आपको थोड़ा सा संभालता हुआ आरती की ओर नजर गढ़ाए, हुए उसे बताने की कोशिश करने लगा

मनोज- जी वो लेफ्ट तरफ वाला ऐक्सीलेटर है बीच में ब्रेक है और दायां में क्लच है और बताते हुए उसकी आखें आरती के उठे हुए उभारों को और उसके नीचे उसे पेट और नाभि तक दीदार कर रहे थे ब्लाउज के अंदर जो उथल पुथल चल रही थी
वो उसे भी दिख रहा था पर जो शरीर के अंदर चल रहा था वो तो सिर्फ़ कमी को ही पता था उसके निपल्स टाइट औट टाइट हो धुके थे जाँघो के बीच में गीला पन इतना बढ़ चुका था कि लग रहा था की सूसू निकल गई है पैरों को जोड़ कर रखना उसके लिए दूभर हो रहा था वो अब जल्दी से अपने शरीर में उठ रही अग्नि को शांत करना चाहती थी और मनोज अंकल की नजर अब उसपर थी और वो अंकल को और भी भड़का रही थी वो जानती थी कि बस कुछ ही देर में वो मनोज के हाथों का खिलोना बन जाएगी और मनोज उसे रामू काका जैसे ही रौंद कर रख देंगे वो चाहत लिए वो हर उसकाम को अंजाम दे रही थी जिससे कि वो जल्दी से मुकाम को हासिल कर सके

आरती- उउउफ़्फुऊऊ अंकल एक काम कीजिए आप घर चलिए ऐसे मैं तो कभी भी गाड़ी चलना सीख नहीं पाऊँगी

मनोज- जी पर कोशिश तो आप को ही करनी पड़ेगी

आरती- जी पर मैं तो कुछ भी नहीं जानती आप जब तक हाथ पकड़कर नहीं सिखाएँगे गाड़ी चलाना तो दूर स्टार्ट करना भी नहीं आएगा

और अपना हाथ स्तेरिंग पर रखकर बाहर की ओर देखने लगी मनोज भी सकते में था कि क्या करे वो कैसे हाथ पकड़कर सिखाए पर सिखाना तो है वो अपने आपको संभालता हुआ बोला
मनोज- आप एक काम करे एक्सीलेटर पर पैर आप रखे मैं ब्रेक और क्लच संभालता हूँ और स्तेरिंग भी थोड़ा सा देखा दूँगा

आरती- ठीक है
एकदम से मचलते हुए उसने कहा और नीचे हाथ लेजाकर कीस को घुमा दिया और एक्सीलेटर पर पैर रख दिया दूसरा पैर फ्री था और मनोज की ओर देखने लगी

मनोज भी नहीं जानता था कि अब क्या करे
आरती - अरे अंकल क्या सोच रहे है आप तो बस ऐसा करेगे तो फिर घर चलिए

घर चलिए के नाम से मनोज के शरीर में जैसे जोश आ गया था अपने हाथों में आई इस चीज को वो नहीं छोड़ सकता अब चाहे कुछ भी हो जाए चाहे जान भी चली जाए वो अब पीछे नहीं हटेगा उसने अपने हाथों को ड्राइविंग सीट के पीछे रखा और थोड़ा सा आगे की ओर झुक कर अपने पैरों को आगे बढ़ाने की कोशिश करने लगा ताकि उसके पैर ब्रेक तक पहुँच जाए पर कहाँ पहुँचे वाले थे पैर आरती मनोज की इस परेशानी को समझते हुए अपने पल्लू को फिर से ऊपर करते हुए
आरती- अरे अंकल थोड़ा इधर आइए तो आपका पैर पहुँचेगा नहीं तो कहाँ

मनोज- जी पर वो

आरती- उउउफफ्फ़ ऊऊ आप तो बस थोड़ा सा टच हो जाएगा तो क्या होगा आप इधर आईई और अपने आपको भी थोड़ा सा डोर की ओर सरक के वो बैठ गई

अब मनोज के अंदर एक आवेश आ गया था और वो अपने को रोक ना पाया उसने अपने लेफ्ट पैर को गियर के उस तरफ कर लिया और आरती की जाँघो से जोड़ कर बैठ गया उसकी जांघे आरती की जाँघो को रौंद रही थी उसके वेट से आरती की जाँघो को तकलीफ ना हो सोचकर मनोज थोड़ा सा अपनी ओर हुआ ताकि आरती अपना पैर हटा सके पर आरती तो वैसे ही बैठी थी और अपने हाथों को स्टियरिंग पर घुमा रही थी

