Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:25 PM,
#19
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
और फिर से आरती के हाथों को पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया और फिर से आरती के होंठों का रास्पान करने लगा। लेफ्ट हैंड से उसने कब आरती की साड़ी ऊपर उठा दी थी। आरती को पता ही नही चला पर हाँ मनोज की पत्थर जैसी हथेली का स्पर्श जैसे ही उसकी जाँघो और टांगों पर हुआ तो वो अपनी जाँघो को और नहीं जोड़ कर नही रख सकी थी वो अपने आपको अंकल के सुपुर्द करके मुख को आजाद करके सीट के हेड रेस्ट पर सिर रख कर जोर-जोर से साँसे ले रही थी और मनोज उस मस्त चीज का पूरा लुफ्त उठा रहा था

तभी आचनक ही मनोज अपनी सीट से आलग होकर जल्दी से बाहर की ओर लपका और घूमकर अपनी ढीली पेण्ट और अंडरवेर को संभालता हुआ ड्राइविंग सीट की ओर लपका और एक झटके में ही डोर खोलकर आरती को खीच कर उसकी टांगों को बाहर निकल लिया और उसकी जाँघो और टांगों को चूमने लगा कितनी सुंदर और सुडौल टाँगें थी । आरती की और कितनी चिकनी और नरम उूउऊफ वो अपने हाथों को बहुके पेटीकोट के अंदर तक बिना किसी झिझक के ले जा रहा था और एक झटके में उसकी पैंटी को खींचकर बाहर भी निकल भी लिया और देखते ही देखते उसके जाँघो को किस करते हुए उसकी चुत तक पहुँच गया


और आरती ने अपने जीवन का पहला अनुभव किया अपनी चुत को छूने का उसका पूरा शरीर जबाब दे गया था और उसके मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकल गई और वो बुरी तरह से अपने आपको अंकल की ग्रिफ्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी पर कहाँ अंकल की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो कुछ भी ना कर पाई हाँ… इतना जरूर था कि उसकी चीख अब उसके बस में नहीं थी वो निरंतर अपनी चीख को सुन भी सकती थी और उसके सुख का आनंद भी ले सकती थी उसे लग रहा था कि जैसे उसका हार्ट फैल हो जाएगा उसके अंदर उठ रही काम अग्नि अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी थिया और वो अंकल की जीब और होंठों का जबाब ढूँढ़ती और अपने को बचाती वो अंकल के हाथों में ढेर हो गई पर अंकल को कहाँ चैन था वो तो अब भी अपने होंठों को आरती की चुत में लगाकर उसके जीवन का अमृत पीरहा था उसका पूरा चेहरा आरती की चुत से निकलने वाले रस से भर गया था और वो अपने चेहरे को अब भी उसपर घिस रहा था आरती जो कि अब तक अपने को संभालने में लगी थी उसे नहीं पता था कि वो किस परिस्थिति में है हाँ पता था तो बस एक बात की वो एक ऐसे जन्नत के सफर पर है जिसका की कोई अंत नहीं है उसके शरीर पर अब भी झुकने से उसकी चुत से रस्स अब तक निकल रहा था और अपनी चुत पर उसे अभी तक के होंठों का और जीब का एहसास हो रहा था उसकी जाँघो पर जैसे कोई सख़्त सी चीज ने जकड रखा था और उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी वो चाह कर भी अपनी जाँघो को हिला नहीं पा रही थी।
और उधर मनोज अपनी जीब को अब भी आरती की चुत के अंदर आगे पीछे करके अपनी जीब से आरती के अंदर से निकलते हुए रस्स को पी रहा था जैसे कोई अमृत मिल गया हो और वो उसका एक भी कतरा वेस्ट नहीं करना चाहता था उसके दोनों हाथ आरती की जाँघो के चारो और कस के जकड़े हुए थे और वो आरती की जाँघो को थोड़ा सा खोलकर सांस लेने की जगह बनाने की कोशिश कर रहा था पर आरती की जाँघो ने उसके सिर को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उसकी जाँघो को अलग नहीं कर पा रहा था


