Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:25 PM,
#20
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती जो कि अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी अब किसी तरह से अपने मुख को खोलकर उस गरम चीज को अपने मुख में अड्जस्ट करने की कोशिस करने लगी थी घिंन के मारे उसकी जान जा रही थी और अंकल के लण्ड के आस पाश उगे बालों पर से एक दूसरी गंध आ रही थी जिससे कि उसे उबकाई भी आ रही थी पर वो बेबस थी वो अंकल जैसे बालिस्त इंसान से शक्ति में बहुत कम थी वो किसी तरह से अपने होंठों को अड्जस्ट करके उनके लण्ड को उनके तरीके से अंदर-बाहर होने दे रही थी पर जैसे ही उसने अपने मुख को खोलकर अंकल के लण्ड को अड्जस्ट किया । अंकल और भी वहशी से हो गये थे वो अब इतना जोर का झटका देते थे कि उसके गले तक उनका लण्ड चला जाता था और फिर थोड़ा सा बाहर की ओर खींचते थे तो आरती को थोड़ा सा सुकून मिलता अंकल अपनी गति से लगे हुए थे और आरती अपने को अड्जस्ट करने में पर ना जाने क्यों थोड़ी देर बाद आरती को भी इस खेल में मजा आने लगा था अब वो उतना रेजिस्ट नहीं कर रही थी बल्कि अंकल के धक्को के साथ ही वो अपने होंठों को जोड़े ही रखा था और धीरे धीरे अंकल के लण्ड को अपने अंदर मुख में लेते जा रही थी अब तो वो अपनी जीब को भी उनके लण्ड पर चलाने लग गई थी उसे अब उबकाई नहीं आ रही थी और ना ही घिन ही आ रही थी उसके शरीर से उठ रही गंध को भी वो भूल चुकी थी और तल्लीनता से उनके लण्ड को अपने मुँह में लिए चुस्स रही थी। मनोज ने जैसे ही देखा कि आरती अब उसके लण्ड को चुस्स रही थी और उसे कोई जोर नहीं लगाना पड़ रहा था तो उसने अपने हाथ का दबाब उसके सिर पर ढीला छोड़ दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करने में ध्यान देने लगा उसका लण्ड आरती के छोटे से मुख में लाल होंठों से लिपटा हुआ देखकर वो और भी उत्तेजित होता जा रहा था वो अब किसी भी कीमत पर आरती की चुत के अंदर अपने आपको उतार देना चाहता था वो जानता था कि अगर आरती के मुख में वो ज्यादा देर रहा तो वो झड जाएगा और वो मजा वो उसकी चुत पर लेने से वंचित रह जाएगा उसने जल्दी से आरती के कंधों को पकड़कर एक झटके से उठाया और अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया और उसके लाल लाल होंठों को अपने मोटे और भद्दे से होंठों की भेंट चढ़ा दिया वो पागलो की तरह से आरती के होंठों को चुस्स रहा था और अपनी जीब से भी उसके मुख की गहराई को नाप रहा था । आरती जब तक कुछ समझती तब तक तो अंकल अपने होंठों से जोड़ चुके थे और पागलो की तरह से किस कर रहे थे किस के टूट-ते ही वो आरती के ऊपर थे और अंकल का लण्ड उसके योनि के द्वार पर था और एक ही झटके में वो उसके अंदर था अंकल के वहशीपन से लगता था की आज उसका इम्तहान था या फिर उनके पुरुषार्थ को दिखाने का समय या फिर आरती को भोगने का उतावलापन वो भूल चुका था कि वो सिर्फ उसका कार इंस्ट्रक्टर है और जो आज उसके साथ है वो उस्की स्टूडेंट है एक बड़े घर की बहू उसे तो लग रहा था की उसके हाथों में जो थी वो एक औरत है और सिर्फ़ औरत जिसके जिश्म का वो दीवाना था और जैसे चाहे वैसे उसे भोग सकता था वो आरती को चित लिटाकर अपने लण्ड को उसके चुत के द्वार पर रखकर एक जोरदार धक्के के साथ उसके अंदर समा गया उसके अंदर घुसते ही आरती के मुख से एक चीत्कार निकली जो कि उस सुनसांन् ग्राउंड के चारों ओर फेल्ल गई और शायद गाडियो की आवाज में दब कर कही खो गई दुबारा धक्के के साथ ही मनोज अपने होंठों को आरती के होंठों पर ले आया और किसी पिस्टन की भाँति अपनी कमर को धक्के पर धक्के लगाने लगा वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है उसकी उत्तेजना शिखर पर है और वो इस कामुक सुंदरी को ज्यादा देर नहीं झेल पाएगा सो वो अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचने की जल्दी में था और बिना किसी रोक टोक के अपने शिखर की ओर बढ़ने लगा था
और आरती जो कि नीचे अंकल के हर धक्के के साथ ही अपने को एक बार फिर उस असीम सागर में गोते लगाने लगी थी जिसमें डूब कर अभी-अभी निकली थी पर कितना सुखद था यह सफर कितना सुख दाई था यह सफर एक साथ दो-दो बार उसकी चुत से पानी झरने को था अब भी उसकी चुत इतनी गीली थी कि उसे लग रहा था कि पहली बार पूरी नहीं हो पाई थी कि दूसरे की तैयारी हो चली थी वो भी अपनी कमर को उठाकर अंकल की हर चोट का मजा भी ले रही थी और उसका पूरा साथ दे रही थी अब तो वो भी अपनी जीब अंकल के साथ लड़ाने लग गई थी वो भी अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ कर उन्हें चूमने लग गई थी कि अचानक ही उसके मुख से निकला