मनोज ने ही अपने हाथों से उसके जाँघो को पकड़ा और थोड़ा सा उधर कर दिया और अपनी जाँघो को रखने के बाद उसकी जाँघो को अपने ऊपर छोड़ दिया वह कितनी नाजुक और नरम सी जाँघो का स्पर्श था वो कितना सुखद और नरम सा मनोज अपने हाथों को सीट के पीछे लेजाकर अपने आपको अड्जस्ट किया और आरती की ओर देखने लगा । आरती अब थोड़ा सा उससे नीचे थी उसका आचल अब भी अपनी जगह पर नहीं था उसकी दोनों चूचियां उसे काफी हद तक दिख रही थी वो उत्तेजित होता जा रहा था पर अपने पर काबू किए हुआ था अपने पैरों को वो ब्रेक तक पहुँचा चुका था और अपनी जाँघो से लेकर टांगों तक आरती के स्पर्श से अविभूत सा हुआ जा रहा था वो अपने नथुनो में भी आरती की सुगंध को बसा कर अपने आपको जन्नत की सैर की ओर ले जा रहा था

आरती लगभग उसकी बाहों में थी और उसे कुछ भी ध्यान नहीं था वो अपनी स्वप्न सुंदरी के इतने पास था वो सोच भी नहीं सकता था

गाड़ी स्टार्ट थी और गियर पड़ते ही चालू हो जाएगी
मनोज का दायां हाथ अब गियर के ऊपर था और उसने क्लच दबा के धीरे से गियर चेंज किया और धीरे-धीरे क्लच को छोड़ने लगा और
मनोज- आप धीरे से आक्सेलेटर बढ़ाना

मनोज- जी हमम्म्ममममम
मनोज ने धीरे से क्लच को छोड़ा पर आक्सेलोटोर बहुत कम था सो गाड़ी फिर रुक गई

आरती अपनी जगह पर से ही अपना चेहरा उठाकर
उसके गले में सारी आवाज ही फँस गई थी ।
अंकल की ओर देखा और
आरती- क्या हुआ

मनोज- जी थोड़ा सा और एक्सीलेटर दीजिएगा

और अपने दाँये हाथ से गियर को फ्री करके रुका पर आरती की ओर से कोई हरकत ना देखकर लेफ्ट हैंड से उसके कंधे पर थोड़ा सा छूके कहा
मनोज- जी वो गाड़ी स्टार्ट कजिए हमम्म्ममम

आरती- जी हाँ
किसी इठलाती हुई लड़की की तरह से हँसी और झुक कर कीस को घुमाकर फिर से गाड़ी स्टार्ट की । मनोज की हालत खराब थी वो अपने को अड्जस्ट ही कर रहा था उसका लण्ड उसका साथ नहीं दे रहा था वो अपने आपको आजाद करना चाह-ता था। मनोज ने फिर से अपने पेण्ट को अड्जस्ट किया और अपने लण्ड को गियर के सपोर्ट पर खड़ा कर लिया ढीले अंडरवेअर से उसे कोई दिक्कत नहीं हुई थी अब वो गियर चेंज करने वाला ही था कि आरती का हाथ अपने आप ही गियर रोड पर आ गया था ठीक उसके लण्ड के उउऊपर था जरा सा नीचे होते ही उसके लण्ड को छू जाता । मनोज थोड़ा सा पीछे हो गया और अपने हाथों को आरती के हाथों रख दिया और जोर लगाकर गियर चेंज किया और धीरे से क्लुच छोड़ दिया गाड़ी
आगे की ओर चल दी

मनोज- जी थोड़ा सस्स्साअ और एक्सीलेटर दबाइए हमम्म्ममम
उसकी गरम-गरम सांसें अब आरती के चेहरे पर पड़ रही थी और आरती की तो हालत ही खराब थी वो जानती थी कि वो किस परस्थिति में है और उसे क्या चाहिए उसने आपने आप पर से नियंत्रण हटा लिया था और सबकुछ मनोज के हाथों में सौंप दिया था उसकी सांसें अब उसका साथ नहीं दे रही थी उसके कपड़े भी जहां तहाँ हो रहे थे उसके ब्लाउज के अंदर से उसकी चूचियां उसका साथ नहीं दे रही थी वो एक बेसूध सी काया बन कर रह गई थीजो कि बस इस इंतजार में थी कि मनोज अंकल के हाथ उसे सहारा दे

उसने बेसुधि में ही अपनी आखें आगे की ओर गढ़ाए, हुए स्टियरिंग को किसी तरह से संभाला हुआ था गाड़ी कभी इधर कभी उधर जा रही थी