वो इससे ही अंदाजा लगा सकता था कि आरती कितनी उत्तेजित है या फिर कितना मजा आ रहा है वो अपने को और भी आरती की चुत के अंदर घुसा लेना चाहता था पर उसने अपने को छुड़ाने की कोशिश में एक झटके से अपना चेहरा उसकी जाँघो से आजाद कर लिया और बाहर आके सांस लेने लगा तब उसकी नजर आरती पर पड़ी जो कि अब भी ड्राइविंग सीट पर लेटी हुई थी और जाँघो तक नंगी थी उसकी सफेद और सुडोल सी जांघे और पैर बाहर कार से लटके हुए थे दूर से आ रही रोशनी में उसके नंगे शरीर को चार चाँद लगा रहे थे मनोज का पूरा चेहरा आरती के रस्स से भीगा हुआ था और वो अब भी आरती को,
एक भूखे शेर की तरह देख रहा था और अपने मजबूत हाथों से उसकी जाँघो को और उसके पैरों को सहला रहा था आरती का चेहरा उसे नहीं दिख रहा था वो अंदर कही शायद गियर रोड के पास से नीचे की ओर था मनोज उठा और सहारा देकर आरती को थोड़ा सा बाहर खींचा ताकि आरती का सिर किसी तरह से सीट पा आ जाए । वो नहीं चाहता था कि आरती को तकलीफ हो पर अपनी वासना को भी नहीं रोक पा रहा था उसने एक बार आरती की ओर देखा और उठ खड़ा हुआ और अपनी कमीज से अपना चेहरा पोंछा और थोड़ा सा अंदर घुसकर आरती की ओर देखने लगा। आरती अब भी शांत थी पर उसके शरीर से अब भी कई झटके उठ रहे थे बीच बीच में थोड़ा सा खांस भी लेती थी पर अंकल को अचानक ही अपने ऊपर झुके हुए देखकर वो थोड़ा सा सचेत हो गई

और अपनी परिस्थिति का अंदाज लगाने लगी।अंकल का चेहरा बहुत ही सख्त सा दिखाई दे रहा था, उस अंधेरे में भी उसे उनकी आखों में एक चमक दिखाई दे रही थी उसके पैरों पर अब थोड़ा सा नंगेपन का एहसास उसे हुआ तो उसने अपने पैरों को मोड़ कर अपने नंगे पन को छुपाने की कोशिश की
तो अंकल ने उसके कंधों को पकड़कर थोड़ा सा उठाया और

अंकल- मैडम

आरती- ----
अंकल ने जब देखा कि आरती की ओर से कोई जबाब नहीं है तो वो बाहर आया और अपने हाथों से आरती को सहारा देकर बैठा लिया अंकल जो कि बाहर खड़ा था और लगभग आरती के चेहरे तक उसकी कमर आ रही थी। आरती के बैठते ही उसने आरती को कंधे से जकड़कर अपने पेट से चिपका लिया । आरती भी अंकल की हरकत को जानकर अपने को रोका नहीं पाई पर जैसे ही वो अंकल के पेट से लगी तो उसके गले पर एक गरम सी चीज टकराई गरम बहुत ही गरम उसने अपने चेहरे को नीचे करके उस गरम चीज़ को अपने गले और चिन के बीच में फँसा लिया और हल्के से अपनी चिन को हिलाकर उसके एहसास का मजा लेने लगी। आरती के शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वो वैसे ही अपने गले और चिन को उस चीज पर घिसती रही उधर मनोज अपने लण्ड के आकड़पन को अब ठंडा करना चाहता था वो उत्तेजित तो था ही पर आरती की हरकत को वो और नहीं झेल पा रहा था उसने भी आरती को अपनी कमर पर कस्स कर जकड़ लिया और अपनी कमर को आरती के गले और चेहरे पर घिसने लगा वो अपने लण्ड को शायद अच्छे से दिखा लेना चाहता था कि देख किस चीज पर आज हाथ साफ किया है या कभी देखा है इतनी सुंदर हसीना को या फिर तेरी जिंदगी का वो लम्हा शायद फिर कभी भी ना आए इसलिए देख ले