आरती- आआआआह्ह अंकल और जोर से
अंकल@#&$^-
आरती- अऔरर्र ज्ज्जूऊऔरर्र्रर सस्स्सीईए उूुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममम
और वो अंकल के चारो ओर अपनी जाँघो का घेरा बना कर उसकी बाहों में झूल गई और अंकल के हर धक्के को अंदर अपने अंदर बहुत अंदर महसूस करने लगी उसकी योनि से एक बहुत ही तेज धार जो कि शायद अंकल के लण्ड से टकराई और अंकल भी अब झड़ने लगे अंकल की गिरफ़्त आरती के चारो तरफ इतनी कस्स गई थी कि आरती का सांस लेना भी दूभर हो गया था वो अपने मुख को खोलकर बुरी तरह से सांसें ले रही थी और हर सांस लेने से उसके मुख से एक लंबी सी सस्सशह्ह्ह्ह्ह्ह निकलती


अंकल भी अब अपना दम खो चुका था और धीरे धीरे उसकी पकड़ भी आरती पर से ढीली पड़ने लगी थी वो अपने को अब भी आरती के बालों और कंधों के सहारे अपने चेहरे को ढँके हुए था और अपनी सांसों को कंट्रोल कर रहा था दोनों शांत हो चुके थे पर एक दूसरे को कोई भी नहीं छोड़ रहा था पर धीरे धीरे हल्की सी ठंडक और तेज हवा का झौंका जब उनके नंगे शरीर पर पड़ने लगा या फिर उनको एहसास होने लगा तो जैसे दोनों ही जागे हो और अपनी पकड़ ढीली की और बिना एक दूसरे से नजर मिलाए अंकल ने सहारा देकर आरती के पैर जमीन पर टिकाए और नीचे गर्दन नीची किए दूसरी तरफ पलट गया वो आरती से नजर नहीं मिला पा रहा था और आरती की भी हालत ऐसी ही थी वो अपने बाप समान अंकल के सामने ऊपर से बिल कुल नंगी थी । नीचे खड़े होने से उसकी साड़ी ने उसके नीचे का नंगा पन तो ढँक लिया था पर ऊपर तो सब खुला हुआ था वो भी एक सुनसान से ग्राउंड में आरती को जैसे ही अपनी परिस्थिति का ग्यान हुआ वो दौड़कर पीछे की सीट पर आ गई और जल्दी से दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गई और अपने कंधे पर पड़े हुए ब्रा और ब्लाउसको ठीक करने लगी उसकी नजर बाहर गई तो कि बाहर अंकल अपनी अंडरवेअर ठीक करने के बाद अपनी पेंट को पहन रहे थे और अपने चेहरे को भी पोंछ रहे थे तब तक आरती ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से कोट भी पहन लिया ताकि वो घर चलने से पहले ठीक ठाक हो जाए अपनी साड़ी को अंदर बैठे बैठे ठीक किया और नीचे की ओर झटकारने लगी उसकी नजर बीच बीच में बाहर खड़े हुए अंकल पर भी चली जाती थी अंकल अब पूरी तरह से अपने आपको ठीक ठाक कर चुके थे और बाहर खड़े हुए शायद उसी का इंतजार कर रहे थे या फिर अंदर आने में झिहक रहे थे वो शायद उसके तैयार होने का इंतजार बाहर खड़े होकर कर रहे थे पर आरती में तो इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अंकल को अंदर बुला ले पर उसने अंकल को तभी ड्राइविंग साइड कर गेट खोलते हुए देखा तो झट से उसने अपना सिर बाहर खिड़की की ओर कर लिया और बाहर देखने लगी पर कनखियों से उसने देखा कि अंकल ने नीचे से कुछ उठाया और उसको गाड़ी की लाइट में देखा और अंदर की ओर आरती की तरफ भी उनकी नजर हुई पर आरती की नजर उस चीज पर नहीं पड़ पाई जो उन्होंने उठाई थी पर जब अंकल को उसे अपने मुख के पास लेकर सूँघते हुए देखा तो वो शरम से पानी पानी हो गई वो उसकी पैंटी थी जो कि अंकल के हाथ में थी वो अंदर आके बैठ गये और अपने एक हाथ को पीछे करके उसकी पैंटी को साइड सीट की ऊपर रख दिया ताकि आरती की नजर उसपर पड़ जाए और गेट बंद कर लिया और गाड़ी का इग्निशन चालू कर गाड़ी को धीरे से ग्राउंड के बाहर की ओर दौड़ा दिया