मनोज का लेफ्ट हैंड तो अब आरती के कंधे पर ही आ गया था और उस नाजुक सी काया का लुफ्त ले रहा था और दायां हैंड कभी उसके हाथो को स्टियरिंग में मदद करते तो कभी गियर चेंज करने में वो भी अपनी स्थिति से भली भाँति परिचित था पर आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा था पूरी थाली सजी पड़ी थी बस हाथ धोकर श्री गणेश करना बाकी था हाँ बस ओपचारिकता ही उन्हें रोके हुए थी।
मनोज अपने दाँये हाथ से आरती का हाथ पकड़कर स्टियरिंग को डाइरेक्ट कर रहा था और अपने लेफ्ट हैंड से आरती के कंधों को अब ज़रा आराम से सहला रहा था उसकी आखें आरती की ओर ही थी और कभी-कभी बाहर ग्राउंड पर भी उठ जाती थी पर आरती की ओर से कोई भी ना नुकर ना होने से उसके मन को वो और नहीं समझ सका उसका लेफ्ट हैंड अब उसके कंधों से लेकर बूब्स तक को छूने लगे थे पर बड़े ही प्यार से और बड़े ही नाजुक तरीके से वो उस स्पर्श का आनंद ले रहा था उसके लेफ्ट हैंड अब थोड़ा सा आगे की ओर उसके गर्दन तक आ जाता और उसके गले को छूते हुए फिर से कंधे पर पहुँच जाता मनोज अपने को उस सुंदरता पर मर मिटने को तैयार कर रहा था उसकी साँसे अब आरती से तेज चल रही थी वो थोड़ा सा झुक कर आरती के बालों की खुशबू भी अपने अंदर उतार लेता था और फिर से उसके कंधो पर ध्यान कर लेता था उसके हाथ फिर से आरती के कंधे को छूते हुए गले तक पहुँचे थे कि छोटी उंगलियों को उसने और भी फैला कर उसके पैरो के ऊपर छूने की कोशिश करने लगा था

और उधर आरती अंकल की हर हरकत को अपने अंदर समेट कर अपनी आग को और भी भड़का कर जलने को तैयार थी उसके पल्लू ने तो कब का उसका साथ छोड़ दिया था उसकी सांसें भी उखड़ उखड़ कर चल रही थी । मनोज के हाथों का कमाल था कि उसके मुख से अब तक रोकी हुई सिसकारी एक लंबी सी आआह्ह बनकर बाहर निकल ही आई और उसका लेफ्ट हैंड स्टियरिंग से फिसल कर गियर रॉड पा आ गया


ठीक गियर रोड के साथ ही मनोज अपने लण्ड को टिकाए हुए था। आरती के उंगलियां उससे टकराते ही मनोज का दायां हैंड आरती के ब्लाउज के अंदर और अंदर उतर गया और उसके हाथों में वो जन्नत का मजा या कहिए रूई का वो गोला आ गया था जिससे वो बहुत देर से अपनी आँखे टिकाए देख बार रहा था वो थोड़ा सा आगे हुआ और अपने लण्ड को आरती की उंगलियों को छुआ भर दिया और अपने दाएँ हैंड से आरती की चूचियां को दबाने लगा था


और आरती के हाथों में जैसे कोई मोटा सा रोड आ गया था वो अपने हाथों को नीचे और नीचे ले गई थी और उसके लण्ड को पेण्ट के ऊपर से कसकर पकड़ लिया उसकी हथेली में नहीं आ रहा था पर गरम बहुत था कपड़े के अंदर से भी उसकी गर्मी वो महसूस कर रही थी वो गाड़ी चलाना भूल गई थी, ना ही उसे मालूम था कि गाड़ी कहाँ खड़ी थी उसे तो बस पता था कि उसके ब्लाउज के अंदर एक बालिस्ट सा हाथ उसकी चुचियों को दबा दबाकरउसके शरीर की आग को बढ़ा रहा था और उसके हाथों में एक लण्ड था जिसके आकार का उसे पता नहीं था उसके चेहरे को देखकर कहा जा सकता था कि उसे जो चाहिए था वो उसे बस मिलने ही वाला था

तभी उसके कानों में एक आवाज आई


आप बहुत सुंदर आहियीईई

यह अंकल की आवाज थी बहुत दूर से आती हुई और उसके जेहन में उतरती चली गई उसका लेफ्ट हैंड भी अब उठकर अंकल के हाथों का साथ देने लगा था उसके ब्लाउज के ऊपर से अंकल का दूसरा हाथ यानी की दायां हाथ अब आरती की दांई चुचि को ब्लाउज के ऊपर से दबा रहा था और होंठो से आरती के गले और गालों को को गीलाकर रहे थे। आरती सबकुछ भूल कर अपने सफर पर रवाना हो चुकी थी और अंकल के हाथों का खिलोना बन चुकी थी वो अपने शरीर के हर हिस्से में अंकल के हाथों का इंतजार कर रही थी और होंठों को घुमाकर अंकल के होंठों से जोड़ने की कोशिश कर रही थी। मनोज ने भी आरती को निराश नहीं किया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी प्यास बुझानी शुरू कर दी


अब तो गाड़ी के अंदर जैसे तूफान सा आ गया था कि कौन सी चीज पकड़े या किस पर से हाथ हठाए या फिर कहाँ होंठों को रखे या फिर छोड़े दोनों एक दूसरे से गुथ से गये थे। आरती की पकड़ मनोज के लण्ड पर बहुत कस गई थी और वो उसे अपनी और खींचने लगी थी पर मनोज क्या करता वो लेफ्ट हैंड से अपनी पैन्ट को ढीलाकरके अपने अंडरवेर को भी नीचे कर दिया ।
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