और उधर आरती की हा;लत फिर से खराब होने लगी थी वो अपने चेहरे पर और गले और गालों पर अंकल के लण्ड के एहसास को झुटला नहीं पा रही थी और वो भी अपने आपको अंकल के और भी नजदीक ले जाना चाहती थी उसने अपने दोनों हाथों को अंकल की कमर में चारो ओर कस्स लिया और खुद ही अपने चेहरे को उनके लण्ड पर घिसने लगी थी पहली बार जिंदगी में पहली बार वो यह सब कर रही थी और वो भी एक अनजाने से सक्श के के साथ। उसने अपने पति का लण्ड भी कभी अपने चेहरे पर नहीं घिसा था या शायद कभी मौका ही नहीं आया था पर हाँ… उसे अच्छा लग रहा था उसकी गर्मी के एहसास को वो भुला नहीं पा रही थी उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी उसकी जाँघो के बीच में फिर से गुदगुदी सी होने लगी थी ठंडी हवा उसकी जाँघो और, योनि के द्वार पर अब अच्छे से टकरा रही थी।
और वो अपने चेहरे को घिस कर अपने आपको फिर से तैयार कर रही थी उसके लिप्स भी कई बार अंकल के लण्ड को छू गये थे पर सिर्फ़ टच और कुछ नहीं उसके होंठों का टच होना और मनोज के शरीर में एक दीवाने पन की लहर और उसे पर उसका वहशीपन और भी बढ़ गया था वो अपने लण्ड को अब आरती के होंठों पर बार-बारछूने की कोशिश करने लगा था वो अपने दोनो हाथों को एक बार फिर आरती की पीठ और बालों को सहलाने के साथ उसकी चूची की ओर ले जाने की कोशिश करने लगा। आरतीके बाल कमर के चारो और चिपके होने से उसे थोड़ी सी मसक्कत करी पड़ी पर हाँ… कामयाब हो ही गया वो अपने हाथों को आरती की चूचियां पर पहुँचने में ब्लाउज के ऊपर से ही वो उनको दबाने लगा और उनके मुलायम पन का आनंद लेने लगा एक तरफ तो वो आरती की चुचियों से खेल रहा था और दूसरे तरफ वो अपने लण्ड को आरती के होंठों पर घिसने की कोशिश भी कर रहा था

उसके हाथ अब उसके इशारे पर नहीं थे बल्कि उसको मजबूर कर रहे थे की आरती की चुचियों को अंदर से छुए तो वो अपने हाथों से आरती के ब्लाउज के बटन को खोलेकर एक ही झटके से उसकी ब्रा को भी आजाद कर लिया और उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथों में लेकर तोलने लगा उसके निप्पल्स को भी अपनी उंगलियों के बीच में लेकर हल्के सा दबाने लगा नीचे आरती के मुख से एक हल्की सी सिसकारी ने उसे और भी दीवाना बना दिया था और वो अपनी उंगलियों के दबाब को उसके निपल्स पर और भी ज्यादा जोर से मसलने लगा था


आरती की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगी थी और उसका चेहरा भी अब कुछ ज्यादा ही उसके पेट पर घिसने लगा था मनोज अपने हाथो का दबाब खड़े-खड़े उसकी चुचियों पर भी बढ़ाने लगा था और अब तो कुछ देर बाद वो उन्हें मसलने लगा था आरती के मुख से निकलने वाली सिसकारी अब थोड़ी बहुत दर्द भी लिए हुए थी पर मना नहीं कर रही थी बल्कि आरती की पकड़ उसकी कमर पर और भी ज्यादा होती जा रही थी और उसका चेहरा भी उसके ठीक लण्ड के ऊपर और उसके लण्ड के चारो तरफ कुछ ज्यादा ही इधर-उधर होने लगा था मनोज ने एक बार नीचे आरती की ओर देखा और जोर से उसकी चुचियों को दबा दिया दोनों हाथों से और जैसे ही उसके मुख से आआह्ह निकली अंकल ने झट से अपने लण्ड को उसके सुंदर और साँस लेने की लिए खुले होंठों के बीच में रख दिया और एक झटका से अंदर गुलाबी होंठों में फँसा दिया

आरती के तो होश ही गुम हो गये जैसे ही उसके मुख में अंकल का लण्ड घुसा उसे घिंन सी आई और वो अपने आपको आजाद कराने की कोशिश करने लगी और अपने मुख से अंकल का लण्ड को निकालने में लग गई थी पर अंकल की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने आपको उनसे अलग तो क्या हिला तक नहीं पाई थी अंकल का एक हाथ अब उसके सिर के पीछे था और दूसरे हाथ से उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने लण्ड के पास और पास खींचने की कोशिश कर रहे थे आरती का सांस लेना दूभर हो रहा था उसकी आखें बड़ी-बड़ी हो रही थी और वो अपने को छुड़ा ना पाकर अंकल की ओर बड़ी दयनीय स्थिति में देखने लगी थी पर अंकल का पूरा ध्यान अपने लण्ड को आरती के मुख के अंदर घुसाने में लगा था और वो उसपरम आनंद को कही से भी जाने नहीं देना चाहते थे वो अपने हाथों का दबाब आरती के सिर और कंधे पर बढ़ाते ही जा रहे थे और अपने लण्ड को उसके मुँह पर अंदर-बाहर धीरे से करते जा रहे थे
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:25 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,413,516 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,652 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,196,888 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 904,642 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,604,941 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,038,963 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,881,933 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,825,703 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,944,492 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 276,872 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)