गाड़ी जैसे ही ग्राउंड से बाहर की दौड़ी वैसे ही आरती ने अपनी पैंटी को धीरे से हाथ बढ़ाकर अपने पास खींच लिया ताकि अंकल की नजर में ना आए पर कनखियो से मनोज की नजर से वो ना बच पाई थी हाँ… पर मनोज को एक चिंता अब सताने लगी थी कि अब क्या होगा, जो कुछ करना था वो तो वो कर चुके लेकिन वो चिंतित था कही आरती ने इस बात की शिकायत कही रवि से कर दी तो या फिर कही आरती को कुछ हो गया तो या फिर कही उसका ड्राइविंग स्कूल बंद करवा दिया गया तो


इसी उधेड़बुन में अंकल अपनी गति से गाड़ी चलाते हुए बंगलो की ओर जा रहे थे और उधर आरती भी अपने तन की आग बुझाने के बाद अपने होश में आ चुकी थी वो बार-बार अपनी साड़ी से अपनी जाँघो के बीच का गीलापन और चिपचिपापन को पोन्छ रही थी उसका ध्यान अब भी बाहर की ओर ही था और मन ही मन बहुत कुछ चल रहा था वो अंकल के साथ बिताए वक्त की बारे में सोच रही थी वो जानती थी कि उसने बहुत बड़ी भूलकर ली है पहले रामू काका और अब मनोज अंकल दोनों के साथ उसने वो खेल लिया था जिसका कि भविष्य क्या होगा उसके बारे में सोचने से ही उसका कलेजा काप उठ-ता था पर वो क्या करती वो तो यह सबकुछ नहीं चाहती थी वो तो उसके मन या कहिए अपने तंन के आगे मजबूर हो गई थी वो क्या करती जो नजर उस पड़ पड़ी थी रामू काका की या फिर मनोज अंकल की वो नजर तो आज तक रवि की उस पर नहीं पड़ी थी क्या करती वो उसने जानबूझ कर तो यह नहीं किया हालात ही ऐसे बन गये कि वो उसे रोक नहीं पाई और यह सब हो गया


अगर रवि उसे थोड़ा सा टाइम देता या फिर वो कही एंगेज रहती या फिर उसके लिए भी कोई टाइम टेबल होता तो क्या उसके पास इतना टाइम होता कि वो इन सब बातों की ओर ध्यान देती आज से पहले वो तो कालेज और स्कूल और दोस्तों के साथ कितना घूमी फिरी है पर कभी भी इस तरह की बात नहीं हुई या फिर उसके जेहन में भी इस तरह की बात नहीं आई थी सेक्स तो उसके लिए बाद की बात थी पहले तो वो खुद थी फिर उसकी जिंदगी और फिर सेक्स वो भी रात को अपने पति के साथ। घर के नौकरके साथ सेक्स वो तो कभी सोच भी नहीं पाई थी कि वो इतना बड़ा कदम कभी उठा भी सकती थी वो भी एक बार नहीं दो बार पहली को तो गलती कहा जा सकता था पर दूसरी और फिर आज भी वो भी बाहर दूसरे अनजान आदमी के साथ


यह गलती नहीं हो सकती थी यही सोचते सोचते कब घर आ गया उसे पता भी ना चला और जैसे ही गाड़ी रुकी उसने बाहर की ओर देखा घर का दरवाजा खुला था पर गाड़ी के दरवाजे पर अंकल को नजर झुकाए खड़े देखकर एक बार फिर आरती सचेत हो गई और जल्दी से गाड़ी के बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई सी घर के अंदर आ गई और जल्द बाजी से अपने कमरे की ओर चली गई कमरे में पहुँचकर सबसे पहले अपने आपको मिरर में देखा अरे बाप रे कैसी दिख रही थी पूरे बाल अस्त व्यस्त थे और चेहरे की तो बुरी हालत थी पूरा मेकप ही बिगड़ा हुआ था अगर कोई देख लेता तो झट से समझ लेता की क्या हुआ है आरती जल्दी से अपने आपको ठीक करने में लग गई और बाथरूम की ओर दौड़ पड़ी।
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